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सरकार ने वोडाफोन-आइडिया की ये मांग मान ली तो आप इंटरनेट चलाने से डरेंगे!

कई टेलीकॉम कंपनियों की हालत ठीक नहीं चल रही है. डेटा पैक महंगे हो रहे हैं. सस्ते डेटा और फ्री कॉलिंग का ज़माना लद सकता है. अब वोडाफोन-आइडिया चाहती हैं कि मोबाइल डेटा के लिए मिनिमम टैरिफ को 35 रुपए प्रति जीबी कर देना चाहिए. ये रेट अभी के डेटा टैरिफ के मुकाबले 7 से 8 गुना ज्यादा है. फिलहाल एक जीबी मोबाइल डेटा के लिए लगभग चार  से पांच रुपए लगते हैं.

इसके लिए वोडाफोन-आइडिया ने सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम को एक लेटर लिखा है. इसमें ये भी कहा गया कि कंपनी चाहती है मिनिमम चार्ज 50 रुपए कर दिया जाना चाहिए. दोनों कंपनियों ने नए रेट 1 अप्रैल, 2020 से लागू करने की सिफारिश की है.

कॉलिंग टैरिफ बढ़ाने की भी मांग

वोडाफोन-आइडिया ये भी चाहते हैं कि आउटगोइंग कॉल्स के लिए मिनिमम 6 पैसे प्रति मिनट का रेट फिक्स किया जाए. इनका कहना है कि टैरिफ बढ़ने के बाद कंपनी को तीन साल रेवेन्यू जेनरेट करने में लगेंगे, जैसे पहले लगते थे. इसके लिए कंपनी ने तीन साल का वक्त भी मांगा है.

दोनों पर 53,000 करोड़ रुपए बकाया 

इस समय वोडाफोन-आइडिया पर 53,000 करोड़ रुपए बकाया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इन्हें ये बकाया बतौर AGR चुकाना है. AGR माने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू. दोनों कंपनियों ने ये रकम चुकाने के लिए 18 साल का वक्त मांगा है.  मोबाइल कॉल और डेटा रेट में बढ़ोतरी से 2015-16 में दोनों कंपनियों को अलग-अलग मुनाफा हुआ था. इसीलिए कंपनियां फिर ऐसा चाहती हैं.

अगर ये सिफारिशें मानी गईं तो संभावना है कि जियो और एयरटेल जैसी दूसरी कंपनियां भी कीमत बढ़ाएं. अगर ऐसा होगा तो यूजर्स को डेटा और कॉलिग के लिए ज़्यादा पैसे देने पड़ेंगे.

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वोडाफोन-आइडिया के पास दो रास्ते, हिस्सेदारी बेचे या दिवालिया घोषित करे: विश्लेषक

वित्तीय संकट से जूझ रही कंपनी वोडाफोन आइडिया के पास अब दो ही विकल्प बचे हैं या तो इसके प्रमोटर कंपनी में हिस्सेदारी बेचे या फिर वह खुद को दिवालिया घोषित करे।

कोलकाता/मुंबई
भारी-भरकम कर्ज और लगातार घाटे के कारण घोर वित्तीय संकट से जूझ रही टेलिकॉम कंपनी वोडाफोन-आइडिया पर अब बंद होने का खतरा मंडराने लगा है। पैसे की तंगी झेल रही कंपनी के पास अब दो ही विकल्प बचे हैं, या तो इसके प्रमोटर कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेचें या फिर वह अपने आपको दिवालिया घोषित करे। विश्लेषकों ने यह बात कही है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कंपनी को 17 फरवरी से पहले 53,000 करोड़ रुपये का बकाया चुकाने का आदेश दिया है

  • वित्तीय संकट से जूझ रही कंपनी वोडाफोन आइडिया के पास अब दो ही विकल्प
  • सके प्रमोटर कंपनी में हिस्सेदारी बेचे या फिर वह खुद को दिवालिया घोषित करे
  • कंपनी को 17 फरवरी से पहले 53,000 करोड़ रुपये का बकाया चुकाने का है आदेश
  • वोडाफोन आइडिया पर 53,000 करोड़ रुपये का एजीआर बकाया

कंपनी के भविष्य पर आशंका के बादल
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने उम्मीद जताई है कि कंपनी बकाया चुकता कर देगी। हालांकि, विश्लेषक कंपनी के भविष्य को लेकर आशंकित हैं। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच के निदेशक (कॉर्पोरेट्स) नितिन सोनी ने इकनॉमिक टाइम्स से कहा, ‘अगर प्रमोटर्स की तरफ से ताजा इक्विटी निवेश नहीं किया गया तो कंपनी को डूबने से कोई नहीं रोक सकता, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट टेलिकॉम कंपनी द्वारा दाखिल पुनर्विचार याचिका को खारिज कर चुका है, ऐसे में उसे सरकार से कोई राहत मिलने की कोई उम्मीद दिखाई नहीं पड़ रही है।’

वोडाफोन-आइडिया की प्रमोटर्स कंपनियों वोडाफोन ग्रुप तथा आदित्य बिड़ला ग्रुप ने ईटी के सवालों का फिलहाल कोई जवाब नहीं दिया है।

लगातार छठी तिमाही में घाटा
वोडाफोन आइडिया पर 53,000 करोड़ रुपये का एजीआर (अडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू) बकाया है। गुरुवार को कंपनी की तीसरी तिमाही के वित्तीय नतीजे जारी हुए हैं, जिसमें उसे 6,439 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। यह लगातार छठी तिमाही है, जब कंपनी को नुकसान हुआ है। शुक्रवार को बीएसई पर कंपनी का शेयर 23% लुढ़ककर 3.44 रुपये पर बंद हुआ।

NCLT का भी रास्ता
एसबीआईकैप सिक्यॉरिटीज के रिसर्च हेड राजीव शर्मा ने कहा, ‘वोडाफोन आइडिया के पास पैसे नहीं हैं, इसलिए वह राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) में जा सकती है, क्योंकि उसे 17 मार्च को मामले की होने वाली अगली सुनवाई से पहले बकाये का भुगतान करना है।’

सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ वकील ने कहा कि वोडाफोन आइडिया एनसीएलटी में जा सकती है और वह मामले को स्वीकार कर लेता है तो बैंकरप्टसी लॉ के तहत बकाया चुकाने पर रोक लग जाएगी और इस तरह कंपनी को भुगतान नहीं करना पड़ सकता है।

सुप्रीम कोर्ट के पाले में गेंद
उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि कंपनी एक बार फिर कोर्ट जाएगी और अपनी हालत के बारे में उसे बताएगी कि किन कारणों से वह बकाये का भुगतान नहीं कर पाई। उन्होंने कहा, ‘एनसीएलटी 16 फरवरी तक मामले को स्वीकार कर भी सकता है या नहीं भी। अगर स्वीकार करता भी है तो यह सुप्रीम कोर्ट के वोडाफोन आइडिया की वित्तीय हालत पर संज्ञान लेने तथा वह अवमानना के मामले को आगे बढ़ाना चाहता है या नहीं, इसपर निर्भर करेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कंपनी को एजीआर का बकाया चुकाने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा है कि अगर वह पूरी रकम नहीं चुका सकती है तो एक बड़ी रकम जमा कराए और बाकी रकम बाद में जमा करा सकती है। यह निर्देश अक्टूबर 2019 के फैसले में भी दिया गया था।

वोडाफोन पूंजी निवेश न करने पर अडिग
वोडाफोन आइडिया पहले ही कह चुकी है कि अगर एजीआर मामले में सरकार की तरफ से उसे राहत नहीं मिली तो कंपनी बंद हो सकती है। सोनी ने कहा कि अगर वोडाफोन आइडिया कारोबार बंद करती है तो सरकार को एजीआर के अलावा, स्पेक्ट्रम की बकाया रकम हासिल करने के लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है, क्योंकि कंपनी के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला पहले ही कह चुकी है कि न्यायालय या सरकार की तरफ से राहत नहीं मिलती है तो कंपनी अपना कारोबार बंद कर सकती है।

क्या होता है AGR
अडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा टेलिकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला यूसेज और लाइसेंसिग फीस है। इसके दो हिस्से होते हैं- स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज और लाइसेंसिंग फीस, जो क्रमश 3-5% और 8% होता है। समस्या उस वक्त शुरू हुई, जब सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अपने एक आदेश में टेलिकॉम कंपनियों के नॉन कोर बिजनस से हुई आय को भी एजीआर के दायरे में ला दिया, जिससे कंपनियों पर देनदारी में कई गुना इजाफा हो गया।

 

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वाद-विवाद के बाद साथ बैठीं रिलायंस जियो और अन्य टेलीकॉम कंपनियां

rjio_mukesh_ambaniनई दिल्ली: भारत के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी रिलायंस जियो लेकर टेलीकॉम सेक्टर में कूद चुके हैं, लेकिन पुराने धुरंधरों ने उनका किसी भी तरह से स्वागत नहीं किया| मुकेश अंबानी की इस पहल को उनकी विरोधी टेलीकॉम कंपनियों ने 20 अरब डॉलर का स्टार्टअप कहकर मजाक उड़ाया था|

पिछले काफी दिनों से धमकियों, शिकायतों, आरोप-प्रतियारोपों और यहां तक कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) तक को घसीटे जाने के बाद आखिरकार शुक्रवार को देश की तमाम बड़ी टेलीकॉम कंपनियों के बड़े अधिकारियों ने एक कमरे में बैठकर अपने मुद्दों और विवादों को सुलझाने की कोशिश की|

दूरसंचार क्षेत्र के नियामक ट्राई ने शुक्रवार को दूरसंचार क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों ‘रिलायंस जियो, भारती एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया’ से मुलाकात कर नेटवर्क अंतरसंपर्क को लेकर कंपनियों के बीच जारी विवाद पर बातचीत की, लेकिन इस बैठक से दूरसंचार उद्योग के संगठन सीओएआई के अधिकारियों को बाहर रखा|

रिलायंस जियो इन्फोकॉम के निदेशक मंडल के सदस्य महेंद्र नहाटा ने घंटेभर चली बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘यह न्याय की लड़ाई है, यह ग्राहकों की लड़ाई है| यह न सिर्फ रिलायंस जियो या एयरटेल या वोडाफोन के ग्राहकों के लिए बल्कि सभी भारतीय ग्राहकों के लिए है|’ जियो ने मौजूदा दूरसंचार परिचालकों पर आरोप लगाया है कि वे रिलायंस जियो के मोबाइल नेटवर्क को उनके नेटवर्क से जुड़ने के लिए पर्याप्त संख्या में उपकरण प्रदान नहीं कर रहे हैं|

नहाटा ने कहा, ‘हमने सही संख्या में संपर्क, सही मात्रा में अंतरसंपर्क की मांग की है| हमने ट्राई के सामने अपना विचार रखा. ट्राई की जिम्मेदारी है कि वह इस पर विचार करे| ट्राई ने इस संबंध में कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की है|’ बता दें कि मोबाइल उपभोक्ताओं के लिए किसी दूरसंचार कंपनी के ग्राहक या नंबर पर फोन करने के लिए अंतरसंपर्क आवश्यक है|

दूरसंचार क्षेत्र में कार्यरत मौजूदा कंपनियों की ओर से रिलायंस जियो से संघर्षरत उद्योग संगठन सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने आरोप लगाया है कि रिलायंस जियो के दबाव में उसे बैठक से बाहर रखा गया|

उद्योग मंडल के महानिदेशक राजन एस. मैथ्यूज ने कहा, ‘सीओएआई को रिलायंस जियो के कहने पर ट्राई की बैठक से बाहर रखा गया और ट्राई ने अप्रत्याशित तौर पर उनकी मांग को चुप-चाप मान लिया|’ नहाटा ने इस आरोप को यह कहते हुए खारिज किया कि उन्होंने ऐसा कोई आग्रह नहीं किया| उन्होंने कहा कि जिस किसी को भी आमंत्रित किया गया वे बैठक में भाग लें|

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकार (ट्राई) ने अंतरसंपर्क क्षेत्रों के संबंध में रिलायंस जियो और एयरटेल, वोडाफोन तथा आइडिया जैसे मौजूदा दूरसंचार परिचालकों के साथ चल रहे विवाद को सुलझाने के लिए बैठक बुलाई थी|

सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने गुरुवार को ट्राई को लिखा है कि शुक्रवार को जो बैठक बुलाई गई है जिसमें कि एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया को चर्चा के लिए बुलाया गया है, एसोसिएसन सभी सदस्यों से जुड़ी है न कि सिर्फ इन तीन दूरसंचार कंपनियों से.

सीओएआई ने पत्र में लिखा है, ‘इसलिए हम आग्रह करते हैं सीओएआई के सभी सदस्यों को उक्त बैठक में बुलाया जाए.’ सीओएआई ने अगस्त में ट्राई पर पक्षपात का आरोप लगाया था, लेकिन बाद में ऐसे आरोप लगाने के लिए माफी भी मांग ली थी|

रिलायंस जियो जिसने पांच सितंबर को अपनी सेवा वाणिज्यिक तौर पर पेश की, ने मौजूदा परिचालकों पर आरोप लगाया था कि वे पर्याप्त अंतरसंपर्क पोर्ट नहीं छोड़ रही हैं और उसने इस संबंध में उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है|

सीओएआई मौजूदा दूरसंचार परिचालकों की राय का प्रतिनिधित्व करते हुए रिलायंस जियो का यह कहते हुए विरोध कर रही है कि यह संगठन में बहुमत का विचार है| रिलायंस जियो भी सीओएआई का सदस्य है, लेकिन उसे संगठन में प्रमुख दूरसंचार कंपनियों ने दरकिनार कर दिया है.

रिलायंस जियो ने कहा है कि उसकी सेवा 31 दिसंबर तक मुफ्त हैं, जिसके बाद उपभोक्ताओं से मुफ्त वॉयस काल समेत टैरिफ प्लान के आधार पर शुल्क लिया जाएगा|

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को  दी सन्डे हेडलाइंस  टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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