जम्मू: आरएस पुरा में 23 घंटे से फायरिंग, BSF ने ढेर किए 3 पाक सैनिक, 6 चौकियां भी की तबाह

firing_102616075355जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान की तरफ से एक बार फिर सीजफायर का उल्लंघन किया गया है. मंगलवार रात आरएसपुरा सेक्टर और अरनिया में ये फायरिंग हुई है. इस फायरिंग को 20 घंटे से ज्यादा का समय हो गया है. बीएसएफ ने भी पाकिस्तानी रेंजर्स की 5-6 चौकी को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है. बीएसएफ के सूत्रों के अनुसार, तीन पाकिस्तान जवान भी मारे गए है|

इस फायरिंग में 11 नागरिकों के घायल होने की भी खबर है. कुछ घर भी क्षतिग्रस्त हुए हैं.

पाकिस्तान के सिविल एरिया और कई पोस्ट्स पर भारी नुकसान होने की खबर है. सीमापार से लगातार मोर्टार दागे जा रहे हैं. छोटे हथियारों के अलावा 82 एमएम और 120 एमएम के मोर्टार गोलों का इस्तेमाल किया जा रहा है|

सेना के एक अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान की सेना ने राजौरी जिले के नौशेरा सेक्टर में नियंत्रण रेखा के पास सुबह 10 बजे से बिना उकसावे के संघर्ष विराम का उल्लंघन किया और हमारी चौकियों को निशाना बनाकर मोर्टार दागे और छोटे हथियारों से गोलीबारी की. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की ओर से किए जा रहे संघर्ष विराम उल्लंघन का भारतीय सेना मुंहतोड़ जवाब दे रही है|

सेना के एक अधिकारी ने कहा, ‘हमें जानकारी मिली है कि हमारे सैनिकों की जवाबी गोलीबारी में दो से तीन पाकिस्तानी जवान मारे गए हैं.’ गोलीबारी अब भी चल रही है. एक मोर्टार आरएसपुरा के सुचेतगढ़ सेक्टर के एक घर पर जा गिरा जिससे उसमें रहने वाले एक परिवार की छह महिला सदस्य घायल हो गईं|

 

 

 

Source: Aaj Tak

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विदेश सचिव ने संसदीय समिति से कहा : सेना ने पहले भी किए थे सर्जिकल स्ट्राइक

army-surgical-strikes-loc_650x400_71475656584नई दिल्ली: संसद की एक समिति को बताया गया कि सेना ने पहले भी नियंत्रण रेखा के पार आतंकवाद विरोधी अभियान चलाया था जो ‘विशिष्ट लक्ष्य वाले सीमित क्षमता के थे’, लेकिन यह पहला मौका है जब सरकार ने इसे सार्वजनिक किया है. यह टिप्पणी रक्षा मंत्री के दावे की विरोधाभासी प्रतीत होती है.

विदेश सचिव एस जयशंकर ने विदेश मामलों से संबंधित संसदीय समिति को यह सूचना दी. सांसदों ने उनसे विशिष्ट रूप से सवाल किया था कि क्या पहले भी सर्जिकल स्ट्राइक (लक्षित हमले) किए गए थे. बैठक में मौजूद सूत्रों के अनुसार, विगत में नियंत्रण रेखा के पार विशिष्ट लक्ष्य वाले, सीमित क्षमता के आतंकवाद विरोधी अभियान चलाए गए थे, लेकिन यह पहला मौका है जब सरकार ने इसे सार्वजनिक किया है.

शीर्ष राजनयिक की टिप्पणी काफी अहम है, क्योंकि रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने पिछले हफ्ते कांग्रेस के दावों को खारिज कर दिया था कि यूपीए कार्यकाल में भी लक्षित हमले किए गए थे. सदस्यों ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा कि जयशंकर ने समिति से यह भी कहा कि 29 सितंबर के लक्षित हमले के बाद भी भारत पाकिस्तान से बातचीत कर रहा है, लेकिन भविष्य की बातचीत तथा इसके स्तर के बारे में कोई कैलेंडर नहीं तैयार किया गया है. उन्होंने कहा कि ऑपरेशन के समाप्त होने के बाद जल्द ही पाकिस्तानी सेना के सैन्य अभियान महानिदेशक (डीजीएमओ) को हमलों के बारे में सूचित कर दिया गया था.

करीब ढाई घंटे चली बैठक के दौरान सेना के उप प्रमुख ले. जनरल बिपिन रावत ने भी नियंत्रण रेखा के पार आतंकवादियों के ठिकानों पर लक्षित हमले का ब्यौरा दिया. सरकार के प्रतिनिधियों ने पैनल से कहा कि हमलों ने मकसद को अभी पूरा कर दिया है और पाकिस्तानी प्रतिष्ठान में हमेशा यह संदेह कायम रहेगा कि क्या भारत भविष्य में भी ऐसे अभियान चला सकता है. कांग्रेस के एक सदस्य जानना चाहते थे कि क्या भविष्य में भी ऐसे अभियान चलाए जा सकते हैं. सरकार के प्रतिनिधियों ने कहा कि ‘काफी कुछ सहने के बाद’ हमले किए गए|

  1. विदेश सचिव एस जयशंकर ने विदेश मामलों से जुड़ी संसदीय समिति को जानकारी दी
  2. उन्होंने कहा, यह पहला मौका जब सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक को सार्वजनिक किया
  3. जयशंकर की यह टिप्पणी रक्षा मंत्री के दावे की विरोधाभासी प्रतीत होती है

नई दिल्ली: संसद की एक समिति को बताया गया कि सेना ने पहले भी नियंत्रण रेखा के पार आतंकवाद विरोधी अभियान चलाया था जो ‘विशिष्ट लक्ष्य वाले सीमित क्षमता के थे’, लेकिन यह पहला मौका है जब सरकार ने इसे सार्वजनिक किया है. यह टिप्पणी रक्षा मंत्री के दावे की विरोधाभासी प्रतीत होती है.

विदेश सचिव एस जयशंकर ने विदेश मामलों से संबंधित संसदीय समिति को यह सूचना दी. सांसदों ने उनसे विशिष्ट रूप से सवाल किया था कि क्या पहले भी सर्जिकल स्ट्राइक (लक्षित हमले) किए गए थे. बैठक में मौजूद सूत्रों के अनुसार, विगत में नियंत्रण रेखा के पार विशिष्ट लक्ष्य वाले, सीमित क्षमता के आतंकवाद विरोधी अभियान चलाए गए थे, लेकिन यह पहला मौका है जब सरकार ने इसे सार्वजनिक किया है.

शीर्ष राजनयिक की टिप्पणी काफी अहम है, क्योंकि रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने पिछले हफ्ते कांग्रेस के दावों को खारिज कर दिया था कि यूपीए कार्यकाल में भी लक्षित हमले किए गए थे. सदस्यों ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा कि जयशंकर ने समिति से यह भी कहा कि 29 सितंबर के लक्षित हमले के बाद भी भारत पाकिस्तान से बातचीत कर रहा है, लेकिन भविष्य की बातचीत तथा इसके स्तर के बारे में कोई कैलेंडर नहीं तैयार किया गया है. उन्होंने कहा कि ऑपरेशन के समाप्त होने के बाद जल्द ही पाकिस्तानी सेना के सैन्य अभियान महानिदेशक (डीजीएमओ) को हमलों के बारे में सूचित कर दिया गया था.


करीब ढाई घंटे चली बैठक के दौरान सेना के उप प्रमुख ले. जनरल बिपिन रावत ने भी नियंत्रण रेखा के पार आतंकवादियों के ठिकानों पर लक्षित हमले का ब्यौरा दिया. सरकार के प्रतिनिधियों ने पैनल से कहा कि हमलों ने मकसद को अभी पूरा कर दिया है और पाकिस्तानी प्रतिष्ठान में हमेशा यह संदेह कायम रहेगा कि क्या भारत भविष्य में भी ऐसे अभियान चला सकता है. कांग्रेस के एक सदस्य जानना चाहते थे कि क्या भविष्य में भी ऐसे अभियान चलाए जा सकते हैं. सरकार के प्रतिनिधियों ने कहा कि ‘काफी कुछ सहने के बाद’ हमले किए गए.


हमले में आतंकवादियों के हताहत होने के बारे में सवाल किए जाने पर अधिकारियों ने कहा कि सेना नियंत्रण रेखा के पार हमले करने गयी थी न कि सबूत एकत्र करने. बैठक के दौरान बीजेपी और वाम दल के एक सदस्य के बीच शब्दों का आदान प्रदान हुआ जब हमलों के बाद सांसदों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया गया. कुछ सदस्यों ने कहा कि बैठक का विषय निजी सुरक्षा नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा है.

विशेष सचिव आंतरिक सचिव एम के सिंघला ने अति महत्वपूर्ण लोगों को दी जा रही सुरक्षा के बारे में समिति को सूचित किया. बैठक में रक्षा सचिव जी मोहन कुमार और सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक के के शर्मा भी शामिल हुए. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी समिति के सदस्य हैं. एक सदस्य ने कहा कि वह बैठक में शामिल हुए, लेकिन उन्होंने कोई सवाल नहीं पूछा.

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आतंकवाद पर पाकिस्तान को मिलकर घेरेंगे भारत-अफगानिस्तान, मोदी और गनी ने सुनाई खरी-खरी

ashraf-modi-s_650_091516102117आतंकवादियों का खुलकर समर्थन करने वाले पाकिस्तान को भारत और अफगानिस्तान ने कड़ा संदेश दिया है. प्रधानमंत्री मोदी और अफगा‍न राष्ट्रपति अशरफ गनी ने मुलाकात के दौरान दोनों देशों के रक्षा और कारोबारी संबंध और मजबूत करने का फैसला किया और ऐलान किया कि अगली हार्ट ऑफ एश‍िया कॉन्फ्रेंस अमृतसर में आयोजित की जाएगी|

अपनी बातचीत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने क्षेत्र में राजनीतिक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए निरंतर आतंकवाद के इस्तेमाल पर चिंता जताई. दोनों नेताओं के बीच बुधवार को क्षेत्रीय और द्विपक्षीय मुद्दों पर व्यापक चर्चा हुई. संप्रभु, लोकतांत्रिक, शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध अफगानिस्तान के लिए भारत के स्थायी समर्थन को दोहराते हुए पीएम मोदी ने शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, कौशल विकास, महिला सशक्तिकरण, ऊर्जा, आधारभूत संरचना जैसे क्षेत्रों में क्षमता निर्माण और लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत करने के लिए आगे जरूरतों पर देश के तैयार रहने के बारे में अवगत कराया|

भारत-अफगानिस्तान के बीच तीन समझौते
प्रधानमंत्री ने अफगानिस्तान को एक अरब डॉलर की मदद की पेशकश भी की. दोनों देशों प्रत्यर्पण समझौता, नागरिक और वाणिज्यिक मामलों में सहयोग तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किए. विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा, ‘‘दनों नेताओं ने क्षेत्रीय हालात पर चर्चा की और क्षेत्र में राजनीतिक लक्ष्यों के लिए आतंकवाद तथा हिंसा के निरंतर इस्तेमाल पर गंभीर चिंता जताई.’ उन्होंने कहा, ‘‘वे इस बात पर सहमत हुए कि यह घटनाक्रम क्षेत्र तथा इससे आगे शांति, स्थिरता और प्रगति के लिए सबसे बड़ा खतरा है|

नाम लिए बिना पाकिस्तान पर साधा निशाना
इस बात पर जोर देते हुए कि बिना भेदभाव के सभी तरह के आतंकवाद का खात्मा जरूरी है, दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान और भारत को निशाना बनाने वालों सहित आतंकवाद के सभी प्रायोजकों, समर्थकों, सुरक्षित पनाहगाह और ठिकानों को नेस्तनाबूद करने की बात की. हालांकि पाकिस्तान का नाम नहीं लिया गया. यह पूछे जाने पर कि रक्षा आपूर्ति बढ़ाने के अफगानिस्तान की लंबित मांग को क्या भारत ने मान लिया, जयशंकर ने कहा, ‘दोनों नेताओं ने आतंकवाद से मुकाबले और सुरक्षा तथा रक्षा सहयोग मजबूत करने के प्रति अपना संकल्प जताया जैसा कि भारत-अफगानिस्तान रणनीतिक साझेदारी समझौते में परिकल्पना की गई है|

अफगानिस्तान को 1.75 लाख टन गेहूं देने की पेशकश
जयशंकर ने किल्लत झेल रहे अफगानिस्तान को 1.75 लाख टन गेहूं आपूर्ति करने की भारत की पेशकश पर भी बात की. उन्होंने कहा कि भारत गेहूं की आपूर्ति करना चाहता है और उसने महीनों पहले पाकिस्तान से ट्रांजिट के लिए अनुरोध किया था, लेकिन हमें कोई जवाब नहीं मिला|

 

 

Source By:  आज तक

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पाकिस्तान को लगा बड़ा झटका, एफ 16 लड़ाकू विमान डील पड़ी खटाई में

article-zwrcorshql-1461821147वाशिंगटन। पाकिस्तान को अमेरिका से आठ एफ 16 विमान ख़रीदने के लिए अब पूरा पैसा अपनी जेब से खर्च करना होगा। इसको लेकर अमेरिकी कांग्रेस ने किसी तरह की मदद देने पर रोक लगा दी है। शीर्ष अमेरिकी सांसदों के ओबामा प्रशासन के फैसले पर चिंता करने के बाद से ही यह डील अब खटाई में पड़ गई है।

पाकिस्तान को बड़ा झटका

बीबीसी के मुताबिक, अमरीकी रक्षा विभाग की तरफ़ से जारी एक बयान में बताया गया है कि इन आठ विमानों और उससे जुड़े अन्य उपकरणों की क़ीमत लगभग सत्तर करोड़ डॉलर है। वहीं अब तक ये माना जा रहा था कि इस डील में लगभग 43 करोड़ डॉलर अमरीकी मदद के तहत पाक को मिलता और लगभग 27 करोड़ डॉलर पाक को स्वंय खर्च करने पड़ते।

अमरीकी विदेश विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बीबीसी को बताया कि ओबामा प्रशासन अब भी पाकिस्तान को एफ 16 बेचने के पक्ष में हे लेकिन उसके लिए अमरीकी पैसा नहीं ख़र्च किया जा सकता। माना जा रहा है कि इस फ़ैसले से एफ़ 16 की बिक्री अब खटाई में पड़ गई है क्योंकि जानकारों के अनुसार पाकिस्तान इसके लिए पूरा पैसा अपनी जेब से नहीं ख़र्च करेगा।

इसके अलावा प्रशासन ने इस साल के लिए पाक के लिए विदेशी सैन्य मदद के तहत दी जाने वाली 74 करोड़ बीस लाख डॉलर की मदद पर पर भी फ़िलहाल रोक लग गई है। यह फैसला तभी बदल सकता है जब कांग्रेस अपना इस पर दोबारा विचार करेगी।

आपको बता दें कि शीर्ष अमेरिकी सांसदों ने ओबामा से कहा है कि उन्हें पाकिस्तान को एफ 16 विमान देने के फैसले पर फिर से विचार करना चाहिए। सांसदों का मानना था कि पाकिस्तान को दिए जाने वाले यह एयरक्राफ्ट्स का इस्तेमाल आतंकवाद के खात्मे की बजाए भारत के भारत के खिलाफ युद्ध के लिए हो सकता है।

Source: पूरी दुनिया

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आपका दिल जीत लेगी ‘तेरे बिन लादेन’

फ़िल्म: तेरे बिन लादेन डैड ऑर अलाइव

निर्देशक: अभिषेक शर्मा

कलाकार: प्रद्युम्न सिंह, सिकंदर खेर, मनीष पॉल

रेटिंग: ***

आतंकवाद, हिंदी फ़िल्मों में हास्य की एक लघु विधा सी बन गई है |

यह फ़िल्म काफ़ी हद तक साल 2008 में आई हॉलीवुड कॉमेडी ‘ट्रॉपिक थंडर’ से प्रभावित लगती है |

सिकंदर खेर फ़िल्म में एक सनकी सीआईए एजेंट की भूमिका में हैं, जिसके गले में एक बटन लगा है, जिसे दबाते ही वो तोंद निकाले एक पंजाबी प्रोड्यूसर के रूप में आ जाते हैं, वह फ़िल्म में ज़बर्दस्त रहे है |

यह फ़िल्म 2010 की हिट फ़िल्म ‘तेरे बिन लादेन’ का सीक्वेल होनी चाहिए थी. फ़िल्म की पूरी टीम भी वही है. लेकिन ऐसा हो नहीं पाया है. सच तो यह है कि फ़िल्म अपने पहले हिस्से से बेख़बर सी जान पड़ती है |

‘तेरे बिन लादेन’ कराची में बेस्ड थी. उसमें एक केबल टीवी रिपोर्टर नकली ओसामा के वीडियो के ज़रिए नाम और पैसा कमाना चाहता है |फ़िल्म के इस दूसरे हिस्से में उसके दो प्रतिद्वंद्वी गुट आ जाते हैं, जो इस नकली ओसामा में अपना हिस्सा चाहते हैं |

जैसा सब जानते हैं कि ओसामा मर चुका है लेकिन अमरीकनों के पास यह साबित करने के लिए कोई वीडियो नहीं है |तो ऐसे में वह ओसामा को मारने का वीडियो शूट करना चाहते हैं |

दूसरी तरफ़ जिहादी ग्रुप हैं. वो यक़ीन करना चाहते हैं कि ओसामा अब भी ज़िंदा है. फ़िल्म का ये प्लॉट बड़ा मज़ेदार सा है जो आपको थिएटर तक जाने के लिए मजबूर कर सकता है|

प्रद्युम्न सिंह ने नकली ओसामा बिन लादेन का किरदार निभाया है. फ़िल्म के पहले हिस्से का हाईलाइट थे वो. प्रद्युम्न सिंह ने इस फ़िल्म का स्क्रीनप्ले और डायलॉग भी लिखे हैं. ख़ुशी की बात है कि बॉलीवुड ने उनके जैसा टैलेंट खोदकर बाहर निकाल लिया है|

ओसामा के अलावा फ़िल्म में ओबामा भी हैं. ये फ़िल्म तालिबान टाइप चरमपंथियों के साथ-साथ अमरीका, उसके राष्ट्रपति और सीआईए पर भी बढ़िया कटाक्ष करती है. मैं हैरानी से सोचने पर मजबूर हो जाता हूँ कि क्या इस तरह की व्यंग्यात्मक फ़िल्म भारत में बनानी मुमकिन है जहां हमारे प्रधानमंत्री को इसी तरह से तला-भूना जाए |

अरे रे. मैं क्या सोच रहा हूं ये तो देशद्रोह होगा न, मैं कितना असहिष्णु हूँ जो ऐसा सोच रहा हूँ,  आक थू. आतंकवाद को हास्य की चाशनी में परोसने वाली ऐसी फ़िल्मों में कुछ तो बात होती ही है. है न. हमने इनमें से कुछ फ़िल्में देखी भी हैं जैसे वेलकम टु कराची, बंगिस्तान, शक्ल पे मत जा वगैरह, लेकिन इनमें से कई फ़िल्में कई हास्य पैदा करने के चक्कर में ख़ुद को बड़ा हल्का बना लेती हैं ‘तेरे बिन लादेन डैड ऑर अलाइव’ इस मामले में एक संतुलित फ़िल्म है |

ज़्यादातर हिस्से में यह एक असरदार ब्लैक कॉमेडी है,  लेकिन हां अंत के कुछ मिनटों में यह ज़रूर खींची गई लगती है| लेकिन जब अमरीका कथित तौर पर वेपन ऑफ़ मास डेस्ट्रक्शन की थ्योरी को इतना आगे ले जा सकता है, जब चरमपंथी जन्नत में हूरों के दर्शन कराने के नाम पर युवाओं को हिंसा के लिए भड़का सकते हैं तो एक फ़िल्म थोड़ी सी अतिश्योक्तिपूर्ण क्यों नहीं हो सकती. आज के हालात पर ये फ़िल्म एक बढ़िया कटाक्ष है|

source by-dailyhunt

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