सिरसा शक्तिफ़ार्म रोडो में सरकार द्वारा की गयी कटौती के ख़िलाफ़ क्रमिक अनशन कर आंदोलन की शुरुआत

13697153_1207336022664440_3105907692520701598_nशक्तिफ़ार्म व्यापार मंडल के बैनर तले सिरसा शक्तिफ़ार्म रोडो में सरकार द्वारा की गयी कटौती के ख़िलाफ़ क्रमिक अनशन कर आंदोलन की शुरुआत की जिसमें मा०_सौरभ_बहुगुणा_जी‬ ने समर्थन दिया और जनता की गुज़ारिश की कि सब मिलकर इस आंदोलन में आगे आए ताकि सरकार को मजबूर होकर अपना ये शासनादेश वापस लेना पड़े और रोड को उसी आदेश के हिसाब से बनाया जाए जो विजय बहुगुणा जी मुख्यमंत्री रहते हुए अध्धादेश करके गए थे !!

 

 

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उत्तराखंड से राष्ट्रपति शासन हटा, नौ बागियों को किए की सजा भुगतनी होगी : हाईकोर्ट

nainital~20~04~2016~1461140578_storyimageनैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य से राष्ट्रपति शासन हटाने का आदेश दिया है। नैनिताल कोर्ट ने कहा है कि राज्य में 18 मार्च से पहले की स्थिति बनी रहेगी। कोर्ट ने 29 अप्रैल को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट का भी आदेश दिया है, और कहा है कि कांग्रेस के नौ बागी विधायकों को अपने किए की सज़ा भुगतनी होगी।

इससे पहले, राज्य में राष्ट्रपति शासन पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने सख़्त टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने पूछा था ‘क्या इस केस में सरकार प्राइवेट पार्टी है?’ बीजेपी के बहुमत के दावों के बीच कोर्ट ने केंद्र से एक हफ़्ते तक राष्ट्रपति शासन नहीं हटाने का भरोसा देने के लिए कहा था। जब केंद्र ने कहा कि वह इस बात की कोई गारंटी नहीं दे सकते कि राज्य से राष्ट्रपति शासन हटाया जाएगा या नहीं, तो हाई कोर्ट ने कहा, ‘आपके इस तरह के व्यवहार से हमें तकलीफ हुई है।’

‘क्या सरकार इस केस में प्राइवेट पार्टी है’
इससे पूर्व उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने गुरुवार को फिर सख़्त टिप्पणी की। कोर्ट ने पूछा, ‘क्या इस केस में सरकार प्राइवेट पार्टी है? जजों ने पूछा, ‘यदि कल आप राष्ट्रपति शासन हटा लेते हैं और किसी को भी सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर देते हैं, तो यह न्याय का मजाक उड़ाना होगा। क्या केंद्र सरकार कोई प्राइवेट पार्टी है?’

नैनीताल हाई कोर्ट की डबल बेंच में चल रही सुनवाई में चीफ़ जस्टिस के एम जोसेफ़ ने केंद्र के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का पक्ष सुनने के दौरान कई सवाल किए। इस मामले के साथ चल रहे 9 बागी विधायकों के मामले में उनके वकील दिनेश द्विवेदी ने कहा कि यह समस्या कांग्रेस से नहीं बल्कि हरीश रावत और स्पीकर के साथ जुड़ी है, क्योंकि सभी 9 विधायक सदस्यता खत्म करने के बावजूद आज भी कांग्रेस के सदस्य हैं।

पहले भी लगाई है कड़ी फटकार
इससे बुधवार को भी उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार के फ़ैसले पर पर बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था, ‘भारत में संविधान से ऊपर कोई नहीं है। इस देश में संविधान को सर्वोच्च माना गया है। यह कोई राजा का आदेश नहीं है, जिसे बदला नहीं जा सकता है। राष्ट्रपति के आदेश को भी संविधान के ज़रिए बदला जा सकता है।’ केंद्र की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल  तुषार मेहता और हरीश रावत की तरफ़ से अभिषेक मनु सिंघवी ने बहस की।

राष्ट्रपति शासन हटने पर ऐसा होगा बहुमत का गणित
यदि केंद्र सरकार राज्य से राष्ट्रपति शासन हटा लेती है, तो बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया जा सकता है, क्योंकि वह बहुमत का दावा कर रही है। आइए हम एक नजर वर्तमान और भावी स्थिति पर डालते हैं-

उत्तराखंड विधानसभा की वर्तमान स्थिति
कुल सीटें- 71
कांग्रेस- 36
बीजेपी- 27
उत्तराखंड क्रांति दल- 1
निर्दलीय- 3
बीएसपी- 2
बीजेपी निष्कासित- 1
मनोनीत- 1

ऐसी हो सकती है भावी स्थिति-
बहुमत का आंकड़ा- 36
कांग्रेस कैंप- 44-9= 35
बीजेपी कैंप- 27+9= 36

इस प्रकार बीजेपी बहुमत साबित करके सरकार बना लेगी। हालांकि अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा।

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उत्तराखंड में लगाया गया राष्ट्रपति शासन, नैनीताल हाई कोर्ट में कांग्रेस ने दी याचिका

harish-rawatदेहरादून: उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया है। केंद्र सरकार ने बीती रात कैबिनेट की बैठक के बाद राष्ट्रपति से इसके लिए सिफारिश की थी जिसे राष्ट्रपति ने मान लिया है। वहीं, कांग्रेस ने उत्तराखंड के नैनीताल में स्थित हाई कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर की है। पार्टी नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने यह याचिका दायर कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने का विरोध किया है।

इससे पहले केंद्र सरकार का कहना था कि उत्तराखंड में संवैधानिक व्यवस्था चरमरा गई थी और विधायकों की खरीद-फरोख्त हो रही थी, जिसे देखते हुए राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला किया गया था।

आदेश के अनुसार, विधानसभा को भंग नहीं किया गया है, बल्कि निलंबित रखा गया है। उधर, कांग्रेस और खासतौर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे हरीश रावत ने इसे संविधान और लोकतंत्र की हत्या बताया है।

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि धारा 356 के प्रयोग का इससे बेहतर कोई दूसरा उदाहरण नहीं हो सकता है। पिछले नौ दिन से हर दिन संविधान के प्रावधानों की हत्या हो रही थी।

नौ दिन पहले कांग्रेस के नौ विधायकों की बग़ावत का पटाक्षेप उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के तौर पर हुआ। राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय कैबिनेट की सिफारिश राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मंजूर कर ली। ये फैसला उत्तराखंड विधानसभा में बहुमत परीक्षण से ठीक एक दिन पहले हुआ।

केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि राज्य में संवैधानिक व्यवस्था चरमरा चुकी थी।

जेटली ने कहा कि संविधान में लिखा है कि जब बजट फेल होता है तो इस्तीफ़ा देना होता है। स्वतंत्र भारत में पहला उदाहरण है जब एक एक फेल्ड बिल को बिना वोट लिए पारित होने की घोषणा कर दी गई। 18 तारीख के बाद से जो सरकार चली है, वह असंवैधानिक है।

उधर, मुख्यमंत्री रहे हरीश रावत ने इसे लोकतंत्र और संविधान की हत्या बताते हुए केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए।

रावत ने कहा कि शायद ही ऐसा कोई उदाहरण जिसे बहुमत सिद्ध करने से एक दिन पहले ही बर्ख़ास्त कर दिया जाए। सरकार का बहुमत विधानसभा में तय होना चाहिए था। ऐसी क्या जल्दबाज़ी थी कि सरकार को भंग कर दिया गया।

अरुण जेटली ने ये भी कहा कि विधानसभा स्पीकर ने बीजेपी के एक बाग़ी विधायक के ख़िलाफ़ कोई कार्यवाही नहीं की जबकि वो कांग्रेस के नौ बाग़ी विधायकों के ख़िलाफ़ मनमाने तरीके से दल बदल कानून का प्रयोग कर रहे थे।

जेटली  ने कहा कि संविधान की दसवीं अनुसूची है जिसका डिसक्रिमिनेटरी तरीके से प्रयोग हुआ। ये पहला उदाहरण है स्वतंत्र उदाहरण में कि एविडेंस आया हो और अपने मुंह से मुख्यमंत्री जी हॉर्स ट्रेडिंग का प्रयास कर रहे हों।

राष्ट्रपति शासन के ऐलान के बावजूद उत्तराखंड विधानसभा के स्पीकर रहे गोविंद सिंह कुंजवाल ने बाग़ी विधायकों की सदस्यता रद्द करने का ऐलान कर दिया।

उत्तराखंड विधानसभा स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि हमें राष्ट्रपति शासन की कोई सूचना नहीं मिली है।

साफ़ है कि उत्तराखंड की सियासत को लेकर खींचतान अभी बाक़ी है। विधानसभा को भंग नहीं किया गया है बल्कि निलंबित रखा गया है। ऐसे में राष्ट्रपति शासन के बावजूद किसी नई सरकार के गठन का विकल्प अभी खुला है। देखना है कि इसके लिए बीजेपी अगर पहल करती है तो कब।

उत्तराखंड में वसंत के मौसम में ही सियासी सरगर्मियों ने पारा काफ़ी बढ़ा दिया है। विधायकों की ख़रीदफ़रोख़्त के आरोपों के बीच बीते दो महीने में दूसरी बार किसी राज्य सरकार को बर्ख़ास्त कर राष्ट्रपति शासन लगा है। हालांकि अरुणाचल में इसके बाद बीजेपी ने सरकार बना ली, लेकिन क्या उत्तराखंड में भी बाग़ियों के सहारे ऐसा करने की कोशिश होगी। ये एक बड़ा सवाल है।

News Coverage : Dinesh Sehgal

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