स्वामी के बार में बोलते हुए पीएम मोदी अचानक भावुक हो गए और उनके मुंह से शब्द निकलने बंद हो गए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को स्वामीनारायण पंथ के अगुवा प्रमुख स्वामी को याद करते हुए भावुक हो गए और कहा कि पिता के समान एक व्यक्ति को उन्होंने खो दिया। स्वामी का बीते शनिवार (13 अगस्त) को यहां निधन हो गया था। उनके साथ अपने करीबी संबंधों को याद करते हुए मोदी ने उन्हें अपना पिता बताया और एक मंदिर में यहां करीब 20 मिनट के भाषण के दौरान दो बार भावुक नजर आए। इसी मंदिर में स्वामी का पार्थिव शरीर रखा गया है। मोदी ने कहा, ‘आपमें से कई ने एक गुरु को खोया होगा लेकिन मैंने एक पिता को खो दिया।’ इतना बोलने के बाद अपनी भावनाओं को काबू करने के लिए वे करीब एक मिनट तक रुके। प्रधानमंत्री ने उन्हें श्रेष्ठता और दिव्यता का संगम बताते हुए कहा कि वह प्रमुख स्वामी को उस समय से जानते हैं जब वे सार्वजनिक शख्सियत नहीं थे। मोदी ने संत संस्कृति में सुधार लाने के लिए उनकी तारीफ की। प्रमुख स्वामी महाराज का पार्थिव शरीर 17 अगस्त तक मंदिर में रखा जाएगा ताकि उनके अनुयायी और नागरिक उनके अंतिम दर्शन कर सकें। मोदी ने उनके पार्थिव शरीर पर फूल चढ़ाए।
प्रमुख स्वामी के साथ अपने जुड़ाव की कुछ घटनाओं को याद करते हुए मोदी ने कहा कि एक बार स्वामी ने उनसे अमदाबाद के एक मंदिर में स्वामीनारायण पंथ के संतों के समूह को संबोधित करने के लिए कहा था जिस पर उन्होंने आश्चर्य जताते हुए पूछा था कि उन्हें (संतों) उनसे क्या मिलेगा? मोदी ने कहा, ‘जब मैंने प्रमुख स्वामी से यह कहा तो वे बोले, नहीं, संतों को सामाजिक वास्तविकता के बारे में पता होना चाहिए क्योंकि उन्हें सही दिशा में समाज के लिए काम करना है।’ प्रधानमंत्री ने प्रमुख स्वामी को स्वामीनारायण पंथ में लाने वाले योगीजी महाराज को भी याद किया और कहा कि स्वामी ने एक उदाहरण तय किया कि शिष्य कैसा होना चाहिए। मोदी ने कहा, ‘हम प्रमुख स्वामी को गुरु के रूप में जानते हैं, लेकिन उन्हें देखकर कोई यह भी समझ सकता है कि शिष्य कैसा होना चाहिए।’ उन्होंने याद किया कि किस तरह प्रमुख स्वामी ने दिल्ली में यमुना नदी के किनारे अक्षरधाम मंदिर बनाकर अपने गुरु की इच्छा पूरी की। मोदी ने कहा, ‘काफी वक्त पहले, योगीजी ने प्रमुख स्वामी के सामने यमुना के तट पर एक मंदिर बनवाने की इच्छा जताई थी। यह इच्छा अनौपचारिक रूप से व्यक्त की गई थी। उनके गुजर जाने के बाद एक शिष्य के रूप में प्रमुख स्वामी ने अक्षरधाम मंदिर बनवाकर उनकी इच्छा पूरी की।’
मोदी ने कहा कि उनके गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के बाद, प्रमुख स्वामी ने उनके भाषणों के वीडियो जो उन्होंने सुने थे, वे मंगाएं और उन्हें फोन कर (उनके भाषणों में प्रयुक्त कुछ शब्दों के पर) कहा कि, ‘आपको इन शब्दों को प्रयोग नहीं करना चाहिए था।’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘(प्रमुख स्वामी) ने मुझे ऐसी चीजें सिखाईं जो मुझे मेरे राजनीतिक गुरु तक ने नहीं सिखाईं।’ मोदी ने कहा कि स्वामी अंतर्ज्ञान के जरिए उनके बारे में बहुत सारी चीजें जानते थे। उन्होंने स्वामी की ओर से उन्हें दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर में बनने के वक्त बुलाने की घटना याद की। प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रमुख स्वामी जानते थे कि उनके (मोदी) पास धन नहीं है और उन्होंने शिष्य ब्रहमबिहारी स्वामी से उन्हें धन देने को कहा। उन्होंने कहा, ‘मेरे पास वास्तव में वक्त धन (पैसे) नहीं था।’ मोदी ने एक और घटना याद की जब साल 1992 में प्रमुख स्वामी और उनकी (मोदी) मां ने उन्हें उस समय फोन किया था जब वह लाल चौक पर तनावपूर्ण स्थिति में तिरंगा फहराने के बाद जम्मू कश्मीर के श्रीनगर हवाई अड्डे पर थे।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘स्वामी ने आश्वस्त किया ‘स्वामीनारायण सब अच्छा करेंगे।’ उस तनाव में उनके फोन कॉल और उनके परवाह करने वाले शब्दों से मुझे हैरत हुई। उस दिन मेरे पास दूसरा फोन मेरी मां का था।’ मोदी ने दो साल पहले की वह घटना याद की जब वह स्वामी जी को भोजन करने के लिए मनाने में सफल रहे थे। उनके एक शिष्य का उनके पास फोन आया था कि स्वामी ने खाना छोड़ दिया है और उनका स्वास्थ्य बिगड़ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘उन्होंने मेरी अपील मान ली और मुझे बताया गया कि उन्होंने भोजन करना शुरू कर दिया है। हमारा ऐसा संबंध था।’ मोदी ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने उन्हें विजन 2020 हासिल करने की दिशा में मुख्य व्यक्ति बताया था।
sources-jansatta