मीरपुर वनडे : बांग्लादेश ने इंग्लैंड को 34 रनों से हराया

msid-54774825width-400resizemode-4mashrafeमीरपुर
बांग्लादेश क्रिकेट टीम ने शेरे बांग्ला नैशनल स्टेडियम में रविवार को हुए दूसरे वनडे इंटरनैशनल मैच में इंग्लैंड को 34 रनों से हरा दिया। बांग्लादेश ने 239 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी इंग्लैंड की पारी 44.4 ओवरों में 204 रनों पर समेट दी। कप्तान मशरफे मुर्तजा बांग्लादेश की जीत के नायक रहे। मुर्तजा ने पहले बल्लेबाजी करते हुए तेज-तर्रार पारी खेलकर बांग्लादेश को सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाया और उसके बाद इंग्लैंड के चार बल्लेबाजों को पविलियन की राह दिखाकर उनकी पारी समेटने में अहम भूमिका निभाई।

इंग्लैंड के पिछले प्रदर्शनों को देखते हुए 239 रनों के लक्ष्य को चुनौतीपूर्ण तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन 10 ओवरों के अंदर 26 रन तक पहुंचते-पहुंचते चार विकेट गंवाने के बाद जरूर यह सामान्य सा स्कोर चुनौतीपूर्ण लगने लगा था। मुर्तजा ने दोनों सलामी बल्लेबाजों जेसन रॉय (13) और जेम्स विंस (5) को आउट कर बांग्लादेश को शुरुआती सफलता दिलाई। इस बीच शाकिब अल हसन ने बेन डकेट को शून्य के निजी योग पर पविलियन की राह दिखाई। बेन स्टोक्स भी संघर्ष करते नजर आए और खाता खोले बगैर मुर्तजा का तीसरा शिकार हो पविलियन लौटे।

इसके बाद जॉनी बेयरस्टो (35) को कप्तान जोस बटलर (57) का साथ मिला। दोनों ने पांचवें विकेट के लिए 79 रन जोड़े और इंग्लैंड का स्कोर 100 के पार पहुंचाया। तस्कीन अहमद ने यहां बेयरस्टो के रूप में इंग्लैंड को एक और झटका दे दिया। बांग्लादेश के गेंदबाजों ने यहां जबरदस्त वापसी की और इंग्लैंड को संभलने का मौका दिए बगैर मोइन अली (3) और क्रिस वोक्स (7) के विकेट चटका डाले। तस्कीन अहमद ने 57 गेंदों पर सात चौकों के साथ अर्धशतक बनाकर जमे हुए बटलर को आउट कर इंग्लैंड को करारा झटका दे दिया।

 

 

Source: navbharattimes

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भारत-पाक के ‘जल युद्ध’ में चीन शामिल नहींः सरकारी मीडिया

jinping1476075554_bigब्रह्मपुत्र की एक सहायक नदी को बाधित करके भारत एवं पाकिस्तान के बीच जल युद्ध में चीन के शामिल होने की खबरों को चीनी आधिकारिक मीडिया ने खारिज किया है। साथ ही कहा है कि वह भारत एवं बांग्लादेश के साथ जल साझा करके बहुपक्षीय सहयोग तंत्र में शामिल होना चाहता है।

सरकारी दैनिक समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स के एक लेख में कहा गया है कि काल्पनिक जल युद्ध से चीन एवं भारत के संबंध प्रभावित नहीं होने चाहिए। बीजिंग द्वारा ब्रह्मपुत्र नदी के जल को एक संभावित हथियार के रूप में इस्तेमाल किए जाने की संभावना नहीं है।

लेख में कहा गया है कि चीन जल साझा करके भारत एवं बांग्लादेश के साथ बहुपक्षीय सहयोग में शामिल होना चाहता है। यह प्रस्ताव इस बात के मद्देनजर महत्वपूर्ण है क्योंकि जल बंटवारे को लेकर चीन की भारत के साथ कोई संधि नहीं है।

इसमें कहा गया है, भारतीय लोगों के गुस्से को समझना आसान है क्योंकि उन्होंने हाल ही में ऐसी खबरें पढ़ी हैं, जिनमें कहा गया है कि चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी की एक सहायक नदी का जल रोक दिया है। कई देशों की सीमाओं से होकर गुजरने वाली यह नदी दक्षिण पश्चिम चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षत्र से भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम और बाद में बांग्लादेश जाती है। यह नदी इन क्षेत्रों के लिए जल का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

 

 

Source : Hindustan Live

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ब्रह्मपुत्र बांध से भारत में प्रवाह प्रभावित नहीं होगा: चीन

128194-brahamaputra-riverबीजिंग: बांध बनाने के लिए ब्रह्मपुत्र की एक सहायक नदी का पानी रोकने को उचित ठहराते हुए चीन ने इन आशंकाओं को दूर करने का प्रयास किया कि इससे भारत में नदी का प्रवाह प्रभावित होगा। चीन ने कहा कि निचले इलाकों पर कोई विपरीत असर नहीं होगा।

ब्रह्मपुत्र की सहायक शियाबुकु नदी पर लालहो बांध परियोजना को तिब्बत में खाद्य सुरक्षा और बाढ़ सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण परियोजना बताते हुए चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि सहायक नदी पूरी तरह चीन में स्थित है।

चीन के विदेश मंत्रालय ने बांध को लेकर भारत की चिंताओं पर पीटीआई को दिए लिखित जवाब में कहा, ‘परियोजना की जलाशय क्षमता ब्रह्मपुत्र के औसत वाषिर्क प्रवाह का 0.02 फीसदी है। निचले इलाकों में इसके प्रवाह पर विपरीत असर नहीं हो सकता।’

ब्रह्मपुत्र तिब्बत से अरूणाचल प्रदेश, असम और फिर बांग्लादेश में बहती है। चीन ने एक अक्टूबर को घोषणा की थी कि वह अपनी सबसे महंगी बांध परियोजना के लिए तिब्बत में शियाबुकु नदी का जल प्रवाह रोकने जा रहा है।

 

 

Source: Z news

 

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SAARC समिट में PAK नहीं जाएंगे भारत, बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान

saarc280920161475040424_storyimageभारत के बाद भूटान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान ने भी इस्लामाबाद में नवंबर में होने वाले दक्षेस सम्मेलन में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सार्क शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेने का फैसला किया। पाकिस्तान का भारत के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद जारी रखने का हवाला देते हुए सरकार ने ऐलान किया कि मौजूदा हालात में भारत सरकार इस्लामाबाद में होने वाले शिखर सम्मेलन में भाग लेने में असमर्थ है।

बांग्लादेश द्वारा भेजे गए पत्र में कहा गया है, बांग्लादेश के अंदरूनी मामलों में एक देश के बढ़ते हस्तक्षेप ने ऐसा माहौल उत्पन्न कर दिया है जो नवंबर 2016 में इस्लामाबाद में 19वें दक्षेस शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए उपयुक्त नहीं है। इसने कहा, दक्षेस प्रक्रिया के आरंभकर्ता के रूप में बांग्लादेश क्षेत्रीय सहयोग, कनेक्टिविटी और संपर्कों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर अटल है, लेकिन उसका मानना है कि ये चीजें एक सुखद माहौल में ही आगे बढ़ सकती हैं। उपरोक्त के मददेनजर बांग्लादेश इस्लामाबाद में प्रस्तावित शिखर सम्मेलन में भाग लेने में असमर्थ है

भूटान ने कहा कि हालांकि वह दक्षेस प्रक्रिया और क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन क्षेत्र में हाल में आतंकवादी घटनाओं में आई तेजी से वह चिंतित है जिसका असर इस्लामाबाद में नंवबर 2016 में होने वाले 19वें दक्षेस शिखर सम्मलेन के सफल आयोजन के लिए जरूरी माहौल पर पड़ा है।

भूटान की ओर से आगे कहा गया है, इसके अलावा भूटान की शाही सरकार क्षेत्र में आतंकवाद के कारण शांति और सुरक्षा की बिगड़ती स्थिति पर दक्षेस के कुछ सदस्य देशों की चिंता से इत्तेफाक रखती है तथा वर्तमान हालात में दक्षेस शिखर सम्मेलन में शामिल होने में अपनी असमर्थता व्यक्त करने में उन देशों के साथ है ।

सार्क सम्मेलन पर संकट

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि भारत ने इसकी जानकारी दक्षेस के मौजूदा अध्यक्ष नेपाल को दे दी है। सूत्रों के मुताबिक, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और भूटान पहले ही क्षेत्र में बढ़ते आतंकवाद और इसमें एक देश की भूमिका का हवाला देते हुए सम्मेलन में भागीदारी से असमर्थता जता चुके हैं। भारत के इस फैसले के बाद दक्षेस सम्मलेन का रद्द होना तय हो गया है। दक्षेस के संविधान के मुताबिक, एक भी सदस्य देश यदि शामिल होने में असमर्थता जताए तो शिखर सम्मेलन नहीं हो सकता।

गौरतलब है कि उरी हमले को लेकर भारत ने कठोर रुख अपनाया है। सभी स्तरों पर पाकिस्तान को अलग थलग करने का प्रयास चल रहा है। सिंधु नदी समझौते की समीक्षा की जा रही है। वहीं पाकिस्तान को सर्वाधिक तरजीही वाले देश का दर्जा देने पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज विश्व के देशों से आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों को अलग थलग करने की अपील कर चुकी हैं। भारत ने कहा कि वह क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता पर कायम है। वह चाहता है कि दक्षेस देशों के बीच जुड़ाव और आपसी संबंध बेहतर बनें। लेकिन यह आतंक से मुक्त वातावरण में ही संभव हो सकता है।

मौजूदा हालात अनुकूल नहीं

भारत ने कहा कि सीमापार आतंकवाद और सदस्य देशों के आंतरिक मामलों में एक देश के बढ़ती दखलंदाजी से ऐसा माहौल बना है, जो दक्षेस सम्मेलन की सफलता के लिहाज से अनुकूल नहीं है। लिहाजा इस समय की परिस्थितियों में भारत सम्मेलन में भागीदारी नहीं कर सकता।

पाक ने फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उन्हें कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिली है, बल्कि भारतीय विदेश मंत्रालय के ट्वीट से यह पता चला है। लेकिन भारत का ऐसा फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है।

मोस्ट फेवर्ड नेशन के दर्ज पर बैठक

इसके साथ ही भारत ने पाकिस्तान पर और नकेल कसते हुए उससे सर्वाधिक वरीयता प्राप्त राष्ट्र (एमएफएन) का दर्जा छीन लेने का भी संकेत दिया है। इस पर विचार के लिए प्रधानमंत्री ने गुरुवार यानी 29 सितंबर को विशेष बैठक बुलाई है। सिंधु जल संधि की समीक्षा के बाद प्रधानमंत्री का यह एक और कड़ा संदेश है। भारत ने 1996 में ही पाकिस्तान को यह दर्जा दिया था। दोतरफा कारोबारी रिश्ते को मजबूती देने के लिए भारत तभी से पाकिस्तान से भी इस तरह के दर्जे की मांग कर रहा था लेकिन उसने यह दर्जा नहीं दिया। उड़ी हमले के बाद भारत में इसे रद करने की मांग बढ़ती जा रही है।

 

 

Source: Hindustan

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सर्बानंद सोनोवाल बोले- दो साल की अवधि में सील हो जाएगी बांग्लादेश से लगती सीमा

सर्बानंद सोनोवाल बोले- दो साल की अवधि में सील हो जाएगी बांग्लादेश से लगती सीमागुवाहाटी: असम के भावी मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज (शनिवार) कहा कि घुसपैठ पर रोक लगाने के लिए बांग्लादेश से लगती सीमा को दो साल के अंदर सील कर दिया जाएगा।

भाजपा को जीत दिलाई…
1980 के दशक के दौरान हुए विदेशी विरोधी आंदोलन के दौरान हुए छात्र आंदोलन से राजनीतिक पटल पर उभरे सोनोवाल ने चुनाव में भाजपा को जीत दिलाई। उन्होंने घुसपैठ और उसे रोकने की कोशिश के मुद्दे को अपनी सरकार की प्राथमिकता में रखा है। भाजपा ने घुसपैठ को चुनाव अभियान में एक बड़ा मुद्दा बनाया था।

नदी की सीमा भी शामिल है…
सोनोवाल ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सीमा को स्थायी तौर पर सील करने के लिए दो साल की समय सीमा दी है। हम उस समयसीमा के अंदर सीमा को सील करने का कार्य पूरा करने की दिशा में काम करेंगे, जिसमें नदी की सीमा भी शामिल है।’ उनसे पूछा गया था कि वह किस तरह से भारत बांग्लादेश सीमा को सील करना चाहेंगे। इस मुद्दे पर वे गुरुवार को उनकी पार्टी की चुनाव में जीत होने के फौरन बाद भी बोले थे।

घुसपैठ रोकने के लिए करेंगे लोगों को जागरूक…
राजनाथ सिंह ने इस साल जनवरी में दक्षिणी असम के करीमगंज जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा पर अपने दौरे के दौरान कहा था कि असम के साथ लगती सीमा पर कांटेदार तार की बाड़ के निर्माण का काम इस साल के अंत तक पूरा हो जाएगा। उन्होंने कहा था, ‘जैसे की सीमा को स्थायी तौर पर सील किया जाएगा वैसे ही घुसपैठ की प्रवृत्ति खुद ब खुद रूक जाएगी। साथ ही साथ हम घुसपैठ रोकने के लिए लोगों को जागरूक करेंगे।’

Source : NDTV

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