बूढ़े मां-बाप को शिव का जलाभिषेक कराने कांवड़ में लेकर निकला नौजवान
आज के युग में जहां युवा अपने वृद्ध-मां बाप को वृद्धाश्रम छोड़ देते हैं वहीं धौरहरा के रहने वाले अच्छेलाल अपने माता-पिता के लिए श्रवण कुमार से कम नहीं हैं। आपने श्रवण कुमार की पौराणिक कथा सुनी होगी। इसमें श्रवण अपने वृद्ध और अंधे माता-पिता को कांवर में बिठाकर तीर्थयात्रा कराई थी। अब हम कलियुग के श्रवण कुमार से मिलाते हैं। अच्छेलाल अपने वृद्ध मां-बाप को शिवका जलाभिषेक कराने के लिए कंधे पर उठाकर निकले हैं।
धौरहरा तहसील रेहुआ गांव में रहने वाले युवक अच्छेलाल हर साल सावन महीने में कांवड़ लेकर छोटीकाशी गोला जाते हैं। इस साल उनके वृद्ध माता-पिता ने भी भोलेनाथ का जलाभिषेक करने की इच्छा जाहिर की। अच्छे लाल ने माता-पिता को कंधे पर उठाकर शिवजी का जलाभिषेक करने के लिए चल पडे़। माता-पिता की सेवा और शिवभक्ति में लीन रहने वाले अच्छेलाल ने बांस का एक मजबूत डंडा लिया। दोनों सिरों पर कांवड़ बांधी और एक तरफ मां को दूसरी तरफ पिता को बिठाकर चल दिए।
श्रवण की इस भक्ति को देखकर गांव के तमाम लोग इस यात्रा में शामिल हो गए। जालिमनगर पुल के पास से पवित्र सरयू नदी के तटपर पूजा अर्चना कर कांवड़ भरी और चल दिए। जहां से कांवड़यात्रा शुरू हुई है वहां से छोटीकाशी गोला की दूरी 100 किलोमीटर है। पीलीभीत-बस्ती रोड पर सड़क किनारे कंधे पर माता-पिता को शिवजी के दर्शन कराने ले जाते हुए अच्छेलाल को देखकर लोगों को श्रवण कुमार की याद आ जाती है।
अच्छेलाल ने बताया कि माता-पिता की सेवा करना कर्तव्य है। श्रवण कुमार की कथा सुनने के बाद उन्होंने माता-पिता को उन्हीं की तरह तीर्थ कराने का जो संकल्प लिया है उसे पूरा करेंगे। रास्ते में रात हो जाने पर सड़क किनारे माता-पिता के साथ सो जाते हैं। सुबह उठकर फिर आगे के लिए चल देते हैं।