यादव परिवार में टूट और सपा में बिखराव को रोकने के लिए मुलायम के पास हैं ये 5 विकल्प

mulayam_147038556116_650x425_080516020024_091616015907बेटे अखिलेश यादव और भाई शिवपाल यादव के बीच खटास से पैदा हुए सियासी बवंडर को थामने की जिम्मेदारी अब सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने खुद संभाल ली है. मुलायम ने शुक्रवार को कहा कि पार्टी और परिवार में कोई झगड़ा नहीं है लेकिन उन्होंने एक बार फिर अखि‍लेश का फैसला पलटते हुए गायत्री प्रजापति को मंत्री बनाए जाने का ऐलान कर दिया. मुलायम ने कुछ दिन पहले ही अखिलेश को चेताया था कि शिवपाल सपा से अलग हुए तो पार्टी टूट जाएगी. बेटे अखिलेश को सीएम बनाने के बाद भी मुलायम भाई शिवपाल यादव को अहमियत दे रहे हैं|

शि‍वपाल ने सरकार और संगठन में सभी पदों से इस्तीफा दिया तो उनके परिवार में पत्नी और बेटे ने भी अपने-अपने पद त्याग दिए. हालांकि, इनके इस्तीफे अभी तक स्वीकार नहीं किए गए हैं. अब ऐसे समय में जब चाचा और भतीजा में से कोई भी पक्ष झुकने को तैयार नहीं दिख रहा है तो नेताजी के पास कुछ सीमित विकल्प बचे हैं|

1. बीते 24 साल में पहली बार ऐसा हुआ है कि यादव परिवार के किसी सदस्य ने रूठकर इस तरह इस्तीफा दिया है. अब चूंकि टकराव चरम पर हैं, ऐसे में संभव है कि बिखराव रोकने के लिए मुलायम अखिलेश को हटाकर खुद सीएम पद संभाल लें. यही कदम परिवार में टूट को रोक सकता है. क्योंकि ज्यादातर सीनियर नेता और विधायक अखिलेश के एजेंडे से नाखुश बताए जा रहे हैं|

2. मुलायम सिंह यादव सीएम अखि‍लेश यादव से शिवपाल को उनके वो विभाग लौटाने को कह सकते हैं जो अखिलेश ने नेताजी को बिना बताए ही अपने चाचा से छीन लिए थे. शि‍वपाल को पीडब्ल्यूडी और सिंचाई विभाग लौटाने से उनकी नाराजगी दूर होने की उम्मीद है. मुलायम शिवपाल से छीने विभागों के साथ ही आबकारी विभाग भी सौंपने को कह सकते हैं|

3. इस वक्त मुलायम सिर्फ सपा का चेहरा हैं जबकि जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं से तालमेल शि‍वपाल ही रखते हैं. 57 में से करीब 30 वरिष्ठ मंत्री शि‍वपाल के वफादार हैं. करीब 100 विधायक भी शि‍वपाल के वफादार हैं. ऐसे में शि‍वपाल की नाराजगी पार्टी में टूट का कारण बनी सकती है. अब छह महीने बाद चुनाव भी होने हैं, इसलिए मुलायम शि‍वपाल को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर संगठन को मजबूत बनाने की कोशिश करेंगे.

4. शिवपाल यादव के इस्तीफे के बाद से उनके समर्थकों का जमावड़ा लगने लगा है. शिवपाल के समर्थक सांसद और नेताजी के चचेरे भाई राम गोपाल यादव को बाहर किए जाने की मांग कर रहे हैं. इससे ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि जिस राम गोपाल को नेताजी ने अखि‍लेश और शि‍वपाल के बीच सुलह कराने के लिए दिल्ली से लखनऊ भेजा, वो अपने टास्क को सही तरीके से पूरा करने कामयाब नहीं रहे. ऐसे में पार्टी में विद्रोह की चिंगारी को शांत करने के लिए मुलायम सिंह यादव के पास राम गोपाल को सपा से निकालने का भी विकल्प है.

5. इस हफ्ते शुरू हुए इस सियासी ड्रामे के पीछे राज्यसभा सदस्य अमर सिंह का हाथ बताया जा रहा है. छह साल के संन्यास के बाद अमर सिंह की जब सपा में वापसी हुई तो अखिलेश सहित पार्टी का एक बड़ा धड़ा नेताजी के इस कदम से नाराज था. ऐसे में मुलायम सिंह यादव परिवार और पार्टी में संभावित फूट को रोकने के लिए अपने दोस्त को पार्टी से निकाल भी सकते हैं|

Source: AAj Tak

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अखिलेश का नाम लेने से बचते रहे पूरी PC में शिवपाल यादव, बोले- जो नेताजी कहेंगे वही करूंगा

shivpal_650_091316080346समाजवादी पार्टी में  जारी अंदरूनी कलह को सुलझाने के लिए पार्टी चीफ मुलायम सिंह ने अखिलेश यादव और शिवपाल यादव को दिल्ली बुलाया है. पिछले कुछ दिनों से जारी खिंचतान खुलकर सामने आ गई है. सूत्रों के मिली जानकारी के मुताबिक अखिलेश यादव दिल्ली नहीं आ रहे हैं. जबकि शिवपाल यादव सैफई में थे वे दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं. मुलायम सिंह यादव ने परिवार में जारी गतिरोध को सुलझाने के लिए दोनों को दिल्ली बुलाया था|

सोमवार को मुलायम सिंह और शि‍वपाल के करीबी दो मंत्रियों को कैबिनेट से बाहर करने के बाद मंगलवार को मुख्यमंत्री अखि‍लेश यादव ने चीफ सेक्रेटरी दीपक सिंघल की भी छुट्टी कर दी गई. जबकि इस उठा-पटक में शाम ढलते-ढलते अखि‍लेश यादव को यूपी प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया. मुलायम‍ ने उनकी जगह शि‍वपाल यादव को यूपी अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है. जबकि पलटवार करते हुए सीएम ने देर शाम शि‍वपाल को तीन मंत्रालयों से बाहर का रास्ता दिखा दिया|

नेताजी के आदेश का पालन करूंगा: शिवपाल
यूपी में सत्तरूढ़ सियासी परिवार में छेड़ी पावर पॉलिटिक्स के बीच शिवपाल यादव बुधवार सुबह मीडिया से मुखातिब हुए और कहा कि हम सब नेताजी के साथ हैं और उनके निर्देशों का पालन करेंगे. शिवपाल ने कहा मंत्री पद बदलने या देने का पूरा अधिकार मुख्यमंत्री के पास है और उन्हीं का फैसला अंतिम होगा. शिवपाल ने कहा कि नेताजी ने मुझे जो जिम्मा सौंपा है मैं उसके अनुसार काम करूंगा और संगठन को मजबूत बनाने पर ध्यान दूंगा. शिवपाल ने कहा कि नेताजी से बात कर फैसला लूंगा. परिवार में ठनी इस सियासी लडा़ई के बीच सैफई में बुधवार को शिवपाल के समर्थन में नारेबाजी भी हुई. इस बीच, अखिलेश मंत्रिमंडल से हटाए गए मंत्री गायत्री प्रजापति बुधवार को नई दिल्ली में मुलायम सिंह से मिले.

मंत्रियों के विभाग में फेरबदल
गौरतलब है कि मंगलवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने चाचा श‍िवपाल यादव से पीडब्लूडी, सिंचाई और राजस्व विभाग छीन लिया था. सूत्रों के हवाले से खबर आ रही थी कि नाराज शि‍वपाल सरकार से इस्तीफा दे सकते हैं. बता दें कि अखिलेश सरकार में शिवपाल के पास अब सिर्फ समाज कल्याण और परती भूमि विभाग है|

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के प्रस्ताव पर मंत्रियों के विभागों में फेरबदल किया है. राज्यपाल ने लोक निर्माण विभाग का कार्यप्रभार मुख्यमंत्री को आवंटित कर दिया है. राज्यपाल ने मंत्री अवधेश प्रसाद को उनके वर्तमान कार्य प्रभार के साथ सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग का अतिरिक्त कार्यप्रभार आवंटित किया है. मंत्री बलराम यादव को उनके वर्तमान कार्य प्रभार के साथ राजस्व, अभाव, सहायता एवं पुनर्वासन तथा लोक सेवा प्रबंधन विभाग एवं सहकारिता विभाग का अतिरिक्त कार्यप्रभार आवंटित किया है. मंत्री शिवपाल यादव को उनके कार्य प्रभार के साथ समाज कल्याण विभाग का अतिरिक्त कार्यप्रभार आवंटित किया है|

सपा में ‘बॉस’ की लड़ाई
जाहिर तौर यूपी चुनाव से ठीक पहले सत्तासीन पार्टी के अंदर यह घमासान चुनावी गणि‍त पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, लेकिन एक बात साफ है कि सपा में अब यह दिखाने की कवायद शुरू हो गई है कि आखि‍र असली बॅास कौन है. क्योंकि चीफ सेक्रेटरी सिंघल, खनन मंत्री पद से हटाए गए गायत्री प्रजापति और पंचायती राज मंत्री पद से बर्खास्त किए गए राजकिशोर सिंह शिवपाल के करीबी माने जाते हैं.

सीएम को सरकार की छवि की चिंता
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि असल में यह पूरी लड़ाई इमेज की है. अखि‍लेश बतौर सूबे के मुखि‍या अपनी सरकार की छवि को लेकर अचानक से बेहद संजीदा हो गए हैं. यही कारण है कि चुनाव से पूर्व वह भ्रष्ट और दागदार चेहरों पर नकेल कसने की तैयारी में हैं. लेकिन जब कभी पार्टी की राजनीति उनके निर्णयों पर हावी होती दिखती है, अंदरूनी घमासान बाहर दिखने लगता है.

हमेशा विवादों में रहने वाले IAS ऑफिसर दीपक सिंघल को दो महीने पहले ही चीफ सेक्रेटरी बनाया गया था. यह बात जगजाहिर है कि अखिलेश यादव दीपक सिंघल को पसंद नहीं करते थे और उन्हें मुख्य सचिव बनाए जाने के खिलाफ थे. लेकिन मुलायम सिंह यादव के दबाव में उन्हें दीपक सिंघल को मुख्य सचिव बनाना पड़ा था|

राहुल भटनागर बने मुख्य सचिव
वित्त विभाग के प्रमुख सचिव राहुल प्रसाद भटनागर को नया मुख्य सचिव बनाया गया है. राहुल भटनागर 1983 बैच के आईएएस ऑफिसर हैं और गन्ना आयुक्त समेत तमाम महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुके हैं. कहा जाता है कि अखिलेश यादव से उनका अच्छा तालमेल है.

दीपक सिंघल को फिलहाल प्रतीक्षा सूची में रखा गया है. मुख्य सचिव बनने के बाद दीपक सिंघल के तौर तरीके से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव खुश नहीं थे. कई सार्वजनिक समारोह में दीपक सिंघल मंच से जिस बेअंदाज तरीके से बोलते थे वह लगातार अखिलेश यादव को खटक रहा था|

जब मंच पर अख‍िलेश से कहा- बातचीत बाद में करें, पहले मेरी बात सुनें
पिछले महीने कन्या विद्याधन बांटने के एक समारोह में लोग उस समय दंग रह गए जब दीपक सिंघल ने मंच पर माइक से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से कहा था कि वह बातचीत बाद में करें, पहले उनकी बात ध्यान से सुनें. मुख्यमंत्री उस समय मंच पर मौजूद अपने सलाहकार आलोक रंजन से कुछ मशवरा कर रहे थे. दीपक सिंघल ने आलोक रंजन जो उनसे पहले मुख्य सचिव थे, उन्हें भी टोकते हुए कहा था कि सलाहकार महोदय सलाह बाद में दें. एक अन्य समारोह में दीपक सिंघल ने यह कह दिया था कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव दिल और दिमाग दोनों से बच्चे हैं|

सिंघल के बर्ताव से CM थे खफा
मुख्य सचिव बनने के बाद दीपक सिंघल जिस तरह दूसरे अधिकारियों से बर्ताव कर रहे थे और उन्हें धमका रहे थे, उसकी भी शिकायतें लगातार मुख्यमंत्री को मिल रही थीं. यह भी कहा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में खनन को लेकर हाईकोर्ट ने जिस तरह सीबीआई जांच का आदेश दे दिया और सरकार उसकी कोर्ट में ठीक से पैरवी नहीं कर सकी. उससे भी मुख्यमंत्री खफा हुए|

अमर सिंह की पार्टी में जाना पड़ा भारी
सूत्रों के मुताबिक असली कारण बना रविवार को दिल्ली में अमर सिंह की पार्टी में दीपक सिंघल का शामिल होना. इस पार्टी में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव नहीं गए थे. कुछ समय पहले अमर सिंह ने अखिलेश यादव के खिलाफ कई बातें कही थीं. उसके बावजूद अपने मुख्य सचिव का अमर सिंह की पार्टी में जाना मुख्यमंत्री को बिल्कुल पसंद नहीं आया होगा|

श‍िवपाल के खास माने जाते हैं सिंघल
अपनी सरकार की इमेज सुधारने में लगे अखिलेश यादव ने सोमवार को ही अपने दो कैबिनेट मंत्रियों गायत्री प्रजापति और राज किशोर सिंह को बर्खास्त कर दिया था क्योंकि उनके ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप थे .मुख्य सचिव बनने के लिए दीपक सिंघल ने मुलायम सिंह और शिवपाल यादव के दरबार में कई चक्कर लगाए थे. दीपक सिंघल को शिवपाल यादव का खास माना जाता है. कौमी एकता दल को लेकर शिवपाल यादव से अखिलेश यादव की खींचतान पहले से ही चल रही है. ऐसे में बकरीद के दिन शिवपाल यादव के करीबी ऑफिसर की कुर्बानी समाजवादी पार्टी और यूपी सरकार में क्या गुल खिलाती है इस पर सबकी नजर होगी|

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राज्यसभा में सांसदों का फेयरवेल, मोदी बोले- GST पास कराते तो फायदा होता

rajyasabha_146311854नई दिल्ली.पार्लियामेंट के बजट सेशन का आज आखिरी दिन है। राज्यसभा से 57 मेंबर रिटायर हो रहे हैं। जून में टर्म खत्म होने के चलते इनमें से कई सांसद नहीं जानते कि पार्लियामेंट के मॉनसून सेशन से पहले वे वापसी करेंगे या नहीं। उनके फेयरवेल पर नरेंद्र मोदी ने उन्हें शुभकामना दी। कहा- अगर आप जीएसटी पास करा लेते तो कई राज्यों को फायदा होता। पीएम मोदी ने क्यों किया जीएसटी का जिक्र…
– मोदी ने सांसदों से कहा- ‘दोनों सरकारों को आपके एक्सपीरियंस का लाभ मिला। इस सरकार को कम मिला, पुरानी वाली सरकार को ज्यादा मिला, लेकिन देश को कम्पलीट लाभ मिला।’
– ‘ यहां जब हम आते हैं, तो हमारी सोच की एक सीमा होती है। यहां हरेक बैकग्राउंड के लोग आते हैं। इस सदन में आते हैं तो सोचने का दायरा और बड़ा हो जाता है।’
– ‘ यहां आने वालों ने देश के लिए बड़ी भूमिका निभाई, मेरी शुभकामनाएं हैं और रहेंगी।’
– ‘ सदन से जाने के बाद यह सरकार आपके काम को उसी तरह करने को तत्पर रहेगी, जैसा सदस्य रहने पर रहती है, मैं चाहूंगा कि आप इस हक का भरपूर लाभ उठायें।’
– ‘ महत्वपूर्ण रिफॉर्म के फैसले आपके भागीदारी और मौजूदगी में हुए। आप राज्य के रिप्रेजेंटेटिव्ह्स हैं। पर, कुछ चीजों का गिला-शिकवा आपके मन में जरूर रहेगा।’
– ‘आप जिस राज्य से आते हैंं, वह आप पर भरपूर गर्व करता, अगर जीएसटी पास हो जाता तो।
– ‘ इससे बिहार को भरपूर फायदा होता। यूपी को भी फायदा होता। एक दो राज्यों को छोड़ अधिकतर राज्य को इसका लाभ होता।
आनंद शर्मा बोले- हमें एक दूसरे को समझना होगा
कांग्रेस लीडर आनंद शर्मा ने क्या कहा- ‘कोई चीज स्थिर नहीं है। यह मनुष्य के जीवन का हिस्सा है। लेकिन, सदन और संसद स्थिर है। यह सबसे बड़ी देन हमारे फ्रीडम फाइटर्स और संविधान निर्माताओं की है। ऐसे भी कई क्षण आए हैं, जब दुनिया ने हमारे एक विचार हमारी ताकत को देखा।’
– ‘ हमने कई बार देश के लिए बड़े फैसले लिए हैं। कुछ क्षण ऐसे भी आए जब पीठ की तरफ से सख्ती भी हुई।’
– ‘हमारा प्रयास रहे कि हम एक दूसरे को समझें। चर्चा करें। विरोधी की बात को समझने की कोशिश करें। उसे सुनें। व्यक्तिगत विरोधी न समझकर व्यवहार करें।’
राज्यसभा में क्या है सिचुएशन?
– 245 मेंबर्स वाले हाउस में अभी एनडीए के 62 सांसद हैं। सात नॉमिनेटेड मेंबर्स को शामिल कर दें तो एनडीए के 69 सांसद हो जाते हैं।
– कांग्रेस के 61 सांसद हैं। उसकी सहयोगी पार्टियों की संख्या मिला दें तो यूपीए के 80 सांसद हो जाते हैं।
– इसमें भी एआईएडीएमके, बीजेडी, तृणमूल, सपा और बसपा को मिला दें तो गैर-एनडीए सांसदों की संख्या 90 हो जाती है।
– 30 जून को राज्यसभा के एक-तिहाई सदस्य रिटायर होंगे। यहां सांसदों का टर्म 6 साल का होता है। हर दो साल में एक-तिहाई मेंबर रिटायर होते हैं।
– नए मेंबर्स का इलेक्शन 11 जून को होगा।
कौन-कितनी सीटें जीतेगा?
– बीजेपी के 14 मेंबर रिटायर हो रहे हैं। 57 सीटों पर इलेक्शन के बाद उसे 18 सीटें मिल सकती हैं। यानी वह 4 सीटों के फायदे में रह सकती है।
– 49 सीटों वाली बीजेपी राज्यसभा में 53 सीटों तक पहुंच जाएगी।
– कांग्रेस के अभी 61 सांसद हैं। उसके भी 16 सांसद रिटायर हो रहे हैं। लेकिन उम्मीद है कि दोबारा इलेक्शन के बाद उसकी संख्या 60 बनी रहेगी।
कहां से कितनी सीटों पर होना है इलेक्शन?
– यूपी : 11
– तमिलनाड़ु : 6
– महाराष्ट्र : 6
– बिहार : 5
– आंध्र प्रदेश : 4
– कर्नाटक : 4
– मध्य प्रदेश : 3
– ओडिशा : 3
– हरियाणा : 2
– झारखंड : 2
– पंजाब : 2
– छत्तीसगढ़ : 2
– तेलंगाना : 2
– उत्तराखंड : 1
(इन 53 सीटों के अलावा बाकी 4 सीटों पर कुछ सदस्यों के निधन या इस्तीफे के चलते चुनाव होगा।)
बीजेपी को क्या फायदा मिलेगा…
– बीजेपी को कुछ सीटों का फायदा हो सकता है, लेकिन उसकी संख्या इतनी नहीं बढ़ेगी कि वह राज्यसभा में बड़े बिल पास कराने की स्थिति में आ जाए।
– मोदी सरकार के पांच मंत्री- वेंकैया नायडू, पीयूष गोयल, निर्मला सीतारमण, वाईएस चौधरी और मुख्तार अब्बास नकवी का टर्म खत्म हो रहा है।
– नायडू के पास पार्लियामेंट्री अफेयर्स और अर्बन डेवलपमेंट मिनिस्ट्री है। उनकी संसद में वापसी तय है।
– वे पिछली बार कर्नाटक से चुने गए थे। इस बार विजय माल्या के इस्तीफे के बाद कर्नाटक से एक सीट खाली है।
– अगर नायडू आंध्र प्रदेश से इलेक्ट होना चाहेंगे तो उन्हें टीडीपी की मदद लेनी होगी, जिसका अभी बीजेपी के साथ अलायंस है।
– आंध्र प्रदेश से 4 सीटें हैं। एक सीट वाईएसआर कांग्रेस और बाकी तीन बीजेपी-टीडीपी को मिलेंगी।
– कॉमर्स मिनिस्टर निर्मला सीतारमण भी आंध्र प्रदेश से आती हैं। लेकिन नायडू या सीतारमण में से कोई एक ही वहां से चुना जा सकेगा, क्योंकि टीडीपी अपनी 3 में से 2 सीटें बीजेपी को नहीं देगी।
– पावर मिनिस्टर पीयूष गोयल महाराष्ट्र से और मुख्तार अब्बास नकवी यूपी से वापसी करेंगे।
कांग्रेस यहां रहेगी खाली हाथ…
– कांग्रेस को आंध्र प्रदेश या तेलंगाना से कोई राज्यसभा सीट नहीं मिल सकेगी। लिहाजा, पूर्व मंत्री जयराम रमेश की वापसी तेलंगाना की रूलिंग पार्टी टीआरएस पर निर्भर करेगी।
– कांग्रेस के ही हनुमंत राव और जेडी सीलम की भी वापसी तय नहीं है।
– महाराष्ट्र में कांग्रेस के विजय दर्डा का टर्म खत्म हो रहा है। लेकिन इसके लिए पार्टी के तीन नेता सुशील कुमार शिंदे, गुरदास कामत और मुकुल वासनिक दावेदार हैं।
– पूर्व डिफेंस मिनिस्टर एके एंटनी भी रिटायर होने जा रहे हैं। केरल असेंबली इलेक्शन में कांग्रेस की परफॉर्मेँस राज्यसभा में उनकी राह तय करेगी।
– पंजाब में भी कांग्रेस को परेशानी है। वहां से उसके तीन सांसद रिटायर हो रहे हैं। लेकिन दो की ही वापसी हो सकेगी।
– ऑस्कर फर्नांडीज कर्नाटक से रिटायर हो रहे हैं। उनकी जगह कांग्रेस पूर्व मंत्री पी चिदंबरम की एंट्री करा सकती है। लेकिन लोकल नेताओं ने कहा है कि उन्हें बाहरी कैंडिडेट मंजूर नहीं होगा। चिदंबरम तमिलनाडु से आते हैं।
यूपी में क्या होगा…
– बीएसपी के पास लोकसभा में कोई मेंबर नहीं है। अब राज्यसभा से उसके 6 सांसद रिटायर हो रहे हैं।
– इनमें पार्टी में नंबर-2 सतीश चंद्र मिश्रा भी शामिल हैं। बीएसपी अपने दो और बीजेपी-कांग्रेस एक-एक नेता को चुन सकेगी।
– मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी से किसी नेता का फिलहाल चांस नहीं है।
Source:दैनिक भास्कर
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