चीन में ओबामा का नहीं हुआ सही स्वागत

160904165859_obama_g20_624x351_reutersचीन के बारे में पोस्ट किए गए अमरीकी सुरक्षा एजेंसी के एक ट्वीट की वजह से जी20 सम्मेलन के दौरान प्रोटोकॉल पर विवाद छिड़ गया है.

अमरीका में सुरक्षा के मामलों में सरकार को सलाह देने वाली डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी (डीआईए) ने ट्वीट किया “हमेशा से चीन की तरह ऊंचे दर्जे का”, जिसमें उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स की एक ख़बर को लिंक किया.

इस ट्वीट को जल्द ही डिलीट कर दिया गया. जिसके बाद सुरक्षा एजेंसी ने सफाई दी, “यह ट्वीट डीआईए का नज़रिया नहीं है. हमें इसके लिए खेद है.”

डीआईए का ट्वीट

डीआईए ने कहा, “एक ख़बर के बारे में आज ग़लती से एक ट्वीट इस अकाउंट से पोस्ट किया गया है.”

मामला कुछ ऐसा है कि जब अमरीकी राष्ट्रपति जी20 सम्मेलन में शामिल होने के लिए चीन के खांगजो हवाई अड्डे पर पहुंचे तो उनके लिए न रेड कार्पेट बिछाया गया था, न ही उनके उतरने के लिए स्वचालित सीढ़ियां थीं. और तो और उन्हें विमान के दूसरे दरवाज़े से उतरना पड़ा.

जब व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने चीनी सुरक्षा अधिकारियों से बात की और उन्हें बताया कि यह प्रोटोकॉल का उल्लघंन है, तो अधिकारी ने उन्हें कहा, “ये हमारा देश है.”

ओबामा ने वहां मौजूद पत्रकारों से मामले को तूल न देने के लिए कहा.

ओबामा से साथ सम्मेलन में गए पत्रकारों ने कहा कि जब राष्ट्रपति विमान से उतर रहे थे तब चीनी सुरक्षा अधिकारियों ने उन्हें राष्ट्रपति को देखने से रोका. ऐसा अधिकतर अत्यधिक सुरक्षा वाले स्थानों जैसे अफगानिस्तान में किया जाता है.

न्यूयॉर्क टाइम्स के मार्क लैंडलर के अनुसार, “हम एक नीली पट्टी के पास मिले जिसे चीनी सुरक्षा अधिकारियों ने कस कर पकड़ा हुआ था. छह साल से मैं व्हाइट हाउस की खबरें कर रहा हूं, लेकिन मैंने कभी किसी विदेशी मेज़बान को मीडिया को ओबामा का प्लेन से उतरना देखने से नहीं रोका.”

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने रविवार को एक अधिकारी के हवाले से लिखा कि चीन सभी राष्ट्र के नेताओं का स्वागत रेड कार्पेट बिछा कर करता है, “लेकिन अमरीका ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था और कहा था कि उन्हें स्वचालित सीढ़ियों की ज़रूरत नहीं है.”

बाद में जब ओबामा चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने वेस्ट लेक स्टेट हाउस में पहुंचे तो वहां फिर से विवाद खड़ा हो गया.

व्हाइट हाउस के अधिकारियों, प्रोटोकॉल अधिकारियों और खुफिया सुरक्षा एजेंट और चीनी अधिकारियों के बीच इस बात को ले कर विवाद हो गया कि ओबामा के पहुंचने से पहले कितने अमरीकी अधिकारियों को इमारत के भीतर जाने की इजाज़त दी जाए. न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार एक वक्त ऐसा लगा कि दोनों पक्षों में हाथापाई हो जाएगी.

ओबामा ने इस बात की ओर इशारा किया है कि यात्राओं के दौरान चीनी अधिकारियों के साथ सुरक्षा और मीडिया को ले कर इस तरह का यह कोई पहला मामला नहीं है.

उन्होंने कहा, “लेकिन इस बार ऐसा लग रहा है यह सामान्य से ज़्यादा हुआ.”

sourece : BBC Hindi

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71 साल बाद हिरोशिमा में अमेरिकी राष्ट्रपति, कहा- आसमान से गिरी मौत और सबकुछ बदल गया

japanobama_146434585950_650x425_052716041551अमेरिकी राष्ट्रपति बराब ओबामा ने हिरोशिमा की यात्रा कर इतिहास रच दिया है. ओबामा ने इस दौरान उन 1 लाख 40 हजार लोगों को श्रद्धांजलि दी जिनकी जान हिरोशिमा पर गिरे अमेरिकी एटमिक बम की वजह से गई थी. इस बमवर्षा के 7 दशक से ज्यादा बीत जाने के बाद किसी पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने कार्यकाल में जापान के हिरोशिमा शहर की यात्रा की है|

छह अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के शहर हिरोशिमा में ‘लिटिल ब्वॉय’ नाम का पेलोड गिराया था. इसके तीन दिन बाद ही 9 अगस्त 1945 को अमेरिका ने नागासाकी पर बम गिराया था. ओबामा ने ‘हिरोशिमा पीस मेमोरियल पार्क’ में सभी मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी. बम गिरने के बाद भी कई लोग विकिरण की वजह से बीमार होकर सालों बाद भी मरे|

ओबामा ने मेमोरियल पर फूल अर्पित करते हुए कहा, 71 वर्ष पहले आसमान से मौत गिरी थी और दुनिया बदल गई थी. ओबामा जब पुष्पांजलि अर्पित कर रहे थे तब वह उदास लग रहे थे. उन्होंने अपना सिर झुकाया हुआ था और पीछे हटने से पहले वह थोड़ा रुके और अपनी आंखें बंद की ओबामा ने कहा कि बम ने यह दिखाया कि मानव जाति के पास स्वयं को नष्ट करने का जरिया है|

ओबामा ने मेमोरियल पर फूल अर्पित करते हुए कहा, 71 वर्ष पहले आसमान से मौत गिरी थी और दुनिया बदल गई थी. ओबामा जब पुष्पांजलि अर्पित कर रहे थे तब वह उदास लग रहे थे. उन्होंने अपना सिर झुकाया हुआ था और पीछे हटने से पहले वह थोड़ा रुके और अपनी आंखें बंद की. ओबामा ने कहा कि बम ने यह दिखाया कि मानव जाति के पास स्वयं को नष्ट करने का जरिया है|

 

 

Source: आज तक

 

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कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करने के लिए अमेरिका ने भेजा पीएम मोदी को न्योता

वॉशिंगटन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी 8 जून को अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्‍त सत्र को संबोधित कर सकते हैं। अमेरिकी कांग्रेस के निचले सदन प्रतिनिधि सभा के स्‍पीकर पॉल रायन ने गुरुवार को बताया कि उन्‍होंने इस तारीख को संयुक्‍त सत्र को संबोधित करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को न्‍योता भेजा है।

रायन ने साप्‍ताहिक न्‍यूज कॉन्‍फ्रेंस के दौरान पत्रकारों को इस न्‍योते के बारे में जानकारी दी। बता दें कि इससे पहले अमेरिकी कांग्रेस के कुछ सदस्‍यों ने मांग की थी कि मोदी जब अमेरिका के दौरे पर आएं तो संयुक्‍त सत्र के सामने उनका भाषण करवाया जाए। रायन ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच की दोस्‍ती दुनिया के लिए ‘संतुलन कायम करने वाले स्‍तंभ’ की तरह है।

बता दें कि अगर पीएम मोदी संयुक्‍त सत्र को संबोधित करते हैं तो वह ऐसा करने वाले पांचवें प्रधानमंत्री होंगे। इसके अलावा साल 2005 के बाद ऐसा करने वाले वह पहले पीएम होंगे।

इससे पहले चार अमेरिकी सांसदों ने पॉल रायन को लेटर लिखकर उनसे कहा था कि नरेंद्र मोदी के अमेरिकी दौरे पर संसद के संयुक्त सत्र के सामने उनका भाषण करवाया जाए। मोदी 7 और 8 जून को अमेरिकी दौरे पर रहेंगे। इन सांसदों ने रायन को लिखे पत्र में कहा था, ‘हमें लगता है कि भारत के साथ रक्षा, मानवता और आपदा राहत, अंतरिक्ष सहयोग और कंजर्वेशन और इनोवेशन हमारे रिश्तों की गहराई को देखते हुए यह प्रधानमंत्री को आमने-सामने सुनने का सही मौका है।’

Source: नवभारत टाइम्स

 

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