Olympics in Corona

कोरोनावायरस कंट्रोल नहीं किया गया तो 124 साल के इतिहास में चौथी बार रद्द हो सकता है ओलिंपिक

  • इससे पहले 1916, 1940, 1944 ओलिंपिक वर्ल्ड वॉर के कारण रद्द हुए थे
  • मई के अंत में टोक्यो ओलिंपिक को रद्द करने पर फैसला किया जाएगा

दुनिया के सबसे बड़े खेल आयोजन ओलिंपिक पर कोरोनावायरस का खतरा मंडरा रहा है। टोक्यो में 24 जुलाई से 9 अगस्त तक होने वाले ये गेम्स कोरोनावायरस के कारण रद्द हो सकते हैं। इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी (आईओसी) के सबसे सीनियर सदस्य डिक पाउंड ने कहा कि अगर कोरोनावायरस को समय रहते नियंत्रित नहीं किया गया, तो टोक्यो ओलिंपिक को रद्द करना पड़ सकता है। कनाडा के पाउंड स्वीमिंग चैंपियन रह चुके हैं। वे 1978 से आईओसी के सदस्य हैं। पाउंड ने कहा, ‘हमारे पास अभी 3 महीने का समय है, जिसमें हम टोक्यो ओलिंपिक के भविष्य पर फैसला लेंगे।

मई के अंत तक हम गेम्स के आयोजन को लेकर निर्णय कर लेंगे। अगर, कोरोनावायरस के कारण हालात नियंत्रण में नहीं आए तो ओलिंपिक गेम्स रद्द कर दिए जाएंगे। न तो इन्हें टाला जाएगा और न ही मेजबान बदला जाएगा।’ पाउंड ने गेम्स को टालने की संभावना पर कहा, ‘हम ऐसा नहीं कह सकते कि ये गेम्स अक्टूबर में करा लेंगे क्योंकि हो सकता है कि उस समय किसी दूसरी जगह दूसरा बड़ा टूर्नामेंट चल रहा हो। इतने बड़े आयोजन की तैयारी भी सिर्फ 6-8 महीने में नहीं हो सकती।’

गेम्स की तैयारियां योजना के अनुसार जारी

इस बीच, आईओसी के प्रवक्ता ने कहा, ‘गेम्स की तैयारियां योजना अनुसार चल रही हैं। बाकी सब कुछ सिर्फ अटकलें हैं।’ अगर ओलिंपिक रद्द हुआ, तो यह ओलिंपिक के 124 साल के इतिहास में चौथा मौका होगा, जब गेम्स रद्द होंगे। इससे पहले, 1916, 1940, 1944 ओलिंपिक वर्ल्ड वॉर के कारण रद्द हुए थे।

2011 सुनामी के बाद खेलों पर सबसे बड़ा असर
जापान दूसरा देश है, जहां कोरोनावायरस से सबसे ज्यादा लोग संक्रमित हैं। जापान ने घरेलू फुटबॉल टूर्नामेंट जे-लीग को अगले महीने तक के लिए टाल दिया है। टोक्यो के पास के शहर चिबा में कोरोनावायरस के तीन केस पाए गए। इसी शहर में ओलिंपिक के ताइक्वांडो, फेंसिंग, कुश्ती और सर्फिंग खेल होने हैं। 2011 में आई सुनामी और भूकंप के बाद जापान में पहली बार इतने बड़े स्तर पर खेलों को रद्द किया गया है।

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जापान में 6.9 तीव्रता का भूकंप, सुनामी की लहरें फुकुशिमा प्लांट से टकराईं

imagesटोक्यो
जापान के उत्तरी हिस्से में 6.9 मैग्निट्यूड क्षमता का भूकंप आने के बाद सुनामी की चेतावनी जारी हुई। यह भूकंप भारतीय समय के मुताबिक, रात करीब ढाई बजे आया। मंगलवार को आए इस भूकंप के कारण समुद्र में करीब एक मीटर ऊंची सुनामी की लहरें उठीं। ये लहरें किनारे पर स्थित फुकुशिमा न्यूक्लियर पावर प्लांट से भी टकराईं। फुकुशिमा से करीब 70 किलोमीटर दूर सेंदाई में 1.4 मीटर ऊंची सुनामी लहरें देखी गईं। चेतावनी जारी करते हुए बताया गया था कि समुद्र में करीब 10 फुट ऊंची सुनामी लहरें उठ सकती हैं, लेकिन यह चेतावनी अब वापस ले ली गई है। हवाई स्थित प्रशांत महासागर के सुनामी चेतावनी केंद्र ने कहा है कि अब सुनामी का खतरा करीब-करीब खत्म हो चुका है।

भूकंप की खबर दिखाते हुए जापान के न्यूज चैनल NHK ने यहां रहने वाले लोगों को तुरंत इलाका खाली कर ऊंचे इलाकों में चले जाने की सलाह दी। इससे पहले मार्च 2011 में भी जापान सुनामी के कहर का सामना कर चुका है। उस समय 18,500 से ज्यादा लोग या तो मारे गए या फिर लापता हो गए। इसके अलावा, फुकुशिमा डायची पावर प्लांट के 3 रिऐक्टर भी सुनामी के कारण पिघल गए थे। यह दुनिया के सबसे बड़े न्यूक्लियर हादसों में से एक था।

प्लांट ऑपरेटर TEPCO के एक अधिकारी ने बताया कि पावर प्लांट के पास समुद्र की लहरें करीब एक मीटर तक ऊपर उठीं। हालांकि कंपनी के प्रवक्ता ने यह भी बताया कि अभी तक किसी तरह के नुकसान की खबर नहीं है। TEPCO ने पहले बताया था कि फुकुशिमा डायची प्लांट में एक रिऐक्टर के अंदर पानी ठंडा रखने का सिस्टम कुछ देर के लिए बंद हो गया था, लेकिन इसे दोबारा शुरू किया जा चुका है। फुकुशिमा ऑपरेटर ने बताया कि वॉटर कूलिंग सिस्टम का बंद होना ऑटोमैटिक प्रक्रिया का हिस्सा था। NHK के मुताबिक, सुनामी के कारण उठीं कई और लहरें उत्तरपश्चिमी किनारे से टकराईं। इनमें सबसे ऊंची लहर करीब 1.4 मीटर (4.6 फुट) की थीं।

NHK ने इस भूकंप की खबर जारी करते हुए लिखा, ‘सुनामी! भागो!’ लोगों को स्थिति की गंभीरता के बारे में बताने के लिए यह संदेश चटख लाल रंग के बैंड पर सफेद अक्षरों में लिखा गया था। हालांकि NHK द्वारा जारी की गई तस्वीरों से किसी भी तरह के जानमाल के नुकसान का संकेत नहीं मिला है। जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबे फिलहाल अर्जेंटीना के दौरे पर हैं। भूकंप की खबरों के बारे में जानकारी मिलने के बाद उन्होंने केंद्र सरकार को स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर प्रभावित लोगों के लिए राहत कार्य करने का निर्देश दिया है।

भूकंप का केंद्र फुकुशिमा के पास समुद्र के अंदर करीब 11.3 किलोमीटर की गहराई में था…

अमेरिका के जियोलॉजिकल सर्वे ने बताया कि 6.9 मैग्निट्यूड क्षमता का यह भूकंप समुद्र में करीब 11.3 किलोमीटर की गहराई में पैदा हुआ। फुकुशिमा के पास प्रशांत महासागर में आया यह भूकंप जापान के समय के अनुसार, मंगलवार सुबह करीब 6 बजे आया। उधर न्यूजी लैंड में भी मंगलवार को 5.6 तीव्रता का भूकंप आया। इसमें जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है।

Source: Navbharat Times

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71 साल बाद हिरोशिमा में अमेरिकी राष्ट्रपति, कहा- आसमान से गिरी मौत और सबकुछ बदल गया

japanobama_146434585950_650x425_052716041551अमेरिकी राष्ट्रपति बराब ओबामा ने हिरोशिमा की यात्रा कर इतिहास रच दिया है. ओबामा ने इस दौरान उन 1 लाख 40 हजार लोगों को श्रद्धांजलि दी जिनकी जान हिरोशिमा पर गिरे अमेरिकी एटमिक बम की वजह से गई थी. इस बमवर्षा के 7 दशक से ज्यादा बीत जाने के बाद किसी पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने कार्यकाल में जापान के हिरोशिमा शहर की यात्रा की है|

छह अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के शहर हिरोशिमा में ‘लिटिल ब्वॉय’ नाम का पेलोड गिराया था. इसके तीन दिन बाद ही 9 अगस्त 1945 को अमेरिका ने नागासाकी पर बम गिराया था. ओबामा ने ‘हिरोशिमा पीस मेमोरियल पार्क’ में सभी मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी. बम गिरने के बाद भी कई लोग विकिरण की वजह से बीमार होकर सालों बाद भी मरे|

ओबामा ने मेमोरियल पर फूल अर्पित करते हुए कहा, 71 वर्ष पहले आसमान से मौत गिरी थी और दुनिया बदल गई थी. ओबामा जब पुष्पांजलि अर्पित कर रहे थे तब वह उदास लग रहे थे. उन्होंने अपना सिर झुकाया हुआ था और पीछे हटने से पहले वह थोड़ा रुके और अपनी आंखें बंद की ओबामा ने कहा कि बम ने यह दिखाया कि मानव जाति के पास स्वयं को नष्ट करने का जरिया है|

ओबामा ने मेमोरियल पर फूल अर्पित करते हुए कहा, 71 वर्ष पहले आसमान से मौत गिरी थी और दुनिया बदल गई थी. ओबामा जब पुष्पांजलि अर्पित कर रहे थे तब वह उदास लग रहे थे. उन्होंने अपना सिर झुकाया हुआ था और पीछे हटने से पहले वह थोड़ा रुके और अपनी आंखें बंद की. ओबामा ने कहा कि बम ने यह दिखाया कि मानव जाति के पास स्वयं को नष्ट करने का जरिया है|

 

 

Source: आज तक

 

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