Rampur Court Declares Jaya Prada 'Absconder', Orders Arrest Before March 6

Rampur Court Declares Jaya Prada ‘Absconder’, Orders Arrest Before March 6

Former MP and acclaimed actor, Jaya Prada, has been declared an ‘absconder’ by a Rampur court in Uttar Pradesh, following charges of violating election codes during the 2019 Lok Sabha elections. The court has instructed the police to arrest her and present her before it by March 6.

Jaya Prada, a prominent figure in both the film industry and politics, faced accusations of election code violations related to her candidacy as a BJP representative from Rampur in 2019. Despite being summoned multiple times by the special MP-MLA court, she failed to appear. Additionally, seven non-bailable warrants issued against her yielded no results, leading to the court’s declaration of her as an absconder.

The charges stem from alleged breaches of the Model Code of Conduct during the 2019 elections, with cases registered against her at Kemari and Swar police stations. Jaya Prada, who had previously served as an MP from Rampur under the Samajwadi Party banner, faced defeat in the 2019 elections against Azam Khan.

Efforts to locate and arrest Jaya Prada have been unsuccessful, with her known mobile numbers switched off. Consequently, Judge Shobhit Bansal issued the directive for her arrest and appearance in court.

The Rampur Superintendent of Police has been tasked with assembling a team to apprehend her before the scheduled hearing on March 6.

Despite her legal troubles, Jaya Prada remains a respected figure in the entertainment industry, having appeared in numerous films across various languages. Her entry into politics, initially with the Telugu Desam Party (TDP) and later the Bharatiya Janata Party (BJP), reflects her multifaceted career trajectory.

 

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ACP Anuj Kumar Injured in Delhi violence

दिल्ली हिंसा में घायल ACP अनुज कुमार ने बयां किया 24 फरवरी का दर्द, बताया-हजारों की भीड़ के सामने थे सिर्फ 200 पुलिसकर्मी

दिल्ली में तीन दिन लगातार हुई हिंसा में अब तक 42 लोगों की मौत हो चुकी है जिसमें दिल्ली पुलिस का हेड कांस्टेबल रतन लाल शहीद हो गए। हिंसा के दौरान सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) अनुज कुमार भी घायल हुए थे और उन्होंने बताया कि कैसे भीड़ ने उन्हें घेर लिया था। इस भीड़ के पथराव में ही डीसीपी शाहदरा गंभीर रूप से घायल हो गए थे और हेड कांस्टेबल रतन लाल शहीद हो गए थे। 

घायल एसीपी ने 24 फरवरी की घटना को याद करते हुए बताया कि प्रदर्शनकारियों के पथराव के चलते फोर्स बिखर गई थी। इस बीच डीसीपी सर मेरे से पांच छह मीटर दूर चल गए थे और डिवाइडर के पास बेहोशी की हालत में थे और उनके मुंह से खून आ रहा था। उन्होंने कहा कि जब हम प्रदर्शनकारियों के पथराव का सामना कर रहे थे तब रतन लाल भी हमारे साथ थे। मैंने देखा था रतन लाल को चोट लगी है और उसे दूसरा स्टाफ नर्सिंग होम में लेकर गया था। हम वहां से अपनी गाड़ियों से नहीं निकल सकते थे इसलिए हम वहां से निजी वाहन की मदद से निकले। मैक्स अस्पताल दूर था इसलिए हम डीसीपी सर और रतन लाल को लेकर पहले जीटीबी अस्पताल पहुंचे जहां पर रतन लाल को मृत घोषित कर दिया गया। बाद में हम डीसीपी सर को मैक्स अस्पताल लेकर पहुंचे।

दिल्ली के गोकलपुरी में हिंसा में घायल हुए एसीपी को दो दिन पहले ही अस्पताल से छुट्टी मिली है। उन्होंने बताया कि हमें निर्देश दिया गया था कि सिग्नेचर ब्रिज को गाजियाबाद की सीमा के साथ जोड़ने वाली सड़क को ब्लॉक ना होने दिया जाए लेकिन धीरे-धीरे भीड़ बढ़ने लगी और इसमें महिला और पुरुष दोनों शामिल थे। वे लगभग 20,000- 25,000 थे, जबकि हम केवल 200 थे। मुझे नहीं पता कि उन्होंने सड़क को ब्लॉक करने की योजना बनाई थी जैसा कि उन्होंने पहले किया था।

उन्होंने बताया कि हमने उनसे शांति से बात की और उन्हें मुख्य सड़क के बजाय सर्विस रोड पर प्रदर्शन करने को कहा। तब तक अफवाहें फैलने लगी थीं कि कुछ महिलाएं और बच्चे पुलिस फायरिंग में अपनी जान गंवा चुके हैं। पुल के पास निर्माण कार्य चल रहा था। प्रदर्शनकारियों ने वहां से पत्थर और ईंटें उठाकर अचानक पथराव शुरू कर दिया और हम घायल हो गए, जिसमें डीसीपी सर भी घायल हो गए और उनके सिर से भी खून बह रहा था।

एसीपी ने बताया कि पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे लेकिन प्रदर्शनकारियों के बीच की दूरी बड़ी होने के कारण यह कोशिश नाकाम रही। उन्होंने बताया कि हम सड़क के दो विपरीत छोरों पर खड़े थे। हम फायरिंग नहीं करना चाहते थे क्योंकि कई महिलाएं भी विरोध प्रदर्शन में शामिल थी। उन्होंने बताया कि मेरा मकसद डीसीपी को बचना था क्योंकि पथरा के दौरान वह घायल हो गए थे और उनके शरीर से खून बह रहा था। उन्होंने कहा कि वहीं हम किसी भी प्रदर्शनकारी को चोट नहीं पहुंचाना चाहते थे।

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uddhav thackeray and modi

महाराष्ट्रः शपथ ग्रहण के बाद पहली बार ‘बड़े भाई’ मोदी से मिले उद्धव ठाकरे

महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने शपथ लेने के बाद पहली बार पीएम नरेंद्र से शुक्रवार को दिल्ली स्थित उनके आधिकारिक आवास पर मुलाकात की। इस दौरान उद्धव के बेटे और राज्य के पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे भी मौजूद थे। इस मुलाकात के बाद उद्धव ने मीडिया को संबोधित किया और बताया कि पीएम मोदी से महाराष्ट्र के मुद्दों के अलावा सीएए, एनपीआर और एनआरसी को लेकर चर्चा हुई। महाराष्ट्र सीएम ने कहा कि बैठक में पीएम मोदी ने बताया कि देशवासियों को सीएए से डरने की आवश्यकता नहीं है।

सीएए से डरने की नहीं जरूरत, एनआरसी सिर्फ असम में
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान शिवसेना सेना संजय राउत और आदित्य ठाकरे भी उद्धव के साथ मौजूद थे। उद्धव ने बताया कि पीएम मोदी के साथ बैठक बेहद लाभदायी रही। महाराष्ट्र सीएम ने कहा कि पीएम मोदी ने भरोसा दिलाया है कि सीएए से किसी को डरने की जरूरत नहीं है और संसद में केंद्र ने स्पष्ट किया है कि एनआरसी पूरे देश में लागू नहीं होगी। उन्होंने कहा, ‘ एनपीआर, एनआरसी और सीएए पर भी पीएम मोदी से चर्चा हुई। सामना के माध्यम से शिवसेना ने अपनी भूमिका स्पष्ट कर दी थी। सीएए पड़ोसी देशों के पीड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का कानून नहीं है। एनआरसी को लेकर केंद्र ने भूमिका स्पष्ट की यह पूरे देश में नहीं है और असम में चलेगा।’

एनपीआर से नहीं छिनेगा अधिकार
उद्धव ने एनपीआर को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा, ‘एनपीआर में किसी को घर से नहीं निकाला जाएगा। यह वैसे ही जैसे हर 10 साल पर जनगणना होती है।अगर हमें लगा कि एनपीआर खतरनाक है तो बात होगी। मैंने राज्य की जनता से कहा है कि किसी का भी अधिकार नहीं छीनने दिया जाएगा।’

शाहीनबाग में लोगों को भड़काया जा रहा
उद्धव ठाकरे ने दिल्ली के शाहीनबाग में 2 महीने से ज्यादा वक्त से नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन पर कहा कि वहां लोगों को भड़काया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘वहां लोगों से मिलने की जरूरत है। विरोध क्यों कर रहे हैं पहले यह स्पष्ट होना चाहिए। नेताओं को समझने की जरूरत होती है।’ वहीं, जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि आपके मुताबिक शाहीनबाग में लोगों को भड़काया जा रहा है, जबकि आपके सहयोगी कांग्रेस के नेता भी वहां पहुंचे हैं, आपको क्या लगता है कौन भड़का रहा है? इस सवाल पर बचते हुए उद्धव ने कहा, ‘मुझे नहीं पता, मैं दिल्ली में नहीं रहता।’

उल्लेखनीय है कि सीएम पद की शपथ लेने के बाद ठाकरे ने कहा था कि वह ‘बड़े भाई’ नरेंद्र मोदी से मिलने दिल्ली पहुंचेंगे। ठाकरे के ऑफिस ने मुलाकात के बाद तस्वीरें शेयर कर ट्वीट किया, ‘उद्धव बालासाहेब ठाकरे ने दिल्ली में पीएम से आज शिष्टाचार मुलाकात की।’ अक्टूबर 2019 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी के रूप में उभरने के बाद भी सरकार नहीं बना पाई थी। सीएम पद को लेकर पूर्व सहयोगी शिवसेना से सहमति न बन पाने के कारण उसे सत्ता से दूर रहना पड़ा। बाद में शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनाई। इस दौरान बीजेपी और शिवसेना नेताओं के बीच वाकयुद्ध देखने को भी मिला। शिवसेना और बीजेपी के राजनीतिक संबंध चाहे जैसे भी रहे हों, लेकिन पीएम मोदी और उद्धव ठाकरे के आपसी रिश्ते अच्छे बताए जाते हैं।

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, उद्धव गृह कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी उनके आवास पर मुलाकात करेंगे। इसके अतिरिक्त वह गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के वयोवृद्ध नेता एल के आडवाणी से भी मिलेंगे।

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Arvind kejriwal mla vijender gupta

शपथ ग्रहण समारोह पर सियासत तेज, BJP विधायक ने अरविंद केजरीवाल को लिखी चिट्ठी

16 फरवरी यानी रविवार को अरविंद केजरीवाल कैबिनेट के सभी मंत्रियों के साथ दिल्ली के रामलीला मैदान में पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे। लेफ्टिनेंट गवर्नर अनिल बैजल सभी को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे। शपथग्रहण कार्यक्रम में दिल्ली के सभी सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों को उपस्थित रहने का आदेश दिया गया। इस मामले पर सियासत भी तेज हो गई है।

भाजपा के नवनिर्वाचित विधायक विजेंद्र गुप्ता ने शनिवार को आम आदमी पार्टी (आप) नेता अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर उनसे उस परिपत्र को वापस लेने का अनुरोध किया, जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में उनके शपथ ग्रहण समारोह में सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों के लिए उपस्थित होना अनिवार्य किया गया है।

दिल्ली की पिछली विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे विजेंद्र गुप्ता ने शुक्रवार को जारी किये गये परिपत्र को तानाशाही करार दिया है और कहा कि इससे उनका यह विश्वास चकनाचूर हो गया है कि सत्ता में आने के बाद केजरीवाल का जोर शासन और लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत बनाने पर होगा।

उन्होंने कहा इस आदेश की वजह से, 15000 शिक्षकों और अधिकारियों को शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होना होगा।

रोहिणी विधानसभा क्षेत्र से फिर निर्वाचित हुए गुप्ता ने कहा कि वह रविवार को रामलीला मैदान में केजरीवाल के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे। गुप्ता की आपत्ति पर दिल्ली डायलॉग एवं डेवलपमेंट कमिशन के उपाध्यक्ष जस्मीन शाह ने कहा कि शिक्षक और प्राचार्य पिछले पांच वर्षों में दिल्ली के बदलाव के शिल्पी हैं और वे शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किये जाने के हकदार हैं।

 

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NYSS Krishna tyagi Ashwani Gulati Ankit Tyagi at amroha

NYSS राष्ट्र को बचाने के लिए संगठन का विस्तार जरुरी – कृष्णा त्यागी

Organization needs to be expanded to save the nation-Krishna Tyagi

अमरोहा : नव युवा शक्ति संगठन (NYSS) के राष्ट्रीय अध्यक्ष  कृष्णा त्यागी ने अमरोहा में भारी जनसैलाब के बिच कहा की अगर हमें अपनी संस्कृति के साथ देश को बचाना है तो सबसे पहले राष्ट्र को बचाने के लिए संगठन का विस्तार जरुरी  | नव युवा शक्ति संगठन जिला अमरोहा इकाई की मीटिंग हुई। जिसकी अध्यक्षता संगठन अध्यक्ष हिन्दू युवा हिर्दय सम्राट भाई कृष्णा त्यागी जी Krishna Tyagi द्वारा की गई।
मीटिंग में सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल रहे मीटिंग के दौरान कुछ नए पद भार वितरित किए । मीटिंग के दौरान सी ए ए (CAA )और एन आर सी (NRC) को भी समझाया गया और संगठन की विचारधारा पर चलने का आह्वान किया गया । और सभी नवनियुक्त पदाधिकारियों को शुभकामनाएं दी गई । संगठन अमरोहा पदाधिकारियों से आशा करता है संगठन का विस्तार कर संगठन की विचारधारा को जिले के जन जन तक पहुंचाने में टीम सक्रिय रूप से काम करेगी और भाई कृष्णा त्यागी जी का पूर्ण रूप से साथ देगी ।

NYSS Krishna Tyagi Amroha

NYSS Ankit Tyagi

NYSS Ashwani Gulati Amroha

संगठन के राष्ट्रीय संयोजक एवं हरियाणा प्रदेश प्रभारी अश्विनी गुलाटी जी ने भी राष्ट्र और धर्म के प्रति अपने कर्तव्यों के लिये संगठित होने का संदेश देते हुए कहा की सुप्रीम कोर्ट और वर्तमान सरकार पुराने कानून को बदलने पर काम कर रही है चाहे वो मंदिरों में महिलाओं का प्रवेश को लेकर हो या दाउदी बोहरा समुदाय में चल रहे महिला खतना को बंद करने का कानून हो | इस कार्यक्रम में प्रदेश मंत्री दिल्ली अंकित त्यागी जी, जिला अध्यक्ष बागपत रत्न त्यागी जी एवं विपुल त्यागी जी अमरोहा विपुल त्यागी जी उपस्थित रहे ।

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Delhi Election: हैदराबादी-मुरादाबादी के साथ अब दिल्ली में ‘चुनावी बिरयानी’, योगी ने चढ़ाई हांडी

Delhi Election 2020 Yogi Adityanath Shaheen Bagh Protest
दिल्ली में मिलने वाली हैदराबादी और मुरादाबादी बिरयानी काफी मशहूर है, लेकिन चुनावी (Delhi Election 2020) माहौल में यहां एक ऐसी बिरयानी भी पकाई जा रही है, जो स्वाद भी बिगाड़ सकती है और इसकी खुशबू से किसी का पेट भी भर सकता है. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने लखनऊ से राजधानी दिल्ली आकर इस बिरयानी की हांडी चढ़ा दी है, Shaheen Bagh Protest जिसके असल टेस्ट का पता 11 फरवरी को चलेगा.
  • दिल्ली चुनाव में लगा बिरयानी का तड़का
  • सीएम योगी के बयानों में बिरयानी का जिक्र
  • शाहीन बाग के बहाने बिरयानी का छौंक

यूं तो दिल्ली में हैदराबाद से लेकर मुरादाबाद और कलकत्ता तक की बिरयानी मिलती है, लेकिन आजकल चुनावी माहौल है, लिहाजा यहां राजनीतिक बिरयानी भी पकाई जा रही है. खासकर, भारतीय जनता पार्टी के नेता अपने भाषणों में बिरयानी की दावत और उसके पकौता के बारे में खूब जानकारी दे रहे हैं. दिलचस्प बात ये है कि दिल्ली में मिलने वाली इन बाहरी बिरयानी की तरह ये नेता भी लोकल नहीं हैं.

इस चुनावी बिरयानी में सबसे पहला छौंक यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लगाया. योगी आजकल दिल्ली में बीजेपी के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं और इस क्रम में योगी जब 1 फरवरी को रोहिणी में चुनाव प्रचार के लिए उतरे तो उन्होंने सीधा निशाना नागरिकता कानून के खिलाफ शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन पर साधा. योगी ने कहा कि जो लोग कश्मीर में आतंकियों का समर्थन करते हैं, वो शाहीन बाग में मंच संभाले हुए हैं और आजादी के नारे लगा रहे हैं.

yogi adityanath shaheen bagh Delhi BJP Rally

इसके साथ ही योगी ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि दिल्ली की सरकार जनता को जहरीला पानी पिला रही है और जो लोग शाहीन बाग में धरना दे रहे हैं उन्हें बिरयानी सप्लाई की जा रही है. योगी ने ये भी कहा कि जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, हर आतंकी की पहचान की जा रही है और उन्हें बिरयानी की जगह गोली दी जा रही है.’

बता दें कि मुंबई हमले के दोषी आतंकी अजमल कसाब जब जेल में था, उसे खाने में बिरयानी देने को लेकर देश में काफी चर्चा रही थी और बीजेपी ने तत्कालीन यूपीए सरकार पर आतंकी को बिरयानी खिलाने के आरोप लगाए थे.

अब बीजेपी केंद्र की सत्ता में है और उसके नेताओं की तरफ से आतंकवाद का जिक्र कर शाहीन बाग के प्रोटेस्ट को निशाने पर लिया जा रहा है और AAP पर प्रदर्शनकारियों को बिरयानी खिलाने की बात की जा रही है.

योगी आदित्यनाथ ने अपने प्रचार के दूसरे दिन भी बिरयानी का मुद्दा उठाया. रविवार (2 जनवरी) को योगी जब दक्षिण दिल्ली के बदरपुर विधानसभा क्षेत्र पहुंचे तो उन्होंने शाहीन बाग के बहाने बिरयानी भी पका दी और विरोधी आम आदमी पार्टी को भी निशाने पर ले लिया.

योगी आदित्यनाथ ने अपने भाषण में कहा, ‘बीजेपी आतंकवाद के प्रति जीरो टोलरेंस की दिशा में काम कर रही है, जबकि केजरीवाल शाहीन बाग के लिए बिरयानी का आयोजन करने और खिलाने में व्यस्त हैं.’

योगी की इस बिरयानी की हांडी में अब बीजेपी के दूसरे नेता भी हाथ बंटाने उतर आए हैं. मोदी कैबिनेट में मंत्री और बिहार से आने वाले सांसद अश्विनी चौबे ने शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि वहां भाड़े के टट्टू फ्री की बिरयानी खाकर प्रदर्शन कर रहे हैं.

बिरयानी की इस दावत का आयोजक अश्विनी चौबे ने भी आम आदमी पार्टी को ही बताया. चौबे ने कहा, ‘शाहीन बाग में बैठे लोग घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं. आम आदमी पार्टी शाहिन बाग के लोगों को बिरयानी दे रही है और वोट बैंक की राजनीति कर रही है.’

यानी शाहीन बाग में 50 दिनों से चले आ रहे महिलाओं के धरने प्रदर्शन के बहाने बीजेपी नेता आतंकवाद और बिरयानी का जिक्र कर विशेषकर आम आदमी पार्टी को निशाना बना रहे हैं. दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Elections 2020) के लिए 70 सीटों पर 8 फरवरी को मतदान होना है, जिसके बाद 11 फरवरी को नतीजों के साथ ही पता चल पाएगा कि इस बिरयानी का असली टेस्ट कैसा है.

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नहीं दिखी झांकी गणतंत्र दिवस 2020 | बिहार | पश्चिम बंगाल | हरियाणा और महाराष्ट्र की

71 वे गणतंत्र दिवस के अवसर पर हो रहे परेड में देश विदेश से लोग हिस्सा लेने आते हैं | 2020 में होने वाले इस परेड में सैन्य शक्ति के साथ साथ आधुनिक मिसाइल एवं सांस्कृतिक विरासत को दिखाया गया | इस मोके पर विशेष अतिथि के रूप में ब्राज़ील के प्रधान मंत्री जैएर वोल्सोनारो शामिल हुए | परम्परागत तरीके से माननीय राष्ट्रपति श्री  रामनाथ कोविंद ने ध्वजारोहण किया |

भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कार्यक्रम की अगुयाई की और हाथ  हिलाकर सबका अभिवादन भी किया | मंत्रीगण एवं
सम्मानित अतिथि अपनी संस्कृति से जुड़े झाकियों का आनंद लेते हुए नज़र   आये | कुछ लोग हतास भी नज़र आये जब उन्हें अपने
राज्य की झांकी देखने को नहीं मिली | कायक्रम की अवधि में पिछले साल से कुछ फेरबदल किया गया  था | जहाँ एक तरफ हर राज्य की  थी वहीँ पश्चिम बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र एवं हरियाणा की झाकी को इस परेड में शामिल नहीं किया गया |

 

इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरबा का भी लुत्फ उठाया। जब गुजरात की झांकी राजपथ से गुजरी तो इसमें युवक-युवतियां गुजरात के लोकप्रिय डांस गरबा करते नजर आए। जिसका आनंद पीएम मोदी भी उठाते दिखाई दिए।

 

 

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कौन सा वादा पूरा नहीं कर पाए अमिताभ, 32 साल बाद भी क्यों है मलाल!

LONDON, ENGLAND - JUNE 16: Amitabh Bachchan arrives at the World Premiere of Raavan at the BFI Southbank on June 16, 2010 in London, England. (Photo by Gareth Cattermole/Getty Images)

नई दिल्ली। महानायक अमिताभ बच्चन का राजनीति के साथ भले ही कम समय वास्ता रहा हो, लेकिन उनका कहना है कि उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्र इलाहाबाद के लोगों से किए गए वादों को पूरा नहीं कर पाने का मलाल है, जिसके कारण वह अब भी उस दौर से उबर नहीं पाए हैं।

अमिताभ ने अपने पुराने पारिवारिक दोस्त राजीव गांधी के समर्थन में राजनीति में प्रवेश करने के लिए 1984 में अभिनय से कुछ समय के लिए दूरी बनाई थी। उन्होंने इलाहाबाद सीट से चुनाव लड़ा था और बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी।

हालांकि उनका राजनीतिक करियर थोड़े समय के लिए ही रहा क्योंकि उन्होंने तीन साल बाद ही इस्तीफा दे दिय था। उन्होंने कहा, कि मैं इसके बारे में अक्सर सोचता हूं क्योंकि ऐसे कई वादे होते हैं जो एक व्यक्ति लोगों से वोट मांगते समय चुनाव प्रचार के दौरान करता है। उन वादों को पूरा नहीं कर पाने की मेरी असमर्थता से मुझे दुख होता है।

अमिताभ ने कहा कि अगर कोई ऐसी चीज है जिसका मुझे पछतावा है तो यह वही है। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने इलाहाबाद शहर और इसके लोगों से कई वादे किये थे लेकिन मैं उन्हें पूरा नहीं कर पाया।’’ बच्चन ने एक कार्यक्रम ‘‘ऑफ द कफ’’ में शेखर गुप्ता और बरखा दत्त के साथ बातचीत के दौरान कहा, ‘‘मैंने वह सब करने की कोशिश की जो मैं समाज के लिए कर सकता था लेकिन इस बात को लेकर इलाहाबाद के लोगों मे मेरे प्रति हमेशा नाराजगी रहेगी।

बच्चन ने कहा कि राजनीति में शामिल होने का उनका निर्णय भावनात्मक था लेकिन जब वह इसमें शामिल हुये तब उन्हें यह अहसास हुआ कि इसमें भावनाओं के लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि मेरा फैसला भावनात्मक था। मैं एक दोस्त की मदद करना चाहता था लेकिन जब मैंने राजनीति में प्रवेश किया, तब मुझे अहसास हुआ कि उसका भावनाओं के लिए कोई लेना देना नहीं है। मुझे अहसास हुआ कि मैं इसे करने में असमर्थ हूं और फिर मैंने इसे छोड़ दिया।’

यह पूछने पर कि क्या राजनीति छोड़ने के उनके निर्णय का असर गांधी परिवार के साथ उनकी मित्रता पर पड़ा, बच्चन ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि इसका कोई असर पड़ा। मित्रता समाप्त नहीं हुई है।’ अभिनेता से जब पूछा गया कि वह उस दोस्ती के बारे में बात क्यों नहीं करते हैं, उन्होंने कहा, ‘आप एक दोस्ती के बारे में कैसे बात करते हैं? हम दोस्त हैं।’ भारतीय अभिनेता अपने राजनीतिक विचार साझा करने से हिचकिचाते हैं जबकि अमेरिका में ऐसा नहीं हैं और वहां हॉलीवुड के बड़े स्टार चुनाव के दौरान अपने राजनीतिक विचार रखते हैं।

जब बच्चन से यह पूछा गया कि क्या विवाद का डर भारतीय अभिनेताओं को देश के राजनीतिक परिदृश्य को लेकर अपने विचार साझा करने से रोकता है, तो उन्होंने कहा, ‘आप एक कलाकार हैं और लोग आपसे प्यार करते हैं तो आपके मन में भी इसकी प्रतिक्रिया के रूप में यह प्यार लौटाने की इच्छा होती है और अगर एक राजनेता आपको पसंद करता है तब भी आप यही करते हैं।’ उन्होंने कहा कि यदि इस प्रतिक्रिया के रूप में वह कुछ कर रहे हैं तो इसका मतलब यह नहीं हुआ, वह उनकी राजनीति भी पसंद करने जा रहा हैं।

बच्चन ने कहा, ‘जब आप ऐसा नहीं करते तो हमें इसके परिणाम को लेकर डर होता है। राजनेता बहुत शक्तिशाली लोग होते हैं। मैं नहीं जानता कि क्या वह नुकसान पहुंचा सकते हैं या किस हद तक नुकसान पहुंचा सकते हैं लेकिन कानून की व्यवस्था है।’ उन्होंने कहा कि लेकिन अदालतों में जाना और राजनीति से लड़ाई लड़ना उनका काम नहीं है। उनका काम कैमरे के सामने अच्छा काम करना है और वह अपना ध्यान भटकाना नहीं चाहते।

बच्चन ने कहा कि अमेरिका में दर्शक भारत के दर्शकों के मुकाबले ‘अधिक परिपक्व’ हैं और यह एक कारण हो सकता है कि उनके सितारे अपने राजनीतिक विचारों को लेकर साहसी हैं। उन्होंने कहा, ‘हॉलीवुड के पास अधिक परिपक्व दर्शक हैं। यहां ऐसे दर्शकों की संख्या सीमित हैं। जब मैं असम में कांग्रेस के लिए चुनाव प्रचार कर रहा था तब मेरा हेलिकॉप्टर विपक्ष के एक स्थान पर उतरा।’ उन्होंने कहा, ‘जल्द ही, पुलिस ने हमसे जाने के लिए कह दिया। वहां भीड़ में युवा थे और उनमें से एक दौड़कर हेलिकॉप्टर के पास आया और उसने खिड़की का शीशा तोड़कर मेरे हाथ में एक कागज रख दिया।’

अमिताभ ने कहा, ‘उसने कागज में लिखा था कि वह मेरा बहुत बड़ा प्रशंसक है लेकिन मैं उसका ध्यान भटका रहा हूं इसलिए मुझे वहां से चले जाना चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘यह ऐसी चीज है जिसका कलाकारों को सामना करना पड़ता है। हम लोगों का प्यार पाने के लिए पूरा जीवन लगा देते हैं और फिर हम अचानक उनसे कहते हैं कि आप मुझसे प्यार करते हैं इसलिए मेरी राजनीति से भी प्यार करें और मुझे नहीं लगता कि यह सही है।’

बच्चन ने कहा, ‘जब आप ऐसा नहीं करते तो हमें इसके परिणाम को लेकर डर होता है। राजनेता बहुत शक्तिशाली लोग होते हैं। मैं नहीं जानता कि क्या वह नुकसान पहुंचा सकते हैं या किस हद तक नुकसान पहुंचा सकते हैं लेकिन कानून की व्यवस्था है।’ उन्होंने कहा कि लेकिन अदालतों में जाना और राजनीति से लड़ाई लड़ना उनका काम नहीं है। उनका काम कैमरे के सामने अच्छा काम करना है और वह अपना ध्यान भटकाना नहीं चाहते।

बच्चन ने कहा कि अमेरिका में दर्शक भारत के दर्शकों के मुकाबले ‘अधिक परिपक्व’ हैं और यह एक कारण हो सकता है कि उनके सितारे अपने राजनीतिक विचारों को लेकर साहसी हैं। उन्होंने कहा, ‘हॉलीवुड के पास अधिक परिपक्व दर्शक हैं। यहां ऐसे दर्शकों की संख्या सीमित हैं। जब मैं असम में कांग्रेस के लिए चुनाव प्रचार कर रहा था तब मेरा हेलिकॉप्टर विपक्ष के एक स्थान पर उतरा।’ उन्होंने कहा, ‘जल्द ही, पुलिस ने हमसे जाने के लिए कह दिया। वहां भीड़ में युवा थे और उनमें से एक दौड़कर हेलिकॉप्टर के पास आया और उसने खिड़की का शीशा तोड़कर मेरे हाथ में एक कागज रख दिया।’

अमिताभ ने कहा, ‘उसने कागज में लिखा था कि वह मेरा बहुत बड़ा प्रशंसक है लेकिन मैं उसका ध्यान भटका रहा हूं इसलिए मुझे वहां से चले जाना चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘यह ऐसी चीज है जिसका कलाकारों को सामना करना पड़ता है। हम लोगों का प्यार पाने के लिए पूरा जीवन लगा देते हैं और फिर हम अचानक उनसे कहते हैं कि आप मुझसे प्यार करते हैं इसलिए मेरी राजनीति से भी प्यार करें और मुझे नहीं लगता कि यह सही है।’

 

 

Source: IBN-Khabar

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अरुणाचल में कांग्रेस को बड़ा झटका, 43 विधायक BJP समर्थित PPA में शामिल

prema_650_091616021031अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा है. 46 एमएलए के साथ मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने पार्टी को छोड़ दिया है. 60 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 46 विधायक हैं, जबकि 11 विधायक बीजेपी के हैं|

पीपीए का दामन थामा
अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस के 46 में से 43 विधायकों ने पीपीए का दामन थामा है. एक बार फिर से कांग्रेस पर संकट खड़ा हो गया है. बागियों में अरुणाचल के मुख्यमंत्री के अलावा दिवंगत दोरजी खांडू के बेटे और वर्तमान में राज्य के सीएम पेमा खांडू भी हैं. खांडू ने कहा, ‘मैंने विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात करके उन्हें यह सूचना दी है कि हमने कांग्रेस का पीपीए में विलय कर दिया है. राज्य में कांग्रेस के 46 विधायक हैं जिनमें से 43 इस पार्टी में शामिल हो गए हैं. पीपीए का गठन 1979 में हुआ था. यह 10 क्षेत्रीय दलों के नॉर्थ-ईस्ट डेमोक्रेटिक एलायंस का हिस्सा रहा है जिसका गठन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने मई 2016 में की थी. वर्तमान में असम में बीजेपी के नेता हेमंता विश्व सरमा इसके प्रमुख हैं|

जुलाई में खांडू को मिली थी कमान
कांग्रेस का अरुणाचल का संकट काफी पुराना है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद नाटकीय घटनाक्रम के बाद जुलाई में नबाम तुकी के स्थान पर पेमा खांडू को मुख्यमंत्री घोषित करके एक लंबी चली लड़ाई को जीता था. खांडू के विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद दो निर्दलीयों और 45 पार्टी विधायकों के समर्थन से कांग्रेस ने एक बार फिर सरकार बना ली थी. तेजी से बदले घटनाक्रम के बाद बागी नेता खालिको पुल अपने 30 साथी बागी विधायकों के साथ पार्टी में लौट आए थे. पुल बागी होकर मुख्यमंत्री बने थे, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने अपदस्थ कर दिया था|

60 सदस्यीय अरुणाचल प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस के 46 विधायक थे जबकि बीजेपी के 11. अब 43 विधायकों के पीपीए में चले जाने के बाद कांग्रेस में पूर्व सीएम नबम तुकी और इक्का-दुक्का विधायक ही बचे रह गए हैं. हाल में पूर्व सीएम कलिखो पुल का निधन हो गया था. फरवरी 2016 में उन्होंने 24 कांग्रेसी विधायकों के साथ पीपीए ज्वाइन किया था|

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था जिसमें अदालत ने कलिखो पुल सरकार को असंवैधानिक घोषित कर पूर्व की कांग्रेस सरकार को बहाल करने का आदेश दिया था. इसके बाद पेमा खांडू के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी थी. ताजा घटनाक्रम के बाद एक बार फिर बाजी बीजेपी के हाथ जाते दिख रही है|

 

 

Source: AAj Tak

अरुणाचल में कांग्रेस को बड़ा झटका, 43 विधायक BJP समर्थित PPA में शामिल Read More

यादव परिवार में टूट और सपा में बिखराव को रोकने के लिए मुलायम के पास हैं ये 5 विकल्प

mulayam_147038556116_650x425_080516020024_091616015907बेटे अखिलेश यादव और भाई शिवपाल यादव के बीच खटास से पैदा हुए सियासी बवंडर को थामने की जिम्मेदारी अब सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने खुद संभाल ली है. मुलायम ने शुक्रवार को कहा कि पार्टी और परिवार में कोई झगड़ा नहीं है लेकिन उन्होंने एक बार फिर अखि‍लेश का फैसला पलटते हुए गायत्री प्रजापति को मंत्री बनाए जाने का ऐलान कर दिया. मुलायम ने कुछ दिन पहले ही अखिलेश को चेताया था कि शिवपाल सपा से अलग हुए तो पार्टी टूट जाएगी. बेटे अखिलेश को सीएम बनाने के बाद भी मुलायम भाई शिवपाल यादव को अहमियत दे रहे हैं|

शि‍वपाल ने सरकार और संगठन में सभी पदों से इस्तीफा दिया तो उनके परिवार में पत्नी और बेटे ने भी अपने-अपने पद त्याग दिए. हालांकि, इनके इस्तीफे अभी तक स्वीकार नहीं किए गए हैं. अब ऐसे समय में जब चाचा और भतीजा में से कोई भी पक्ष झुकने को तैयार नहीं दिख रहा है तो नेताजी के पास कुछ सीमित विकल्प बचे हैं|

1. बीते 24 साल में पहली बार ऐसा हुआ है कि यादव परिवार के किसी सदस्य ने रूठकर इस तरह इस्तीफा दिया है. अब चूंकि टकराव चरम पर हैं, ऐसे में संभव है कि बिखराव रोकने के लिए मुलायम अखिलेश को हटाकर खुद सीएम पद संभाल लें. यही कदम परिवार में टूट को रोक सकता है. क्योंकि ज्यादातर सीनियर नेता और विधायक अखिलेश के एजेंडे से नाखुश बताए जा रहे हैं|

2. मुलायम सिंह यादव सीएम अखि‍लेश यादव से शिवपाल को उनके वो विभाग लौटाने को कह सकते हैं जो अखिलेश ने नेताजी को बिना बताए ही अपने चाचा से छीन लिए थे. शि‍वपाल को पीडब्ल्यूडी और सिंचाई विभाग लौटाने से उनकी नाराजगी दूर होने की उम्मीद है. मुलायम शिवपाल से छीने विभागों के साथ ही आबकारी विभाग भी सौंपने को कह सकते हैं|

3. इस वक्त मुलायम सिर्फ सपा का चेहरा हैं जबकि जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं से तालमेल शि‍वपाल ही रखते हैं. 57 में से करीब 30 वरिष्ठ मंत्री शि‍वपाल के वफादार हैं. करीब 100 विधायक भी शि‍वपाल के वफादार हैं. ऐसे में शि‍वपाल की नाराजगी पार्टी में टूट का कारण बनी सकती है. अब छह महीने बाद चुनाव भी होने हैं, इसलिए मुलायम शि‍वपाल को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर संगठन को मजबूत बनाने की कोशिश करेंगे.

4. शिवपाल यादव के इस्तीफे के बाद से उनके समर्थकों का जमावड़ा लगने लगा है. शिवपाल के समर्थक सांसद और नेताजी के चचेरे भाई राम गोपाल यादव को बाहर किए जाने की मांग कर रहे हैं. इससे ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि जिस राम गोपाल को नेताजी ने अखि‍लेश और शि‍वपाल के बीच सुलह कराने के लिए दिल्ली से लखनऊ भेजा, वो अपने टास्क को सही तरीके से पूरा करने कामयाब नहीं रहे. ऐसे में पार्टी में विद्रोह की चिंगारी को शांत करने के लिए मुलायम सिंह यादव के पास राम गोपाल को सपा से निकालने का भी विकल्प है.

5. इस हफ्ते शुरू हुए इस सियासी ड्रामे के पीछे राज्यसभा सदस्य अमर सिंह का हाथ बताया जा रहा है. छह साल के संन्यास के बाद अमर सिंह की जब सपा में वापसी हुई तो अखिलेश सहित पार्टी का एक बड़ा धड़ा नेताजी के इस कदम से नाराज था. ऐसे में मुलायम सिंह यादव परिवार और पार्टी में संभावित फूट को रोकने के लिए अपने दोस्त को पार्टी से निकाल भी सकते हैं|

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