कैसे रखें आवाज के जादू को बरकरार
आपका व्यक्तित्व कई चीजों से मिलकर बनता है. और इस सबमें अहम किरदार निभाती है आवाज. मधुर आवाज खुद-ब-खुद आपको खींच लेती है अपनी ओर. आप चाहकर भी उससे अपना ध्यान नहीं हटा पाते. आपकी नजरें उस आवाज के मालिक को तलाशने लगती हैं. चाह होती है, तो बस उसके दीदार की, जिसने आपके कदमों को बांध लिया है किसी मीठी जंजीर की तरह.
कई बार हमें ऐसे लोग मिल जाते हैं, जिनकी वाणी हमें किसी मोहपाश की तरह जकड़ लेती है. और शायद यही वजह है कि हम उनकी बातों ज्यादा तवज्जो देते हैं. ये उनकी आवाज का जादू नहीं, तो फिर और क्या है.
कुदरत की इस नायाब नियामत को बनाये रखना आपकी जिम्मेजदारी है. अगर आप आवाज के सहारे अपना करियर बनाने की सोच रहे हैं, तो आपके लिए इसकी रखवाली करना और भी जरूरी हो जाता है और कहीं अगर आप ऐसा नहीं भी चाहते, फिर भी आपका फर्ज है कि अपनी आवाज का पूरा खयाल रखें.
कैसे बनाए रखें आवाज का नशा
मधुर आवाज का सुरूर चढ़ता रहता है. लेकिन, आपकी आवाज में यह नशा बरकरार रहे इसके लिए जरूरी है कि इसे तकलीफों से बचाकर रखें.
श्वास से जुड़ी समस्याओं से बचें:
सबसे पहले सांस की कोई भी तकलीफ या साइनस होने पर डॉक्टर को जरूर दिखाएं. सांस की लय पर ही तो थिरकती है अच्छी आवाज. अगर आपकी चाहत है कि आपकी आवाज का अंदाज सही रहे, तो अपनी सांसों की आवाजाही को भी सामान्य रखिए.
वातानुकूलित वातावरण में रहने की कोशिश करें. ये अच्छी आवाज़ के लिए फायदेमंद होता है. ठंडे वातावरण से गरम वातावरण में कुछ समय रुक कर जाएं.
आवाज को सही रखने के लिए मुंह से श्वास ना लें, तेज पंखे के सीधे नीचे या सामने कभी ना सोएं.
ठंडी और गरम हवा से जरूर बचें. दोनों ही नाक और गले को प्रभावित करती हैं और आवाज सही तरह से नहीं निकलती. इससे खांसी की भी शिकायत हो सकती है.
खानपान का रखें ध्यान
आपकी आवाज सही रहे, इसके लिए जरूरी है कि आपका खानपान सही हो. अनियमित दिनचर्या और खान-पान की गलत आदतों से रिप्लक्स या अम्ल की समस्या हो सकती है. इससे गले में कुछ अटकना, खांसी, बार-बार गला साफ करना, जीभ पर जमाव, ब्रोंकाइटिस जैसी शिकायतें हो सकती हैं.
अगर आप आवाज की दुनिया से जुड़ हुए है तो कोशिश करें की सादा भोजन ही करें. अधिक मिर्च-मसाले, तेलयुक्त खाना, अधिक चाय, कॉफी, शीतल पेय या शराब ना पिएं. साथ ही भोजन से पहले चॉकलेट, सूखे मेवे आदि ना लें. इसके अलावा पान, पान मसाला, गुटखा, तंबाकू जैसी चीजों से दूर रहें.
इन बातों का भी रखें पूरा ध्यान:
तेज सर्दी, एक्यूट एलर्जी, नाक-गले के संक्रमण के दौरान आवाज से जुड़ा कोई अभ्यास ना करें. कोशिश करें कि लगातार 45 मिनट से ज्यादा ना बोलें. ऊंचा बोलने, चीखने-चिल्लाने और तनावपूर्ण ढंग से आवाज निकालने से बचें.
धूल, मिट्टी से बचें. खासकर, नाक की एलर्जी से ग्रसित लोग धूल, धुएं, माइट्स, फफू़द आदि से बचने की कोशिश करें. बार-बार गला साफ करने की आदत ना डालें. समस्या होने पर उपयुक्त इलाज करवाएं.
अधिक मेकअप, बालों के या किसी भी प्रकार के स्प्रे का बहुत साधवानी से और कम उपयोग करें.
गायन, भजन, भाषण या बातचीत के दौरान गला न सूखने दें. बीच-बीच में पानी के घूंट पिएं. हल्का, गुनगुना, शहदयुक्त पानी कार्यक्रम के दौरान निरंतर पीते रहें.
तनाव से बचें क्योंकि शारीरिक और मानसिक दोनों ही तनाव आवाज पर दुष्प्रभाव डालते हैं. इसलिए पूरी नींद लें और आराम जरूर करें.
अगर आप आवाज की दुनिया से जुड़े हुए हैं, तो भीड़ भरी, शोरगुल वाली पार्टियों से बचें, क्योंकि ऐसी जगहों पर जोर-जोर से बात करनी पड़ती है, जिससे स्वर यंत्र पर तनाव आ सकता है.
इन सब तरीकों को आजमाकर आप अपनी आवाज को सही रख सकते हैं. याद रखिए ईश्वर ने जो आपको आवाज का उपहार दिया है उसकी कद्र करना और उसे बचाए रखना ना सिर्फ आपके लिए फायदेमंद है, बल्कि ऐसा करना आपकी जिम्मेदारी भी है.
source : Anukool Mistri
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