दिल्ली में हरीश रावत, ‘स्टिंग वीडियो’ मामले में सीबीआई के सवालों का जवाब देने पहुंचे

harish-rawat_650x400_81463586202देहरादून: सीबीआई ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत से जुड़े स्टिंग ऑपरेशन की जांच के सिलसिले में आज उनसे पूछताछ की। रावत कुछ समर्थकों और एक विधायक के साथ आज 11 बजे सीबीआई मुख्यालय पहुंचे। सीबीआई ने पिछले सप्ताह राज्य सरकार की उस अधिसूचना को खारिज कर दिया था जिसमें उसने राष्ट्रपति शासन के दौरान मामले की जांच को दी गई मंजूरी वापस लेने की बात कही थी।

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने भी सीबीआई जांच पर रोक नहीं लगाई। रावत ने सीबीआई जांच पर रोक लगाने का अनुरोध किया था। सीबीआई ने कहा था कि कानूनी सलाह लेने के बाद अधिसूचना को खारिज कर दिया गया। इस सलाह में कहा गया कि मंजूरी को वापस लेने का कोई आधार नहीं है और यह ‘‘कानूनी तौर पर मान्य’’ नहीं है।

स्टिंग में कथित रूप से रिश्वत लेते दिखाई दिए
सीबीआई ने ‘स्टिंग ऑपरेशन’ की जांच के लिए 29 अप्रैल को प्रारंभिक जांच दर्ज की थी। इस स्टिंग ऑपरेशन में रावत बागी कांग्रेसी विधायकों को कथित रूप से रिश्वत की पेशकश करते दिखाए गए हैं, ताकि वे विधायक उत्तराखंड विधानसभा में शक्ति परीक्षण के दौरान उनका समर्थन करें।

रावत का आरोपों से इनकार
सीबीआई ने 9 मई को रावत को पूछताछ के लिए तलब किया था लेकिन उन्होंने एजेंसी से और अधिक समय मांगा। इसके बाद वह शक्ति परीक्षण जीत गए और सत्ता में लौट आए। बागी कांग्रेसी विधायकों द्वारा वीडियो जारी किए जाने पर रावत ने आरोपों से इंकार किया था और वीडियो को फर्जी बताया था, लेकिन बाद में उन्होंने स्वीकार कर लिया कि स्टिंग ऑपरेशन के कैमरे में वही दिखाई दे रहे हैं।

शक्ति परीक्षण में रावत की जीत के बाद राज्य मंत्रिमंडल की बैठक 15 मई को हुई और इस बैठक में उस अधिसूचना को वापस ले लिया गया, जिसमें रावत की संलिप्तता वाले स्टिंग ऑपरेशन की सीबीआई जांच की सिफारिश की गई थी। राज्य मंत्रिमंडल ने तय किया कि इसके बजाय विशेष जांच दल गठित किया जाए क्योंकि यह राज्य से जुड़ा मुद्दा है।

(इस खबर को दी सन्डे  हेड लाइंस टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)

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vijay bahuguna and 9 mla of congress joined bjp

विजय बहुगुणा सहित 9 बागी विधायक बीजेपी में शामिल

vijay bahuguna joined bjpउत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और उनके सहयोगी कांग्रेस के 9 बागी विधायक भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए | जिसमे  विजय बहुगुणा, हरक सिंह रावत, अमृता रावत, कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन, सुबोध उनियाल, उमेश शर्मा काऊ, प्रदीप बत्रा, शैलारानी रावत, शैलेंद्र मोहन सिंघल हैं |

राज्य में यह स्थिति तब पैदा हुई थी जब रावत सरकार के बजट सत्र का विरोध हुआ | भाजपा का कहना था बजट को वायस वोट से पारित करना असंवेधानिक है | जब कांग्रेस के 9 विधायक ने विरोध किया विधानसभा स्पीकर ने उन्हें निलंबित कर दिया और मामला अदालत में पहुँच गया |
हरीश रावत सरकार को विश्वास मत की तारीख से एक दिन पहले केंद्र सरकार ने उत्तराखंड पर राष्ट्रपति शासन लगा दिया |

बाद में सुप्रीम कोर्ट ने विश्वास मत की नई तारीख घोषित की और बागी विधायकों के स्पीकर द्वारा निलंबन के आदेश को बरक़रार रखा |

मायावती के सपोर्ट से हरीश रावत विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने में कामयाब हो गए | अब ये बागी विधायक की स्थिति उस धोबी के गधे जैसी थी न घर के न घाट के | बीजेपी इन विधायकों में अपना अगला आने वाला भविष्य देखते हैं लेकिन कुछ भाजपाईयों ने इसका विरोध भी किया | 9 बागी विधायकों को बीजेपी में शामिल करना पूर्व नियोजित सा दिख रहा है | भाजपा के लिए यह निर्णय कैसा रहेगा यह तो बाद में पता चलेगा लेकिन अभी 9 बागी विधायक भाजपा में मिलकर अपनी स्थिति को मजबूत कर लिया है |

एडिटर : चन्द्रशेखरम

 

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रावत ने किया थराली दौरा, बोले चमोली की वजह से दोबारा बनी सरकार

harish-rawat_1463211488राष्ट्रपति शासन हटने के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत पहली बार चमोली के दौरे पर पहुंचे। सुबह दस बजे हरीश रावत थराली पहुंचे। यहां आईटीआई में सीएम ने आपदा प्रभावितों से मुलाकात की। इसी के साथ हरीश रावत ने कई घोषणाएं भी की।

चमोली की जनता को धन्यवाद देते हुए सीएम ने कहा कि चमोली की वजह से ही प्रदेश में दोबारा कांग्रेस की सरकार बनी है। कहा चमोली ने दोबारा मेरी सरकार बनवाई है। रावत ने मंच से घोषणा करते हुए कहा कि देवाल को नगर पंचायत बनाया जाएगा।

इसके साथ ही गौचर में गढ़वाली और कुमाऊंनी बोली का संस्थान बनाने की घोषणा की। इसी के साथ सीएम ने चमोली को पर्वतीय विकास का मॉडल बनाने का एलान किया। दौरा खत्म करने के बाद हरीश रावत गौचर से कर्णप्रयाग के लिए रवाना हो गए।

 

Source: अमर उजाला

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उत्तराखंड मामला : सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में केंद्र ने उठाए 8 अहम सवाल

harish-rawat_650x400_41461293707नई दिल्ली: केंद्र ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन खारिज करने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए आज सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में केंद्र सरकार ने नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए हैं।

  1. नैनीताल हाईकोर्ट का आदेश सही नहीं है और उसे राष्ट्रपति शासन पर सुनवाई का अधिकार नहीं है जोकि मंत्रिमंडल की सलाह और तथ्यों पर लिया गया।
  2. हाईकोर्ट कहता है कि भ्रष्टाचार सहा नहीं जाएगा, लेकिन उसने यह आदेश जारी कर याचिकाकर्ता को राहत दी जिस पर स्टिंग ऑपरेशन में हार्स ट्रेडिंग और घूस के आरोप लगे हैं।
  3. सुप्रीम कोर्ट के बोम्मई जजमेंट के आधार पर हाईकोर्ट के पास राष्ट्रपति शासन पर सुनवाई के लिए सीमित अधिकार हैं, हाईकोर्ट ने इस मामले में अपने अधिकार से बाहर आदेश दिया है, वह राष्ट्रपति के संतुष्ट होने पर फैसला नहीं कर सकता।
  4. हाईकोर्ट मंत्रीमंडल की राष्ट्रपति शासन लगाने की सलाह की सत्यतता और वैद्यता पर सुनवाई नहीं कर सकता
  5. हाईकोर्ट ने 21 अप्रैल को आदेश सुनाया लेकिन लिखित आदेश नहीं दिया
  6. हाईकोर्ट ने यह फैसला हरीश रावत के गलत और छुपाए हुए तथ्यों के आधार पर दिया है, जो गलत है
  7. हाईकोर्ट का यह कहना भी गलत है कि बजट बिल पास नहीं होने पर सरकार नहीं गिरती बल्कि सरकार को इस्तीफा देना होता है। कानून के मुताबिक, बजट बिल के फेल होते ही सरकार गिर जाती है।
  8. हाईकोर्ट ने विधायको की खरीद फरोख्त की स्टिंग पर गौर नहीं किया जबकि यह एक बड़ा आधार है।


हाईकोर्ट का फैसला
इससे पहले गुरुवार को हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए राष्ट्रपति शासन हटाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा कि राज्य में 18 मार्च से पहले की स्थिति बनी रहेगी। ऐसे में हरीश रावत एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। 29 अप्रैल को विधानसभा में उनका बहुमत परीक्षण होगा। हाईकोर्ट के फैसले के बाद गुरुवार शाम बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के घर बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक हुई।

सुप्रीम कोर्ट आज हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे लगाकर दूसरे पक्ष को नोटिस जारी कर सुनवाई की तारीख दे सकता है। सूत्रों के मुताबिक, यह सुनवाई सोमवार या बाद में हो सकती है। अभी तक नैनीताल हाईकोर्ट का लिखित आदेश नहीं आया है। सोमवार को आने की संभावना है। सूत्र बता रहे है कि हरीश रावत ने रात 9 बजे कैबिनेट बैठक बुलाकर कई अहम फैसले लिए हैं।

न्याय का मजाक होगा
इससे पूर्व उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने गुरुवार को फिर सख़्त टिप्पणी की। कोर्ट ने पूछा, ‘क्या इस केस में सरकार प्राइवेट पार्टी है? जजों ने पूछा, ‘यदि कल आप राष्ट्रपति शासन हटा लेते हैं और किसी को भी सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर देते हैं, तो यह न्याय का मजाक उड़ाना होगा। क्या केंद्र सरकार कोई प्राइवेट पार्टी है?’

नैनीताल हाई कोर्ट की डबल बेंच में चल रही सुनवाई में चीफ़ जस्टिस के एम जोसेफ़ ने केंद्र के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का पक्ष सुनने के दौरान कई सवाल किए। इस मामले के साथ चल रहे 9 बागी विधायकों के मामले में उनके वकील दिनेश द्विवेदी ने कहा कि यह समस्या कांग्रेस से नहीं बल्कि हरीश रावत और स्पीकर के साथ जुड़ी है, क्योंकि सभी 9 विधायक सदस्यता खत्म करने के बावजूद आज भी कांग्रेस के सदस्य हैं।

उत्तराखंड विधानसभा की वर्तमान स्थिति
राष्ट्रपति शासन हटने पर अब कांग्रेस को 29 अप्रैल को बहुमत साबित करना होगा। विधानसभा की वर्तमान स्थिति इस प्रकार है-

कुल सीटें- 71
कांग्रेस- 36 (9 बागी विधायकों को मिलाकर)
बीजेपी- 27
उत्तराखंड क्रांति दल- 1
निर्दलीय- 3
बीएसपी- 2
बीजेपी निष्कासित- 1
मनोनीत- 1

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उत्तराखंड से राष्ट्रपति शासन हटा, नौ बागियों को किए की सजा भुगतनी होगी : हाईकोर्ट

nainital~20~04~2016~1461140578_storyimageनैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य से राष्ट्रपति शासन हटाने का आदेश दिया है। नैनिताल कोर्ट ने कहा है कि राज्य में 18 मार्च से पहले की स्थिति बनी रहेगी। कोर्ट ने 29 अप्रैल को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट का भी आदेश दिया है, और कहा है कि कांग्रेस के नौ बागी विधायकों को अपने किए की सज़ा भुगतनी होगी।

इससे पहले, राज्य में राष्ट्रपति शासन पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने सख़्त टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने पूछा था ‘क्या इस केस में सरकार प्राइवेट पार्टी है?’ बीजेपी के बहुमत के दावों के बीच कोर्ट ने केंद्र से एक हफ़्ते तक राष्ट्रपति शासन नहीं हटाने का भरोसा देने के लिए कहा था। जब केंद्र ने कहा कि वह इस बात की कोई गारंटी नहीं दे सकते कि राज्य से राष्ट्रपति शासन हटाया जाएगा या नहीं, तो हाई कोर्ट ने कहा, ‘आपके इस तरह के व्यवहार से हमें तकलीफ हुई है।’

‘क्या सरकार इस केस में प्राइवेट पार्टी है’
इससे पूर्व उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने गुरुवार को फिर सख़्त टिप्पणी की। कोर्ट ने पूछा, ‘क्या इस केस में सरकार प्राइवेट पार्टी है? जजों ने पूछा, ‘यदि कल आप राष्ट्रपति शासन हटा लेते हैं और किसी को भी सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर देते हैं, तो यह न्याय का मजाक उड़ाना होगा। क्या केंद्र सरकार कोई प्राइवेट पार्टी है?’

नैनीताल हाई कोर्ट की डबल बेंच में चल रही सुनवाई में चीफ़ जस्टिस के एम जोसेफ़ ने केंद्र के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का पक्ष सुनने के दौरान कई सवाल किए। इस मामले के साथ चल रहे 9 बागी विधायकों के मामले में उनके वकील दिनेश द्विवेदी ने कहा कि यह समस्या कांग्रेस से नहीं बल्कि हरीश रावत और स्पीकर के साथ जुड़ी है, क्योंकि सभी 9 विधायक सदस्यता खत्म करने के बावजूद आज भी कांग्रेस के सदस्य हैं।

पहले भी लगाई है कड़ी फटकार
इससे बुधवार को भी उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार के फ़ैसले पर पर बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था, ‘भारत में संविधान से ऊपर कोई नहीं है। इस देश में संविधान को सर्वोच्च माना गया है। यह कोई राजा का आदेश नहीं है, जिसे बदला नहीं जा सकता है। राष्ट्रपति के आदेश को भी संविधान के ज़रिए बदला जा सकता है।’ केंद्र की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल  तुषार मेहता और हरीश रावत की तरफ़ से अभिषेक मनु सिंघवी ने बहस की।

राष्ट्रपति शासन हटने पर ऐसा होगा बहुमत का गणित
यदि केंद्र सरकार राज्य से राष्ट्रपति शासन हटा लेती है, तो बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया जा सकता है, क्योंकि वह बहुमत का दावा कर रही है। आइए हम एक नजर वर्तमान और भावी स्थिति पर डालते हैं-

उत्तराखंड विधानसभा की वर्तमान स्थिति
कुल सीटें- 71
कांग्रेस- 36
बीजेपी- 27
उत्तराखंड क्रांति दल- 1
निर्दलीय- 3
बीएसपी- 2
बीजेपी निष्कासित- 1
मनोनीत- 1

ऐसी हो सकती है भावी स्थिति-
बहुमत का आंकड़ा- 36
कांग्रेस कैंप- 44-9= 35
बीजेपी कैंप- 27+9= 36

इस प्रकार बीजेपी बहुमत साबित करके सरकार बना लेगी। हालांकि अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा।

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उत्तराखंड: राष्ट्रपति के फैसले भी गलत हो सकते हैं: नैनीताल हाईकोर्ट

उत्तराखंड nainital~20~04~2016~1461140578_storyimageमें राष्ट्रपति शासन लगाने को लेकर केंद्र सरकार को तीसरे दिन लगातार हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणियों का सामना करना पड़ा।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की राष्ट्रपति शासन लागू करने व लेखानुदान अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति वीके बिष्ट की खंडपीठ ने केंद्र के वकील से पूछा कि कैसे प्रमाणित करोगे कि मनी बिल गिर गया।

एडिसनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राष्ट्रपति ने पूरे सोच समझ कर ही उत्तराखंड में 356 लागू की है। जवाब में चीफ जस्टिस ने कहा कि राष्ट्रपति ही नहीं, जज भी गलती कर सकते हैं।

पीठ की ओर से राज्यपाल के केंद्र को भेजे गये पत्रों को लेकर लगातार कई सवाल पूछे गये।

गवर्नर के केंद्र को भेजे गये पत्र में 18 मार्च के बाद हरक सिंह रावत को कैबिनेट से हटाने व एडवोकेट यूके उनियाल को बाहर करने के औचित्य पर भी पीठ ने सवाल किया। एएसजे मेहता ने कहा कि सरकार 18 को बहुमत खो चुकी थी। उसे ऐसी किसी कार्रवाई का अधिकार नहीं रह गया था। पीठ ने यह भी कहा कि राज्यपाल के पत्र में 28 को विश्वास मत के लिए विधायकों के राजधानी में होने की भी जानकारी दी गयी थी।

सुनवाई में कैबिनेट के राष्ट्रपति शासन के लिए भेजे गये नोट पर बहस नहीं हुई। केंद्र के वकील ने इस पर आपत्ति जताई। पीठ ने कहा कि फैसले में इसका उल्लेख होगा। हरीश रावत के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने जबाव देना शुरू किया। उन्होंने कहा कि 18 को मनी बिल गिरने का दावा गलत है। गवर्नर के सचिव के मत विभाजन के पत्र का कोई औचित्य नहीं है। यह भाजपा के विधायकों का मात्र एक पत्र था, जो कि स्पीकर को फॉरवर्ड किया गया। 18 मार्च के इस पत्र में 27 विधायकों के ही हस्ताक्षर थे।

बागी विधायक आज भी कांग्रेस के साथ: द्विवदी 
उधर, बर्खास्त विधायकों के वकील दिनेश द्विवेदी ने कहा कि 9 बागी विधायक आज भी कांग्रेस के साथ हैं। बुधवार को हाईकोर्ट में दलील देने के बाद मीडिया से बात कर रहे थे द्विवेदी। उन्होंने कहा कि हरीश रावत के खिलाफ थे बागी विधायक, वे आज भी इसी बात पर कायम हैं।

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उत्तराखंड में लगाया गया राष्ट्रपति शासन, नैनीताल हाई कोर्ट में कांग्रेस ने दी याचिका

harish-rawatदेहरादून: उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया है। केंद्र सरकार ने बीती रात कैबिनेट की बैठक के बाद राष्ट्रपति से इसके लिए सिफारिश की थी जिसे राष्ट्रपति ने मान लिया है। वहीं, कांग्रेस ने उत्तराखंड के नैनीताल में स्थित हाई कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर की है। पार्टी नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने यह याचिका दायर कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने का विरोध किया है।

इससे पहले केंद्र सरकार का कहना था कि उत्तराखंड में संवैधानिक व्यवस्था चरमरा गई थी और विधायकों की खरीद-फरोख्त हो रही थी, जिसे देखते हुए राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला किया गया था।

आदेश के अनुसार, विधानसभा को भंग नहीं किया गया है, बल्कि निलंबित रखा गया है। उधर, कांग्रेस और खासतौर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे हरीश रावत ने इसे संविधान और लोकतंत्र की हत्या बताया है।

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि धारा 356 के प्रयोग का इससे बेहतर कोई दूसरा उदाहरण नहीं हो सकता है। पिछले नौ दिन से हर दिन संविधान के प्रावधानों की हत्या हो रही थी।

नौ दिन पहले कांग्रेस के नौ विधायकों की बग़ावत का पटाक्षेप उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के तौर पर हुआ। राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय कैबिनेट की सिफारिश राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मंजूर कर ली। ये फैसला उत्तराखंड विधानसभा में बहुमत परीक्षण से ठीक एक दिन पहले हुआ।

केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि राज्य में संवैधानिक व्यवस्था चरमरा चुकी थी।

जेटली ने कहा कि संविधान में लिखा है कि जब बजट फेल होता है तो इस्तीफ़ा देना होता है। स्वतंत्र भारत में पहला उदाहरण है जब एक एक फेल्ड बिल को बिना वोट लिए पारित होने की घोषणा कर दी गई। 18 तारीख के बाद से जो सरकार चली है, वह असंवैधानिक है।

उधर, मुख्यमंत्री रहे हरीश रावत ने इसे लोकतंत्र और संविधान की हत्या बताते हुए केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए।

रावत ने कहा कि शायद ही ऐसा कोई उदाहरण जिसे बहुमत सिद्ध करने से एक दिन पहले ही बर्ख़ास्त कर दिया जाए। सरकार का बहुमत विधानसभा में तय होना चाहिए था। ऐसी क्या जल्दबाज़ी थी कि सरकार को भंग कर दिया गया।

अरुण जेटली ने ये भी कहा कि विधानसभा स्पीकर ने बीजेपी के एक बाग़ी विधायक के ख़िलाफ़ कोई कार्यवाही नहीं की जबकि वो कांग्रेस के नौ बाग़ी विधायकों के ख़िलाफ़ मनमाने तरीके से दल बदल कानून का प्रयोग कर रहे थे।

जेटली  ने कहा कि संविधान की दसवीं अनुसूची है जिसका डिसक्रिमिनेटरी तरीके से प्रयोग हुआ। ये पहला उदाहरण है स्वतंत्र उदाहरण में कि एविडेंस आया हो और अपने मुंह से मुख्यमंत्री जी हॉर्स ट्रेडिंग का प्रयास कर रहे हों।

राष्ट्रपति शासन के ऐलान के बावजूद उत्तराखंड विधानसभा के स्पीकर रहे गोविंद सिंह कुंजवाल ने बाग़ी विधायकों की सदस्यता रद्द करने का ऐलान कर दिया।

उत्तराखंड विधानसभा स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि हमें राष्ट्रपति शासन की कोई सूचना नहीं मिली है।

साफ़ है कि उत्तराखंड की सियासत को लेकर खींचतान अभी बाक़ी है। विधानसभा को भंग नहीं किया गया है बल्कि निलंबित रखा गया है। ऐसे में राष्ट्रपति शासन के बावजूद किसी नई सरकार के गठन का विकल्प अभी खुला है। देखना है कि इसके लिए बीजेपी अगर पहल करती है तो कब।

उत्तराखंड में वसंत के मौसम में ही सियासी सरगर्मियों ने पारा काफ़ी बढ़ा दिया है। विधायकों की ख़रीदफ़रोख़्त के आरोपों के बीच बीते दो महीने में दूसरी बार किसी राज्य सरकार को बर्ख़ास्त कर राष्ट्रपति शासन लगा है। हालांकि अरुणाचल में इसके बाद बीजेपी ने सरकार बना ली, लेकिन क्या उत्तराखंड में भी बाग़ियों के सहारे ऐसा करने की कोशिश होगी। ये एक बड़ा सवाल है।

News Coverage : Dinesh Sehgal

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स्टिंग प्रकरण प्रदेश को कलंकित करने की गहरी साजिश : किशोर उपाध्याय

kishor upadhyayदेहरादून : प्रधानमंत्री  श्री मोदी पर सीधा निशाना साधते हुए उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने आज सामने आये कथित स्टिंग प्रकरण को प्रदेश को कलंकित करने की गहरी साजिश बताते हुए कहा की हमारी पार्टी पूरी तरह से मुख्यमंत्री हरीश रावत के साथ खड़ी है ।

यहां जारी एक बयान मेम उपाध्याय ने कहा, ‘‘कथित स्टिंग प्रकरण में मुख्यमंत्री जी ने अपनी बात मीडिया के माध्यम से सबके सामने रख दी है तथा कांग्रेस पार्टी उनके इस संबंध में दिये गये वक्तव्य का समर्थन करती है और उनके साथ खडी है.” उन्होंने इस स्टिंग प्रकरण को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की साजिश बताया और दावा किया कि भाजपा के इस निन्दनीय कृत्य के दूरगामी परिणाम होंगे तथा उसे प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश की राजनीति में भी इसके परिणाम भुगतने पडेंगे.

उपाध्याय ने भाजपा नेताओं की मुख्यमंत्री रावत से इस्तीफा मांगने के संबंध में कहा कि कुछ समय पहले गुजरात में एक वास्तुकार महिला का स्टिंग आपरेशन सामने आया था जिसके लिये उन्हें पहले अपने प्रधानमंत्री से इस्तीफा मांगना चाहिये. उन्होंने कहा कि उस स्टिंग के समय प्रधानमंत्री मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र नहीं दिया था. उपाध्याय ने कहा, ‘‘मैं उत्तराखण्ड के कांग्रेसजनों की ओर से उनके इस्तीफे की मांग करता हूं. साथ ही भाजपा के राष्ट्रीय एवं प्रदेश नेतृत्व को विनम्रता पूर्वक सलाह देना चाहता हूं कि वे अपने अध्यक्ष अमित शाह का भी त्यागपत्र लें क्येांकि उस समय वह मोदी जी के गृह मंत्री थे .”
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Cluster farming launch in Uttarakhand…

cluster-farming-uttrakhand“Chief Minister Rawat calls for bringing in an effective agriculture policy and making efforts to promote farming in hilly areas”

Uttarakhand has decided to bring a new agriculture policy and launch cluster farming in hilly areas.

At a review meeting of the agriculture department held on Tuesday at Bijapur Guest House (the chief minister’s residence) here, Chief Minister Harish Rawat called for concerted efforts to promote farming in hilly areas and bring an effective agriculture policy in this regard.

The chief minister instructed the department to identify villages where farmers can grow vegetables and pulses.

“The farming should take place in cluster formation,” Rawat said. To promote cluster farming, the chief minister made a budgetary provision of Rs 1 crore.

Special incentives will be given to farmers who promote water harvesting. To attract farmers, specialised agriculture programmes should also be started, Rawat said.

He asked the department to organise agriculture fairs or melas, where new farming techniques can be shared with farmers.

Special training sessions should also be held for farmers on regular basis, he said. All those farmers who are keen to promote farming in their villages should also get rewards, Rawat added.

The government must bring changes in the agriculture insurance schemes in order to make them more attractive. Five per cent of shares of the Terai Seed Corporation will be given to farmers as a special incentive. All the mandis have also been asked to reserve shops for organic farming. Farmers will also get subsidy to purchase power tillers and power weeders in the ratio of 80:20.

The farming of buckwheat, locally known as mandua, will also be promoted in the region.

NEW AGRICULTURE POLICY

| To promote cluster farming, the chief minister made a budgetary provision of Rs 1 crore
| The chief minister instructed agriculture department to identify villages where farmers can grow vegetables and pulses
| Special incentives will be given to farmers who promote water harvesting
| Farmers will also get subsidy to purchase power tillers and power weeder in the ratio of 80:20
| All those farmers who are keen to promote farming in their villages to get reward
| The government must bring changes in the agriculture insurance schemes in order to make them more attractive, the CM says

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