लापता विमान AN-32 से नहीं मिला कोई सिग्नल, पर्रिकर बोले- सबूत अनहोनी की ओर कर रहे हैं इशारा

iaf_650_072616020603बंगाल की खाड़ी में लापता हुए भारतीय वायुसेना के विमान एएन-32 का अब तक कोई सुराग नहीं मिल पाया है. सर्च ऑपरेशन पांचवे दिन भी जारी है और इसके दायरे को 300 नॉटिकल माइल (एनएम) से बढ़ाकर 360 एनएल कर दिया है, वहीं रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने मंगलवार को कहा कि अभी तक मिले सभी सबूत किसी अनहोनी की ओर इशारा कर रहे हैं.

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा, ‘कई संसाधन लगाए गए हैं. अभी तक मिले सभी सबूत अनहोनी की ओर इशारा कर रहे हैं. हम किसी क्षेत्र से आई आवाज या कुछ कड़ियों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. हम वह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं जिसका पता लगाया जाना आवश्यक है, लेकिन कुछ सबूत गुमराह करने वाले हैं.’ उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान के हिम श्रेणी के अत्याधुनिक पोत सागर निधि को मॉरिशस से बुलाया गया है.

इमरेजेंसी लोकेशन बीकन (ईएलबीए) से कोई सिग्नल नहीं
इमरजेंसी लोकेशन बीकन एक ऐसा उपकरण है जो विमान के क्रैश होने या इमरजेंसी लैंडिंग की स्थि‍ति में एक खास फ्रिक्वेंसी पर तत्काल सिग्नल भेजता है. वायुसेना के विमान एएन-32 में जो बीकन लगा था, उसकी बैटरी क्षमता कम से कम 48 घंटे की है. बताया जाता है कि सर्च ऑपरेशन में जुटी टीम को ट्रांसमीटर से कोई सिग्नल नहीं मिला है.

पोत को भी हो सकती है खोज में परेशानी
रक्षा मंत्री ने आगे कहा, ‘मॉरिशस से पोत पहुंच जाएगा, लेकिन गहरे पानी में काम करने वाले पोत को भी काम करने के लिए एक निर्दिष्ट क्षेत्र की आवश्यकता होती है. क्योंकि पानी के भीतर गहराई में जा सकने वाले पोत दरअसल तब तक तलाश नहीं कर सकते, जब तक आपके पास कोई निश्चित छोटा क्षेत्र नहीं हो. इसलिए पिछली बार (डोर्नियर दुर्घटना) पनडुब्बी ने स्थल की पहचान की थी और इसके बाद हमने इसे (गहरे पानी में काम करने वाला रियालंस का पोत) भेजा था. यह पहले पहचान होने के बाद द्वितीय चरण का अभियान है.’

खोज में लगे हैं 17 जहाज, 23 विमान, एक पनडुब्बी
बता दें कि इस विमान में 29 लोग सवार थे . पिछले चार दिन से बड़े पैमाने पर चलाए जा रहे खोज और बचाव अभियान के बाद भी मलबे या जीवित बचे लोगों का कुछ पता नहीं चल सका है. विमान की खोज में लगे 17 जहाज, एक पनडुब्‍बी और 23 विमान समुद्र की सतह पर लापता विमान के मलबे का पता लगाने में नाकाम रहे हैं. इसलिए अब यह पूरा अभियान विमान में लगे इमरजेंसी लोकेटेर ट्रांसमीटर (ईएलटी) से मिलने वाले किसी सिग्‍नल पर भी निर्भर है.

रूस में बना है एएन-32 विमान
गौरतलब है कि विमान चेन्‍नई से पोर्ट ब्‍लेयर जा रहा था और यह उड़ान के शुरुआती घंटों में ही इमरजेंसी सिग्‍नल दिए बिना अचानक लापता हो गया. रूस के बने एएन-32 विमान में लगे ‘इमरजेंसी लोकेटेर ट्रांसमीटर’ कुछ इस तरह डिजाइन किए गए हैं कि जैसे ही एक निश्चित बल के साथ यह पानी से टकराए, उसी क्षण से ये एक प्रकार का सिग्‍नल भेजना शुरू कर दे. ईएलटी की बैटरी लाइफ करीब एक महीने की होती है.

संभव है ट्रांसमीटर मलबे के नीचे दब गया हो
अधि‍कारी बताते हैं कि इस इलाके में समुद्र की गहराई करीब 3.5 किलोमीटर तक है, जहां जबरदस्‍त समुद्री दबाव होगा. इसका मतलब है एक छोटे बक्‍से के आकार के एलटीई के टूट जाने का खतरा है. मुख्‍य रूप से अगर यह विमान के क्रैश होने के समय ही क्षतिग्रस्‍त हो गया हो तो ईएलटी से मिलने वाले सिग्‍नल की गुणवत्ता पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि संभव है कि यह विमान के मलबे के नीचे दब गया हो.

Source :- Aaj Tak