Actress Akanksha Dubey’s mother sits on dharna at Sarnath police station, accuses police of saving singer Samar Singh

In the case of Bhojpuri actress Akanksha Dubey’s suicide, the Varanasi Commissionerate Police is far away from the accused even after 4 days of the incident. The Varanasi Commissionerate Police, engaged in solving the mystery of suicide, has not yet caught the accused Bhojpuri singer Samar Singh and his brother Sanjay Singh. Due to the high profile of the case, the team of Varanasi Commissionerate Police and the Crime Branch team are continuously raiding to find the accused.

At the same time, even after 4 days of the incident, there is anger among the family members because the accused were not caught. On Friday, relatives and dozens of people surrounded the police station with the mother of Bhojpuri actress Akanksha Dubey at the Sarnath police station.

During this, actress Akanksha Dubey made many serious allegations against the Varanasi Commissionerate Police. The mother of actress Akanksha Dubey, who reached Varanasi’s Sarnath police station, says that my daughter Akanksha Dubey has not got justice and the accused is roaming freely.

So many days have passed since the incident but till now why the arrest of the accused singer Samar Singh and his brother Sanjay Singh is not being done? Madhu Dubey accused the Varanasi Police of handing over Heela and said that the hotel management is also involved in this whole incident. Why has the police released a young man named Sandeep Singh who reached Akanksha Singh’s room on the night of the incident? Madhu Dubey alleges that her daughter actress Akanksha Dubey did not commit suicide but the hotel management had already kept the accused sitting in the hotel room.

Referring to the purported live video, Madhu Dubey alleged that a man was seen hitting Akanksha Dubey in the video. Madhu Dubey is crying bitterly and is crying out at the police station saying that Samar Singh has killed her daughter. At the same time, local leaders also reached with Akanksha Dubey’s mother in this whole matter. District President of Jansatta Dal, Rajan Tripathi said that the police administration has taken poor action that even after so many days of the incident, not a single arrest has been made.

He warned that if Akanksha Dubey does not get justice and the accused are not arrested soon, Jansatta Dal will launch a big agitation. Please tell that Bhojpuri singer Samar Singh and his brother Sanjay Singh have been accused of harassment in the Akanksha Dubey suicide case. The police have registered a case against both the accused and are pressing for their arrest. The police team of Varanasi Commissionerate and Crime Branch team are raiding the possible hideouts of the accused till Azamgarh, Ghazipur, Gorakhpur, Patna and Maharashtra to arrest Samar Singh and Sanjay Singh. On the other hand, according to sources, there is news that the police administration team is preparing to issue a look out notice on the possibility of the accused fleeing abroad.

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Aam Aadmi Party MLA’s aide arrested for taking bribe in Punjab’s Bathinda

A vigilance team on Thursday arrested Aam Aadmi Party (AAP) MLA Amit Ratan’s personal assistant Rashim Garg from Bhatinda Circuit House in Punjab for allegedly taking a bribe of Rs 4 Lakhs from a sarpanch.

Aam Aadmi Party MLA’s aide arrested for taking bribe in Punjab’s Bathinda

According to the officials, the sarpanch’s husband accused the MLA’s PA of demanding a bribe of Rs 5 lakhs by taking the name of Amit Ratan, after which the complainant reached the circuit house with the Vigilance team.

The PA was arrested red-handed from a vehicle at the circuit house.

“During the conversation between the two, the Vigilance officer reach the spot and arrested him red-handed with 4 lahks,” officials said. Further investigation into the matter is underway.

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ACP Anuj Kumar Injured in Delhi violence

दिल्ली हिंसा में घायल ACP अनुज कुमार ने बयां किया 24 फरवरी का दर्द, बताया-हजारों की भीड़ के सामने थे सिर्फ 200 पुलिसकर्मी

दिल्ली में तीन दिन लगातार हुई हिंसा में अब तक 42 लोगों की मौत हो चुकी है जिसमें दिल्ली पुलिस का हेड कांस्टेबल रतन लाल शहीद हो गए। हिंसा के दौरान सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) अनुज कुमार भी घायल हुए थे और उन्होंने बताया कि कैसे भीड़ ने उन्हें घेर लिया था। इस भीड़ के पथराव में ही डीसीपी शाहदरा गंभीर रूप से घायल हो गए थे और हेड कांस्टेबल रतन लाल शहीद हो गए थे। 

घायल एसीपी ने 24 फरवरी की घटना को याद करते हुए बताया कि प्रदर्शनकारियों के पथराव के चलते फोर्स बिखर गई थी। इस बीच डीसीपी सर मेरे से पांच छह मीटर दूर चल गए थे और डिवाइडर के पास बेहोशी की हालत में थे और उनके मुंह से खून आ रहा था। उन्होंने कहा कि जब हम प्रदर्शनकारियों के पथराव का सामना कर रहे थे तब रतन लाल भी हमारे साथ थे। मैंने देखा था रतन लाल को चोट लगी है और उसे दूसरा स्टाफ नर्सिंग होम में लेकर गया था। हम वहां से अपनी गाड़ियों से नहीं निकल सकते थे इसलिए हम वहां से निजी वाहन की मदद से निकले। मैक्स अस्पताल दूर था इसलिए हम डीसीपी सर और रतन लाल को लेकर पहले जीटीबी अस्पताल पहुंचे जहां पर रतन लाल को मृत घोषित कर दिया गया। बाद में हम डीसीपी सर को मैक्स अस्पताल लेकर पहुंचे।

दिल्ली के गोकलपुरी में हिंसा में घायल हुए एसीपी को दो दिन पहले ही अस्पताल से छुट्टी मिली है। उन्होंने बताया कि हमें निर्देश दिया गया था कि सिग्नेचर ब्रिज को गाजियाबाद की सीमा के साथ जोड़ने वाली सड़क को ब्लॉक ना होने दिया जाए लेकिन धीरे-धीरे भीड़ बढ़ने लगी और इसमें महिला और पुरुष दोनों शामिल थे। वे लगभग 20,000- 25,000 थे, जबकि हम केवल 200 थे। मुझे नहीं पता कि उन्होंने सड़क को ब्लॉक करने की योजना बनाई थी जैसा कि उन्होंने पहले किया था।

उन्होंने बताया कि हमने उनसे शांति से बात की और उन्हें मुख्य सड़क के बजाय सर्विस रोड पर प्रदर्शन करने को कहा। तब तक अफवाहें फैलने लगी थीं कि कुछ महिलाएं और बच्चे पुलिस फायरिंग में अपनी जान गंवा चुके हैं। पुल के पास निर्माण कार्य चल रहा था। प्रदर्शनकारियों ने वहां से पत्थर और ईंटें उठाकर अचानक पथराव शुरू कर दिया और हम घायल हो गए, जिसमें डीसीपी सर भी घायल हो गए और उनके सिर से भी खून बह रहा था।

एसीपी ने बताया कि पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे लेकिन प्रदर्शनकारियों के बीच की दूरी बड़ी होने के कारण यह कोशिश नाकाम रही। उन्होंने बताया कि हम सड़क के दो विपरीत छोरों पर खड़े थे। हम फायरिंग नहीं करना चाहते थे क्योंकि कई महिलाएं भी विरोध प्रदर्शन में शामिल थी। उन्होंने बताया कि मेरा मकसद डीसीपी को बचना था क्योंकि पथरा के दौरान वह घायल हो गए थे और उनके शरीर से खून बह रहा था। उन्होंने कहा कि वहीं हम किसी भी प्रदर्शनकारी को चोट नहीं पहुंचाना चाहते थे।

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Sonia Gandhi meet with president on delhi violence

दिल्ली हिंसा पर राष्ट्रपति से मिले सोनिया-प्रियंका-मनमोहन, गृह मंत्री को हटाने की मांग

  • जस्टिस मुरलीधर के तबादले पर कांग्रेस ने उठाए सवाल
  • हिंसा की चपेट में आने से अब तक 35 लोगों की मौत

दिल्ली हिंसा मामले में कांग्रेस का एक प्रतिनिधि मंडल आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने पहुंच गया. इस प्रतिनिध मंडल में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, आनंद शर्मा, रणदीप सुरेजवाला समेत कई नेता शामिल हैं. राष्ट्रपति कोविंद को कांग्रेस की ओर से मेमोरेंडम दिया गया.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात के बाद सोनिया गांधी ने कहा कि गृह मंत्री और पुलिस हिंसा रोकने में नाकाम रही. दिल्ली और केंद्र सरकार ने हिंसा की अनदेखी की. हिंसा की वजह से अब तक 34 लोगों की मौत हुई, 200 से अधिक लोग घायल हैं. करोड़ों रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ. इस मेमोरेंडम में हिंसा के आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग के साथ ही पीड़ितों को मदद मुहैया कराने की मांग की गई है.

फिर अमित शाह के इस्तीफे की मांग

इसके साथ सोनिया गांधी ने कहा कि घटना को लेकर कार्रवाई करने की बजाय केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार मूकदर्शक बनी रही. गृह मंत्री अमित शाह ने भी कोई कार्यवाही नहीं की, जिसकी वजह से 34 लोगों की जान चली गई. सोनिया गांधी ने एक बार फिर अमित शाह के इस्तीफे की मांग की और कहा कि वह स्थिति को संभालने में नाकाम साबित हुए हैं

जस्टिस के तबादले पर सवाल

इससे पहले कांग्रेस ने दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस एस. मुरलीधर के अचानक तबादले पर सवाल उठाया. प्रियंका गांधी ने आरोप लगाते हुए कहा कि आधी रात में जस्टिस मुरलीधर के तबादले से हैरानी हुई. सरकार न्याय का मुंह बंद करना चाहती है.

प्रियंका गांधी वाड्रा के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया और कहा, ‘बहादुर जज लोया को नमन, जिनका ट्रांसफर नहीं किया गया था.’

 

इस हिंसा की चपेट में आने से अब तक 35 लोगों की मौत हो चुकी है. गुरुवार को ही अब तक 7 लोगों के मौत की खबर है. इसमें गगनविहार के जोहरीपुर एक्सटेशन डबल पुलिया के नाले से मिली दो लाशें शामिल हैं. फिलहाल, लाशों की पहचान की जा रही है. इसके अलावा जीटीबी हॉस्पिटल समेत कई अस्पतालों में 200 से अधिक घायलों का इलाज चल रहा है.

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Nirbhaya Gang rape case plea of convict vinay sharma heard supreme court

निर्भया केस: दोषी विनय शर्मा की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज

निर्भया गैंगरेप और मर्डर केस में दोषी विनय की एक और पैंतरेबाजी असफल हो गई है। राष्ट्रपति की ओर से दया याचिका खारिज किए जाने की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाते हुए फांसी टालने की मांग करने की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। उसने खुद को मानसिक तौर पर बीमार बताकर भी फांसी टालने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने विनय को मेंटली फिट बताया है। कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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राष्ट्रपति की ओर से दया याचिका खारिज किए जाने की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाते हुए फांसी टालने की मांग करने की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। उसने खुद को मानसिक तौर पर बीमार बताकर भी फांसी टालने की मांग की थी।
  • जस्टिस अशोक भूषण और ए. एस. बोपन्ना के साथ जस्टिस आर. भानुमति की अध्यक्षता वाली पीठ का फैसला
  • सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को निर्भया कांड के दोषी विनय शर्मा की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था
  • वकील ए.पी. सिंह ने कहा था विनय मानसिक तौर पर बीमार चल रहा हैऔर उसका इलाज भी हो रहा है

जस्टिस अशोक भूषण और ए. एस. बोपन्ना के साथ जस्टिस आर. भानुमति की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को निर्भया कांड के चार दोषियों में से एक विनय शर्मा की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें राष्ट्रपति द्वारा उसकी दया याचिका की अस्वीकृति को चुनौती दी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट में दोषी विनय शर्मा का प्रतिनिधित्व करने वाले एडवोकेट ए. पी. सिंह ने अपने मुवक्किल की दया याचिका को खारिज करने के राष्ट्रपति के फैसले पर सवाल उठाए थे। इस पर अदालत और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तीखी आलोचना की, जो इस मामले में केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।

सिंह ने दोषी विनय की मानसिक स्थिति के संबंध में भी दलील दी। उन्होंने कहा कि विनय मानसिक तौर पर बीमार चल रहा है और उसका इलाज भी हो रहा है। सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के शत्रुघ्न चौहान के 2014 के फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि मानसिक बीमारी से पीड़ित दोषियों की मौत की सजा को बदल दिया जाना चाहिए। इस पर मेहता ने दलीलें देते हुए कहा, ‘उनकी नियमित रूप से जांच की गई, जो नियमित जांच का हिस्सा है। जेल मनोचिकित्सक है, जो हर किसी की जांच करता है। ताजा स्वास्थ्य रिपोर्ट के अनुसार उनका स्वास्थ्य अच्छा पाया गया है।’

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Now hope to extradite mallya and nirav modi after sanjeev chawla

बुकी संजीव चावला के बाद अब बंधी नीरव मोदी और माल्‍या को लंदन से वापस लाने की उम्‍मीद

सट्टेबाज संजीव चावला को लंदन से वापस भारत लाने के बाद अब उम्‍मीद जग रही है कि आने वाले दिनों में विजय माल्‍या और नीरव मोदी समेत भारत के दूसरे आरोपियों को स्‍वदेश लाया जा सकेगा। इनके अलावा इसी सूची में राजेश कपूर, टाइगर हनीफ, अतुल सिंह, राजकुमार पटेल और शायक सादिक का नाम भी शामिल है जिनकी वापसी का भी इंतजार वर्षों से भारत कर रहा है। इन सभी को भारत की अदालतों की तरफ से भगोड़ा करार दिया गया है। संजीव चावला की ही बात करें तो उससे जुड़ा मैच फिक्सिंग का मामला करीब 19 वर्ष पुराना है।

संजीव चावला को वापस भारत लाने में मिली सफलता के बाद अब उम्‍मीद की जा रही है कि विजय माल्‍या और नीरव मोदी को भी स्‍वदेश लाकर मामला चलाया जाएगा।

1992 से है भारत-ब्रिटेन में प्रर्त्‍यपण संधि

संजीव चावला की वापसी को लेकर भारत सरकार ने कूटनीतिक और कानूनी दोनों ही तरह के प्रयास किए थे, जिन्‍हें अब जाकर सफलता मिली है। हालांकि इसी तरह के प्रयास सरकार द्वारा अन्‍य भगोड़े आरोपियों के लिए भी किए गए हैं लेकिन इनमें अभी सफलता हाथ नहीं लगी है। आपको बता दें कि भारत और ब्रिटेन के बीच वर्ष 1992 में प्रत्‍यर्पण संधि हुई थी। लेकिन यह नवंबर 1993 से लागू हुई थी। इस संधि के तहत भारत में हत्‍या के आरोपी और बांग्‍लादेश के नागरिक को ब्रिटेन से प्रत्‍यर्पित किया गया था। आपको यहां पर ये भी बता दें कि संजीव चावला समेत नीरव और माल्‍या ने भी खुद को भारत प्रत्‍यर्पित न करने को लेकर जो दलील दी थीं उनमें से एक भारतीय जेलों की खराब हालत भी है। लेकिन ब्रिटेन की कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया है।

क्‍या कहते हैं कानूनी जानकार 

दोनों देशों के बीच हुई इस संधि और आरोपियों की वापसी को लेकर संविधान विशेषज्ञ डॉक्‍टर सुभाष कश्‍यप का कहना है कि आरोपियों की वापसी में वो बिंदु खास मायने रखते हैं जो प्रत्‍यर्पण संधि का हिस्‍सा बने हैं। उनके मुताबिक हर देश से होने वाली प्रत्‍यर्पण संधि में प्रेसक्राइब प्रॉविजन और उनका प्रोसिजर अलग-अलग हो सकते हैं। यह दोनों देशों के बीच संबंधों पर भी काफी कुछ निर्भर करता है। अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर प्रत्‍यर्पण संधि को लेकर कोई नियम-कायदे नहीं बनाए गए हैं। इसलिए ये संधि दो देशों के बीच आपसी राय-मशविरे से और दोनों के हितों को देखते हुए तैयार की जाती है। अब हम आपको उन लोगों के बारे में जानकारी दे देते हैं जो भारत से भागकर ब्रिटेन में जा छिपे हैं।

नीरव मोदी  

भारत की अदालत से भगोड़ा करार दिए गए नीरव मोदी पर कई बैंकों को 13 हजार करोड़ रुपये का चूना लगाने का आरोप है। इस धोखाधड़ी का खुलासा होने के बाद पीएनबी के शेयर धड़ाम से गिर गए थे। इस इसी दौरान नीरव मोदी भारत से फरार हो गया और ब्रिटेन चला गया था। भारत सरकार की कोशिशों के बाद उसको 19 मार्च को लंदन में गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद से ही नीरव मोदी वहां की वांड्सवर्थ जेल में बंंद है। नीरव की तरफ से लगाई गई जमानत याचिका को पहले वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की कोर्ट और जुलाई 2019 में हाईकोर्ट की तरफ से खारिज किया जा चुका है। कोर्ट ने इन याचिकाओं को खारिज करते हुए टिप्‍पणी की थी नीरव मोदी ब्रिटेन से भाग सकता है। इसलिए उसको जमानत नहीं दी जा सकती है।

आपको यहां पर ये भी बता दें कि नीरव मोदी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका पर प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग कोर्ट ने दिसंंबर 2019 को देश का दूसरा भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया था। नीरव मोदी ने वर्ष 2010 में ‘नीरव मोदी ग्लोबल डायमंड ज्वेलरी हाउस’ की स्‍थापना की थी। इस कंपनी का हेडक्‍वार्टर मुंबई में है। नीरव मोदी ‘क्रिस्टी’ और ‘सोथेबीस कैटलॉग’ पत्रिकाओं के कवर पर पब्लिश होने वाला पहला भारतीय जौहरी हैं।

विजय माल्‍या
विजय माल्‍या मार्च 2016 में ब्रिटेन भाग गया था। इसके बाद मई 2016 में भारत सरकार ने ब्रिटेन सरकार से माल्‍या को प्रत्‍यर्पित करने की अपील की थी, जिसको ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने खारिज कर दिया था। उनका कहना था कि माल्‍या वैलिड पासपोर्ट के साथ ब्रिटेन में दाखिल हुए थे, लिहाजा उन्‍हें जबरन प्रत्‍यर्पित नहीं किया जा सकता है। मई में ही माल्‍या ने भारत वापसी से इनकार कर दिया था। जनवरी 2019 में धन शोधन निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) के तहत बनी विशेष अदालत ने उसको भगोड़ा वित्तीय अपराधी घोषित किया था। इस कोर्ट द्वारा भगोड़ा करार दिया गया यह देश का पहला आरोपी है। यह फैसला कोर्ट ने ईडी की याचिका पर सुनाया था।

शराब कारोबारी विजय माल्‍या पर 17 बैंकों के 9 हजार करोड़ रुपये का गबन करने का आरोप है। आपको बता दें कि माल्‍या राज्‍य सभा से भी सांसद रह चुके हैं। भारत से फरार होकर फिलहाल लंदन में जीवन बिता रहे माल्‍या को प्रत्‍यर्पित करने की कोशिशों को उस वक्‍त सफलता मिली थी जब लंदन की मजिस्ट्रेट कोर्ट ने दिसंबर 2018 में उसे भारत प्रत्‍यर्पित करने का आदेश दिया था। इस आदेश को माल्‍या ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इस पर सुनवाई करते हुए 12 फरवरी को हाई कोर्ट ने माना कि भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ बेईमानी के पुख्ता सबूत हैं।

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Nirbhaya case victim

निर्भया केस: केंद्र सरकार की याचिका खारिज, कोर्ट ने कहा- दोषियों को अलग-अलग नहीं हो सकती फांसी

दिल्ली हाईकोर्ट चार दोषियों की फांसी पर रोक को चुनौती देने वाली केंद्र की याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि चारों दोषियों को अलग अलग फांसी नहीं दी जा सकती। उच्च न्यायालय ने सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि जब 2017 में ही सर्वोच्च न्यायालय ने निर्भया के गुनहगारों की अपील खारिज कर दी थी तो कोई डेथ वारंट जारी करवाने के लिए आगे नहीं आया। बता दें कि न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत ने शनिवार (1 फरवरी) और रविवार (2 फरवरी) को विशेष सुनवाई के बाद दो फरवरी को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।

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केंद्र सरकार ने इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि चारों दोषी जुडिशल सिस्टम का गलत फायदा उठा कर फांसी को डालने की कोशिश कर रहे हैं। लिहाजा जिन दोषियों की दया याचिका खारिज हो चुकी है या किसी भी फोरम में उनकी कोई याचिका लंबित नही हैं, उनको फांसी पर लटकाया जाए। किसी एक दोषी की याचिका लंबित होने पर बाकी 3 दोषियों को फांसी से राहत नही दी जा सकती।

इससे पहले निर्भया के माता-पिता ने दिल्ली उच्च न्यायालय से केंद्र की उस याचिका पर जल्द निर्णय का अनुरोध किया, जिसमें दोषियों की फांसी पर रोक को चुनौती दी गई है। निर्भया के माता-पिता की ओर से पेश वकील जितेंद्र झा ने बताया कि उन्होंने सरकार की याचिका के जल्द निपटारे के लिए अदालत से अनुरोध किया है। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत ने कहा कि जल्द से जल्द इस पर फैसला आएगा।

अदालत ने 31 जनवरी को फांसी की सजा स्थगित कर दी क्योंकि दोषियों के वकील ने अदालत से फांसी पर अमल को ”अनिश्चित काल” के लिए स्थगित करने की अपील की और कहा कि उनके कानूनी उपचार के मार्ग अभी बंद नहीं हुए हैं। मुकेश और विनय की दया याचिका राष्ट्रपति के पास खारिज हो चुकी है, जबकि पवन ने यह याचिका अभी नहीं दाखिल की है। अक्षय की दया याचिका एक फरवरी को दाखिल हुई और अभी यह लंबित है। शीर्ष न्यायालय ने 2017 के अपने फैसले में दिल्ली उच्च न्यायालय और निचली अदालत द्वारा दोषियों को सुनाई गई फांसी की सजा को बरकरार रखा था।

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निर्भया की मां :दोषियों के वकील ने दी थी चुनौती, ये फांसी अनंतकाल तक नहीं होगी

2012 Delhi gang rape
निर्भया के दोषियों की फांसी एक बार फिर रोक लग गई है। कोर्ट के अगले आदेश तक इन दरिंदों को फांसी नहीं दी जा सकती है। इस फैसले पर निर्भया की मां काफी भावुक हो गईं और रोते हुए कहा कि दोषियों के वकील ने चुनौती दी थी कि यह फांसी अनंतकाल तक नहीं होगी और उन्होंने इसे सही साबित कर दिया है।

उनका कहना है कि आखिर मुजरिम जो चाहते थे वो गया है। इस पर सरकार को कोर्ट और सरकार पर विचार करना चाहिए। अब तो ऐसा लग रहा है जैसे सभी लोग मुजरिमों का साथ दे रहे हैं। जब निर्भया की मां से सवाल किया गया कि क्या अभी भी आपको कानून पर विश्वास है तो उन्होंने कहा कि मैं कोर्ट के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगी। लेकिन सरकार और कोर्ट पर विचार करना चाहिए।

इसके साथ ही निर्भया का पक्ष रखने वाली वकील के भी आंसू आ गए और उन्होंने कहा कि न्याय में काफी देरी हो रही है। लेकिन उन्होंने यह भी साफ किया कि जबतक निर्भया के दोषियों को फांसी नहीं हो जाती वो हार नहीं मानेंगी।

बता दें कि निर्भया सामूहिक दुष्कर्म के चारों आरोपियों को कल सुबह (एक फरवरी) फांसी नहीं होगी। पटियाला हाउस कोर्ट ने अगले आदेश तक फांसी पर रोक लगा दी है।  दोषियों के वकील एपी सिंह ने मीडिया से बातचीत में बताया कि कोर्ट ने अक्षय, विनय, पवन और मुकेश के डेथ वारंट को रद्द कर दिया है।

सुनवाई के दौरान तिहाड़ जेल ने कोर्ट से कहा है कि चाहें तो एक फरवरी को तीन दोषियों को फांसी दी जा सकती है। वहीं, दोषियों के वकील एपी सिंह ने दलील दी कि फांसी पर अनिश्चितकाल के लिए रोक लगा देनी चाहिए। क्योंकि विनय की दया याचिका राष्ट्रपति के पास विचाराधीन है, जबकि अक्षय और पवन के कानूनी उपाय भी बाकी हैं। अक्षय की दया याचिका बाकी है। पवन ने अभी तक उपचारात्मक याचिका दायर नहीं की है।

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2012 Delhi gang rape निर्भया केस: 1 फरवरी को फांसी पर रोक वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित, आज कभी भी आ सकता है कोर्ट का आदेश

दोषी अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा और पवन गुप्ता के वकील एपी सिंह ने कोर्ट से कहा कि ये दोषी आतंकवादी नहीं हैं। वकील ने जेल मैनुअल के नियम 836 का हवाला दिया | ऐसे मामले में जहां एक से अधिक लोगों को मौत की सजा दी गई है| दोषियों को तब तक फांसी की सजा नहीं दी गई है जब तक उन्होंने अपने कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल ना कर लिया हो।

निर्भया गैंगरेप और मर्डर केस में फांसी की सजा पाने वाले दोषियों की फांसी की सजा पर रोक लगाने वाली याचिका पर पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई हुई। निर्भया गैंगरेप केस मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषियों की उस याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है| दोषियों ने 1 फरवरी को होने वाली फांसी की सजा पर रोक लगाने की मांग की है। कोर्ट आज शाम तक फैसला सुनाएगा। आपको बता दें कि तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने फांसी की सजा पर रोक लगाने के तीन दोषियों के अनुरोध वाली याचिका की सुनवाई को दिल्ली की एक अदालत में चुनौती दी थी।

वहीं तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने दिल्ली की अदालत को बताया कि केवल एक दोषी की ही दया याचिका लंबित है| अन्य को फांसी दी जा सकती है। वहीं दोषियों के वकील ने दिल्ली की अदालत को बताया कि जब एक दोषी की याचिका लंबित है तो नियमों के अनुसार अन्यों को भी फांसी नहीं दी सकती।

फांसी की सजा का सामना कर रहे दोषी विनय कुमार शर्मा की ओर से पेश वकील ए पी सिंह ने अदालत से फांसी को अनिश्चितकाल के लिए टाल देने को कहा क्योंकि कुछ दोषियों के कानूनी उपचार अभी बाकी हैं। अभियोजन पक्ष ने कहा कि याचिका न्याय का मजाक है और यह फांसी को टालने की महज एक तरकीब है।

जेल के अधिकारियों ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा के समक्ष दायर स्थिति रिपोर्ट में इस याचिका का विरोध किया। अदालत ने बृहस्पतिवार को जेल अधिकारियों को नोटिस जारी करके दोषियों की याचिका पर जवाब मांगा था। दोषी पवन गुप्ता, विनय कुमार शर्मा और अक्षय कुमार के वकील ए पी सिंह ने अदालत से फांसी पर अनिश्चितकालीन स्थगन लगाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि दोषियों में कुछ के द्वारा कानूनी उपायों का इस्तेमाल किया जाना बचा हुआ है।

निचली अदालत ने 17 जनवरी को मामले के चारों दोषियों मुकेश (32), पवन (25), विनय (26) और अक्षय (31) को मौत की सजा देने के लिए दूसरी बार ब्लैक वारंट जारी किया था जिसमें एक फरवरी को सुबह छह बजे तिहाड़ जेल में उन्हें फांसी देने का आदेश दिया गया। इससे पहले सात जनवरी को अदालत ने फांसी के लिए 22 जनवरी की तारीख तय की थी।

अब तक की स्थिति में दोषी मुकेश ने सभी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल कर लिया है। इसमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के समक्ष दया याचिका दाखिल करना भी शामिल है। उसकी दया याचिका राष्ट्रपति ने 17 जनवरी को ठुकरा दी थी। मुकेश ने फिर दया याचिका ठुकराए जाने को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जिसने बुधवार को उसकी यह अपील खारिज कर दी।

गौरतलब है कि पैरा मेडिकल की 23 वर्षीय छात्रा से 16-17 दिसंबर 2012 की मध्यरात्रि को छह लोगों ने चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म किया था और उसे सड़क पर फेंक दिया था। उसे इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया था जहां 29 दिसंबर को उसकी मौत हो गई थी।

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शरजील इमाम बिहार के जहानाबाद से गिरफ्तार, असम पर भड़काऊ विडियो हुआ था वायरल

देश को टुकड़ों में बांट देने जैसा विवादित भाषण देने के बाद छिपते फिर रहे जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र शरजील इमाम को पुलिस ने आखिरकार दबोच लिया है। असम को भारत से अलग करने के भड़काऊ बयान के बाद शरजील चर्चा में आया था। बताया जा रहा है कि शरजील को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने बिहार के जहानाबाद से गिरफ्तार किया है। इससे पहले उसके भाई को भी पुलिस ने हिरासत में लिया था। शरजील की गिरफ्तार के बाद उसके वकील ने कहा है कि शरजील ने पहले सरेंडर किया है, फिर उसे गिरफ्तार किया गया है। शरजील के खिलाफ पांच राज्‍यों में केस दर्ज हैं।

  • असम पर विवादित बयान देने वाले शरजील इमाम को पुलिस ने किया गिरफ्तार
  • बिहार के जहानाबाद से पुलिस ने किया अरेस्ट, भाई को भी हिरासत में लिया था
  • पुलिस की पांच टीमों ने मुंबई, दिल्ली और पटना के कई इलाकों में छापेमारी की थी
  • शरजील ने शाहीन बाग में सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान भड़काऊ भाषण का आरोप

दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को दावा किया था कि शरजील जल्द ही मिल जाएगा। उसकी तलाश के लिए गठित पांच टीमों ने मुंबई, दिल्ली, पटना के कई इलाकों में छापेमारी की। दिल्ली पुलिस अपराध शाखा के ही एक आला-अफसर ने सोमवार रात कहा था, ‘वह पुलिस के रेडार से गायब हो चुका है। चिंता है कि नेपाल न निकल गया हो। नेपाल चला गया तो उसे भारत लाने में बहुत पापड़ बेलने पड़ सकते हैं। क्योंकि तमाम कानूनी अड़चनों से सामना करना होगा।’

आखिरी बार फुलवारी शरीफ में देखा गया शरजील
दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के इसी आला-अफसर ने सोमवार को दावा किया था कि 25 जनवरी 2020 को शाम करीब 7-8 बजे के बीच फरार शरजील इमाम को बिहार के फुलवारी शरीफ में एक मीटिंग में आखिरी बार देखा गया था। उसके बाद से ही वह पुलिस के रेडार से गायब था।

शरजील के पिता ने जेडीयू टिकट पर लड़ा चुनाव
शरजील का परिवार मूल रूप से बिहार के जहानाबाद जिले के काको का रहने वाला है। शरजील के पिता अकबर इमाम जेडीयू नेता थे। कुछ साल पहले उनका लंबी बीमारी के बाद निधन हो चुका है। सीएम नीतीश कुमार के करीबी रहे अकबर इमाम ने साल 2005 में जहानाबाद सीट से जेडीयू के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था, जेडीयू की गठबंधन सहयोगी होने के नाते उस चुनाव में उन्हें बीजेपी का भी साथ मिला था। हालांकि वह आरजेडी के उम्मीदवार सच्चिदानंद राय से 3000 से ज्यादा वोटों से चुनाव हार गए थे।

 

 

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