IIFL Shares Freeze 20% Lower After RBI Bans New Gold Loans

The share price of IIFL Finance witnessed a sharp decline of 20%, or Rs 119.6, falling to Rs 478.5 per share as of 9:54 a.m. This drop occurred after the Reserve Bank of India (RBI) imposed a ban on the company from sanctioning or disbursing gold loans, as well as assigning, securitising, or selling any of its gold loans.

Following the RBI’s announcement, IIFL Finance shares were locked in a 20% lower circuit during Tuesday’s trade session on the BSE.

The RBI’s decision stemmed from its inspection of IIFL’s financial position, which revealed significant concerns regarding the company’s gold loan portfolio. These concerns included deviations in assaying and certifying the purity and net weight of gold during loan sanction and auction upon default.

Key concerns highlighted by the RBI’s inspection included breaches in the loan-to-value ratio, excessive cash disbursal and collection beyond statutory limits, non-compliance with standard auction processes, and lack of transparency in customer account charges levied by IIFL.

The ban took immediate effect, although the company is permitted to continue servicing its existing gold loan portfolio through regular collection and recovery procedures.

According to Zee Business Research, IIFL’s gold loan portfolio constitutes 32% of its total portfolio, amounting to Rs 24,700 crore as of December 31. The company collaborates with several banks for gold loans, including DSB Bank, Canara Bank, Union Bank, UCO Bank, South Indian Bank, Karur Vyas Bank, Shivalik Small Finance Bank, and IDBI Bank.

Despite a compound annual growth rate (CAGR) of 30% in gold loans over the past four years, the company’s stance on the ban remains pragmatic. Management clarified during a conference call that while there are no ethical or governance issues with gold loans, the problem lies in procedural and operational matters.

IIFL Finance’s share price performance over the past year has been lackluster, with a modest gain of just over 5% compared to the Nifty50’s rise of over 26%. However, the company has stated that there has been no immediate penalty imposed, and discussions for a special audit with the RBI are underway to address the situation.

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छोटे कारोबारियों को RBI का तोहफा, अब नए तरीके से भी मिलेगा लोन

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने मीडियम एन्‍टरप्रन्‍योर को बड़ी राहत दी है. दरअसल, अब मीडियम एन्‍टरप्रन्‍योर को लोन देने के तरीके में बदलाव किया गया है.

नए बदलाव के तहत कारोबारी 1 अप्रैल से रेपो रेट आधारित लोन भी ले सकेंगे. आरबीआई की ओर से जारी सर्कुलर के मुताबिक अब मीडियम एन्‍टरप्रन्‍योर को एक अप्रैल 2020 से फ्लोटिंग रेट्स पर दिया जाने वाला कर्ज एक्‍सटर्नल बेंचमार्क यानी बाहरी मानकों से जुड़ा होगा.

 

यहां बता दें कि रेपो रेट, ट्रेजरी बिल पर रिटर्न और एफबीआईएल (फाइनेंशियल बेंचमार्क इंडिया प्राइवेट लि.) द्वारा प्रकाशित अन्य बाजार ब्याज दर, एक्‍सटर्नल बेंचमार्क के दायरे में आते हैं.

केंद्रीय बैंक के मुताबिक इस पहल का उद्देश्य मौद्रिक नीति का लाभ ग्राहकों को देने की व्यवस्था को और मजबूत करना है. आरबीआई ने कहा कि इस पहल से रेपो रेट में कटौती का लाभ मझोले उद्यमों को भी मिल सकेगा.

अब तक कारोबारियों को ये सुविधा नहीं मिल रही थी. वर्तमान में सिर्फ होम, ऑटो या अन्‍य रिटेल लोन को ही रेपो रेट के आधार पर लिया जा सकता है.

 

दरअसल, आरबीआई हर दो महीने बाद होने वाली मौद्रिक समीक्षा बैठक में रेपो रेट की समीक्षा करता है. बीते दो बैठकों में रेपो रेट को नहीं बदला गया है. हालांकि, इससे पहले लगातार 5 बार रेपो रेट में कटौती की गई थी.

ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि अगली बार यानी अप्रैल की बैठक में आरबीआई रेपो रेट कटौती कर सकता है. इसका सीधा असर लोन के ब्‍याज दर पर पड़ेगा. यहां बता दें कि रेपो रेट वो दर होती है जिस पर बैंकों को आरबीआई फंड देता है और इसी फंड के आधार पर बैंक ग्राहकों को ब्‍याज दर में राहत देते हैं.

 

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दो दिन में शेयर बाजार के निवेशकों की पूंजी 3.57 लाख करोड़ रुपये बढ़ी

बीते 1 फरवरी को बजट के दिन शेयर बाजार में भारी गिरावट से निवेशकों को जो झटका लगा था, उसकी क्षतिपूर्ति महज दो दिनों में ही हो गई। बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स मंगलवार को 917 अंक की जोरदार छलांग के साथ 40,700 अंक से ऊपर पहुंच गया, जिसके साथ ही पिछले दो दिनों में सूचीबद्ध कंपनियों के निवेशकों की पूंजी 3.57 लाख करोड़ रुपये बढ़ी है। इससे पहले सोमवार को सेंसेक्स 136.78 अंक चढ़ा था।

शेयर बाजार में तेजी से शेयर बाजार के निवेशकों की पूंजी में 3.57 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। सेंसेक्स मंगलवार को 917 अंक की जोरदार छलांग के साथ 40,700 अंक से ऊपर पहुंच गया।
  • शेयर बाजार के निवेशकों की पूंजी में 3.57 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी
  • सेंसेक्स मंगलवार को 917 अंक की जोरदार छलांग के साथ 40,700 अंक से ऊपर पहुंचा
  • बाजार में सुधार के बीच सेंसेक्स की कंपनियों का एमकैप 1,56,61,769.40 करोड़ रुपये पर
  • कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट तथा मजबूत वैश्विक संकेतों से शेयर बाजार में उछाल

सेंसेक्स में सुधार के बीच पिछले दो कारोबारी सत्रों में सेंसेक्स की सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 3,57,044.43 करोड़ रुपये बढ़कर 1,56,61,769.40 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। बजट के दिन सेंसेक्स में 987.96 अंक या 2.43 प्रतिशत की गिरावट आई थी और यह 40,000 अंक से नीचे फिसलकर 39,735.53 अंक पर बंद हुआ था।

 

खौफ को दिया झटका
चीन में करॉना वायरस के खौफ के कारण कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट तथा मजबूत वैश्विक संकेतों से शेयर बाजार ने बजट के दिन हुए नुकसान की भरपाई एक ही दिन में कर डाली। बीएसई का संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 917.07 अंक (2.30%) उछलकर 40,789.38 पर बंद हुआ। वहीं, एनएसई (NSE) का निफ्टी 271.75 अंकों (2.32%) की तेजी के साथ 11,979.65 पर बंद हुआ। बजट के दिन निवेशकों को 3.46 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।

कारणों की पड़ताल
आइए जानते हैं कि बजट के दिन हतोत्साहित बाजार में ऐसा क्या हुआ कि दो दिन बाद ही इसमें रौनक लौट गई। बजट के दिन निवेशकों को उम्मीद थी कि कंपनियों के लिए काफी राहत वाली घोषणाएं की जाएंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ था। पूरा बजट मध्य वर्ग पर केंद्रित रहा था। इसलिए उम्मीदों के अनुरूप बजट नहीं होने के कारण शनिवार को बाजार में बिकवाली का जोर रहा। लेकिन मंगलवार को इसका ठीक उलटा हुआ और सेंसेक्स 900 अंक तक चढ़ गया। इससे पहले सोमवार को भी बाजार हरे निशान पर बंद हुआ था।

1. आर्थिक आंकड़ों, कंपनियों की कमाई पर ध्यान
निवेशकों का ध्यान अब आर्थिक आंकड़ों और कंपनियों की कमाई की तरफ शिफ्ट हुआ है। इसके अलावा, आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक का इंतजार है। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और रुपये की मजबूती ने भी बाजार को बल दिया है। हालांकि चीन में करॉना वायस का खौफ बरकरार है और आगे चलकर बाजार में अस्थिरता देखी जा सकती है। बीते कुछ दिनों में अर्थव्यवस्था के आंकड़ों के साथ-साथ कंपनियों की कमाई में सुधार हुआ है, जो इस बात का संकेत दे रहे हैं कि देश की इकॉनमी धीरे-धीरे सुस्ती से उबर रही है।

2. कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट
करॉना वायरस के खौफ के कारण चीन द्वारा मांग में गिरावट आने से सोमवार को कच्चा तेल वायदा की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई। मांग में इस गिरावट की वजह से ओपेक तथा उसके सहयोगियों को आपूर्ति में कटौती करनी पड़ी है। ब्रेंट क्रूड की कीमत 3.8 फीसदी की गिरावट के साथ प्रति बैरल 54.45 डॉलर पर पहुंच गई, जो पिछले साल जनवरी के बाद इसका सबसे निचला स्तर है। हालांकि, मंगलवार को कीमतों में थोड़ा सुधार हुआ।

3. डॉलर के मुकाबले रुपये में तेजी
मंगलवार को शुरुआती कारोबार में डॉलर के मुकाबले रुपया 16 पैसे मजबूत हुआ, जिसका शेयर बाजार पर सकारात्मक असर पड़ा। मजबूत रुपये से वस्तुओं का आयात सस्ता होगा।


4. मार्च से पहले लाभांश वितरण?

बजट 2020 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स (DDT) खत्म करने का प्रस्ताव किया है और अब टैक्स लाभांश पाने वाले को चुकाना पड़ेगा। शेयरधारकों को उम्मीद है कि अब कंपनियां लाभांश का भुगतान इस वित्त वर्ष के समाप्त होने से पहले करेंगी।

5. वैश्विक बाजारों में मजबूती
करॉना वायरस के खौफ के बावजूद वैश्विक बाजारों में मजबूती का घरेलू शेयर बाजार पर सकारात्मक असर पड़ा।

6. कम कीमतों पर शेयरों की खरीदारी
बजट के दिन शेयर बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई थी, जिसके कारण शेयरों की कीमतें काफी नीचे आ गई थीं। मंगलवार को निवेशकों के पास कम कीमत में बड़ी कंपनियों के शेयरों खरीदने का बढ़िया मौका था, जिसे वह हाथ से जाने नहीं देना चाहते थे। इसका निवेशकों ने जमकर फायदा उठाया है, पूरे दिन भरपूर लिवाली की।

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एयर इंडिया को खरीदने का प्लान तैयार, 88 साल बाद फिर टाटा की हो जाएगी कंपनी!

जिस एयरलाइन्स की 88 साल पहले जेआरडी टाटा ने नींव रखी थी, ऐसा लगता है वह फिर टाटा की होने वाली है। संकट से जूझ रही एयर इंडिया के लिए 17 मार्च तक बोलियां मंगाई गई हैं और टाटा ग्रुप इस नैशनल कैरियर के लिए अपनी दावेदारी को लेकर अपने प्लान को अंतिम रूप देने के बेहद करीब है। टाटा ग्रुप सिंगापुर एयरलाइन्स के साथ मिलकर एयर इंडिया के लिए बोली लगाने की तैयारी कर रहा है और सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, दोनों मिलकर इस अधिग्रहण को स्वरूप देने के लिए काम शुरू कर चुके हैं। बता दें कि साल 1932 में जेआरडी टाटा ने ही एयर इंडिया की नींव रखी थी और 1946 में इसका नैश्नलाइजेशन कर दिया गया था। शुरुआत में इसका नाम टाटा एयरलाइन्स हुआ करता था और नैशनलाइजेशन के बाद 1948 में इसका नाम एयर इंडिया कर दिया गया था। अब यह एयरलाइन वापस टाटा घराने के पास जा सकती है। टाटा ग्रुप प्लान को सफल बनाने की कोशिश में जुटा है। उसके प्लान में एयर एशिया इंडिया का मर्जर(इसमें टाटा की 51% हिस्सेदारी) और एयर इंडिया एक्सप्रेस शामिल हैं, जो एयर इंडिया की 100% सब्सिडियरी है।

  • एयर इंडिया के लिए 17 मार्च तक बोलियां मंगाई गई हैं और टाटा ग्रुप इसके लिए बोली के प्लान को अंतिम रूप देने के बेहद करीब
  • टाटा ग्रुप सिंगापुर एयरलाइन्स के साथ मिलकर एयर इंडिया के लिए बोली लगाने की तैयारी कर रहा है
  • खबरें ऐसी भी हैं कि टाटा ग्रुप ने एयर इंडिया एक्सप्रेस खरीदने की मंजूरी के लिए मलयेशियाई आंत्रप्रन्योर टोनी फर्नांडिस से भी संपर्क किया है

खबरें ऐसी भी हैं कि टाटा ग्रुप ने एयर इंडिया एक्सप्रेस खरीदने की मंजूरी के लिए मलयेशियाई आंत्रप्रन्योर टोनी फर्नांडिस से भी संपर्क किया है, जो एयर एशिया में 49% हिस्सेदारी रखते हैं। शेयरधारक समझौते के मुताबिक, अगर फर्नांडिस तैयार नहीं हैं तो टाटा ग्रुप किसी अन्य बजट एयरलाइन्स में 10 फीसदी से ज्यादा निवेश नहीं कर सकता।

  • टाटा ग्रुप सिंगापुर एयरलाइन्स के साथ मिलकर संकट से जूझ रही एयर इंडिया के लिए बोली लगाने की तैयारी कर रहा है और सूत्रो से मिली जानकारी के मुताबिक, दोनों मिलकर इस अधिग्रहण को स्वरूप देने के लिए काम शुरू कर चुके हैं।

एयर एशिया को विदेशी उड़ान के लिए मंजूरी का इंतजार
मामले से वाकिफ सूत्रों के मुताबिक, जल्द एक नए समझौते पर हस्ताक्षर किए जा सकते हैं। टाटा ग्रुप ने एयर एशिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस के मर्जर का प्रस्ताव रखा है। सूत्र ने बताया, ‘इस मर्जर से भारतीय एविएशन सेक्टर में फर्नांडिस का बड़ा शेयर हो जाएगा, इसलिए दोनों पार्टनर्स के लिए जीत का ही सीन है।’

एयर एशिया की शुरुआत टाटा ग्रुप और फर्नांडिस के बीच एक जॉइंट वेंचर के तहत 2013 में हुई थी। टाटा एक और फुल-सर्विस कैरियर विस्तारा ऑपरेट करता है, जो सिंगापुर एयरलाइन्स के साथ जॉइंट वेंचर है। इसमें टाटा ग्रुप की 51% हिस्सेदारी है। हाल में टाटा सन्स के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने बताया था, ‘बगैर मर्जर के हम तीसरी एयरलाइन नहीं चला सकते।’ एयर इंडिया और विस्तारा का साथ टाटा ग्रुप को फुल-सर्विस स्पेस में एकाधिकार दिला सकता है।

AI एक्सप्रेस और एयर एशिया कहां-कहां?
एयर इंडिया एक्सप्रेस 20 भारतीय शहरों में उड़ान भरती है। इसके अलावा, खाड़ी और दक्षिण एशियाई देशों के 13 इंटरनैशनल डेस्टिनेशन्स में भी इसकी मौजूदगी है। इसके बेड़े में 25 बोइंग 737 हैं, वहीं एयर एशिया की बात की जाए तो इसके पास 29 एयरबस A320 हैं और यह 21 शहरों में अपनी सेवाएं देती है।

विदेशी उड़ानों के लिए मंजूरी में अड़ंगा!
एयर एशिया इंडिया विदेशी उड़ानों के लिए इजाजत के इंतजार में है। यह इंतजार लंबा हो सकता है क्योंकि फर्नांडिस, एयर एशिया बोर्ड में टाटा नॉमिनी आर वेंकटरमन, दोनों पर आपराधिक षड़यंत्र का और मनी लॉन्डरिंग के केसस चल रहे हैं। फर्नांडिस को 5 फरवरी को ईडी ने समन किया है।

फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि फर्नांडिया या एयर एशिया इंडिया टाटा-सिंगापुर एयरलाइन्स अलायंस की ओर से एयर इंडिया के लिए लगाई जाने वाली बोली का हिस्सा होंगे या नहीं। उनके खिलाफ चल रहा मामला इसकी वजह हो सकता है।

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महिंद्रा और ओला साथ आये , 40 हजार ड्राईवर को जोड़ने का लक्ष्य

ola-mahi_allianceट्रांसपोर्ट की दो दिग्गज कंपनी महिंद्रा और ओला के बीच एक समझौता पर हस्ताक्षर हुआ | साथ आये महिंद्रा और ओला, 40 हजार ड्राईवर को जोड़ने  का लक्ष्य बनाया है दोनों कंपनियों ने |
इस गठबंधन के अंतर्गत, वर्ष 2018 तक भारत में 40,000 ड्राइवर पार्टनरों को सशक्त बनाया जाएगा। इस महत्वपूर्ण गठबंधन के माध्यम से कंपनी ने 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर (2600 करोड़ रुपये) से अधिक के वाहनों की बिक्री और फ़ाइनैंसिंग करने का लक्ष्य तय किया है।

ड्राइवरों को दिया जाएगा पैकेज 

ओला के ड्राइवर पार्टनर अब इंटीग्रेटेड एवं आकर्षक ‘महिंद्रा-ओला’ पैकेज का लाभ उठा सकते हैं। इसमें विशेष कीमतों में महिंद्रा की कारें, जीरो डाउन पेमेंट के साथ आकर्षक फाइनैंसिंग, और सर्वश्रेष्ठ एनबीएफसी ब्याज दरें, सब्सिडाइज्ड बीमा प्रीमियम, व्यापक रखरखाव पैकेज के साथ-साथ ओला प्लैटफॉर्म पर विशिष्ट लाभ शामिल हैं।

यह अनूठा गठबंधन भारत के दो सबसे प्रमुख ब्रैंड्स को साथ लेकर आया है। दोनों कंपनियां चालकों में माइक्रो-आंत्रप्रेन्योरशिप को बढ़ावा देने के लिए तत्पर हैं, ताकि भारत की बढ़ती मोबिलिटी जरूरतों से निपटा जा सके।

महिंद्रा ने कहा, वक्त की जरूरत 

महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने कहा, ‘यह ऐसी पहल है, जिसका समय आ गया है। यह पहल भारतीय ग्राहकों की मौजूदा एवं भावी जरूरतों को पूरा करती है। खासतौर से उन युवा ग्राहकों की जो शेयर्ड मोबिलिटी समाधानों को तवज्जो देते हैं। इसका कम से कम 40,000 ड्राइवर मालिकों और उनके परिवारों की जिंदगी पर सकारात्मक सामाजिक प्रभाव पड़ेगा। मेरे मुताबिक यह महिंद्रा ग्रुप के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक गठबंधन है।’ भारतीय ब्रांड के साथ काम करना अहम उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि इससे हमारे उद्योग के ढांचे में बदलाव आएगा और हमें भारत की तेजी से आगे बढ़ रही साझा अर्थव्यवस्था में सर्वप्रथम लाभ मिलेगा।’

वहीं, ओला के सीईओ भावीश अग्रवाल ने कहा, ‘हमें एक अरब भारतीयों के लिए मोबिलिटी का निर्माण करने के हमारे मिशन को आगे बढ़ाने के लिए महिंद्रा जैसे प्रतिष्ठित भारतीय ब्रैंड के साथ काम करके खुशी हो रही है। दो कंपनियों के बीच महत्वपूर्ण गठजोड़ के हिस्से के रूप में हमने एक अनूठा समाधान बनाया है, जिससे हजारों महत्वाकांक्षी ड्राइवर उद्यमियों को उनका सपना पूरा करने में मदद मिलेगी। महिंद्रा के साथ हमारी साझेदारी खोजपरक ढंग से मोबिलिटी के और अधिक विकल्प निर्मित कर दायरा बढ़ाने में मदद करेगी।’

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