Delhi CM Arvind Kejriwal claims Amit Shah to be PM in 2025 if NDA wins; Modi will finish term, says Union minister

So I asked the BJP, who is your PM candidate? If they form govt, they will first tackle (UP CM) Yogiji. Then Modiji’s favorite, Amit Shah will be the PM. So, I want to alert the people of the country, that Modiji is not asking for a vote for himself, He is seeking votes to make Amit Shah PM. I want to ask Modiji and Amit Shahji, Who will fulfill Modiji’s guarantee? will Amit Shah do it?

Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal’s recent assertions have injected new vigor into the political discourse surrounding the upcoming elections. By speculating on Amit Shah’s potential ascension to the Prime Minister’s office in 2025, Kejriwal has ignited debates about the BJP’s leadership dynamics and electoral strategy. His claims suggest a strategic move by the BJP, with Modi seemingly positioning Shah as his successor, prompting questions about the party’s long-term vision and succession planning.

Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal predicts that if the NDA wins the 2024 elections, Amit Shah will become the Prime Minister in 2025.

Moreover, Kejriwal’s promise of full statehood for Delhi as part of an envisaged INDIA bloc government underscores his commitment to bolstering regional autonomy and challenging central authority. By positioning AAP as a key player in national politics, Kejriwal seeks to capitalize on voter dissatisfaction with traditional political structures and offer an alternative narrative of empowerment and decentralization.

  1. Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal predicts that if the NDA wins the 2024 elections, Amit Shah will become the Prime Minister in 2025. Kejriwal alleges that Modi seeks votes not for himself but to make Shah the PM, raising questions about the BJP’s leadership strategy.
  2. Kejriwal asserts that an INDIA bloc government will be formed after the elections, with AAP’s participation, promising full statehood for Delhi and autonomy from central control. He pledges to work tirelessly to end what he perceives as a dictatorship and ensure Delhi’s empowerment.
  3. Kejriwal accuses the BJP of aiming for 400 seats to alter the Constitution and abolish reservations, vowing to defend democracy vigorously. He contrasts AAP’s focus on development in Delhi with the BJP’s alleged lack of significant accomplishments during its tenure.

At the heart of Kejriwal’s narrative lies a critique of the BJP’s governance model, characterized by what he perceives as a lack of tangible achievements and a focus on divisive rhetoric over substantive issues. By contrasting AAP’s track record of development in Delhi with the BJP’s alleged shortcomings, Kejriwal aims to appeal to voters’ desire for effective governance and inclusive policies.

During these political maneuvers, Kejriwal’s ongoing legal battles, notably his interim bail in a money laundering case, add a layer of complexity to the political landscape. While providing him with temporary respite, these legal challenges also highlight the precarious nature of his political standing and the potential implications for his future aspirations.

In sum, Kejriwal’s recent statements reflect a broader strategy aimed at reshaping the political narrative, challenging traditional power structures, and positioning AAP as a credible alternative on the national stage. As the electoral contest intensifies, his assertions are likely to fuel further debates and shape the discourse leading up to the polls.

Delhi CM Arvind Kejriwal claims Amit Shah to be PM in 2025 if NDA wins; Modi will finish term, says Union minister Read More

Supreme Court Weighs Interim Bail for Arvind Kejriwal Amidst Legal Wrangle

On May 3, 2024, Senior Advocate A.M. Singhvi, representing Arvind Kejriwal, concluded his arguments challenging the legality of the Delhi Chief Minister’s arrest. Singhvi reiterated his stance that the arrest did not adhere to the criteria outlined in Section 19 of the Prevention of Money Laundering Act, 2002, during the previous hearings. The Bench, after instructing Singhvi to wrap up his arguments, tasked the Enforcement Directorate (ED) to respond to the timing of Kejriwal’s arrest.

Singhvi highlighted that according to Section 50 of the PMLA, a person summoned by the ED does not assume the status of an “accused.” He emphasized that Kejriwal’s transformation into an accused coincided with his arrest on March 21, 2024, just five days after receiving the last summons. Singhvi also pointed out the lack of clarity regarding Deputy Chief Minister Manish Sisodia’s involvement in the case, indicating that the evidence may not sufficiently implicate Kejriwal as the mastermind behind the Liquor Policy case.

The hearing delved into the interpretation of “reason to believe” as stipulated in Section 19, with Justice Khanna noting the importance of scrutinizing all relevant material in possession of the investigative agency. As arguments continued, the Court hinted at the possibility of considering interim bail for Kejriwal due to the protracted nature of the legal proceedings, especially with the looming elections on May 25. Further deliberations on this matter are slated for the upcoming sessions, with S.V. Raju scheduled to continue arguments on May 7, 2024.

Supreme Court Weighs Interim Bail for Arvind Kejriwal Amidst Legal Wrangle Read More
Nirbhaya Case advocate of convict

Nirbhaya case: वकील ने कोर्ट में कहा- विनय को गंभीर मानसिक बीमारी, मां को भी गया भूल

तिहाड़ जेल में बंद चारों दोषियों में से एक विनय कुमार शर्मा द्वारा अपना सिर दीवार पर मार लेने के मामले में बृहस्पतिवार को नया मोड़ आ गया है। विनय के वकील एपी सिंह (AP Singh) ने दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में याचिका दायर कर तिहाड़ जेल प्रशासन को बेहतर इलाज देने के लिए निर्देश देने की मांग की है।

वकील ने कोर्ट में कहा- विनय की मानसिक हालत ठीक नहीं

इसके साथ ही विनय के वकील ने कोर्ट में याचिका दायर कर कई गंभीर खुलासे किए हैं। याचिका में दावा किया गया है कि विनय कुमार शर्मा के सिर में गंभीर चोट आई है। उसके दांए हाथ में फ्रैक्चर हुआ है। मानसिक आघात भी पहुंचा है और सिज्रोफ्रेनिया (schizophrenia) की भी बात सामने आई है।

मां को भी नहीं पहचान पा रहा विनय

अर्जी में कहा गया है कि विनय को मानसिक बीमारी है और उसके इलाज की जरूरत है। वह लोगों को नहीं पहचान पा रहा और अपनी मां को भी भूल गया है। विनय के वकील पहले भी अदालत में कह चुके हैं कि वह मानसिक बीमार है और उसे फांसी नहीं दे सकते।

शनिवार को होगी सुनवाई

विनय की ओर दायर याचिका पर शनिवार को पटियाला हाउस कोर्ट सुनवाई करेगा। कोर्ट ने इस मामले में तिहाड़ जेल प्रशासन से जवाब मांगा है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा (Additional Session Judge Dharmender Rana) ने तिहाड़ जेल प्रशासन को निर्देश दिया है कि विनय शर्मा के घायल होने के संबंध में शनिवार तक जवाब दाखिल करें।

यह है पूरा मामला
मिली जानकारी के मुताबिक, 16 फरवरी (रविवार) को तिहाड़ जेल नंबर 3 में बंद चारों दोषियों में से एक विनय कुमार शर्मा ने अपना सिर दीवार में दे मारा था। इससे उसके सिर में हल्की चोट आई थी। जानकारी मिलने पर उसका उपचार किया गया था। इस पूरे मामला का खुलासा तीन दिन बाद बुधवार को हुआ तो हड़कंप मच गया।

चारों दोषियों के खिलाफ जारी हो चुका है डेथ वारंट

गौरतलब है कि 17 फरवरी को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में हुई सुनवाई में चारों दोषियों विनय कुमार शर्मा (26) पवन कुमार गुप्ता (25) अक्षय कुमार (31) और मुकेश कमार (32) की फांसी के लिए डेथ वारंट जारी कर चुका है। इसके मुताबिक, आगामी 3 मार्च को सुबह 6 बजे चारों को एकसाथ फांसी दी जाएगी।

 

 

Nirbhaya case: वकील ने कोर्ट में कहा- विनय को गंभीर मानसिक बीमारी, मां को भी गया भूल Read More
Begani Shadi men Abdulla Diwana - Smirti Irani Speech

सेना में अब महिलाओं को भी स्थायी कमीशन मिलेगा

Now women will also get permanent commission in army
भारतीय सेना में महिला अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपना फैसला सुनाया. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस अजय रस्तोगी की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सेना में महिला अधिकारियों की नियुक्ति एक विकासवादी प्रक्रिया है.
Rahul Gandhi Begani shadi men abdulla diwana

  1. सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन का मामला
  2. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी पर कसा तंज
  3. ‘आदरणीय बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाने’

भारतीय सेना में महिला अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को अपना फैसला सुनाया. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ( Justice DY Chandrachud) और जस्टिस अजय रस्तोगी (Justice Ajay Rastogi) की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सेना में महिला अधिकारियों की नियुक्ति एक विकासवादी प्रक्रिया है. कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाई, इसके बावजूद केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को लागू नहीं किया. महिलाओं की शारीरिक विशेषताओं पर केंद्र के विचारों को कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा कि केंद्र अपने दृष्टिकोण और मानसिकता में बदलाव करे. अदालत के फैसले के अनुसार, सेना में अब महिलाओं को भी स्थायी कमीशन मिलेगा. कोर्ट के इस फैसले के बाद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने केंद्र सरकार को घेरते हुए एक ट्वीट किया. जिसके बाद केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ने राहुल पर तंज कसते हुए लिखा, ‘आदरणीय बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाने.’

सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन दिए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह तर्क देकर हर भारतीय महिला का अपमान किया है कि सेना में महिला अधिकारी कमांड पोस्ट या स्थायी सेवा के लायक नहीं हैं क्योंकि वह पुरुषों से निम्न हैं.’

जिसके बाद केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने उनके ट्वीट का जवाब देते हुए ट्विटर पर लिखा, ‘आदरणीय बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाने, यह पीएम नरेंद्र मोदी जी ही थे, जिन्होंने सशस्त्र बलों में महिलाओं के लिए स्थायी आयोग की घोषणा की थी, जिससे लैंगिक न्याय सुनिश्चित हुआ और भाजपा महिला मोर्चा ने इस मुद्दे को उठाया था जब आपकी सरकार थी.’

बताते चलें कि सेना में महिलाओं के स्थायी कमीशन पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद महिलाएं अब सेना में पूर्णकालिक रूप से कर्नल या उससे ऊपर रैंक पर पदस्थ हो सकती हैं. युद्ध अथवा दुश्मनों से मुकाबला करने वाली भूमिकाओं में महिलाओं की स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है, इसलिए वह अभी भी पैदल सेना, तोपखाने और बख्तरबंद कोर में शामिल नहीं हो सकती हैं. एक महिला कर्नल अब 850 पुरुषों की एक बटालियन की कमान संभाल सकती है. महिलाएं योग्यता के आधार पर ब्रिगेडियर, मेजर जनरल, लेफ्टिनेंट जनरल और सैद्धांतिक रूप से सेना प्रमुख के पद तक बढ़ सकती हैं, लेकिन यह कई लड़ाकू संरचनाओं की अगुवाई करने के अनुभव के बिना लगभग असंभव होगा, जिसे काफी समय से अस्वीकार किया जा रहा है.

सेना में अब महिलाओं को भी स्थायी कमीशन मिलेगा Read More
Nirbhaya Gang rape case plea of convict vinay sharma heard supreme court

निर्भया केस: दोषी विनय शर्मा की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज

निर्भया गैंगरेप और मर्डर केस में दोषी विनय की एक और पैंतरेबाजी असफल हो गई है। राष्ट्रपति की ओर से दया याचिका खारिज किए जाने की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाते हुए फांसी टालने की मांग करने की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। उसने खुद को मानसिक तौर पर बीमार बताकर भी फांसी टालने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने विनय को मेंटली फिट बताया है। कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।

nirbhaya-case-plea-of-​​convict-vinay-sharma-dismissed-in-supreme-court

राष्ट्रपति की ओर से दया याचिका खारिज किए जाने की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाते हुए फांसी टालने की मांग करने की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। उसने खुद को मानसिक तौर पर बीमार बताकर भी फांसी टालने की मांग की थी।
  • जस्टिस अशोक भूषण और ए. एस. बोपन्ना के साथ जस्टिस आर. भानुमति की अध्यक्षता वाली पीठ का फैसला
  • सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को निर्भया कांड के दोषी विनय शर्मा की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था
  • वकील ए.पी. सिंह ने कहा था विनय मानसिक तौर पर बीमार चल रहा हैऔर उसका इलाज भी हो रहा है

जस्टिस अशोक भूषण और ए. एस. बोपन्ना के साथ जस्टिस आर. भानुमति की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को निर्भया कांड के चार दोषियों में से एक विनय शर्मा की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें राष्ट्रपति द्वारा उसकी दया याचिका की अस्वीकृति को चुनौती दी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट में दोषी विनय शर्मा का प्रतिनिधित्व करने वाले एडवोकेट ए. पी. सिंह ने अपने मुवक्किल की दया याचिका को खारिज करने के राष्ट्रपति के फैसले पर सवाल उठाए थे। इस पर अदालत और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तीखी आलोचना की, जो इस मामले में केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।

सिंह ने दोषी विनय की मानसिक स्थिति के संबंध में भी दलील दी। उन्होंने कहा कि विनय मानसिक तौर पर बीमार चल रहा है और उसका इलाज भी हो रहा है। सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के शत्रुघ्न चौहान के 2014 के फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि मानसिक बीमारी से पीड़ित दोषियों की मौत की सजा को बदल दिया जाना चाहिए। इस पर मेहता ने दलीलें देते हुए कहा, ‘उनकी नियमित रूप से जांच की गई, जो नियमित जांच का हिस्सा है। जेल मनोचिकित्सक है, जो हर किसी की जांच करता है। ताजा स्वास्थ्य रिपोर्ट के अनुसार उनका स्वास्थ्य अच्छा पाया गया है।’

निर्भया केस: दोषी विनय शर्मा की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज Read More
Supreme court

सुप्रीम कोर्ट का पार्टियों को निर्देश- बताना होगा, क्यों दिया क्रिमिनल को टिकट?

राजनीति में आपराधिक छवि के लोगों की बढ़ती हिस्सेदारी पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को चिंता व्यक्त की है. अदालत ने सभी राजनीतिक दलों को निर्देश दिया है कि वे अपनी वेबसाइट पर सभी उम्मीदवारों की जानकारी साझा करें. इसमें उम्मीदवार पर दर्ज सभी आपराधिक केस, ट्रायल और उम्मीदवार के चयन का कारण भी बताना होगा. यानी राजनीतिक दलों को ये भी बताना होगा कि आखिर उन्होंने एक क्रिमिनल को उम्मीदवार क्यों बनाया है.

  • सुप्रीम कोर्ट का राजनीतिक दलों को निर्देश
  • अपराधियों की जानकारी सार्वजनिक करें: SC
  • टिकट देने से पहले कारण भी बताना होगा

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया है. राजनीतिक दलों को अब किसी अपराधी को टिकट का कारण चुनाव आयोग को भी बताना होगा.

गुरुवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश दिया है. अदालत के फैसले के अनुसार, सभी राजनीतिक दलों को उम्मीदवार घोषित करने के 72 घंटे के भीतर चुनाव आयोग को भी इसकी जानकारी देनी होगी. साथ ही घोषित किए गए उम्मीदवार की जानकारी को स्थानीय अखबारों में भी छपवानी होगी.

इस याचिका को दायर करने वाले वकील अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि अगर कोई भी उम्मीदवार या राजनीतिक दल इन निर्देशों का पालन नहीं करेगा, तो उसे अदालत की अवमानना माना जाएगा. यानी सभी उम्मीदवारों को अखबार में अपनी जानकारी देनी होगी.

वकील के मुताबिक, अगर किसी नेता या उम्मीदवार के खिलाफ कोई केस नहीं है और कोई भी FIR दर्ज नहीं है तो उसे भी इसकी जानकारी देनी होगी. अगर कोई भी नेता सोशल मीडिया, अखबार या वेबसाइट पर ये सभी जानकारियां नहीं देता है तो चुनाव आयोग उसके खिलाफ एक्शन ले सकता है और सुप्रीम कोर्ट को भी जानकारी दे सकता है.

गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में राजनीति में आपराधिक छवि के नेताओं की हिस्सेदारी बढ़ी है. इसका अंदाजा हाल ही में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव से ही लगाया जा सकता है.

चुनाव सुधार के लिए काम करने वाली गैर-सरकारी संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में चुने गए 70 में से 37 विधायकों पर गंभीर अपराध के मामले दर्ज हैं.

सुप्रीम कोर्ट का पार्टियों को निर्देश- बताना होगा, क्यों दिया क्रिमिनल को टिकट? Read More
Nirbhaya mother crying

Nirbhaya case: डेथ वॉरंट की मांग करते हुए कोर्ट में रो पड़ीं निर्भया की मां

निर्भया की मां फांसी की सजा पाए चारों दोषियों के लिए तुरंत नया डेथ वॉरंट जारी करने की मांग करते हुए बुधवार को कोर्ट में रो पड़ीं। निर्भया की मां ने जज से कहा कि वह सात साल से न्याय का इंतजार कर रही हैं। उन्होंने जज से कहा ,’मैं हाथ जोड़कर मांग कर रही हूं कि दोषियों के खिलाफ डेथ वॉरंट जारी किया जाए।’ वह बाद में कोर्ट के बाहर मीडिया से बात करते हुए भी रो पड़ीं।निर्भया के दोषियों पर नया डेथ वॉरंट जारी करने के मृतका के माता-पिता और दिल्ली सरकार की याचिका पर बुधवार को दिल्ली की अदालत में सुनवाई हुई। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सुनवाई गुरुवार तक के लिए टाल दी।कोर्ट में मौजूद निर्भया की मां सुनवाई के दौरान काफी भावुक दिखीं। उन्होंने जज से कहा, ‘मैं एक साल से कोशिश कर रही हूं कि दोषियों को फांसी पर चढ़ाने की तारीख तय की जाए। मैं भी एक मां हूं। इंसाफ के लिए सात साल से इंतजार कर रही हूं। मैं आपके आगे हाथ जोड़ती हूं।’ जज ने उन्हें आश्वसन दिया कि आपको सुनने के लिए ही कोर्ट लगा है। आपको सुना जा रहा है।

दोषियों को डेथ वॉरंट जारी करने से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के दौरान निर्भया की मांग कोर्ट में भावुक हो गईं। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई के दौरान निर्भया की मां ने कहा कि मैं एक साल से कोशिश कर रही हूं कि दोषियों को फांसी पर चढ़ाने की तारीख तय की जाए। मैं भी एक मां हूं। इंसाफ के लिए सात साल से इंतजार कर रही हूं। मैं आपके आगे हाथ जोड़ती हूं।
  • दोषियों के लिए डेथ वॉरंट की मांगते वक्त रो पड़ीं निर्भया का मां
  • दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई को दौरान हुईं भावुक
  • बोलीं-मैं हाथ जोड़कर मांग कर रही हूं कि दोषियों के लिए डेथ वॉरंट जारी करें
सुनवाई के दौरान निर्भया के पिता ने जज से कहा कि अगर आज दोषियों को वकील दिया जाता है तो यह निर्भया के साथ अन्याय होगा। जज ने इस पर कहा कि कानून ने दोषियों को कुछ अधिकार दे रखे हैं। उन्हें वे अधिकार लेने न दिए जाएं, तो फिर अन्याय होगा। इसे पहले इस मामले पर मंगलवार को हुई सुनवाई में भी निर्भया के माता-पिता ने अदालत से कहा था कि दोषी करार दिए गए व्यक्ति कानून का मजाक उड़ा रहे हैं।
तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने मंगलवार को निचली अदालत में एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल कर कहा था कि किसी भी दोषी ने पिछले सात दिनों में कोई कानूनी विकल्प नहीं चुना है, जो समयसीमा दिल्ली हाई कोर्ट ने दी थी। इन चारों दोषियों में मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय कुमार शर्मा (26) और अक्षय कुमार (31) शामिल हैं।कोर्ट ने हाई कोर्ट के पांच फरवरी के आदेश का संज्ञान लिया था, जिसमें दोषियों को एक हफ्ते के अंदर अपने सभी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल करने की इजाजत दी गई थी। अदालत ने कहा था, ‘दोषियों को ऐसे में फांसी देना पाप होगा, जब कानून उन्हें जीने का अधिकार देता है। हाई कोर्ट ने पांच फरवरी को दोषियों को न्याय के हित में इस आदेश के एक हफ्ते के अंदर अपने कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल करने की इजाजत दी थी।’ गौरतलब है कि निचली अदालत ने 31 जनवरी को मामले में चारों दोषियों की फांसी पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी। ये चारों तिहाड़ जेल में कैद हैं।

 

 

Nirbhaya case: डेथ वॉरंट की मांग करते हुए कोर्ट में रो पड़ीं निर्भया की मां Read More
supreme court of india

धार्मिक भेदभाव से जुड़े सभी मुद्दों पर नौ जजों की बेंच करेगी सुनवाई, मस्जिद में महिलाओं का प्रवेश, खतना और अन्य धर्म में विवाह

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) धार्मिक स्थानों पर महिलाओं के खिलाफ भेदभाव से जुड़े सभी मुद्दे तय करेगी, जिस पर नौ जजों की बेंच सुनवाई करेगी| कोर्ट ने विभिन्न धर्मों में महिलाओं के खिलाफ भेदभाव के मामले से निपटने के संबंध में उन सवालों को तैयार करने की प्रक्रिया सोमवार को शुरू की, जिस पर उसे चर्चा करनी है| इसमें केरल के सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश से जुड़ा मामला भी शामिल है| सुप्रीम कोर्ट सबरीमला मंदिर (Sabarimala Temple) में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के साथ-साथ मस्जिद में महिलाओं के प्रवेश, और दाऊदी बोहरा समुदाय की महिलाओं के खतना की परंपरा पर भी सुनवाई करेगी|

  • सबरीमला मंदिर (Sabarimala Temple) में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के साथ-साथ मस्जिद में महिलाओं के प्रवेश, अपने धर्म से बाहर किसी अन्य धर्म में विवाह के लिए इंसाफ और दाउदी बोहरा समुदाय के बीच महिलाओं के खतना की परंपरा पर भी SC(Supreme Court) में होगी चर्चा|
Sabrimala Mandir

पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने कहा था कि केरल के सबरीमला मंदिर समेत तमाम अन्य धार्मिक स्थानों पर महिलाओं के प्रति भेदभाव से संबंधित मामले की सुनवाई 9 न्यायाधीशों की संविधान पीठ 10 दिन में पूरा कर लेगी| बेंच ने यह टिप्पणी उस समय की जब सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ के समक्ष इस मामले का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि अदालत के पूर्व में दिए गए आदेश की अनुपालना में वकीलों की एक बैठक हुई, लेकिन 9 न्यायाधीशों की पीठ के विचार-विमर्श के लिए कानूनी सवालों को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका|

पीठ सभी की सुनेगी दलीलें
जस्टिस एसए बोबड़े की अध्यक्षता में नौ न्यायाधीशों की पीठ सवालों को तय किये जाने के मुद्दे पर एफ एस नरीमन समेत विभिन्न वरिष्ठ वकीलों की दलीलें सुन रही है, जिस पर उसे फैसला करना है| सबरीमला मामले में पिछले साल 14 नवंबर को दिए गए फैसले के माध्यम से विभिन्न धर्मों में महिलाओं के खिलाफ भेदभाव का मामला वृहद पीठ के समक्ष भेजा गया था|

Pm Modi with Daudi Bohra Muslim

याचिकाओं में उठाए ये मुद्दें
पीठ को याचिकाओं में उठाए गए मुद्दों, जैसे- मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश, दाऊदी बोहरा समुदाय में महिलाओं के खतना के चलन और अपने धर्म से बाहर किसी अन्य धर्म में विवाह करने वाली पारसी महिलाओं को अधिकार देने से इनकार करने आदि पर दिये गए तर्कों के मद्देनजर अपने सवाल तैयार करने हैं|

धार्मिक भेदभाव से जुड़े सभी मुद्दों पर नौ जजों की बेंच करेगी सुनवाई, मस्जिद में महिलाओं का प्रवेश, खतना और अन्य धर्म में विवाह Read More

डेंगू-चिकगुनिया पर SC सख्‍त, केजरीवाल के मंत्री पर लगाया 25 हजार हर्जाना

03_10_2016-satyendraनई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने चिकुनगुनिया और डेंगू के मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार पर मामले में हलफनामा दाखिल नहीं करने के लिए 25,000 का हर्जाना लगाया है। दिल्ली सरकार की ओर से कोर्ट में स्वास्थ्य मंत्री के व्यस्त होने का हवाला दिया गया और कल तक का वक़्त मांगा गया। कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कल तक का समय देते हुए कहा कि लोग मर रहे हैं, तब आपको समय नहीं मांगना चाहिए था। अफसरों पर काम रोकने का आरोप लगाने पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी। खुली कोर्ट में अधिकारियों का नाम बताने को कहा था, लेकिन आज हलफनामा दाखिल नहीं हुआ। बता दें कि कोर्ट ने सीलबंद लिफाफे में अधिकारियों का नाम दिए जाने का प्रस्ताव ठुकरा दिया था। कोर्ट ने कहा था जब आरोप खुली अदालत में लगाया है तो नाम भी खुली अदालत में लेने होंगे। दिल्ली में डेंगू और चिकनगुनिया के फैलने की पहले से संभावना थी। इसके बाद भी दिल्ली सरकार द्वारा रोकथाम के लिए उचित कदम नहीं उठाए गए थे। ऐसे में जब चिकनगुनिया और डेंगू के मामलों ने दिल्ली में जोर पकड़ा और मीडिया में खबरें बनने लगी तो मालूम हुआ कि दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री समेत पार्टी के आला नेता चुनाव प्रचार के सिलसिले में दिल्ली से बाहर हैं। हालांकि पार्टी की ओर से दावा किया जाता रहा है कि दिल्ली चिकनगुनिया से एक भी मौत नहीं हुई है। पिछली सुनवाई में दिल्ली सरकार की ओर से मंत्री सतेंद्र जैन ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दर्ज कर कहा था कि अफसर जिम्मेदारी नहीं ले रहे है। सारी फाइलें उपराज्यपाल के पास हैं और अफसर सहयोग नहीं कर रहे हैं।उपराज्यपाल सरकारी कामकाज में अड़ंगा लगा रहे हैं। गौरतलब है कि दिल्ली में चिकनगुनिया और डेंगू मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए दिल्ली सरकार और सिविक एजेंसियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। वहीं केंद्र ने कोर्ट में कहा था कि अगर दिल्ली सरकार सही तरीके से चिकनगुनिया को रोकने में नाकाम रहती है तो फिर ये काम केंद्र सरकार करेगी।

 

 

Source: Jagran

 

 

Source: Jagran

डेंगू-चिकगुनिया पर SC सख्‍त, केजरीवाल के मंत्री पर लगाया 25 हजार हर्जाना Read More