16 फरवरी यानी रविवार को अरविंद केजरीवाल कैबिनेट के सभी मंत्रियों के साथ दिल्ली के रामलीला मैदान में पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे। लेफ्टिनेंट गवर्नर अनिल बैजल सभी को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे। शपथग्रहण कार्यक्रम में दिल्ली के सभी सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों को उपस्थित रहने का आदेश दिया गया। इस मामले पर सियासत भी तेज हो गई है।
भाजपा के नवनिर्वाचित विधायक विजेंद्र गुप्ता ने शनिवार को आम आदमी पार्टी (आप) नेता अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर उनसे उस परिपत्र को वापस लेने का अनुरोध किया, जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में उनके शपथ ग्रहण समारोह में सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों के लिए उपस्थित होना अनिवार्य किया गया है।
दिल्ली की पिछली विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे विजेंद्र गुप्ता ने शुक्रवार को जारी किये गये परिपत्र को तानाशाही करार दिया है और कहा कि इससे उनका यह विश्वास चकनाचूर हो गया है कि सत्ता में आने के बाद केजरीवाल का जोर शासन और लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत बनाने पर होगा।
उन्होंने कहा इस आदेश की वजह से, 15000 शिक्षकों और अधिकारियों को शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होना होगा।
रोहिणी विधानसभा क्षेत्र से फिर निर्वाचित हुए गुप्ता ने कहा कि वह रविवार को रामलीला मैदान में केजरीवाल के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे। गुप्ता की आपत्ति पर दिल्ली डायलॉग एवं डेवलपमेंट कमिशन के उपाध्यक्ष जस्मीन शाह ने कहा कि शिक्षक और प्राचार्य पिछले पांच वर्षों में दिल्ली के बदलाव के शिल्पी हैं और वे शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किये जाने के हकदार हैं।