दिल्ली में हरीश रावत, ‘स्टिंग वीडियो’ मामले में सीबीआई के सवालों का जवाब देने पहुंचे

harish-rawat_650x400_81463586202देहरादून: सीबीआई ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत से जुड़े स्टिंग ऑपरेशन की जांच के सिलसिले में आज उनसे पूछताछ की। रावत कुछ समर्थकों और एक विधायक के साथ आज 11 बजे सीबीआई मुख्यालय पहुंचे। सीबीआई ने पिछले सप्ताह राज्य सरकार की उस अधिसूचना को खारिज कर दिया था जिसमें उसने राष्ट्रपति शासन के दौरान मामले की जांच को दी गई मंजूरी वापस लेने की बात कही थी।

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने भी सीबीआई जांच पर रोक नहीं लगाई। रावत ने सीबीआई जांच पर रोक लगाने का अनुरोध किया था। सीबीआई ने कहा था कि कानूनी सलाह लेने के बाद अधिसूचना को खारिज कर दिया गया। इस सलाह में कहा गया कि मंजूरी को वापस लेने का कोई आधार नहीं है और यह ‘‘कानूनी तौर पर मान्य’’ नहीं है।

स्टिंग में कथित रूप से रिश्वत लेते दिखाई दिए
सीबीआई ने ‘स्टिंग ऑपरेशन’ की जांच के लिए 29 अप्रैल को प्रारंभिक जांच दर्ज की थी। इस स्टिंग ऑपरेशन में रावत बागी कांग्रेसी विधायकों को कथित रूप से रिश्वत की पेशकश करते दिखाए गए हैं, ताकि वे विधायक उत्तराखंड विधानसभा में शक्ति परीक्षण के दौरान उनका समर्थन करें।

रावत का आरोपों से इनकार
सीबीआई ने 9 मई को रावत को पूछताछ के लिए तलब किया था लेकिन उन्होंने एजेंसी से और अधिक समय मांगा। इसके बाद वह शक्ति परीक्षण जीत गए और सत्ता में लौट आए। बागी कांग्रेसी विधायकों द्वारा वीडियो जारी किए जाने पर रावत ने आरोपों से इंकार किया था और वीडियो को फर्जी बताया था, लेकिन बाद में उन्होंने स्वीकार कर लिया कि स्टिंग ऑपरेशन के कैमरे में वही दिखाई दे रहे हैं।

शक्ति परीक्षण में रावत की जीत के बाद राज्य मंत्रिमंडल की बैठक 15 मई को हुई और इस बैठक में उस अधिसूचना को वापस ले लिया गया, जिसमें रावत की संलिप्तता वाले स्टिंग ऑपरेशन की सीबीआई जांच की सिफारिश की गई थी। राज्य मंत्रिमंडल ने तय किया कि इसके बजाय विशेष जांच दल गठित किया जाए क्योंकि यह राज्य से जुड़ा मुद्दा है।

(इस खबर को दी सन्डे  हेड लाइंस टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)

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उत्तराखंड: फ्लोर टेस्ट के लिए केंद्र के पास 6 मई तक का समय

harish rawatनई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र की उस याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसमें केंद्र ने उत्तराखंड विधानसभा में शक्ति परीक्षण करवाने की व्यवहार्यता के कोर्ट के सुझाव पर जवाब देने के लिए उससे दो और दिन का समय मांगा था। अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने कोर्ट के सुझाव को केंद्र तक पहुंचा दिया है और सरकार इस पर गंभीरता के साथ विचार कर रही है। इसके बाद न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह ने इस मामले की सुनवाई को शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दिया।

पीठ ने अटॉर्नी जनरल की इस बात को रिकॉर्ड कर लिया कि केंद्र सरकार इस मामले में उपजे विवाद को खत्म करने के लिए विधानसभा में शक्ति परीक्षण करवाने के इस कोर्ट के सुझाव पर गंभीरता के साथ विचार कर रही है। पीठ ने यह भी कहा कि उसने हटाए गए मुख्यमंत्री हरीश रावत के वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी की इस बात पर भी गौर किया कि सरकार द्वारा सुझाव को स्वीकार कर लिए जाने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। पीठ ने कहा कि यदि सरकार सुझाव को स्वीकार कर लेती है तो यह लोकतंत्र के लिए अच्छा होगा।

मामले की सुनवाई को छह मई के लिए स्थगित करते हुए पीठ ने कहा कि यदि एजी को सुझाव पर निर्देश नहीं मिलते हैं तब भी मामले की सुनवाई की जाएगी। यह भी संभावना है कि इस मामले को पूर्ण बहस के लिए संवैधानिक पीठ के पास भेज दिया जाए।

पीठ का यह मानना था कि राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के अधिकतर मामलों में, कुछ अहम सवाल तैयार करने के बाद मामला संवैधानिक पीठ के पास भेजा जाता रहा है। बहरहाल, सिब्बल और सिंघवी ने इस आदेश की रिकॉर्डिंग पर आपत्ति जताई और कहा कि यहां यह शक्ति परीक्षण का मामला है, जो रावत के लिए विश्वास मत जैसा है और इसे किसी भी तरह से अविश्वास मत नहीं कहा जा सकता।

कांग्रेस की इस दलील पर रोहतगी ने आपत्ति जताते हुए कहा कि शीर्ष अदालत के आदेश के चलते राष्ट्रपति शासन लागू होने की वजह से रावत खुद को मुख्यमंत्री के तौर पर पेश करके विश्वास मत नहीं मांग सकते। एजी ने कहा कि उत्तराखंड में स्थिति ऐसी है, जहां दोनों ही पक्षों को अपना बहुमत साबित करने के लिए शक्तिपरीक्षण का सामना करना होगा। सिंघवी ने कहा कि शक्ति परीक्षण उस दल के लिए नहीं हो सकता, जो सत्ता में है ही नहीं और जिस व्यक्ति को बहुमत साबित करने के लिए बुलाया जाना है वह मुख्यमंत्री रहा है। पीठ ने कहा कि हम रावत को बहुमत साबित करने के लिए कह कर पूर्व स्थिति बहाल नहीं करेंगे।

एजी ने कहा कि शुक्रवार को जब सुनवाई शुरू हो, तब कोर्ट को शक्ति परीक्षण आयोजित करने के तरीकों पर फैसला करना चाहिए। पीठ ने कहा कि राष्ट्रपति शासन की घोषणा को खारिज करने वाले उत्तराखंड उच्च कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने वाला अंतरिम आदेश ‘अगले आदेश आने तक जारी और प्रभावी रहेगा।’ शुरूआत में ही एजी ने कह दिया था कि शीर्ष अदालत के कल के सवाल को गंभीरता के साथ आगे पहुंचा दिया गया था लेकिन उन्हें कोई दृढ़ निर्देश नहीं मिले हैं।

उन्होंने कहा कि इस सुबह मुझे जो जानकारी मिली है, वह यह है कि हम शुक्रवार सुबह इसे देखेंगे और फिलहाल यही स्थिति है। सिब्बल और सिंघवी ने भी एजी की बात पर कोई आपत्ति नहीं जताई। पीठ ने कल एजी से कहा था कि वह केंद्र से उत्तराखंड विधानसभा में उसके निरीक्षण में शक्तिपरीक्षण करवाने की व्यवहार्यता के बारे में निर्देश ले और कोर्ट को सूचित करे। कोर्ट राज्य में राष्ट्रपति शासन हटाने के उत्तराखंड उच्च कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर केंद्र की अपील पर सुनवाई कर रहा था

 

 

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