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Gold Price Today:सोने की कीमत में आज आई बड़ी गिरावट, जानें अब कितना है दाम

  • मंगलवार को गोल्ड की कीमत में आई बड़ी गिरावट
  • एमसीएक्स वायदा पर गोल्ड का दाम 2.5 फीसदी टूटा
  • 43 हजार से नीचे गई 10 ग्राम सोने की कीमत
  • सोमवार को सोना रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा था

लगातार 5 दिन नई ऊंचाई हासिल करने के बाद मंगलवार को सोने पर दबाव देखने को मिल रहा है. मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर गोल्ड का दाम 2.5 फीसदी टूट गया और यह 43 हजार से नीचे फिसल गया. हालांकि, कोरोना वायरस को लेकर चिंता बरकरार है जिससे कीमतों को निचले स्तर पर सपोर्ट दिख रहा है.

क्यों टूटा सोना

वैश्विक हाजिर बाजार में सोने में नरमी के बाद भारतीय बाजार में भी सोने पर दबाव बना. इसके पहले सोमवार को सोना सात साल के सबसे ऊंचे स्तर तक पहुंच गया था. एमसीएक्स पर सोने का अप्रैल फ्यूचर कारोबार 1025 रुपये टूटकर 42,555 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया.

सोमवार को हुई थी अच्छी बढ़त

चीन के बाहर कोरोना वायरस फैलने से ग्लोबल इकोनॉमी में स्लोडाउन की आशंका बढ़ गई है. इसकी वजह से निवेशक सोने में निवेश करना सुरक्ष‍ित दांव समझ रहे हैं. सोमवार को दिल्ली में 24 कैरेट सोने का भाव प्रति 10 ग्राम 44,600 रुपये पर पहुंच गया था. अंतरराष्ट्रीय हाजिर बाजार में सोना 1 फीसदी टूटते हुए 1,642.89 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गया.  पिछले छह कारोबारी सत्र में अप्रैल फ्यूचर में सोना 2300 रुपये प्रति 10 ग्राम तक चढ़ गया था.

चांदी भी टूटा
चांदी की कीमतों में भी मंगलवार को जबरदस्त गिरावट देखने को मिली. एमसीएक्स एक्सचेंज पर मंगलवार सुबह पांच मार्च 2020 का चांदी का वायदा भाव 1.87 या 925 रुपये की गिरावट के साथ 48,480 रुपये प्रति किलोग्राम पर ट्रेंड कर रहा था. 

भारत है सबसे बड़ा आयातक

गौरतलब है कि भारत दुनिया में सोने का सबसे बड़ा आयातक है. भारत में मुख्य रूप से आभूषण उद्योग की मांग पूरा करने के लिए सोने का आयात किया जाता है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश का सालाना स्वर्ण आयात 800-900 टन है. वहीं मूल्य के आधार पर देश का गोल्‍ड आयात करीब 33 अरब डॉलर का है. ये आंकड़ा साल 2018-19 का है.

इससे एक साल पहले 2017 में देश का गोल्‍ड आयात 3 फीसदी अधिक यानी करीब 34 अरब डॉलर रहा था.  वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई 2019 में वित्त वर्ष 2019-20 का पूर्ण बजट पेश करते हुए सोने पर आयात शुल्क 10 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी करने की घोषणा की थी, जिसके बाद देश में सोने का आयात महंगा हो गया. यही वजह है कि सोने के आयात में गिरावट आई.

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RBI ने आम लोगों को दिया झटका, लगातार दूसरी बार नहीं कम होगी आपकी EMI

उम्‍मीद के मुताबिक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रेपो रेट में कटौती नहीं की है. यह लगातार दूसरी मौद्रिक समीक्षा बैठक है जब आरबीआई ने रेपो रेट को स्थिर रखा है. ऐसे में अब लोन की ब्‍याज दर और आपकी ईएमआई कम होने की गुंजाइश कम ही है. इससे पहले, दिसंबर में भी केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया था. वहीं 2019 के शुरुआती पांच मौद्रिक समीक्षा बैठक में लगातार 5 बार रेपो रेट में कटौती की गई थी.

  • वर्तमान में रेपो रेट 5.15 फीसदी पर स्थिर है
  • लगातार दूसरी बार RBI ने नहीं की कटौती

बता दें कि वर्तमान में रेपो रेट 5.15 फीसदी पर स्थिर है. इसके अलावा रिवर्स रेपो रेट भी 4.90 फीसदी पर बरकरार है. रिजर्व बैंक ने कैश रिजर्व रेशयो यानी सीआरआर 4 फीसदी और SLR 18.5 फीसदी पर बनाए रखा है.वहीं आरबीआई बैंक का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी ग्रोथ 6 फीसदी रहेगी.

RBI Governer

 

क्‍या होता है रेपो रेट?

रेपो रेट वो दर होती है जिस पर बैंकों को आरबीआई फंड देता है और इसी फंड के आधार पर बैंक ग्राहकों को ब्‍याज दर में राहत देते हैं. हालांकि आरबीआई के रेपो रेट कटौती का बैंकों ने उम्‍मीद के मुताबिक फायदा नहीं पहुंचाया है. यही वजह है कि आरबीआई ने भी बैंकों से रेपो रेट कटौती का फायदा ग्राहकों को पहुंचाने की बात कही है.

क्‍यों नहीं हुई कटौती?
दरअसल, महंगाई के आंकड़े और बजट में  राजकोषीय घाटे के लक्ष्य के संशोधन की वजह से आरबीआई दबाव में था. बता दें कि सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को बढ़ाकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.8 फीसदी कर दिया है. इससे पहले राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 3.3 प्रतिशत रखा गया था. वहीं दिसंबर में खुदरा मुद्रास्फीति 7.3 फीसदी के उच्च स्तर पर रही. इसका कारण सब्जी खासकर प्याज और टमाटर का महंगा होना है. यह आरबीआई की उम्‍मीद से ज्‍यादा है.

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