अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प 24 फरवरी को भारत आएंगे, दिल्ली-अहमदाबाद में कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प 24-25 फरवरी को भारत दौरे पर रहेंगे। व्हाइट हाउस ने सोमवार को इस बारे में जानकारी दी। ट्रम्प के साथ उनकी पत्नी मेलानिया भी दो दिवसीय दौरे पर साथ आएंगी। ट्रम्प नई दिल्ली और अहमदाबाद में कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर यह उनका पहला भारत दौरा है। उनसे पहले बराक ओबामा बतौर राष्ट्रपति दो बार- 2010 और 2015 में भारत दौरे पर आए थे।

  • अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में ट्रम्प का कार्यक्रम होना है
  • ट्रम्प अपनी पत्नी मेलानिया के साथ भारत पहुंचेंगे

व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी स्टेफनी ग्रीशम ने कहा कि इसी हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रम्प की फोन पर बातचीत हुई थी। इसमें दोनों के बीच सहमति बनी थी कि ट्रम्प की यात्रा से भारत-अमेरिका के बीच कूटनीतिक साझेदारी बढ़ेगी। साथ ही इससे अमेरिकी और भारतीय लोगों के बीच मजबूत संबंध भी उभरकर सामने आएंगे। वहां अभी से 300 पुलिस जवान और अधिकारी स्टेडियम में तैनात हैं। एनएसजी-एसपीजी की टीमें दोनों नेताओं के सुरक्षा कवच का हिस्सा होंगी। मोदी और ट्रम्प पहले अहमदाबाद एयरपोर्ट आएंगे। इसके बाद हेलिकॉप्टर से सीधे मोटेरा स्टेडियम पहुंचेंगे। कार्यक्रम के बाद ट्रम्प हेलिकॉप्टर से सीधे एयरपोर्ट जाएंगे। संभवत: यहीं से अमेरिका के लिए रवाना होंगे।

Donald-Trump-His-Wife and Narendra Modi

‘अमेरिका के लिए भारत अहम’

भारतवंशी अमेरिकी दानकर्ता एमआर रंगस्वामी ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रम्प के भारत दौरे का समय काफी अहम है। इससे अमेरिका और भारत के बीच चल रहे द्विपक्षीय व्यापार विवादों को सुलझाने में मदद मिलेगी। यूएस-इंडिया स्ट्रेटिजिक एंड पार्टनरशिप फोरम के अध्यक्ष मुकेश अघी के मुताबिक, दोनों देशों के बीच रिश्तों की अहमियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अमेरिका के पिछले तीनों राष्ट्रपति अपने कार्यकाल में भारत आए थे। इस क्षेत्र में यह संदेश देना जरूरी है कि भारत अमेरिका का अहम साझेदार है और ट्रम्प भी इसे अहमियत देते हैं।

कार्यक्रम की रूपरेखा तय 

  • सरदार पटेल मोटेरा स्टेडियम में दोपहर 3 से शाम 5:30 बजे तक कार्यक्रम चलेगा। मोदी-ट्रम्प के अहमदाबाद दौरे के मद्देनजर स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) के आईजी राजीव रंजन भगत ने सुरक्षा का जायजा लिया।
  • भगत की अध्यक्षता में सोमवार को अहमदाबाद एयरपोर्ट पर उच्चस्तरीय बैठक हुई। अहमदाबाद पुलिस कमिश्नर आशीष भाटिया ने अफसरों के साथ 4 घंटे बैठक की। आगामी चार दिन में सुरक्षा प्लान तैयार किया जाएगा।
  • ‘केम छो ट्रम्प’ के अलावा ट्रम्प के गांधीजी के साबरमती आश्रम जाने की भी संभावना है। वे सड़क मार्ग से आश्रम जा सकते हैं। इसके लिए सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त की जा रही है। 2-3 दिन में यूएस सीक्रेट सर्विस के अधिकारियों के अहमदाबाद पहुंचने के आसार हैं।

 

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दक्षिण चीन सागर पर मुंह की खाने के बाद ‘बौखलाये’ चीन ने फिलीपीन पर लगाये बेहद गंभीर आरोप

South chaina 2नयी दिल्ली/बीजिंग : साउथ चाइना शी यानी दक्षिण चीन सागर पर मंगलवार को हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के फैसले से चीन की बौखलाहट बढ़ गयी है. चीन की सरकार व मीडिया ने इसे बड़ा मुद्दा बनाते करो या मरो का स्वरूप दे दिया है. चीन ने न्यायाधिकरण में शामिल जापानी न्यायाधीश को तो कोसा ही है, साथ ही अमेरिका को भी खरी-खोटी सुनाई है. चीन की मीडिया ने फैसला आने से पहले ही अपने सेना को इस मुद्दे पर एक्टिव मोड में आने की नसीहत दे दी थी, जिसका असर फैसला आने के साथ दिखा जब चीन के रक्षा मंत्रालय ने भी अपनी सेना को हर परिस्थिति का मुकाबला करने के लिए तैयार रहने को कहा. यानी इस मुद्दे पर वह युद्ध व सीमित संघर्ष के लिए मानसिक रूप से तैयार है. वहीं, अमेरिकी सांसदों ने अपनी सरकार ने कहा है कि वह अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के फैसले को लागू करवाने के लिए हर प्रयास करे और जरूरत हो तो सैन्य ताकत का भी इस्तेमाल किया जाये. जाहिर है अब चीन व अमेरिका के बीच इस मुद्दे पर नये सिरे से संघर्षपूर्ण स्थिति बनेगी और यह शीतयुद्ध वाली स्थिति भी हो सकती है. उधर, आज चीन ने इस मुद्दे पर एक श्वेत पत्र लाया है और उसमें कहा है कि दक्षिण चीन सागर के रणनीतिक क्षेत्र पर बीजिंग का दावा 2000 साल पुराना है.
चीन की न्यूज वेबसाइट चाइनाडेली ने विशेषज्ञों के हवाले से लिखा है कि चीन में साउथ चीन में चीन को ब्लॉक करने के फैसले में फिलीपीन के पीछे अमेरिका का हाथ है. वेबसाइट ने लिखा है कि  इस क्षेत्र में फौजी व कूटनीतिक सक्रियता बढ़ेगी. चाइनीज एकेडमी में यूएस स्टडीज पर रिसर्च करने वाले ताओ वेनझाओ को कोट करते हुए वेबसाइट ने लिखा है कि हमलोग यह देखते रहे हैं कि वाशिंगटन ने स्वयं कभी समुद्र के संबंध में नियमों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलनों की कभी पुष्टि नहीं की, वह इस मुद्दे पर काफी लंबे अरसे से इस मुद्दे पर व मध्यस्थता मामले में फिलीपीन को सपोर्ट व प्रोत्साहित करता रहा है.
इसी तरह शंघाई जियातोंग यूनिवर्सिटी के जापान स्टडी सेंटर के डायरेक्टर वांग साओपू को कोट करते हुए वेबसाइट ने लिखा है कि जापान ने स्वयं को एशिया प्रशाांत क्षेत्र में पुनर्संतुलन रणनीति के सहयोगी की भूमिका में मान लिया है, साउथ चीन सागर इसका एक उदाहरण है.
इसी तरह रूलिंग नल एंड वाइड फैसला अमान्य नाम से एक स्टोरी लिखी गयी है, जिसमें चीन के राष्ट्रपति के हवाले से अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के फैसले को नकारा गया है. इसमें चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के हवाले से कहा गया है कि चीन विवादों को सीधे वार्ताकर सुलझाना चाहता है, लेकिन उसकी सार्वभौमिकता किसी भी परिस्थिति में हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के फैसले से प्रभावित नहीं होगी. इसी तरह एक अन्य आलेख लिखा गया है : वाय इज द इनिटिएशन आॅफ आर्बिट्रेशन एंगेस्ट लॉ? यानी, मध्यस्थता की पहल नियम के विरुद्ध क्यों है? इस आलेख में बिंदुवार न्यायाधिकरण के फैसले को खारिज करने के पीछे तर्क दिये गये हैं. इसमें फिलीपीन पर झूठ बोलने व कभी इस मुद्दे पर वार्ता नहीं करने का आरोप लगाया गया है.

चीन के दावे निरस्त, बनाये कृत्रिम द्वीप
चीन को कूटनीतिक तौर पर एक बड़ा झटका देते हुए स्थायी मध्यस्थता अदालत ने कल रणनीतिक लिहाज से महत्वपूर्ण दक्षिण चीन सागर में इस कम्युनिस्ट देश के दावों को निरस्त कर दिया था.

हेग स्थित अदालत ने कहा है कि चीन ने फिलीपीन के संप्रभुता के अधिकारों का उल्लंघन किया है. उसने कहा कि चीन ने कृत्रिम द्वीप बनाकर ‘‘मूंगे की चट्टानों वाले पर्यावरण को भारी नुकसान’ पहुंचाया है.


क्या है श्वेत पत्र में?

चीन द्वारा जारी किये गये श्वेत पत्र में कहा गया कि चीन का 2000 साल से दक्षिण चीन सागर पर दावा है और याचिका दायर करने वाला फिलीपीन चीनी क्षेत्र पर कब्जा कर रहा है. इसमें कहा गया कि दक्षिण चीन सागर में चीन और फिलीपीन के बीच विवादों के मूल में वे क्षेत्रीय मुद्दे हैं, जो 1970 के दशक में शुरू हुई फिलीपीन की घुसपैठ और कुछ द्वीपों एवं चीन के नांशा कुंदाओ :नांशा द्वीपसमूहों: पर अवैध कब्जे के कारण पैदा हुए हैं.

‘‘चीन और फिलीपीन के बीच दक्षिण चीन सागर को लेकर उपजे प्रासंगिक विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाने को तैयार है चीन’ शीर्षक वाले दस्तावेज में कहा गया, ‘‘फिलीपीन ने इस तथ्य को छिपाने के लिए और अपने क्षेत्रीय दावे बरकरार रखने के लिए कई बहाने गढ़े हैं.’ स्टेट काउंसिल इन्फॉर्मेशन ऑफिस की ओर से जारी श्वेत पत्र में कहा गया कि फिलीपीन का दावा इतिहास और अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार आधारहीन है.

पत्र में कहा गया कि इसके अलावा, समुद्र के अंतरराष्ट्रीय कानून के विकास के साथ दक्षिण चीन सागर के कुछ नौवहन क्षेत्रों को लेकर चीन और फिलीपीन में नौवहन सीमा-निर्धारण संबंधी विवाद भी पैदा हो गया.

श्वेत पत्र में फिलिपीन पर हमला बोलते हुए कहा गया कि मनीला ने चीन और फिलीपीन के बीच के द्विपक्षीय सहमति को नजरअंदाज करते हुए बार-बार प्रासंगिक विवादों को जटिल करने वाले कदम उठाए हैं, जिससे वे बढे ही हैं.


फिलीपीन ने हमारे द्वीपों पर बनाये हैं सैन्य ठिकाने : चीन
इस श्वेत पत्र में कहा गया है कि फिलीपीन ने घुसपैठ और अवैध कब्जा करके चीन के नांशा द्वीपसमूह के कुछ द्वीपों पर सैन्य प्रतिष्ठान बनाए हैं. उसने जानबूझकर चीन की ओर से लगाए गए सर्वेक्षण संकेतक नष्ट कर दिए और एक सैन्य वाहन को अवैध रूप से चलाकर चीन के रेनाई जियाओ द्वीप पर अवैध कब्जा करने की कोशिश की.
मछुआरों को प्रताड़ित करने का आरोप
इसमें कहा गया कि फिलिपीन चीन के हुआनग्यान दाओ के क्षेत्र पर भी दावा करता है. यह इसे अवैध रूप से कब्जाने की कोशिश कर चुका है और इसने जानबूझकर हुआनग्यान दाओ की घटना को अंजाम दिया था. श्वेत पत्र के अनुसार, फिलिपीन ने बार-बार चीनी मछुआरों को प्रताड़ित किया और मछली पकड़ने वाली नौकाओं पर हमला किया.

पत्र में कहा गया है कि जनवरी 2013 में, फिलिपीन गणतंत्र की तत्कालीन सरकार ने एकपक्षीय तरीके से दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता शुरु कर दी थी. ऐसा करके उसने द्विपक्षीय वार्ता के जरिए विवादों को सुलझाने के चीन के साथ चल रहे समझौते का उल्लंघन किया. इसमें कहा गया, ‘‘फिलिपीन ने तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा है, कानूनों की गलत व्याख्या की है और बहुत से झूठ गढ़े हैं ताकि दक्षिण चीन सागर में चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता और समुद्री अधिकार एवं हितों को नकारा जा सके.’ आगे श्वेत पत्र में कहा गया है कि फिलिपीन के एकपक्षीय अनुरोध पर स्थापित न्यायाधिकरण का यह अधिकार क्षेत्र नहीं है और इसकी ओर से सुनाए गए फैसले अमान्य हैं और ये बाध्यकारी नहीं हैं. चीन ऐसे फैसलों को न तो स्वीकार करता है और न ही मान्यता देता है.

अमेरिकी सांसदों ने फैसले के क्रियान्वयन पर दिया जोर

वाशिंगटन : शीर्ष अमेरिकी सांसदों ने कहा है कि अमेरिका को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दक्षिण चीन सागर में अधिकार संबंधी चीन के दावों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के फैसले को लागू किया जाए और यदि आवश्यकता पड़े तो उसे इस रणनीतिक क्षेत्र में ‘‘यथास्थिति’ बनाए रखने के लिए सैन्य संसाधनों का भी इस्तेमाल करना चाहिए.

सीनेटर जॉनी अर्नेस्ट ने छह रिपब्लिकन सीनेटरों के समूह का नेतृत्व करते हुए एक प्रस्ताव पेश किया जिसमें सभी पक्षों से हेग स्थित न्यायाधिकरण के फैसले का सम्मान करने की अपील की गयी है. न्यायाधिकरण ने फैसला सुनाया है कि ‘नाइन-डैश लाइन’ में पड़ने वाले समुद्री क्षेत्र या इसके संसाधनों पर ऐतिहासिक अधिकारों के दावे के लिए चीन के पास कोई कानूनी आधार नहीं है.

प्रस्ताव में दक्षिण चीन सागर में ‘‘बल प्रयोग के जरिए यथास्थिति बदलने ‘ के किसी भी प्रयास का विरोध करने की बात की गयी है. यह प्रस्ताव चीन से दक्षिण चीन सागर में सभी असैन्य एवं सैन्य गतिविधियों को रोकने की अपील करता है और अमेरिका एवं फिलीपीन के बीच आपसी सहयोग एवं सुरक्षा संधि की पुन: पुष्टि करता है. इसमें अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी से अपील की गयी है कि वह दक्षिण चीन सागर के उपर उड़ान भरने और नौवहन की स्वतंत्रता के प्रति अपना समर्थन दिखाने के लिए ‘‘सभी राजनयिक माध्यमों’ का इस्तेमाल करें|

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कश्मीर पर पाक का नया ‘पैंतरा’, इस बीच अमेरिकी सांसदों ने दिया है बड़ा झटका

NawazSharif-580x395नई दिल्ली/वाशिंगटन : कश्मीर हिंसा को लेकर पाकिस्तान हर बार नया पैंतरा खेल रहा है. पहले उसने आतंकी को मार गिराए जाने के लिए भारत की ‘निंदा’ कर दी. अब पाकिस्तान दुनिया के 5 बड़े देशों के सामने ‘शिकायत’ लेकर पहुंच गई है. पाक ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के पांच स्थायी सदस्य देशों (पी-5) से कहा कि वे कश्मीर में तनावपूर्ण हालात का संज्ञान लें. इधर आतंकवाद मामले में अमेरिकी सांसदों एवं विशेषज्ञों ने पाक को बड़ा झटका दिया है.

पाकिस्तान ने लगाए थे भारत पर आरोप

इससे पहले पी-5 से पाक ने कहा है कि भारत से अपील करें कि वह हिंसा प्रभावित घाटी में लोगों के ‘मानवाधिकारों का सम्मान’ करे. पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने बयान दिया है कि विदेश सचिव एजाज अहमद चौधरी ने चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका के दूतों को कश्मीर के हालात की जानकारी दी. हालांकि, इससे पहले ही अमेरिका ने कह दिया है कि कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है.

आतंकवाद को प्रायोजित करने वाला देश

पाकिस्तान के इन सब पैंतरों के बीच अमेरिकी सांसदों एवं विशेषज्ञों ने पाकिस्तान को दी जाने वाली मदद में कटौती करने को कहा है. इसके साथ ही पाक को आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले देश के तौर पर सूचीबद्ध करने की अपील की है. विशेषज्ञों ने हा कि आतंकवादी तत्वों को समर्थन देने वाला और चीजों को जोड़ तोड़ कर पेश करने वाला यह देश(पाकिस्तान) अमेरिका को मूर्ख समझता रहा है.

पाक, अमेरिका को मूर्ख बना रहा है

सदन की विदेश मामलों की समिति की एशिया एवं प्रशांत उपसमिति के अध्यक्ष मैट सैल्मन ने कहा, ‘वे हमें मूर्ख बना रहे हैं. वे हमें मूर्ख समझते हैं. यह माफिया को धन देने की तरह है.’ पूर्ववर्ती बुश काल के शीर्ष राजनयिक जाल्मे खलीलजाद ने सांसदों से कहा कि पाकिस्तानी नेतृत्व ने किस प्रकार दशकों से अमेरिकी प्रणाली के साथ खेल खेला है.

गैरराजनीतिक शब्दों का इस्तेमाल

उन्होंने कहा, ‘यदि मैं गैरराजनयिक शब्द का इस्तेमाल कर सकता हूं तो हम बहुत भोले भाले रहे हैं.’ सैल्मन ने खलीलजाद की बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘भोले भाले मूर्ख अधिकतर अमेरिकी यह देख सकते हैं और हमारे तथाकथित नेताओं को यह बात अभी तक समझ नहीं आई.’

पाकिस्तान को दी जाने वाली मदद में कटौती हो

फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसीज के लॉन्ग वार जर्नल के वरिष्ठ संपादक बिल रोजियो ने खलीलजाद से अपील की कि पाकिस्तान को दी जाने वाली मदद में कटौती की जाए. उसे आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले देश के रूप में सूचीबद्ध किया जाए. रोजियो ने कांग्रेस की सुनवाई के दौरान खलीलजाद एवं अन्य विशेषज्ञों के साथ ‘पाकिस्तान: आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मित्र या दुश्मन’ विषय पर अपना पक्ष रखा.

पाकिस्तान के साथ अनुभव साझा

उन्होंने कहा, ‘अंतत: वे हमें मूर्ख समझकर हमसे व्यवहार कर रहे हैं और हम पाकिस्तान को धन देने के लिए बहुत आतुर हैं.’ खलीलजाद ने बुश के शासनकाल में अफगानिस्तान में अमेरिकी राजदूत एवं संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के स्थायी प्रतिनिधि समेत विभिन्न राजनयिक पदों की जिम्मेदारी संभालते हुए पाकिस्तान नेतृत्व के साथ हुए अनुभव को साझा किया.

पाकिस्तान चीजों को तोड़ मरोड़कर पेश करता है

उन्होंने जानकारी दी कि, ‘पाकिस्तान बहुत चालाकी से चीजों को तोड़ मरोड़कर पेश करके हमारा इस्तेमाल करता रहा है. मुझे यह कहना होगा.’ उन्होंने कहा कि वे कांग्रेस के विशिष्ट सदस्यों तक पहुंचते हैं. वे उन्हें यात्रा के लिए आमंत्रित करते हैं. वे उन्हें लुभाते हैं, वे एक बार फिर वादा करते हैं और हमारे बयानों का ऐसा निष्कर्ष निकालते हैं जो तथ्यों के सापेक्ष ‘हैरान करने वाले’ होते हैं.

पाकिस्तान के संबंधों पर सख्त टिप्पणी

यह पूछे जाने पर कि अमेरिका उसी नीति को क्यों अपनाता रहा है. खलीलजाद ने कहा कि अपने कृत्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश करने की पाकिस्तान की क्षमता इसका एक कारण रही है. पूर्व शीर्ष अमेरिकी राजनयिक ने कहा, ‘पाकिस्तान के साथ संबंधों का मेरा अनुभव यह है कि वे आपको तभी कुछ देंगे, जब उन्हें यह पता होगा कि उन्हें कुछ मिलने वाला है.’

‘बलूचिस्तान के लोगों को मार रहा है’

कांग्रेस के सदस्य डाना रोहराबाचर ने कहा कि पाकिस्तान सरकार और सउदी अरब ने तालिबान एवं हक्कानी नेटवर्क बनाया. रोहराबाचर ने कहा कि अमेरिका का पाकिस्तान को मदद देना ‘मूखर्तापूर्ण’ है. उन्होंने कहा, ‘यह भ्रष्ट दमनकारी शासन बलूचिस्तान के लोगों को मार रहा है. बलूचिस्तान के लोगों को यह समझना चाहिए कि अमेरिका एक भ्रष्ट, आतंकवादी समर्थन शासन से उनकी स्वतंत्रता एवं स्वाधीनता के लिए उनके साथ है.’

‘ऐसी ही स्थिति सिंधियों के साथ हैं’

उन्होंने कहा, ‘ऐसी ही स्थिति सिंधियों के साथ है. ऐसे ही हालात पाकिस्तान के अन्य समूहों के साथ हैं. यदि कोई शासन लोगों की जान लेता है, दमन करता है और भ्रष्ट है और इसके बावजूद हम उन्हें किसी प्रकार का समर्थन देना जारी रखते हैं.. तो यह वाकई बेतुका है.’ आतंकवाद, अप्रसार एवं व्यापार उपसमिति के रैंकिंग सदस्य विलियम कीटिंग ने पैनल के सदस्यों से सवाल किया कि क्या आईएसआईएस सरकार के भीतर एक सरकार है.

‘पाकिस्तानी सेना का एक हथियार है’

अमेरिकन यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर ट्रीसिया बैकन ने कहा, ‘यह पाकिस्तान के भीतर एक दुष्ट संस्था कतई नहीं है. यह स्वतंत्र रूप से या स्वयं संचालन नहीं करता. यह पाकिस्तानी सेना का एक हथियार है. यह पाकिस्तानी सेना की नीतियां लागू कर रहा है. यह पाकिस्तानी सेना की ओर से नीतियां लागू कर रहा है.’

आईएसआई पर कड़ टिप्पणी की गई

बैकन ने कहा, ‘रोजियो ने कहा कि आईएसआई पाकिस्तानी सेना की एक शाखा है. यह पाकिस्तानी सेना की इच्छा को अंजाम दे रहा है जो वास्तव में पाकिस्तानी सरकार है. (चयनित) सरकार पाकिस्तानी सेना का केवल चेहरा है.’ खलीलजाद ने कहा, ‘मैं अपने सहकर्मी से सहमत हूं.’ सैल्मन ने कहा कि निजी रूप से उनका मानना है कि अमेरिका को पहले कदम के तौर पर पाकिस्तान को दी जाने वाली मदद को पूरी तरह बंद कर देना चाहिए.

source :- ABP news

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