जब रूठी थी मैं तो मनाया क्यूँ नहीं ?
रुठुंगी मैं तुमसे इक दिन इस बात पे
जब रूठी थी मैं तो मनाया क्यूँ नहीं ?
कहते थे तुम तो करते हो मुझसे प्यार
जो दिखाया मैंने नखरा तो उठाया क्यूँ नहीं ?
मुँह फेर कर जब खड़ी थी मैं वहां
बुलाकर पास सीने से अपने लगाया क्यूँ नहीं ?
पकड़ कर तेरे कॉलर पूछूंगी मैं तुमसे
हक़ अपना मुझ पर तुमने जताया क्यूँ नहीं ?
इस धागे का एक सिरा तुम्हारे पास भी तो था
उलझा था अगर मुझसे तो तुमने सुलझाया क्यूँ नहीं ?
= पूनम सक्सेना –
ruthungee main tumase ik din is baat pe
jab roothee thee main to manaaya kyoon nahin ?
kahate the tum to karate ho mujhase pyaar
jo dikhaaya mainne nakhara to uthaaya kyoon nahin ?
munh pher kar jab kadee thee main vahaan
bulaakar paas seene se apane lagaaya kyoon nahin ?
pakad kar tere kolar poochhoongee main tumase
haq apana mujh par tumane jataaya kyoon nahin ?
is dhaage ka ek sira tumhaare paas bhee to tha
ulajha tha agar mujhase to tumane sulajhaaya kyoon nahin ?
जब रूठी थी मैं तो मनाया क्यूँ नहीं ? Read More