श्रीनगर में राजनाथ सिंह और महबूबा मुफ़्ती की प्रेस कांफ्रेंस
श्रीनगर: केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह जम्मू कश्मीर के दौरे पर गए हैं. कश्मीर के हालात का जायजा लेने और कई राजनीतिक दलों और सरकार के नुमाइदों के साथ मुलाकात करने के बाद उन्होंने राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के साथ मिलकर संवाददाताओं को संबोधित किया. उसी संवाददाता सम्मेलन का शब्दश: वर्णनन…
महबूबा मुफ़्ती, मुख्यमंत्री, जम्मू-कश्मीर – जैसा कि आप जानते हैं कि होम मिनिस्टर साहब आज पिछले एक महीने में दूसरी बार यहां आ रहे हैं, ये जो जम्मू-कश्मीर के जो कुछ हालात पिछले एक डेढ़ महीने से ख़राब हो गए हैं. सबका कंसर्न है क्योंकि इसमें जो कैज़ुअल्टीज़ हुई हैं वो हमारे अपने बच्चे हैं हमारे अपने लोग हैं यहां के. तो पीएम साहब का एक स्टेटमेंट आया है. वो भी कंसर्न्ड हैं. वो भी चाहते हैं कि हालात ठीक हों. वो भी कश्मीर के लोगों तक पहुंचना चाहते हैं. ये देखा जाए कि किस तरह से हालात को ठीक किया जाए. मैंने बार बार कहा है कि भारत सरकार का, और जितने भी लोग हैं इंडिया के उनका फोकस होना चाहिए कि 95% लोग जो हैं कश्मीर के वादी के, सड़कों पर पत्थर मारना नहीं चाहते हैं.. इस्टेबलिशमेंट पर हमला करके कोई मकसद हासिल करना नहीं चाहते हैं… हमें उन लोगों में अंतर करना होगा जो बातचीत से समस्या का हल करना चाहते हैं. और वो लोग जो छोटे-छोटे बच्चों को पत्थर देकर एक्सप्लॉइट करके सड़कों पर पत्थर मांगने के लिए तैयार करते हैं. उनके बीच में फ़र्क़ करना चाहिए..
महबूबा मुफ़्ती – मुझे उम्मीद है कि होम मिनिस्टर साहब आए हैं. हमारी आबादी का जो बड़ा हिस्सा है जो पीस रिकंसिलिएशन डिग्निटी चाहता है. बाइज़्ज़त तरीके से रहना चाहते हैं और उसके साथ इस समस्या का जैसा वाजपेयी ने कहा था एक इंसानियत के तरीके से समाधान करना चाहते हैं. हमारा फोकस वो लोग होने चाहिए, जो लोग यहां तबाही मचाते हैं पांच परसेंट उनके साथ कानूनी कार्रवाई होगी, क़ानून के तहत उन्हें डील किया जाएगा. उन्हें इजाज़त नहीं दी जाएगी कि मैजोरिटी के लोगों की जिंदगी को जहन्नुम बना दें उन्हें इसकी इजाज़त नहीं दी जाएगी|
राजनाथ सिंह, केंद्रीय गृह मंत्री – मित्रों जैसा महबूबा जी ने बताया कि जबसे कश्मीर वैली में ये क्राइसिस पैदा हुई है दूसरी बार मैं यहां आया हूं. यहां पर बीस से ज़्यादा डेलीगेशन के साथ मेरी बातचीत हुई. मैं समझता हूं कि सभी पॉलिटिकल पार्टीज़ ने अपने डेलीगेशन बातचीत के लिए भेजे. सबके साथ बातचीत बहुत अच्छी रही. सब चाहते हैं कि कश्मीर वैली में अमन-आमान के हालात कायम हों. सबकी इच्छा है. मैंने भी सब से सहयोग की अपील की है. मिलने वालों की संख्या भी क़रीब तीन सौ के आसपास, लोग कल से लेकर आज तक मुझसे मिले हैं. मैंने चर्चा की है. कश्मीर वैली के हालात को लेकर हम लोग भी बेहद दुखी हैं. इसीलिए कल आते ही मैंने अपनी तरफ़ से ट्वीट किया था कि जम्हूरियत, कश्मीरियत, इंसानियत के दायरे में बात करने के लिए मैं यहां आया हूं. जो भी बात करना चाहते हैं मैं उनका स्वागत करता हूं. जब कभी कश्मीर का कोई नौजवान मारा जाता है, यहां सिक्योरिटी फोर्स का कोई नौजवान मारा जाता है तो उससे हम सब लोगों को बेहद तकलीफ़ होती है. सिर्फ़ कश्मीर के लोगों को ही तकलीफ़ नहीं बल्कि हिंदुस्तान के सभी लोगों को तकलीफ़ होती है. क्या हम ऐसे हालात से इस कश्मीर को बाहर नहीं निकाल सकते. कश्मीर के रहने वाले सभी भाइयों-बहनों से मैं अपील करना चाहता हूं कि कश्मीर के रहने वाले नौजवानों के फ्यूचर के साथ खिलवाड़ ना करें. पहले भी मैं कह चुका हूं छोटे-छोटे बच्चे 17, 18 और 20 साल के नौजवान के हाथ में कलम, कंप्यूटर, बुक्स होने चाहिए. कौन लोग उन्हें पत्थर उठाने की इजाज़त देते हैं. क्या उन लोगों के बच्चों के भविष्य को बनाने की गारंटी वो दे सकते हैं. हम कश्मीर के बच्चों को हिंदुस्तान के बच्चों के फ्यूचर के साथ जोड़कर देखते हैं. मैं कश्मीर के लोगों से ये अपील करना चाहता हूं कि जिन लोगों के द्वारा ऐसे हालात पैदा करने की कोशिश हो रही है उन्हें पहचानें. कुछ हमारे नौजवान किसी तरह के बहकावे में आकर हाथ में पत्थर उठाते हैं तो ऐसे नौजवानों को समझाने की कोशिश होनी चाहिए. बच्चे बच्चे होते हैं. कश्मीर के फ्यूचर को हम हिंदुस्तान के फ्यूचर से अलग करके कदापि नहीं सोच सकते. हिंदुस्तान का फ्यूचर बनाना चाहते हैं. कश्मीर का फ्यूचर नहीं बनेगा तो हिंदुस्तान का फ्यूचर भी नहीं बन सकता|
राजनाथ सिंह – बीएसएफ़ के डिप्लॉयमेंट को लेकर अनावश्यक डिस्प्यूट खड़ा करने की ज़रूरत नहीं है. मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि फोर्सेस का डिप्लॉयमेंट पहले भी हुआ है. इस बार भी होना चाहिए… ऐसे समय में इसमें कोई संकेत ढूंढने की कोशिश नहीं होनी चाहिए|
राजनाथ सिंह – बस इतना ही कहना चाहूंगा कि जम्हूरियत, कश्मीरियत, इंसानियत के दायरे में सबसे बात करने के लिए हम तैयार हैं…
राजनाथ सिंह – मैं कहना चाहता हूं कि पिछली बार जब आए थे. उसके मुक़ाबले इस बार तीन चौथाई नए लोगों से मैं मिला हूं. आज बहुत सारे लोगों से मिला हूं. और एजेंडा ऑफ़ एलायंस के बारे में कहना चाहता हूं कि उसके प्रति हम दोनों कमिटेड हैं|
महबूबा मुफ़्ती – मैंने कहा कि 95 परसेंट लोग शांतिपूर्ण तरीके से समाधान चाहते हैं. इसका मतलब है वो शांति चाहते हैं लेकिन पांच परसेंट लोगों ने इसको हाइजैक करके, वो हिंसा करके इसे पटरी से उतारना चाहते हैं. अगर आपको किसी भी इश्यू को बदनाम करना है तो आप तशद्दुत पर उतर आइए|
राजनाथ सिंह – मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि हम लोगों की समझ पर संदेह मत कीजिए. हमारी समझ पर सवालिया निशान लगाने की कोशिश मत कीजिए. समझ दुरुस्त है, कैसे समस्या का समाधान होगा हम लोग अच्छी तरह समझते हैं|
राजनाथ सिंह – एक और जानकारी आप लोगों को देना चाहता हूं कि गृह मंत्रालय एक नोडल अफ़सर तय करने जा रहा है कि कश्मीर के नौजवानों, लोगों को अगर कोई भी प्रॉबल्म देश के किसी भी कोने में होती है तो सीधे आप उस अफ़सर से कॉन्टैक्ट कर सकते हैं. एक नंबर होगा जिसे हम अगले कुछ दिन में बता देंगे|
राजनाथ सिंह – क्या आप कहना चाहते हैं कि मेरा आना बंद हो जाए (हंसते हुए). हमें आप सभी लोगों का सहयोग चाहिए. हम ग्राउंड लेवल पर चेंज लाना चाहते हैं. और जो बातें इस समय मैं बोल रहा हूं. यहां पर शांति रिस्टोर करने के लिए सभी को कोशिश करनी चाहिए. किलिंग रुकनी चाहिए. कौन चाहेगा. कोई इसे पसंद नहीं करेगा|
पत्रकार मुज़म्मिल जलील – मेरा सवाल महबूबा जी से है… 2010 में भी ऐसी ही सूरते हाल थी… तब आपका स्टैंड बिलकुल अलग था… लेकिन 2016 में आप जब सरकार में आईं तो आपका स्टैंड बिलकुल अलग है… अब उमर आपके पुराने स्टैंड पर हैं. ऐसा लगता है जैसे आपने रोल बदल लिया है|
महबूबा मुफ़्ती, मुख्यमंत्री, जम्मू-कश्मीर – मुज़म्मिल आपका ग़लत है अनैलिसिस. 2010 में जो हुआ उसका रीज़न था. तब माछिल में फेक एनकाउंटर हुआ था जिसमें तीन लोग मारे गए. उसके बाद शोपियां में रेप और हत्या के आरोप लगे. तब लोगों के गुस्से की वजह थी… आज एक एनकाउंटर हुआ जैसा कि होता है. तीन आतंकी मुठभेड़ में मारे गए. उसमें सरकार की क्या गलती थी. लोग सड़कों पर आ गए. हमने कर्फ्यू लगाया. बच्चा क्या आर्मी कैंप टॉफ़ी ख़रीदने गया? पंद्रह साल का लड़का जब उसने हांजीपोरा में पुलिस स्टेशन पर हमला किया वो तब दूध लेने गया था? आप इन दो चीज़ों को मत मिलाइए. उस वक्त लोगों के गुस्से की वजह थी. फ़ेक एनकाउंटर में सिविलियन मारे गए. शोपियां हो गया. माछिल हो गया. आज आपने बताइए कि 95 परसेंट जो बच्चे मारे गए हैं वो ग़रीबों के हैं. और वो कैम्प्स पर हमला करने के दौरान रिटेलिएशन में पैलेट गन से मारे गए, ज़ख्मी हो गए… ये जो लेक्चरर है उसकी मौत की इन्क्वायरी होनी चाहिए. सज़ा मिलनी चाहिए. मैं उसके हक़ में हूं. मगर डोन्ट कम्पेयर. 2010 में तबकी सरकार ने, उमर साहब ने कहा ये हिंदुस्तान के ख़िलाफ़ है. ये एंटी नेशनल है|
महबूबा मुफ़्ती – मैं कह रही हूं कि 95 परसेंट कश्मीर के लोग शांतिपूर्ण तरीके से हल चाहते हैं मगर पांच परसेंट लोग क्योंकि बदकिस्मती से जो मिस्क्रिएंट्स हैं बच्चों को शील्डस बनाकर फौजी कैंप पर हमला करवाते हैं. वो चाहते हैं हमारे बच्चे मर जाएं.
राजनाथ सिंह, केंद्रीय गृह मंत्री – प्लीज़ प्लीज़… मैं अपील करना चाहता हूं कि महबूबा आपके घर की हैं (हंसते हुए)… आपकी हैं…
महबूबा मुफ़्ती – मुझे क्या कहेंगे सर ये जो बच्चे हैं मैंने इनको निकाला है जब टास्क फोर्स की जिप्सी देखकर ये भागते थे. जब इनको वहां बेगार के लिए ले जाते थे. घास काटने के लिए ले जाते थे साउथ कश्मीर के बच्चों को तब मैंने इन बच्चों को निकाला है. जब इनका कार्ड चेक किया जाता था. आज इन बच्चों को कुछ लोगों ने हिंसा में डाल दिया है अपने नाजायज़ मकसद के लिए. मैं कश्मीर इश्यू के साथ हूं. रिज़ॉल्व होना चाहिए, हल होना चाहिए. डायलॉग होना चाहिए.. मगर इस तरह पथराव से, कैंपों पर पथराव से कोई मसला हल होने वाला नहीं है. थैंक्यू वेरी मच. बहुत बहुत शुक्रिया. वहीं चलिए. चलिए चाय पी लीजिए. कम ऑन|
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