पटेल ने संभाली RBI गवर्नर की पोस्ट, होगी बैंकिंग सेक्टर की ‘डीप सर्जरी’ की जिम्मेदारी

urjit-_1473042191मुंबई. उर्जित पटेल ने सोमवार को आरबीआई के गवर्नर की पोस्ट संभाल ली। वे आरबीआई के 24th गवर्नर हैं। पटेल के कंधों पर बैंकिंग सेक्टर की ‘डीप सर्जरी’ की जिम्मेदारी होगी। बता दें कि रविवार को रघुराम राजन का कार्यकाल खत्म हो गया था। बैलेंस शीट साफ करने की चुनौती…
– बैंकों के फंसे पैसे से भरी बैलेंस शीट को साफ-सुथरा बनाने में पटेल को चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। कई बैंकों का कहना है कि इससे इन्वेस्टमेंट पर असर पड़ेगा।
– पटेल की पहली जिम्मेदारी राजन के अधूरे काम पूरे करने की होगी।
– बैंकों की ‘डीप सर्जरी’ और महंगाई के खिलाफ लड़ाई में जीतना इनमें शामिल है।
कॉरपोरेट एक्सपीरियंस से मिलेगी मदद
– पटेल कई कॉरपोरेट लीडर्स और बैंकर्स के साथ काम कर चुके हैं।
– उन्हें रिलायंस इंडस्ट्रीज समेत कॉरपोरेट वर्ल्ड में कई बोर्डों में काम करने का एक्सपीरियंस है। यह मददगार साबित होगा।
कौन हैं उर्जित पटेल?
– 52 साल के पटेल को इस साल जनवरी में तीन साल के लिए रिअप्वाॅइंट किया गया था। वे 11 जनवरी 2013 को आरबीआई से जुड़े।
– रघुराम राजन के आने से पहले ही वे आरबीआई में आ गए थे।
– राजन और उर्जित में समानता ये है कि दोनों वॉशिंगटन में आईएमएफ में साथ काम कर चुके हैं।
– उर्जित कई फाइनेंशियल कमेटी के मेंबर रह चुके हैं। 2014 में देश में पहली बार महंगाई दर का लक्ष्य तय करने का फैसला भी पटेल की अगुआई वाली कमेटी की सिफारिशों के आधार पर ही हुआ था।
– पटेल ने कहा था कि खुदरा महंगाई का लक्ष्य 4% रखा जाना चाहिए और इसमें 2% कम-ज्यादा की गुंजाइश हो। उन्हें इन्फ्लेशन वॉरियर के तौर पर देखा जाता है।
– आरबीआई में आने से पहले पटेल बोस्‍टन कंसल्टिंग ग्रुप के एडवाइजर थे।
Source : Dainik Bhaskar
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उत्तराखंड: राष्ट्रपति के फैसले भी गलत हो सकते हैं: नैनीताल हाईकोर्ट

उत्तराखंड nainital~20~04~2016~1461140578_storyimageमें राष्ट्रपति शासन लगाने को लेकर केंद्र सरकार को तीसरे दिन लगातार हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणियों का सामना करना पड़ा।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की राष्ट्रपति शासन लागू करने व लेखानुदान अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति वीके बिष्ट की खंडपीठ ने केंद्र के वकील से पूछा कि कैसे प्रमाणित करोगे कि मनी बिल गिर गया।

एडिसनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राष्ट्रपति ने पूरे सोच समझ कर ही उत्तराखंड में 356 लागू की है। जवाब में चीफ जस्टिस ने कहा कि राष्ट्रपति ही नहीं, जज भी गलती कर सकते हैं।

पीठ की ओर से राज्यपाल के केंद्र को भेजे गये पत्रों को लेकर लगातार कई सवाल पूछे गये।

गवर्नर के केंद्र को भेजे गये पत्र में 18 मार्च के बाद हरक सिंह रावत को कैबिनेट से हटाने व एडवोकेट यूके उनियाल को बाहर करने के औचित्य पर भी पीठ ने सवाल किया। एएसजे मेहता ने कहा कि सरकार 18 को बहुमत खो चुकी थी। उसे ऐसी किसी कार्रवाई का अधिकार नहीं रह गया था। पीठ ने यह भी कहा कि राज्यपाल के पत्र में 28 को विश्वास मत के लिए विधायकों के राजधानी में होने की भी जानकारी दी गयी थी।

सुनवाई में कैबिनेट के राष्ट्रपति शासन के लिए भेजे गये नोट पर बहस नहीं हुई। केंद्र के वकील ने इस पर आपत्ति जताई। पीठ ने कहा कि फैसले में इसका उल्लेख होगा। हरीश रावत के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने जबाव देना शुरू किया। उन्होंने कहा कि 18 को मनी बिल गिरने का दावा गलत है। गवर्नर के सचिव के मत विभाजन के पत्र का कोई औचित्य नहीं है। यह भाजपा के विधायकों का मात्र एक पत्र था, जो कि स्पीकर को फॉरवर्ड किया गया। 18 मार्च के इस पत्र में 27 विधायकों के ही हस्ताक्षर थे।

बागी विधायक आज भी कांग्रेस के साथ: द्विवदी 
उधर, बर्खास्त विधायकों के वकील दिनेश द्विवेदी ने कहा कि 9 बागी विधायक आज भी कांग्रेस के साथ हैं। बुधवार को हाईकोर्ट में दलील देने के बाद मीडिया से बात कर रहे थे द्विवेदी। उन्होंने कहा कि हरीश रावत के खिलाफ थे बागी विधायक, वे आज भी इसी बात पर कायम हैं।

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