मुस्तफाबाद लाया गया शहीद किरपाल सिंह का शव, शहर में मातम

kirpal~20~04~2016~1461125308_storyimageपाकिस्तान की एक जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाए गए भारतीय कैदी किरपाल सिंह का शव बुधवार को उनके गृहनगर मुस्तफाबाद ले जाया गया। उनके पार्थिव शरीर के वहां पहुंचने पर पूरे शहर में मातम पसर गया।

किरपाल सिंह का परिवार पंजाब में गुरदासपुर के मुस्तफाबाद में रहता है। उनका अंतिम संस्कार आज किया जाएगा।

किरपाल सिंह के भतीजे ने कहा कि उनके चाचा और सरबजीत दोनों को एक साजिश के तहत मारा गया है।

शव से दिल और अमाशय गायब

इससे पहले मंगलवार को किरपाल सिंह का शव अटारी सीमा पर लाया गया और उसे भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया गया। शव से दिल और अमाशय (पेट) जैसे अंग गायब थे।

अमृतसर के सरकारी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ बीएस बल ने किरपाल सिंह के शव का पोस्टमार्टम किए जाने के बाद संवाददाताओं से कहा कि पोस्टमार्टम जांच में पाया गया कि उसका दिल और पेट गायब था। हालांकि शव पर किसी तरह की अंदरूनी या बाहरी चोट नहीं पाई गई।

बल ने कहा कि  ब हम उसके गुर्दे, लीवर और इन दोनों अंगों के नमूने प्रयोगशाला की जांच के लिए अमृतसर से बाहर भेजेंगे ताकि उसकी मौत से जु़ड़े और तथ्यों का पता लगाया जा सके। उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम के दौरान पाया गया कि पाकिस्तान ने पोस्टमार्टम के दौरान गुर्दे और लीवर का कोई नमूना नहीं लिया था जो मौत के सही कारण का पता लगाने के लिए जरूरी है। बल ने कहा कि पाकिस्तान ने अभी पोस्टमार्टम की रिपोर्ट नहीं भेजी है।

इससे पहले दिन में किरपाल का शव उसके परिवार वालों की मौजूदगी में यहां लाया गया। किरपाल की बहन जागीर कौर सहित उनके परिजन, पंजाब के कैबिनेट मंत्री गुलजार सिंह रानिके और अमृतसर के उपायुक्त वरुण रूजम के अलावा कई अन्य आला अधिकारी शव लेने के लिए वाघा सीमा की संयुक्त जांच चौकी पर मौजूद थे।

एक अन्य भारतीय कैदी सरबजीत सिंह की बहन दलबीर कौर भी वहां मौजूद थीं। गौरतलब है कि मई 2013 में पाकिस्तान की ही एक जेल में सरबजीत की मौत हुई थी। किरपाल सिंह कथित तौर पर 1992 में वाघा सीमा पार कर पाकिस्तान चले गए थे और वहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।

बाद में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में सीरियल बम धमाकों के एक मामले में किरपाल को मौत की सजा सुनाई गई थी। लाहौर की कोट लखपत जेल में पिछले सोमवार को किरपाल मृत पाए गए थे।

खबरों के मुताबिक, गुरदासपुर के रहने वाले किरपाल को बम धमाकों के मामले में लाहौर हाई कोर्ट ने बरी कर दिया था लेकिन अज्ञात कारणों से उनकी मौत की सजा माफ नहीं कराई जा सकी थी।