Nirbhaya Gang rape case plea of convict vinay sharma heard supreme court

निर्भया केस: दोषी विनय शर्मा की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज

निर्भया गैंगरेप और मर्डर केस में दोषी विनय की एक और पैंतरेबाजी असफल हो गई है। राष्ट्रपति की ओर से दया याचिका खारिज किए जाने की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाते हुए फांसी टालने की मांग करने की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। उसने खुद को मानसिक तौर पर बीमार बताकर भी फांसी टालने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने विनय को मेंटली फिट बताया है। कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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राष्ट्रपति की ओर से दया याचिका खारिज किए जाने की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाते हुए फांसी टालने की मांग करने की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। उसने खुद को मानसिक तौर पर बीमार बताकर भी फांसी टालने की मांग की थी।
  • जस्टिस अशोक भूषण और ए. एस. बोपन्ना के साथ जस्टिस आर. भानुमति की अध्यक्षता वाली पीठ का फैसला
  • सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को निर्भया कांड के दोषी विनय शर्मा की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था
  • वकील ए.पी. सिंह ने कहा था विनय मानसिक तौर पर बीमार चल रहा हैऔर उसका इलाज भी हो रहा है

जस्टिस अशोक भूषण और ए. एस. बोपन्ना के साथ जस्टिस आर. भानुमति की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को निर्भया कांड के चार दोषियों में से एक विनय शर्मा की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें राष्ट्रपति द्वारा उसकी दया याचिका की अस्वीकृति को चुनौती दी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट में दोषी विनय शर्मा का प्रतिनिधित्व करने वाले एडवोकेट ए. पी. सिंह ने अपने मुवक्किल की दया याचिका को खारिज करने के राष्ट्रपति के फैसले पर सवाल उठाए थे। इस पर अदालत और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तीखी आलोचना की, जो इस मामले में केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।

सिंह ने दोषी विनय की मानसिक स्थिति के संबंध में भी दलील दी। उन्होंने कहा कि विनय मानसिक तौर पर बीमार चल रहा है और उसका इलाज भी हो रहा है। सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के शत्रुघ्न चौहान के 2014 के फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि मानसिक बीमारी से पीड़ित दोषियों की मौत की सजा को बदल दिया जाना चाहिए। इस पर मेहता ने दलीलें देते हुए कहा, ‘उनकी नियमित रूप से जांच की गई, जो नियमित जांच का हिस्सा है। जेल मनोचिकित्सक है, जो हर किसी की जांच करता है। ताजा स्वास्थ्य रिपोर्ट के अनुसार उनका स्वास्थ्य अच्छा पाया गया है।’

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2012 Delhi gang rape निर्भया केस: 1 फरवरी को फांसी पर रोक वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित, आज कभी भी आ सकता है कोर्ट का आदेश

दोषी अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा और पवन गुप्ता के वकील एपी सिंह ने कोर्ट से कहा कि ये दोषी आतंकवादी नहीं हैं। वकील ने जेल मैनुअल के नियम 836 का हवाला दिया | ऐसे मामले में जहां एक से अधिक लोगों को मौत की सजा दी गई है| दोषियों को तब तक फांसी की सजा नहीं दी गई है जब तक उन्होंने अपने कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल ना कर लिया हो।

निर्भया गैंगरेप और मर्डर केस में फांसी की सजा पाने वाले दोषियों की फांसी की सजा पर रोक लगाने वाली याचिका पर पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई हुई। निर्भया गैंगरेप केस मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषियों की उस याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है| दोषियों ने 1 फरवरी को होने वाली फांसी की सजा पर रोक लगाने की मांग की है। कोर्ट आज शाम तक फैसला सुनाएगा। आपको बता दें कि तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने फांसी की सजा पर रोक लगाने के तीन दोषियों के अनुरोध वाली याचिका की सुनवाई को दिल्ली की एक अदालत में चुनौती दी थी।

वहीं तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने दिल्ली की अदालत को बताया कि केवल एक दोषी की ही दया याचिका लंबित है| अन्य को फांसी दी जा सकती है। वहीं दोषियों के वकील ने दिल्ली की अदालत को बताया कि जब एक दोषी की याचिका लंबित है तो नियमों के अनुसार अन्यों को भी फांसी नहीं दी सकती।

फांसी की सजा का सामना कर रहे दोषी विनय कुमार शर्मा की ओर से पेश वकील ए पी सिंह ने अदालत से फांसी को अनिश्चितकाल के लिए टाल देने को कहा क्योंकि कुछ दोषियों के कानूनी उपचार अभी बाकी हैं। अभियोजन पक्ष ने कहा कि याचिका न्याय का मजाक है और यह फांसी को टालने की महज एक तरकीब है।

जेल के अधिकारियों ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा के समक्ष दायर स्थिति रिपोर्ट में इस याचिका का विरोध किया। अदालत ने बृहस्पतिवार को जेल अधिकारियों को नोटिस जारी करके दोषियों की याचिका पर जवाब मांगा था। दोषी पवन गुप्ता, विनय कुमार शर्मा और अक्षय कुमार के वकील ए पी सिंह ने अदालत से फांसी पर अनिश्चितकालीन स्थगन लगाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि दोषियों में कुछ के द्वारा कानूनी उपायों का इस्तेमाल किया जाना बचा हुआ है।

निचली अदालत ने 17 जनवरी को मामले के चारों दोषियों मुकेश (32), पवन (25), विनय (26) और अक्षय (31) को मौत की सजा देने के लिए दूसरी बार ब्लैक वारंट जारी किया था जिसमें एक फरवरी को सुबह छह बजे तिहाड़ जेल में उन्हें फांसी देने का आदेश दिया गया। इससे पहले सात जनवरी को अदालत ने फांसी के लिए 22 जनवरी की तारीख तय की थी।

अब तक की स्थिति में दोषी मुकेश ने सभी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल कर लिया है। इसमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के समक्ष दया याचिका दाखिल करना भी शामिल है। उसकी दया याचिका राष्ट्रपति ने 17 जनवरी को ठुकरा दी थी। मुकेश ने फिर दया याचिका ठुकराए जाने को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जिसने बुधवार को उसकी यह अपील खारिज कर दी।

गौरतलब है कि पैरा मेडिकल की 23 वर्षीय छात्रा से 16-17 दिसंबर 2012 की मध्यरात्रि को छह लोगों ने चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म किया था और उसे सड़क पर फेंक दिया था। उसे इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया था जहां 29 दिसंबर को उसकी मौत हो गई थी।

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उत्तराखंड: राष्ट्रपति के फैसले भी गलत हो सकते हैं: नैनीताल हाईकोर्ट

उत्तराखंड nainital~20~04~2016~1461140578_storyimageमें राष्ट्रपति शासन लगाने को लेकर केंद्र सरकार को तीसरे दिन लगातार हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणियों का सामना करना पड़ा।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की राष्ट्रपति शासन लागू करने व लेखानुदान अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति वीके बिष्ट की खंडपीठ ने केंद्र के वकील से पूछा कि कैसे प्रमाणित करोगे कि मनी बिल गिर गया।

एडिसनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राष्ट्रपति ने पूरे सोच समझ कर ही उत्तराखंड में 356 लागू की है। जवाब में चीफ जस्टिस ने कहा कि राष्ट्रपति ही नहीं, जज भी गलती कर सकते हैं।

पीठ की ओर से राज्यपाल के केंद्र को भेजे गये पत्रों को लेकर लगातार कई सवाल पूछे गये।

गवर्नर के केंद्र को भेजे गये पत्र में 18 मार्च के बाद हरक सिंह रावत को कैबिनेट से हटाने व एडवोकेट यूके उनियाल को बाहर करने के औचित्य पर भी पीठ ने सवाल किया। एएसजे मेहता ने कहा कि सरकार 18 को बहुमत खो चुकी थी। उसे ऐसी किसी कार्रवाई का अधिकार नहीं रह गया था। पीठ ने यह भी कहा कि राज्यपाल के पत्र में 28 को विश्वास मत के लिए विधायकों के राजधानी में होने की भी जानकारी दी गयी थी।

सुनवाई में कैबिनेट के राष्ट्रपति शासन के लिए भेजे गये नोट पर बहस नहीं हुई। केंद्र के वकील ने इस पर आपत्ति जताई। पीठ ने कहा कि फैसले में इसका उल्लेख होगा। हरीश रावत के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने जबाव देना शुरू किया। उन्होंने कहा कि 18 को मनी बिल गिरने का दावा गलत है। गवर्नर के सचिव के मत विभाजन के पत्र का कोई औचित्य नहीं है। यह भाजपा के विधायकों का मात्र एक पत्र था, जो कि स्पीकर को फॉरवर्ड किया गया। 18 मार्च के इस पत्र में 27 विधायकों के ही हस्ताक्षर थे।

बागी विधायक आज भी कांग्रेस के साथ: द्विवदी 
उधर, बर्खास्त विधायकों के वकील दिनेश द्विवेदी ने कहा कि 9 बागी विधायक आज भी कांग्रेस के साथ हैं। बुधवार को हाईकोर्ट में दलील देने के बाद मीडिया से बात कर रहे थे द्विवेदी। उन्होंने कहा कि हरीश रावत के खिलाफ थे बागी विधायक, वे आज भी इसी बात पर कायम हैं।

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