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Coronavirus: मोदी के ऑफर का चीन ने दिया जवाब, कहा- ये भारत-चीन की दोस्ती दिखाता है

चीन में कोरोना वायरस का असर लगातार बढ़ता जा रहा है. चीन के साथ-साथ इसका असर दुनिया के दूसरे देशों में भी पहुंच रहा है. इस सभी के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को चिट्ठी लिख किसी भी तरह की मदद का ऑफर दिया था. पीएम मोदी की चिट्ठी पर अब चीनी विदेश मंत्रालय का जवाब आया है और इस ऑफर को भारत-चीन की गहरी दोस्ती का प्रतीक बताया है.

चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ‘भारत की ओर से कोरोना वायरस को लेकर जो समर्थन की बात कही गई, उसके लिए हम धन्यवाद करते हैं. भारत के द्वारा ऐसा कहना चीन के साथ उसकी गहरी दोस्ती को दर्शाता है. हम भारत और दुनिया के सभी देशों के साथ काम करने को तैयार हैं, ताकि इस वायरस के खिलाफ जंग लड़ सकें’.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते दिनों चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को चिट्ठी लिखी थी. इस दौरान उन्होंने कोरोना वायरस को लेकर भारत की मदद का ऑफर दिया था.
  • पीएम मोदी के ऑफर पर चीन का जवाब
  • भारत का ऑफर गहरी दोस्ती दर्शाता है: चीन
  • कोरोना वायरस से चीन में 900 से अधिक की मौत

पीएम मोदी ने दिया था मदद का ऑफर

बता दें कि बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को चिट्ठी लिखी थी. इसमें अभी तक कोरोना वायरस की वजह से चीन में हुए नुकसान पर शोक व्यक्त किया था और भारत की ओर से किसी भी तरह की सहायता की पेशकश की थी. अपने खत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हुबेई प्रांत से भारतीय नागरिकों को निकालने में चीनी सरकार के द्वारा की गई मदद का सराहना की थी.

बता दें कि चीन में भारत के 300 से अधिक छात्र फंस गए थे, जिन्हें विदेश मंत्रालय ने चीन की सरकार की मदद से बाहर निकाला. एयर इंडिया के दो विमान चीन से भारतीय नागरिकों को वापस अपने देश लेकर आए और अब उनका यहां पर ट्रीटमेंट किया जा रहा है. पिछले दो महीने में कोरोना वायरस का असर दुनियाभर में हुआ है. सिर्फ चीन में ही इस वायरस की वजह से 900 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, जबकि हजारों लोग इसकी चपेट में हैं. कोरोना वायरस की वजह से चीन का अधिकतर दुनिया से संपर्क कम हो गया है.

 

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देह व्यापार पर कोरोना वायरस की मार, पहचान छिपा रहीं चीनी लड़कियां

चीन में कोरोना वायरस ने बड़ी संख्या में लोगों की जान ले ली है और हजारों लोग इससे पीड़ित हैं. बुधवार सुबह तक के आंकड़े के मुताबिक, चीन में 490 लोगों की जान जा चुकी है. दुनिया के कई अन्य देशों में भी वायरस से संक्रमित लोग सामने आए हैं. कई देशों ने चीन ने आने वाले लोगों की जांच शुरू कर दी है. वहीं, कोरोना वायरस का बुरा असर देह व्यापार में शामिल चीनी लड़कियों पर भी पड़ रहा है.

डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, विदेशों में देह व्यापार करने वालीं चीनी लड़कियां अपनी नेशनलिटी छुपा रही हैं या फिर खुद को किसी और देश का बताने लगी हैं. लड़कियों का कहना है कि कोरोना वायरस की वजह से उनके साथ भेदभाव हो रहा है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ ऑनलाइन पोर्टल पर भी चीनी लड़कियों ने खुद के प्रोफाइल में चीन शब्द छिपा दिया है. एक सेक्स वर्कर ने बताया कि उन्होंने खुद का रेट आधा कर दिया है और नेशनलिटी हाइड कर दी है.

चीनी सेक्स वर्कर का कहना है कि जब से कोरोना वायरस सामने आया है तब से उनकी आय में काफी कमी हो गई है. एक अन्य लड़की ने बताया कि उनका बिजनेस इतना खराब पहले कभी नहीं हुआ.

 

कई सेक्स वर्कर सालों से अपने देश चीन नहीं गई हैं, बावजूद इसके लोग डर रहे हैं कि इन लड़कियों के संपर्क में आने से शायद वे भी कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकते हैं.

बता दें कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए अब तक कोई वैक्सीन की खोज नहीं की जा सकी है. कोरोना वायरस के लक्षण पाए जाने पर लोगों को आइसोलेट रहने और तुरंत डॉक्टर से मिलने की सलाह दी जाती है.

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समझा जा रहा है कि कोरोना वायरस की शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई. शहर में मरीजों के इलाज के लिए चीन ने वुहान में 10 दिनों में एक हजार बेड का हॉस्पिटल बनाया है. शहर में आने जाने पर भी कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए गए हैं.

 

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चीन के जानलेवा कोरोना वायरस से आई भारी गिरावट डरे दुनियाभर के शेयर बाजार!

China’s fatal death due to corona virus

वायरस से दहशत में शेयर बाजार- मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वायरस की वजह से दुनियाभर में एयरलाइंस ने अपनी सर्विसेस चीन समेत कई शहरों में बंद कर दी हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे चीन समेत दुनियाभर की अर्थव्यवस्था पर इसका निगेटिव असर होगा. क्योंकि, चीन से दुनिया अलग हो रही है.

  • गुरुवार को जापान, चीन, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया के शेयर बाजार 3 फीसदी तक लुढ़क गए है. इसका असर घरेलू शेयर बाजार के प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स-निफ्टी पर भी दिख रहा है. सुबह तेजी के साथ खुलने के बाद अब सेंसेक्स 200 अंक से ज्यादा गिर गया हैं. वहीं, निफ्टी में 70 की की गिरावट है.

चीन के घातक कोरोना वायरस से डरे निवशकों ने दुनियाभर के शेयर बाजारों (Stock Market Crash) में भारी बिकवाली की है. गुरुवार को जापान, चीन, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया के शेयर बाजार 3 फीसदी तक लुढ़क गए. इसका असर घरेलू शेयर बाजार के प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स-निफ्टी पर भी दिख रहा है. सुबह तेजी के साथ खुलने के बाद अब सेंसेक्स 200 अंक से ज्यादा गिर गया हैं. वहीं, निफ्टी में 70 अंक की गिरावट है. आपको बता दें कि चीन में कोरोना वायरस से अब तक 170 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. वुहान शहर के अलावा इस संक्रमण का एक मामला बीजिंग में भी पाया गया है जिसके बाद बीजिंग प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वो जितना हो सके यात्रा करने से बचें.

अब क्या करें निवेशक- सेठी फिनमार्ट के एमडी विकास सेठी का कहना है कि कोरोना वायरस के डर से बाजार में बिकवाली का माहौल है. बजट के पहले बाजार में सेंटीमेंट पॉजीटिव रहने की उम्मीद है लेकिन फिर भी निवेशकों को बाजार में थोड़ा सहज होकर निवेश करने की सलाह होगी. निवेशक चुनिंदा स्टॉक्स में निवेश करें. आने वाले 2 दिनों में स्टॉक्स स्पेशिफिक एक्शन देखने को मिलेगा.

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Coronavirus: अब तक 6 बार मचा चुका है तबाही, 60 साल पहले खोजा गया था |

  • कोरोनावायरस (Coronavirus) पिछली साल चीन के हुबेई प्रांत की राजधानी वुहान से फैलना शुरु हुआ. कुछ लोग इसे वुहान कोरोनावायरस (Wuhan Coronavirus) भी बुला रहे हैं. लेकिन वुहान में पैदा नहीं हुआ. कोरोनावायरस की खोज 60 साल पहले ही की जा चुकी है. उसके बाद से इसने कई बार इंसानों पर हमला किया है. फोटो में दिख रहा है कोरोनावायरस का थ्रीडी मॉडल.
  • कोरोनावायरस (Coronavirus) की खोज 1960 के दशक में हो गई थी. तब इसे ब्रॉन्काइटिस वायरस (Bronchitis Virus) कहते थे. यह वायरस तब मुर्गियों में मिला था. इसके बाद इससे ज्यादा खतरनाक पीढ़ी इंसानों की नाक और गले में खोजी गई.
  • इंसानों की नाक और गले में कोरोनावायरस (Coronavirus) के दो प्रकार मिले. इनका नाम है – ह्यूमन कोरोनावायरस 229ई (Human Coronavirus 229E) और ह्यूमन कोरोनावायरस ओसी43 (Human Coronavirus OC43). ये दोनों ही वायरस बेहद खतरनाक हैं. सामान्य सर्दी जुकाम से शुरु होकर घातक निमोनिया तक का रूप ले लेते हैं.
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  • इसके बाद कोरोनावायरस (Coronavirus) का सबसे ज्यादा खतरनाक रूप 2003 में सामने आया. इसे सार्स (SARS-CoV) कहा गया. इस वायरस की वजह से दुनिया भर में 8096 लोग संक्रमित हुए थे. इनमें से 774 लोगों की मौत हो गई थी.
  • साल 2004 में कोरोनावायरस (Coronavirus) का नया रूप देखने को मिला. इसका नाम है ह्यूमन कोरोनावायरस एनएल63 (HCoV-NL63). ये वायरस नीदरलैंड्स के सात माह के बच्चे में मिला था. इसके बाद इस वायरस के संक्रमण की खबर पूरी दुनिया से आई. लेकिन इससे किसी के मरने की खबरें नहीं आई.
  • वर्ष 2005 में कोरोनावायरस (Coronavirus) का अलग रूप आया. जिसका नाम था ह्यूमन कोरोनावायरस एचकेयू1 (HCoV-HKU 1). इस वायरस का पहला पेशेंट था चीन के शेंनझेन का 70 वर्षीय आदमी. इसे बाइलेटरल निमोनिया हुआ था. इस वायरस के 10 शिकार ऑस्ट्रेलिया में मिले. लेकिन इससे किसी की मौत नहीं हुई.
  • 2012 में कोरोनावायरस (Coronavirus) ने मध्यपूर्वी एशिया में हमला किया. इसे सबसे पहले खोजा गया था सउदी अरब में. इसका नाम था मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोनावायरस (MERS-CoV). 2015 में यह वायरस फिर फैला. तब इसने सउदी अरब, जॉर्डन, कतर, मिस्र, यूएई, कुवैत, तुर्की, ओमान, अल्जीरिया, बांग्लादेश, ऑस्ट्रिया, यूके, दक्षिण कोरिया, अमेरिका, चीन और इंडोनेशिया में लोगों को संक्रमित किया. इसकी वजह से कुल 186 लोग बीमार पड़े और 38 लोगों की मौत हुई.
  • वुहान कोरोनावायरस (Wuhan Coronavirus) के लक्षण (Symptoms) हैं – बुखार, सर दर्द, गले में जलन, छाती में दर्द, खांसी, तेज धड़कन, सांस लेने में दिक्कत और निमोनिया. अंत में इससे पीड़ित व्यक्ति की किडनी फेल हो जाती है. इससे उसकी मौत हो जाती है.
  • वुहान कोरोनावायरस (Wuhan Coronavirus) की वैक्सीन बनने में अभी करीब दो महीने लगेंगे. लेकिन तबतक इससे बचने (Precaution) के तरीके हैं – हाथ साफ रखें, नाक-मुंह को ढंक कर रखें, पीड़ित व्यक्ति के करीब न जाएं, पूरी तरह से पका हुआ खाना खाए और चेहरे पर मास्क लगाएं.
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कोरोना वायरस ने बिगाड़ा Tennis का खेल; अब चीन नहीं, इस देश खेलने जाएगी भारतीय टीम

चीन में फैले कोराना वायरस (Coronavirus) का असर अब खेलों पर भी पड़ने लगा है. अंतरराष्ट्रीय टेनिस महासंघ (आईटीएफ) ने फेड कप (Fed Cup) मैचों को चीन के बजाय अब कजाकिस्तान में आयोजित कराने का फैसला किया है. अखिल भारतीय टेनिस संघ (एआईटीए) ने कहा कि चीन (China) में होने वाले मैचों को कजाकिस्तान (Kazakhastan) स्थानांतरित किया गया है |

चीन में कोराना वायरस के कारण आपात चिकित्सा स्थिति पैदा होने के चलते एआईटीए ने आईटीएफ को पत्र लिखकर फेड कप टूर्नामेंट के स्थान को बदलने या इसे स्थगित करने का अनुरोध किया था. इस पत्र का जवाब आ गया है. एआईटीएफ महासचिव हिरणमय चटर्जी ने कहा, ‘आईटीएफ ने कहा है कि मैचों को कजाकिस्तान स्थानांतरित किया गया है.’ कोरोना वायरस से चीन में अब तक 56 लोगों की जान जा चुकी है |
फेड कप टेनिस टूर्नामेंट पहले चार फरवरी से डोंगुआन में होना था. अब यह मैच कजाकिस्तान में होगा. भारतीय टीम को सानिया मिर्जा (Sania Mirza) के बिना ही इस टूर्नामेंट के लिए कजाकिस्तान का दौरा करना पड़ सकता है. सानिया को पिंडली की चोट के कारण आस्ट्रेलियन ओपन के महिला युगल के पहले दौर के मैच से हटना पड़ा था. फेड कप में सानिया के लिए टोक्यो ओलंपिक के लिए टिकट पाने का मौका है. वे चार साल बाद भारतीय फेड कप टीम में लौटी हैं |

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भारत-पाक के ‘जल युद्ध’ में चीन शामिल नहींः सरकारी मीडिया

jinping1476075554_bigब्रह्मपुत्र की एक सहायक नदी को बाधित करके भारत एवं पाकिस्तान के बीच जल युद्ध में चीन के शामिल होने की खबरों को चीनी आधिकारिक मीडिया ने खारिज किया है। साथ ही कहा है कि वह भारत एवं बांग्लादेश के साथ जल साझा करके बहुपक्षीय सहयोग तंत्र में शामिल होना चाहता है।

सरकारी दैनिक समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स के एक लेख में कहा गया है कि काल्पनिक जल युद्ध से चीन एवं भारत के संबंध प्रभावित नहीं होने चाहिए। बीजिंग द्वारा ब्रह्मपुत्र नदी के जल को एक संभावित हथियार के रूप में इस्तेमाल किए जाने की संभावना नहीं है।

लेख में कहा गया है कि चीन जल साझा करके भारत एवं बांग्लादेश के साथ बहुपक्षीय सहयोग में शामिल होना चाहता है। यह प्रस्ताव इस बात के मद्देनजर महत्वपूर्ण है क्योंकि जल बंटवारे को लेकर चीन की भारत के साथ कोई संधि नहीं है।

इसमें कहा गया है, भारतीय लोगों के गुस्से को समझना आसान है क्योंकि उन्होंने हाल ही में ऐसी खबरें पढ़ी हैं, जिनमें कहा गया है कि चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी की एक सहायक नदी का जल रोक दिया है। कई देशों की सीमाओं से होकर गुजरने वाली यह नदी दक्षिण पश्चिम चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षत्र से भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम और बाद में बांग्लादेश जाती है। यह नदी इन क्षेत्रों के लिए जल का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

 

 

Source : Hindustan Live

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ब्रह्मपुत्र बांध से भारत में प्रवाह प्रभावित नहीं होगा: चीन

128194-brahamaputra-riverबीजिंग: बांध बनाने के लिए ब्रह्मपुत्र की एक सहायक नदी का पानी रोकने को उचित ठहराते हुए चीन ने इन आशंकाओं को दूर करने का प्रयास किया कि इससे भारत में नदी का प्रवाह प्रभावित होगा। चीन ने कहा कि निचले इलाकों पर कोई विपरीत असर नहीं होगा।

ब्रह्मपुत्र की सहायक शियाबुकु नदी पर लालहो बांध परियोजना को तिब्बत में खाद्य सुरक्षा और बाढ़ सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण परियोजना बताते हुए चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि सहायक नदी पूरी तरह चीन में स्थित है।

चीन के विदेश मंत्रालय ने बांध को लेकर भारत की चिंताओं पर पीटीआई को दिए लिखित जवाब में कहा, ‘परियोजना की जलाशय क्षमता ब्रह्मपुत्र के औसत वाषिर्क प्रवाह का 0.02 फीसदी है। निचले इलाकों में इसके प्रवाह पर विपरीत असर नहीं हो सकता।’

ब्रह्मपुत्र तिब्बत से अरूणाचल प्रदेश, असम और फिर बांग्लादेश में बहती है। चीन ने एक अक्टूबर को घोषणा की थी कि वह अपनी सबसे महंगी बांध परियोजना के लिए तिब्बत में शियाबुकु नदी का जल प्रवाह रोकने जा रहा है।

 

 

Source: Z news

 

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चीन सीमा पर भारतीय गांव हुए वीरान, सुरक्षा एजेंसियों ने जताई चिंता

29_09_2016-28hld1हल्द्वानी: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से लगी भारत-चीन सीमा के गांव उजाड़ हो गए है, जबकि ड्रैगन (चीन) अपने सीमावर्ती गांवों को तेजी से आबाद करने में जुटा है। तिब्बत के दो सीमावर्ती गांव दारचिल व कुफू पिछले पांच वर्ष में कस्बे बन गए हैं। भारतीय खुफिया एजेंसियों ने सामरिक दृष्टि से इसे बड़ी चिंता माना है और इस संबंध में केंद्र सरकार को सीमांत गांवों को फिर से आबाद करने की सलाह दी है। सीमावर्ती गांवों में नागरिकों को बिना हथियार का सैनिक माना जाता है। उनकी मौजूदगी से सीमा पर कोई भी गतिविधि किसी से छिपी नहीं रह सकती है, लेकिन अब भारतीय गांवों में सन्नाटा पसरा है। लोग पुस्तैनी गांव से पलायन कर चुके हैं। इसके ठीक उलट चीन का फोकस भारतीय सीमा से लगे गांवों में आधारभूत सुविधा बढ़ाने के साथ ही आबादी बसाने पर केंद्रित है। सैनिक छावनी भी सीमा के कस्बों में आबाद हो गई है। भारत की सीमा के सबसे करीब चीन अधिकृत तिब्बत का तकलाकोट बाजार है। यह बड़ी व्यावसायिक मंडी बन चुका है। चीन ने यहां तक फोरलेन सड़क बनाने के साथ ही सैनिक छावनी व एयरबेस तक बना दिए हैं। इसके विपरीत भारतीय सीमावर्ती क्षेत्र आज भी सड़क से नहीं जुड़ पाए। भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इस चिंता से भारत सरकार को अवगत कराया है। गांव छोड़ पलायन कर गए लोगों को फिर से गांवों में बसाने के लिए कोई कारगर योजना लागू करने की पैरवी भी की है।

खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट बताती है कि उच्च हिमालयी क्षेत्र में 12,600 फीट की ऊंचाई पर भारत के अंतिम गांव कुटी, सीपू, तिदांग, गो, मरछा, गुंजी, नपल्च्यू, नाबी गांव भोटिया जनजाति बाहुल्य हैं। एक दशक पहले तक इन आठ गांवों में ही 15 से 20 हजार की आबादी थी।

मूलभूत सुविधाओं तक से वंचित इस क्षेत्र में अब ढाई सौ की आबादी ही रह गई है। गांव के गांव उजाड़ हो चुके हैं। क्षेत्र में दुनिया के सबसे खूबसूरत ग्लेशियरों में से एक मिलन के गांव भी उजड़ चुके हैं। मिलन गांव में कभी पांच सौ परिवार रहते थे, लेकिन अब महज दो परिवार रह गए हैं। इसकी बड़ी वजह सड़क, शिक्षा, चिकित्सा की सुविधा नहीं होना रहा।

भारत सरकार ने एक दशक पहले चीन सीमा से लगे गांवों को आबाद करने करने के उद्देश्य से बार्डर एरिया डेवलपमेंट प्रोग्राम (बीएडीपी) शुरू किया था। शुरुआती दौर में इसमें उत्तराखंड, कश्मीर, हिमाचल व अरुणांचल के सिर्फ नौ ब्लाकों के गांव शामिल किए गए। बाद में इस योजना में नेपाल बार्डर के गांव शामिल कर योजना का क्रियान्वयन ब्लाक मुख्यालयों से सुपुर्द कर दिया गया। योजना पर आशा के अनुरूप काम नहीं हुआ। स्थिति यह है कि वित्तीय वर्ष 2015-2016 में सीमांत जिले पिथौरागढ़ को इस मद में 11.17 करोड़ रुपये आवंटित हुए थे और महज 25 फीसद भी काम नहीं हो पाया।

पलायन गंभीर चिंता का विषय

आइटीबीपी के सेनानी महेंद्र प्रताप ने बताया कि सीमावर्ती गांवों से पलायन गंभीर चिंता का विषय है। आइटीबीपी इन गांवों में रहने वाले लोगों के लिए अपने स्तर से तथा बीएडीपी मद से कई कार्य कर रही है ताकि लोग गांव में ही रहें। सीमांत क्षेत्र तक बिजली और सड़क जरूरी है। इस समय सरकार क्षेत्र को ऊर्जीकृत कर रही है। सड़क का निर्माण हो रहा है। लोगों को अभी और प्रेरित करने की जरूरत है।

 

 

Source: Jagran

 

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‘भारतीय वायुसेना के लिए नाकाफ़ी है 36 रफ़ाएल विमान’

_91349408_150412013733_dassault_rafale_624x351_reutersरफ़ाएल लड़ाकू विमानों की ख़रीद के लिए भारत और फ्रांस के बीच शुक्रवार को हस्ताक्षर होने जा रहा है.

पहले 18 विमानों का सौदा हुआ था लेकिन अब भारत फ्रांस से 36 विमान लेनेवाला है.

जब लड़ाकू विमानों की ख़रीदारी के लिए टेंडर निकाला गया था तो मुक़ाबले में कुल छह कंपनियों के विमान थे. पर एयरफोर्स ने रफ़ाएल को सबसे बेहतर पाया.

लेकिन भारत के लिए इतने विमान नाकाफ़ी हैं.

विमान की ख़रीद की प्रक्रिया यूपीए सरकार ने 2010 में शुरू की थी. 2012 से लेकर 2015 तक इसे लेकर बातचीत चलती रही

जब 126 विमानों की बात चल रही थी तब उस वक़्त ये सौदा हुआ था कि 18 विमान भारत ख़रीदेगा और 108 विमान बंगलौर के हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड में एसेम्बल होने थे. लेकिन यह सौदा हो नहीं पाया.

अप्रैल 2015 में फिर मौजूदा मोदी सरकार ने पेरिस में यह घोषणा की कि हम 126 विमानों के सौदे को रद्द कर रहे हैं और इसके बदले 36 विमान सीधे फ्रांस से ख़रीद रहे हैं और एक भी रफ़ाएल विमान बनाएंगे नहीं.

रफ़ाएल विमान परमाणु मिसाइल डिलीवर करने में सक्षम होता है. हर विमान में यह खूबी नहीं होती है.

इसके अंदर जिस तरह के हथियारों की इस्तेमाल करने की क्षमता है वो दुनिया में सबसे सुविधाजनक है.

इसमें दो तरह की मिसाइलें हैं. एक की रेंज डेढ़ सौ किलोमीटर है तो दूसरी की रेंज क़रीब तीन सौ किलोमीटर की है.

इतना अत्याधुनिक विमान फ़िलहाल भारत के दो मुख्य प्रतिद्वंदी पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन के पास भी नहीं.

रफ़ाएल विमान मिराज 2000 का एडवांस्ड वर्जन है. भारतीय एयरफ़ोर्स के पास 51 मिराज 2000 है और इन्हें मिराज 2000-5 में अपग्रेड किया जा रहा है.

इससे इनकी क्षमता काफ़ी हद तक बढ़ने वाली है. इससे भारतीय एयरफोर्स को बहुत ताकत मिलेगी. भारत को अभी पर्याप्त संख्या में ऐसे अत्याधुनिक विमानों की ज़रूरत है. ये ज़रूरत एक हद तक इस अपग्रेड तक पूरी होगी.

भारत ने पहले मिराज 2000 के दो स्क्वैड्रन लिए थे. दस साल बाद एक स्क्वैड्रन इसमें जोड़ा गया. हो सकता है रफ़ाएल के मामले में भी ऐसा हो.

लेकिन इस मामले में फ़िलहाल इस तरह की कोई बात नहीं हुई है.

एक स्क्वैड्रन में 16 से 18 विमान होते हैं.

सौदे के अंदर यह क्लॉज होगा कि इन 36 विमानों के अलावा भारत अगर 18 और विमान लेना चाहता है तो वो इसी क़ीमत पर उपलब्ध होंगे.

ध्यान देने की बात यह है कि फ्रांस के साथ जो यह सौदा हो रहा है वो भारत और फ्रांस की सरकारों के बीच हो रहा है. ये डील रफ़ाएल बनाने वाली कंपनी दासो के साथ नहीं हो रही.

भारत को दासो को 15 फ़ीसदी एडवांस (करीब साठ हज़ार करोड़ रुपये) देने होंगे तब जाकर उन विमानों पर काम शुरू होगा.

सौदा पक्का होने के बाद विमान की पहली खेप आने में ढ़ाई से तीन साल लग जाएंगे.

भारत के अलावा दासो के पास उस समय क़तर और मिस्र के ऑर्डर भी है. भारत सलाई मिलने के मामले में नंबर तीन पर है.

एक बात यह भी चल रही है कि फ्रांस का एयरफोर्स अपने रफ़ाएल भारत को लीज़ पर दे ताकि भारतीय वायु सेना के पायलटों को उसे उड़ाने में दक्षता हासिल हो.

रफ़ाएल के आने के बाद मुमकिन है कि दक्षिण एशिया में हथियारों की होड़ बढ़े.

लेकिन वो शायद महज़ 36 पर शुरु न होगा. हां एक और स्क्वैड्रन आने के बाद हालात कुछ बदल जाएं.

 

source: BBC HINDI

 

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चीन में ओबामा का नहीं हुआ सही स्वागत

160904165859_obama_g20_624x351_reutersचीन के बारे में पोस्ट किए गए अमरीकी सुरक्षा एजेंसी के एक ट्वीट की वजह से जी20 सम्मेलन के दौरान प्रोटोकॉल पर विवाद छिड़ गया है.

अमरीका में सुरक्षा के मामलों में सरकार को सलाह देने वाली डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी (डीआईए) ने ट्वीट किया “हमेशा से चीन की तरह ऊंचे दर्जे का”, जिसमें उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स की एक ख़बर को लिंक किया.

इस ट्वीट को जल्द ही डिलीट कर दिया गया. जिसके बाद सुरक्षा एजेंसी ने सफाई दी, “यह ट्वीट डीआईए का नज़रिया नहीं है. हमें इसके लिए खेद है.”

डीआईए का ट्वीट

डीआईए ने कहा, “एक ख़बर के बारे में आज ग़लती से एक ट्वीट इस अकाउंट से पोस्ट किया गया है.”

मामला कुछ ऐसा है कि जब अमरीकी राष्ट्रपति जी20 सम्मेलन में शामिल होने के लिए चीन के खांगजो हवाई अड्डे पर पहुंचे तो उनके लिए न रेड कार्पेट बिछाया गया था, न ही उनके उतरने के लिए स्वचालित सीढ़ियां थीं. और तो और उन्हें विमान के दूसरे दरवाज़े से उतरना पड़ा.

जब व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने चीनी सुरक्षा अधिकारियों से बात की और उन्हें बताया कि यह प्रोटोकॉल का उल्लघंन है, तो अधिकारी ने उन्हें कहा, “ये हमारा देश है.”

ओबामा ने वहां मौजूद पत्रकारों से मामले को तूल न देने के लिए कहा.

ओबामा से साथ सम्मेलन में गए पत्रकारों ने कहा कि जब राष्ट्रपति विमान से उतर रहे थे तब चीनी सुरक्षा अधिकारियों ने उन्हें राष्ट्रपति को देखने से रोका. ऐसा अधिकतर अत्यधिक सुरक्षा वाले स्थानों जैसे अफगानिस्तान में किया जाता है.

न्यूयॉर्क टाइम्स के मार्क लैंडलर के अनुसार, “हम एक नीली पट्टी के पास मिले जिसे चीनी सुरक्षा अधिकारियों ने कस कर पकड़ा हुआ था. छह साल से मैं व्हाइट हाउस की खबरें कर रहा हूं, लेकिन मैंने कभी किसी विदेशी मेज़बान को मीडिया को ओबामा का प्लेन से उतरना देखने से नहीं रोका.”

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने रविवार को एक अधिकारी के हवाले से लिखा कि चीन सभी राष्ट्र के नेताओं का स्वागत रेड कार्पेट बिछा कर करता है, “लेकिन अमरीका ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था और कहा था कि उन्हें स्वचालित सीढ़ियों की ज़रूरत नहीं है.”

बाद में जब ओबामा चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने वेस्ट लेक स्टेट हाउस में पहुंचे तो वहां फिर से विवाद खड़ा हो गया.

व्हाइट हाउस के अधिकारियों, प्रोटोकॉल अधिकारियों और खुफिया सुरक्षा एजेंट और चीनी अधिकारियों के बीच इस बात को ले कर विवाद हो गया कि ओबामा के पहुंचने से पहले कितने अमरीकी अधिकारियों को इमारत के भीतर जाने की इजाज़त दी जाए. न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार एक वक्त ऐसा लगा कि दोनों पक्षों में हाथापाई हो जाएगी.

ओबामा ने इस बात की ओर इशारा किया है कि यात्राओं के दौरान चीनी अधिकारियों के साथ सुरक्षा और मीडिया को ले कर इस तरह का यह कोई पहला मामला नहीं है.

उन्होंने कहा, “लेकिन इस बार ऐसा लग रहा है यह सामान्य से ज़्यादा हुआ.”

sourece : BBC Hindi

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