‘इस्तीफा दिया’ : कर्नाटक पुलिस की डीएसपी के फेसबुक पोस्ट से मचा हंगामा

anupama-shenoy_650x400_51465308114बेंगलुरू: कर्नाटक के मंत्री पीटी परमेश्वर नायक के फोन को होल्ड पर रखने के लिए इसी साल तबादला झेल चुकीं कर्नाटक की पुलिस अधिकारी अनुपमा शेनॉय के अब सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक पर डाले गए तीन शब्द के ‘नए’ परिचय ने हंगामा खड़ा कर दिया है। इस पोस्ट में लिखा गया है – रिज़ाइन्ड एंड जॉबलेस (इस्तीफा दे दिया है, और बेरोज़गार हूं), और इसी के साथ अनुपमा ने मुस्कुराता हुआ स्माइली भी बनाया है।

हालांकि इस पर टिप्पणी करने या इस पोस्ट की वजह बताने के लिए अनुपमा शेनॉय उपलब्ध नहीं हुई हैं, लेकिन विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अनुपमा द्वारा अचानक लिए गए इस फैसले की वजहों को लेकर अपने संदेह सार्वजनिक करने शुरू कर दिए हैं।

अनुपमा की प्रतिबद्धता मंत्री की राह का रोड़ा : बीजेपी नेता
वरिष्ठ बीजेपी नेता सुरेश कुमार ने कहा है, “अनुपमा को अपनी प्रतिबद्धता तथा कार्यकुशलता के लिए जाना जाता है… मुझे लगता है कि उनकी प्रतिबद्धता और कार्यकुशलता ही मंत्री पीटी परमेश्वर नायक के लिए रोड़ा बन गई…”

उन्होंने कहा कि दो महीने पहले मंत्री ने अधिकारी के लिए दिक्कतें पैदा की थीं। सुरेश कुमार ने यह भी कहा, “…और अब अचानक उन्होंने (अनुपमा ने) इस्तीफा दे दिया है, और ऐसा पोस्ट कर रही हैं, जिससे संकेत मिलता है कि उन्हें राजनैतिक दबाव के चलते इस्तीफा देना पड़ा… मुझे लगता है कि इस सरकार को एक कर्मठ और प्रतिबद्द अफसर का साथ देना चाहिए था…”

जनवरी में हुआ था तबादला…
बेल्लारी जिले के कुडलिगी में डिप्टी सुपरिन्टेंडेंट ऑफ पुलिस (डीएसपी) के रूप में तैनाती के दौरान जनवरी में अनुपमा ने मंत्री की फोन कॉल को होल्ड पर रख दिया था, जिसकी वजह से मंत्री, जो इसी इलाके के विधायक भी हैं, नाराज़ हो गए थे। बाद में, मंत्री पीटी परमेश्वर नायक को कैमरे पर अनुपमा का तबादला करवा देने के बारे में बातें करते कैद किया गया। काफी हंगामे के बाद फरवरी में अनुपमा को बहाल कर दिया गया।

मुझे मामले की विस्तृत जानकारी नहीं : मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का कहना है कि उन्होंने इस्तीफे के बारे में सुना है, लेकिन उन्हें मामले की विस्तृत जानकारी नहीं है। बेंगलुरू में पत्रकारों से बातचीत के दौरान सिद्धारमैया ने कहा, “अधिकारी मामले को देख रहे हैं… मुझे इसके बारे में पता नहीं है… वे (अधिकारी) कहते हैं, उन्होंने (अनुपमा ने) इस्तीफा भेज दिया है, वह डीजी (पुलिस महानिदेशक) के पास पहुंच गया है, वही इसके बारे में देखेंगे…”

वैसे, पुलिस बल के भीतर भी अनुपमा के इस्तीफे को लेकर अटकलें जारी हैं। 35 साल तक पुलिस सेवा में रहने के बाद इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस के पद से रिटायर हुए गोपाल होसुर ने NDTV को बताया कि उन्हें इस ख़बर से काफी हैरानी हुई है। उन्होंने कहा कि राजनैतिक दबाव के मामलों में भी अफसर का कर्तव्य होता है कि उसका विरोध करे, उसके खिलाफ आवाज़ उठाए। उन्होंने कहा, “यह हमेशा किया जा सकता है… अगर वरिष्ठ अधिकारी सहयोग नहीं कर रहे हैं, तो वह खुद भी कानून का पालन करवा सकती थीं…”

Source :- NDTV

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नीतीश ने सीएम नीतीश की तरफ फेंकी चप्पल, गिरफ्तार

nitish-profile~02~05~2016~1462193739_storyimageबिहार की राजधानी पटना में जनता दरबार कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर एक युवक ने चप्पल फेंकीं। हालांकि, मौजूद सुरक्षा बलों ने उसे गिरफ्तार कर लिया। अरवल जिले के निवासी गिरफ्तार किए गए युवक का नाम भी नीतीश कुमार है और वह पटना में जनता दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम में अपनी फरियादी के रूप में आया था।

जनता दरबार के बाद पत्रकारों के बातचीत के दौरान इस बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने बताया कि उक्त चप्पल उनकी बायीं ओर उस समय गिरी जब वह एक आवेदन को पढ़ने में तल्लीन थे। उन्होंने बताया कि युवक की इस हरकत पर सुरक्षा बलों के पकड़ने पर हमने उसके साथ कुछ भी करने से मना किया। करीब बुलाकर उसे एक कुर्सी पर बैठाते हुए उससे पूछा कि ऐसा उसने क्यों किया। इस पर उसने बताया कि आपने हवन पर रोक लगा दी है। हालांकि, ऐसा कुछ नहीं है।

नीतीश ने कहा कि युवक के यह कहने पर कि ऐसा अखबार में छपा है और यह सब हिंदू धर्म के खिलाफ हैं, तब उन्होंने समझाया कि वह भी हिंदू है। उन्होंने बताया कि चिकित्सक को बुलाकर उसकी मेडिकल जांच करवाई तो सब कुछ ठीक पाया गया।

नीतीश ने बताया कि प्रदेश में बढ़ते अग्निकांड की घटना को देखते हुए पटना प्रमंडल की समीक्षा के दौरान जिलाधिकारियों ने बताया था कि दिन के 12 बजे के बाद और अपराहन चार बजे के बीच ही आग लग रही है।

खाना बनाने एवं हवन के दौरान चिंगारी निकलने से ऐसी घटनाएं घट रही हैं जिस पर भयंकर गर्मी और निरंतर पछुआ हवा के बहने के मद्देनजर आमजन के लिए परामर्श जारी किए जाने का निर्देश दिया गया था।

 

Source: Rakesh Roy

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उत्तराखंड मामला : सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में केंद्र ने उठाए 8 अहम सवाल

harish-rawat_650x400_41461293707नई दिल्ली: केंद्र ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन खारिज करने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए आज सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में केंद्र सरकार ने नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए हैं।

  1. नैनीताल हाईकोर्ट का आदेश सही नहीं है और उसे राष्ट्रपति शासन पर सुनवाई का अधिकार नहीं है जोकि मंत्रिमंडल की सलाह और तथ्यों पर लिया गया।
  2. हाईकोर्ट कहता है कि भ्रष्टाचार सहा नहीं जाएगा, लेकिन उसने यह आदेश जारी कर याचिकाकर्ता को राहत दी जिस पर स्टिंग ऑपरेशन में हार्स ट्रेडिंग और घूस के आरोप लगे हैं।
  3. सुप्रीम कोर्ट के बोम्मई जजमेंट के आधार पर हाईकोर्ट के पास राष्ट्रपति शासन पर सुनवाई के लिए सीमित अधिकार हैं, हाईकोर्ट ने इस मामले में अपने अधिकार से बाहर आदेश दिया है, वह राष्ट्रपति के संतुष्ट होने पर फैसला नहीं कर सकता।
  4. हाईकोर्ट मंत्रीमंडल की राष्ट्रपति शासन लगाने की सलाह की सत्यतता और वैद्यता पर सुनवाई नहीं कर सकता
  5. हाईकोर्ट ने 21 अप्रैल को आदेश सुनाया लेकिन लिखित आदेश नहीं दिया
  6. हाईकोर्ट ने यह फैसला हरीश रावत के गलत और छुपाए हुए तथ्यों के आधार पर दिया है, जो गलत है
  7. हाईकोर्ट का यह कहना भी गलत है कि बजट बिल पास नहीं होने पर सरकार नहीं गिरती बल्कि सरकार को इस्तीफा देना होता है। कानून के मुताबिक, बजट बिल के फेल होते ही सरकार गिर जाती है।
  8. हाईकोर्ट ने विधायको की खरीद फरोख्त की स्टिंग पर गौर नहीं किया जबकि यह एक बड़ा आधार है।


हाईकोर्ट का फैसला
इससे पहले गुरुवार को हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए राष्ट्रपति शासन हटाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा कि राज्य में 18 मार्च से पहले की स्थिति बनी रहेगी। ऐसे में हरीश रावत एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। 29 अप्रैल को विधानसभा में उनका बहुमत परीक्षण होगा। हाईकोर्ट के फैसले के बाद गुरुवार शाम बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के घर बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक हुई।

सुप्रीम कोर्ट आज हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे लगाकर दूसरे पक्ष को नोटिस जारी कर सुनवाई की तारीख दे सकता है। सूत्रों के मुताबिक, यह सुनवाई सोमवार या बाद में हो सकती है। अभी तक नैनीताल हाईकोर्ट का लिखित आदेश नहीं आया है। सोमवार को आने की संभावना है। सूत्र बता रहे है कि हरीश रावत ने रात 9 बजे कैबिनेट बैठक बुलाकर कई अहम फैसले लिए हैं।

न्याय का मजाक होगा
इससे पूर्व उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने गुरुवार को फिर सख़्त टिप्पणी की। कोर्ट ने पूछा, ‘क्या इस केस में सरकार प्राइवेट पार्टी है? जजों ने पूछा, ‘यदि कल आप राष्ट्रपति शासन हटा लेते हैं और किसी को भी सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर देते हैं, तो यह न्याय का मजाक उड़ाना होगा। क्या केंद्र सरकार कोई प्राइवेट पार्टी है?’

नैनीताल हाई कोर्ट की डबल बेंच में चल रही सुनवाई में चीफ़ जस्टिस के एम जोसेफ़ ने केंद्र के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का पक्ष सुनने के दौरान कई सवाल किए। इस मामले के साथ चल रहे 9 बागी विधायकों के मामले में उनके वकील दिनेश द्विवेदी ने कहा कि यह समस्या कांग्रेस से नहीं बल्कि हरीश रावत और स्पीकर के साथ जुड़ी है, क्योंकि सभी 9 विधायक सदस्यता खत्म करने के बावजूद आज भी कांग्रेस के सदस्य हैं।

उत्तराखंड विधानसभा की वर्तमान स्थिति
राष्ट्रपति शासन हटने पर अब कांग्रेस को 29 अप्रैल को बहुमत साबित करना होगा। विधानसभा की वर्तमान स्थिति इस प्रकार है-

कुल सीटें- 71
कांग्रेस- 36 (9 बागी विधायकों को मिलाकर)
बीजेपी- 27
उत्तराखंड क्रांति दल- 1
निर्दलीय- 3
बीएसपी- 2
बीजेपी निष्कासित- 1
मनोनीत- 1

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