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Film producers will get subsidy in Gujarat

Within a few years, a rapprochement has been established between the film industry and the government. And there should be. Where on one hand Maharashtra is considered as the center of filmmaking, it gets maximum revenue, now no state will remain untouched. Such is the thinking of the present government. Seeing this, the dream of making a film city in Uttar Pradesh is in front of everyone, on which work is also being done in full swing.
The digital revolution has given a big boost to this industry. In such a situation, even though it is late, there has been competition in all the states.

“Film producers will get subsidy in Gujarat”

The film policy has been announced mainly in Uttar Pradesh, Uttarakhand, Haryana, Delhi, and Gujarat. Since Abhay Sinha has taken over as the chair of IMPPA, he has continuously worked in the producers’ interest. A delegation led by Mr. Abhay Sinha, President of, the Indian Motion Picture Producers Association held a meeting with the Honorable Chief Minister of Gujarat, Mr. Bhupendra Patel. In the meeting, he said that according to the current film policy in Gujarat, no producer has received a subsidy even after completing all the formalities. So far the necessary screening for classification and distribution has not been done by the concerned committee.

Mr. Sinha said that IMPPA is very proud to announce that on 6th February 2023 Hon’ble Chief Minister Mr. Bhupendra Patel ji very patiently listened to all the members and immediately directed the concerned officers to wait for the subsidy for screening committee Screening of remaining 120 Gujarati films should be ensured. Mr. Sinha said that we are always at the forefront of fighting for your rights and assure our members that IMPPA is available in case of any problem or any need.
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दलित आंदोलन के नेता जिग्नेश मेवाणी हिरासत में लिए गए

gujrat-detained-leader-dalit-movement-jignesh-mewani-news-in-hindi-156340 अहमदाबाद. अहमदाबाद पुलिस ने गुजरात के दलित नेता जिग्नेश मेवाणी को हिरासत में ले लिया है. पुलिस ने उन्हें अहमदाबाद एयरपोर्ट पर हिरासत में लिया. वो दिल्ली से अहमदाबाद वापस लौट रहे थे. दलित नेता के भाई विरल मेवाणी ने कहा है कि क़रीब 25-30 पुलिसकर्मी सादा लिबास में एयरपोर्ट पर मौजूद थे और जिग्नेश जैसे ही एयरपोर्ट से बाहर आए उन्हें हिरासत में ले लिया गया.

विरल मेवाणी जिग्नेश को लेने एयरपोर्ट गए थे. अहमदाबाद से स्थानीय पत्रकार अंकुर जैन ने बताया है कि लिस का कहना है कि जिग्नेश को एहतियातन हिरासत में लिया गया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्

रवार को अहमदाबाद पहुंचे हैं और शनिवार को वहां उनके जन्मदिन के अवसर पर कई कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं. पुलिस शायद उस स्थिति से बचना चाह रही थी जो भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के सूरत कार्यक्रम के दौरान उत्पन्न हुई थी. सूरत में कार्यक्रम के दौरान हंगामा हो गया था.

 

 

source: Aaj Tak

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घर जाकर जन्मदिन पर पीएम मोदी ने लिया मां हीरा बा का आशीर्वाद, अहमदाबाद में कटेगा 67 किलो का केक

narendra650_091716081837प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज 67वां जन्मदिन है. पीएम मोदी अपना जन्मदिन मनाने गुजरात पहुंचे हैं. वहां उन्होंने गांधीनगर में अपनी मां हीरा बा का आशीर्वाद लिया. पीएम मोदी 32 दिनों में तीसरी बार गुजरात गए हैं|

पीएम मोदी के जन्मदिन के मौके पर ओल्ड अहमदाबाद में 67 किलो का केक कटेगा. सूरत में बच्चों ने प्रधानमंत्री मोदी की सालगिरह मनाई.

PM मोदी ने लिया मां का आशीर्वाद
प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को मां का आशीर्वाद लेने के बाद ट्वीट कर कहा कि मां की ममता, मां का आशीर्वाद जीवन जीने की जड़ी-बूटी होता है. पीएम मोदी का शनिवार को गुजरात में बहुत व्यस्त कार्यक्रम रहेगा. मां का आशीर्वाद लेने के बाद नरेंद्र मोदी आदिवासी बहुल जिले के दाहोद के लीमखेड़ा में सिंचाई परियोजना की शुरुआत करेंगे. इसके बाद प्रधानमंत्री नवसारी में विकलांगों को किट, व्हील चेयर्स, हियरिंग ऐड बांटने के कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे. यहां विकलांगों को आठ करोड़ रुपये से अधिक जरूरत का सामान बांटा जाएगा|

 

 

 

Source: आज तक

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‘हां मैंने देखा था, दो घंटे तक शेर गाय को खाता रहा’

police_1457364490गुजरात के उना में दलितों की पिटाई वाले मामले में खुलासा करने वाले गवाह ने पूछताछ में एक नया पहलू सामने रखा है। चश्मदीद ने इससे पहले सीआईडी के सामने खुलासा किया था कि गाय को दलितों ने नहीं शेर ने मारा था।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक चश्मदीद ने बताया कि उसने 10 जुलाई की रात देखा था कि किस तरह दो घंटे तक शेर ने गाय का शिकार किया। वहीं 11 जुलाई को गौ रक्षकों ने दलितों पर गाय काटने का आरोप लगाकर उनकी पिटाई की थी।

चालीस साल के बेदिया गांव के रहने वाले धीमंत राठौड़ पेशे से किसान हैं। वो कहते हैं कि उन्होंने देखा था कि गाय को शेर ने मारा था जिसे बाद में बालू सरवैया और उनके परिवार ने गाय की खाल निकालने के लिए इस्तेमाल किया था।
श्योरा नाम के शख्स ने पुलिस को बताया था कि उसकी गाय 10 जुलाई को गायब हो गई थी। वन्य अधिकारियों ने भी इलाके में शेर के होने की पुष्टि की है। राठौड़ ने कहा कि 10 जुलाई लगभग रात के साढ़े ग्यारह बजे मैने अपने घर के बाहर एक आवाज सुनी। मैं छत पर आया और देखा कि एक शेर ने गाय को मार दिया जो कि तीन शावकों के साथ था।

मैने रात डेढ़ बजे तक देखा कि शेर ने गाय को किस तरह से मारा, जिसके बाद मैं सोने चला गया। अगली सुबह मैंने देखा कि मेरे घर के सामने गाय का खाया हुआ शव पड़ा हुआ था। मुझे नहीं पता था कि गाय श्योरा की है।

राठौड़ ने ये भी कहा है कि उस वक्त मेरे बच्चे और पत्नी सो रहे थे। अगली सुबह मैने पड़ोसी दहिया काबड़ से कहा कि वो दलितों को मरी हुई गाय के शव के बारे में जानकारी दे दें। कावड़ ने देवशी बावरिया को बताया जिसने बालू सरवैया से संपर्क किया।
राठौड़ ने कहा कि उसके पास गाय का शिकार करने वाला कोई वीडियो और तस्वीर मौजूद नहीं है। मेरे पास उस वक्त स्मार्टफोन नहीं था जिससे मैं उसका वीडियो बना सकता।

सीआईडी इंस्पेक्टर जनरल (क्राइम ब्रांच) ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि राठौड़ ने पूछताछ में कहा कि उन्होंने शेर को बेदिया गांव में अपने घर के बाहर गाय का शिकार करते हुए देखा था।

चश्मदीद का बयान होने की वजह से हमने फॉरेंसिक जांच के लिए गाय के मांस के बचे हुए अवशेष भेज दिए हैं। हम मामले में पशु चिकित्सकों की मदद भी ले रहे हैं।
आपको बता दें कि राठौड़ की गवाही के बाद ही सीआईडी रिपोर्ट दी थी कि मामला दलितों द्वारा गौहत्या का नहीं हैं, जैसा कि गौ रक्षा दल के लोग दावा कर रहे हैं, बल्कि गाय को शेर ने मारा था।

सीआईडी की मानें तो दलित मरी हुई गाय की खाल निकाल रहे थे, तभी गौ रक्षा दल के लोग मौके पर पहुंच गए और उनकी पिटाई कर दी। जांच टीम को फिलहाल ये पता नहीं चल पाया है कि गौ रक्षा दल को गाय की खाल निकाले जाने की जानकारी आखिर किसने दी थी।

11 जुलाई के दिन मामले की शिकायत ऊना पुलिस स्टेशन में करीब डेढ़ बजे दर्ज कराई गई थी, जिसमें कहा गया था कि नारनभाई ने मोटा समाधियाला में गोहत्या की सूचना दी है। लेकिन एफआईआर के मुताबिक गौ रक्षक दल के लोगों ने करीब 10 बजे दलितों पर हमला किया।

Source: Amar Ujala

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उस दिन से लेकर अब तक वीरान है गुलबर्ग सोसायटी, जानिये कब क्‍या हुआ

gulberg_02_06_2016अहमदाबाद।  राज्‍य में दंगों से प्रभावित कई इलाके फिर से आबाद हुए लेकिन गुलबर्ग सोसायटी की तरफ फिर गुजरात में 2002 में भड़के दंगों के पहले हमेशा आबाद रहने वाली गुलबर्ग सोसायटी दंगों के बाद से अब तक वीरान है। इस सोसायटी को लोगों ने भूत बंगले का नाम दे दिया है।किसी ने पलट कर नहीं देखा और अब यह उस भयावहता का जीता-जागता स्‍मारक बन गई है।

27 फरवरी को ट्रेन में आग की घटना के बाद भड़के दंगों ने अगले ही दिन इस सोसयटी को अपनी चपेट में ले लिया। आइये जानते हैं तब से लेकर अब तक क्‍या क्‍या हुआ।

  • 27 फरवरी 2002, सुबह के 9 बजे थे की तभी एक डरा देने वाली खबर आई कि साबरमति एक्‍सप्रेस के जिस कोच में कारसेवक सफर कर रहे थे उसे आग लगा दी गई है। इसके बाद राज्‍य में दंगे भड़क गए।
  • 28 फरवरी, 2002- गोधराकांड के एक दिन बाद, यानी 28 फरवरी को 29 बंगलों और 10 फ्लैट वाली गुलबर्ग सोसायटी जहां पर अधिकांश मुस्लिम परिवार रहते थे, वहां पर उत्तेजित भीड़ ने हमला किया गया। शाम होते- होते यहां कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। ज्यादातर लोगों को जिंदा जला दिया। 39 लोगों के शव बरामद हुए जबकि कई गायब भी हुए जिन्हें बाद में मृत मान लिया गया। कुल मौतों का आंकडा 69 था और मृतकों में कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी भी शामिल थे।
  • 8 जून, 2006- एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी ने पुलिस में एक शिकायत दर्ज की जिसमें इस हत्याकांड के लिए मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई मंत्रियों और 62 अन्य लोंगो को ज़िम्मेदार ठहराया गया लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से मना कर दिया।
  • अक्टूबर, 2007- तहलका पत्रिका ने एक एक स्टिंग ऑपरेशन किया जिसमें विश्व हिंदू परिषद और बंजरग दल के 14 लोगों सहित तत्कालीन भाजपा विधायक हर्ष भट्ट, जो उस समय बजरंग दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे वो हत्याओं को अंजाम देने की बात कर रहे थे।
  • 3 नवंबर, 2007- जकिया जाफरी ने इस मामले को लेकर गुजरात हाईकोर्ट से संपर्क किया लेकिन हाईकोर्ट ने शिकायत लेने से मना कर दिया और कहा कि कि पहले वो मजिस्ट्रेट कोर्ट में मामले को ले जाए।
  • 26 मार्च, 2008- सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों के 10 बड़े मामलों की जांच के लिए नरेंद्र मोदी सरकार को आदेश दिया जिनमें गुलबर्ग का मामला भी था। कोर्ट ने पूर्व सीबीआई निदेशक आर के राघवन की अध्यक्षता में जांच के लिए एक एसआईटी बनाई।
  • सितंबर 2009- ट्रायल कोर्ट में गुलबर्ग हत्याकांड की सुनवाई (ट्रायल) शुरू हुई।
  • 27 मार्च 2010- नरेंद्र मोदी को एसआईटी ने ज़किया की फरियाद के संदर्भ में समन किया और गुलबर्ग सोसायटी सहित एहसान जाफरी की हत्या के मामले में उन पर लगे आरोपों के मामले में पूछताछ की।
  • मार्च 2010- विशेष लोक अभियोजक आर के शाह निचली अदालत के न्यायाधीश तथा एसआईटी पर यह आरोप लगाते हुए ईस्तीफा दे दिया कि वे आरोपी पर नरमी बरत रहे हैं जिसके बाद इस केस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा थी।
  • दिसंबर 2010- जकिया जाफरी सहित अन्य पीड़ित लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक अर्जी दाखिल करते हुए कोर्ट से आग्रह किया कि एसआईटी 30 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करे।
  • मार्च 2011- सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी को न्यायविद् राजू रामचंद्रन द्वारा व्यक्त की गई शंकाओं पर ध्यान देने को कहा।
  • 18 जून, 2011- रामचंद्रन ने अहमदाबाद का दौरा किया और गवाहों तथा उन अन्य लोगों से मुलाकात की जिसके आधार पर एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट तैयार की।
  • जुलाई 2011- न्यायविद् राजू रामचन्द्रन ने इस रिपोर्ट पर अपना नोट सुप्रीम कोर्ट में रखा। सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय लिया कि रिपोर्ट को गोपनीय रखा जाएगा और कोर्ट ने गुजरात सरकार व एसआईटी को रिपोर्ट देने से इनकार कर दिया।
  • सितंबर 2011- सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला ट्रायल कोर्ट पर छोड़ा कि क्या मोदी या अन्य से पूछताछ की जा सकती है।
  • 8 फरवरी 2012 – एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की कोर्ट में पेश की।
  • 10 अप्रैल 2012- मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष रखी गई एसआईटी रिपोर्ट में माना गया कि तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी की इस नरसंहार में कोई भूमिका नहीं है।
  • इस मामले में अभी तक ट्रायल के दौरान चार लोगों की मौत हो चुकी है। इस नरसंहार मामले में अभी तक 338 से ज्यादा लोगों की गवाही हो चुकी है। सितंबर 2015 में ही इस मामले का ट्रायल खत्म हो गया जिसमें अब फैसला आना बाकि है।

 

 

Source: नई दुनिया

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