
300 वर्ष पुराने झाड़ी मंदिर से जुड़ी है श्रद्धालुओं की आस्था-शक्तिफार्म सितारगंज
शिवरात्रि के मौके पर झड़ी गाँव के मंदी में मेला का आयोजन किया गया है |यहाँ हर वर्ष इस मेले का आयोजन शिवरात्रि के मौके पर किया जाता है, यहाँ कवरिये आते है और शिवरात्रि में जल चढ़ाते है | हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी भक्तो की भीड़ हजारो के हिसाब से यहाँ मौजूद है | कहा जाता है कि शिवरात्रि पर व्रत रख कर झड़ी मंदिर में जल चढ़ाने से भक्त की मनोकमना भोलेनाथ पूर्ण करते है |अभी एक ही ध्वनी से पूरा वातावरण गूँज उठा है ” बोल भोले की बम “
शक्तिफार्म से करीब पांच किलोमीटर दूर बाराकोली रेंज के जंगल में भगवान शिव का पौराणिक झाड़ी मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था व उपासना का केंद्र है।
मंदिर के अस्तित्व में आने के कई किस्से हैं। बताया जाता है तब एक ग्वाला गायों को चराने जंगल आता था। एक गाय घने जंगल के झाड़ियों में गायब हो जाती थी और कुछ समय बाद वापस आ जाती है। गोशाला से भी उसी नियत समय पर गायब होकर फिर कुछ समय बाद लौट आती थी। वापस आने पर दूध भी नहीं देती थी। एक दिन पीछा किया तो गाय जंगल के बीच घनी झाड़ियों में जाकर रुक गई।
वहां जाकर देखा तो एक शिवलिंग पर दूध चढ़ा था। तब से ग्रामीणों ने यहां पर शिवलिग की पूजा-अर्चना शुरू कर दी। झाडि़यों में शिवलिग प्रकट होने से भगवान भोलेनाथ का मंदिर झाड़ी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
“हर हर महादेव ”
300 वर्ष पुराने झाड़ी मंदिर से जुड़ी है श्रद्धालुओं की आस्था-शक्तिफार्म सितारगंज Read More