नीतीश कुमार पहली बार बने JDU प्रेसिडेंट, पहले क्यों कर दिया था इनकार
पटना. नीतीश कुमार जेडीयू (जनता दल यूनाइटेड) के पहली बार प्रेसिडेंट बन गए हैं। रविवार को दिल्ली में हुई मीटिंग में यह फैसला लिया गया। जानकारी के मुताबिक, पहले नीतीश ने पार्टी की कमान संभालने से इनकार कर दिया था। वशिष्ठ नारायण सिंह और केसी त्यागी के नाम भी इस पोस्ट के लिए दौड़ में थे। हालांकि अाखिरी मुहर नीतीश के नाम पर लगी। शरद ने रखा नीतीश के नाम का प्रपोजल…
– जेडीयू के नए नेशनल प्रेसिडेंट के लिए नीतीश के नाम का प्रपोजल शरद यादव ने रखा।
– जेडीयू लीडर केसी त्यागी ने उनके नाम का अनुमोदन किया।
– इसके बाद कार्यकारिणी के मेंबर्स ने नीतीश के नाम पर अपनी मुहर लगा दी।
आखिर क्यों नहीं बनना चाहते थे प्रेसिडेंट?
– सूत्रों के मुताबिक, नीतीश सीएम के साथ पार्टी प्रेसिडेंट की जिम्मेदारी भी नहीं लेना चाहते थे।
– उनका मानना था कि इससे पार्टी की इमेज को लेकर जनता में गलत मैसेज जा सकता है।
– उनको लगता था कि लोग यह सोचेंगे कि जेडीयू भी अब वन-मैन पार्टी बन गई है।
त्यागी बोले- नीतीश पीएम मैटीरियल
– उन्होंने कहा था कि हमारे पास एक्सपीरियंस वाले कई लोग हैं। लेकिन नीतीश के नाम पर सभी रजामंद हैं।
– त्यागी ने ये भी कहा था कि नीतीश पीएम कैंडिडेट नहीं हैं लेकिन उनमें पीएम बनने की तमाम काबिलियत है।
– सीएम के साथ-साथ नीतीश राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहेंगे।
– जदयू में ढोंग नहीं किया जाता है। इससे पहले भी दो पद एक आदमी संभाल चुके है।
23 अप्रैल को पटना में राष्ट्रीय परिषद की बैठक
– त्यागी ने कहा कि 23 अप्रैल को पटना में राष्ट्रीय परिषद की बैठक होने वाली है।
– देश के सभी जिला अध्यक्ष, सांसद, विधायक, विधान पार्षद बैठक में शामिल होंगे।
– बैठक में ही अध्यक्ष बनाने के फैसले पर मुहर लगेगी।यूपी चुनाव में ही 2019 का भविष्य
– देश के सभी जिला अध्यक्ष, सांसद, विधायक, विधान पार्षद बैठक में शामिल होंगे।
– बैठक में ही अध्यक्ष बनाने के फैसले पर मुहर लगेगी।यूपी चुनाव में ही 2019 का भविष्य
– त्यागी ने कहा कि यूपी चुनाव को लेकर आरएलडी, जेवीएम और जदयू की विलय होने वाली है।
– यूपी विधानसभा चुनाव 2017 से ही 2019 लोकसभा चुनाव का भविष्य तय होने वाला है।
– मुलायम खुद ही अलग हो गए। मायावती ने पहले ही किसी गठबंधन से परहेज किया है।
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– यूपी विधानसभा चुनाव 2017 से ही 2019 लोकसभा चुनाव का भविष्य तय होने वाला है।
– मुलायम खुद ही अलग हो गए। मायावती ने पहले ही किसी गठबंधन से परहेज किया है।