वोडाफोन-आइडिया के पास दो रास्ते, हिस्सेदारी बेचे या दिवालिया घोषित करे: विश्लेषक
वित्तीय संकट से जूझ रही कंपनी वोडाफोन आइडिया के पास अब दो ही विकल्प बचे हैं या तो इसके प्रमोटर कंपनी में हिस्सेदारी बेचे या फिर वह खुद को दिवालिया घोषित करे।
कोलकाता/मुंबई
भारी-भरकम कर्ज और लगातार घाटे के कारण घोर वित्तीय संकट से जूझ रही टेलिकॉम कंपनी वोडाफोन-आइडिया पर अब बंद होने का खतरा मंडराने लगा है। पैसे की तंगी झेल रही कंपनी के पास अब दो ही विकल्प बचे हैं, या तो इसके प्रमोटर कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेचें या फिर वह अपने आपको दिवालिया घोषित करे। विश्लेषकों ने यह बात कही है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कंपनी को 17 फरवरी से पहले 53,000 करोड़ रुपये का बकाया चुकाने का आदेश दिया है
- वित्तीय संकट से जूझ रही कंपनी वोडाफोन आइडिया के पास अब दो ही विकल्प
- सके प्रमोटर कंपनी में हिस्सेदारी बेचे या फिर वह खुद को दिवालिया घोषित करे
- कंपनी को 17 फरवरी से पहले 53,000 करोड़ रुपये का बकाया चुकाने का है आदेश
- वोडाफोन आइडिया पर 53,000 करोड़ रुपये का एजीआर बकाया
कंपनी के भविष्य पर आशंका के बादल
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने उम्मीद जताई है कि कंपनी बकाया चुकता कर देगी। हालांकि, विश्लेषक कंपनी के भविष्य को लेकर आशंकित हैं। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच के निदेशक (कॉर्पोरेट्स) नितिन सोनी ने इकनॉमिक टाइम्स से कहा, ‘अगर प्रमोटर्स की तरफ से ताजा इक्विटी निवेश नहीं किया गया तो कंपनी को डूबने से कोई नहीं रोक सकता, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट टेलिकॉम कंपनी द्वारा दाखिल पुनर्विचार याचिका को खारिज कर चुका है, ऐसे में उसे सरकार से कोई राहत मिलने की कोई उम्मीद दिखाई नहीं पड़ रही है।’
वोडाफोन-आइडिया की प्रमोटर्स कंपनियों वोडाफोन ग्रुप तथा आदित्य बिड़ला ग्रुप ने ईटी के सवालों का फिलहाल कोई जवाब नहीं दिया है।
लगातार छठी तिमाही में घाटा
वोडाफोन आइडिया पर 53,000 करोड़ रुपये का एजीआर (अडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू) बकाया है। गुरुवार को कंपनी की तीसरी तिमाही के वित्तीय नतीजे जारी हुए हैं, जिसमें उसे 6,439 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। यह लगातार छठी तिमाही है, जब कंपनी को नुकसान हुआ है। शुक्रवार को बीएसई पर कंपनी का शेयर 23% लुढ़ककर 3.44 रुपये पर बंद हुआ।
NCLT का भी रास्ता
एसबीआईकैप सिक्यॉरिटीज के रिसर्च हेड राजीव शर्मा ने कहा, ‘वोडाफोन आइडिया के पास पैसे नहीं हैं, इसलिए वह राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) में जा सकती है, क्योंकि उसे 17 मार्च को मामले की होने वाली अगली सुनवाई से पहले बकाये का भुगतान करना है।’
सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ वकील ने कहा कि वोडाफोन आइडिया एनसीएलटी में जा सकती है और वह मामले को स्वीकार कर लेता है तो बैंकरप्टसी लॉ के तहत बकाया चुकाने पर रोक लग जाएगी और इस तरह कंपनी को भुगतान नहीं करना पड़ सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के पाले में गेंद
उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि कंपनी एक बार फिर कोर्ट जाएगी और अपनी हालत के बारे में उसे बताएगी कि किन कारणों से वह बकाये का भुगतान नहीं कर पाई। उन्होंने कहा, ‘एनसीएलटी 16 फरवरी तक मामले को स्वीकार कर भी सकता है या नहीं भी। अगर स्वीकार करता भी है तो यह सुप्रीम कोर्ट के वोडाफोन आइडिया की वित्तीय हालत पर संज्ञान लेने तथा वह अवमानना के मामले को आगे बढ़ाना चाहता है या नहीं, इसपर निर्भर करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कंपनी को एजीआर का बकाया चुकाने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा है कि अगर वह पूरी रकम नहीं चुका सकती है तो एक बड़ी रकम जमा कराए और बाकी रकम बाद में जमा करा सकती है। यह निर्देश अक्टूबर 2019 के फैसले में भी दिया गया था।
वोडाफोन पूंजी निवेश न करने पर अडिग
वोडाफोन आइडिया पहले ही कह चुकी है कि अगर एजीआर मामले में सरकार की तरफ से उसे राहत नहीं मिली तो कंपनी बंद हो सकती है। सोनी ने कहा कि अगर वोडाफोन आइडिया कारोबार बंद करती है तो सरकार को एजीआर के अलावा, स्पेक्ट्रम की बकाया रकम हासिल करने के लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है, क्योंकि कंपनी के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला पहले ही कह चुकी है कि न्यायालय या सरकार की तरफ से राहत नहीं मिलती है तो कंपनी अपना कारोबार बंद कर सकती है।
क्या होता है AGR
अडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा टेलिकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला यूसेज और लाइसेंसिग फीस है। इसके दो हिस्से होते हैं- स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज और लाइसेंसिंग फीस, जो क्रमश 3-5% और 8% होता है। समस्या उस वक्त शुरू हुई, जब सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अपने एक आदेश में टेलिकॉम कंपनियों के नॉन कोर बिजनस से हुई आय को भी एजीआर के दायरे में ला दिया, जिससे कंपनियों पर देनदारी में कई गुना इजाफा हो गया।
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