अस्पताल ने नहीं लिया 1000 का नोट, डिलीवरी में देरी से बच्ची की मौत!

ban-up-10-11-2016-1478746826_storyimageमंगलवार आधी रात से मोदी सरकार ने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में 500 और 1000 के नोट को बैन कर दिया है। इसे कालाधन और आतंकवाद के खिलाफ एक बड़ी और ज़रूरी कार्रवाई माना जा रहा है। उधर मार्केट में 500 और 1000 के नोट बैन होने से और बैंक- ATM भी बंद होने से आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसी कड़ी में यूपी के खुर्जा से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां एक परिवार ने आरोप लगाया है कि एक निजी अस्पताल ने 1000 के नोट लेने से इनकार कर दिया जिससे नवजात की मौत हो गई।

क्या है पूरा मामला
खुर्जा के रहने वाले अभिषेक का कहना है कि वो अपनी पत्नी एकता की डिलीवरी के लिए निजी अस्पताल कैलाश गया था। अस्पताल वालों ने उससे 10,000 रुपए जमा कराने के लिए कहा था। जब वो पैसे लेकर काउंटर पर पहुंचा तो अस्पताल वालों ने 1000 के नोट देखकर पैसे लेने से मना कर दिया। इस पर अभिषेक अस्पताल वालों से मिन्नतें करने लगा कि वो बाद में बदल कर ला देगा फिलहाल इसे जमा कर लिया जाए। अभिषेक के मुताबिक अस्पताल ने एक नहीं सुनी और पत्नी की डिलीवरी में देरी की वजह से उसकी बच्ची की मौत हो गई।

क्या कहा अस्पताल ने
उधर अस्पताल ने इस आरोप को सिरे से ख़ारिज कर दिया है। अस्पताल का कहना है कि बच्ची पहले से ही मृत थी। अस्पताल ने इससे भी इनकार किया है कि अभिषेक से 1000 के नोट लेने से इनकार किया गाय था। आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने अस्पताल में 500 और 1000 के नोट अभी भी मान्य रखे हैं लेकिन कई जगहों से ऐसी ख़बरें आई हैं कि निजी अस्पताल इन्हें लेने में आनकानी कर रहे हैं।

 

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सितारगंज सीएचसी में महिला डॉक्टर के नहीं देखने से बच्ची की मौत

picnew-08-08-2016-1470668785_storyimageसितारगंज सीएचसी में डॉक्टर की लापरवाही से नवजात की मौत का मामला सामने आया है। परिजनों ने महिला डॉक्टर पर बच्ची को इलाज नहीं देने के कारण मौत होने का आरोप लगाया। गुस्साए परिजनों ने अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा काटा। उन्होंने संविदा में तैनात महिला चिकित्सक को हटाने की मांग सीएमएस से की। वहीं, सीएमएस ने जांच के बाद कार्रवाई करने का भरोसा दिया है।

जानकारी के मुताबिक सोमवार को वार्ड चार निवासी शब्बो पत्नी तहसीन ने एक बच्ची को जन्म दिया। डिलीवरी के बाद नवजात की तबीयत अचानक खराब हो गई। उसके बाद परिजन तत्काल बच्ची को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र लेकर पहुंचे। तहसीन के भाई तस्लीम ने बताया कि अस्पताल में उन्होंने महिला डॉक्टर का दरवाजा खटखटाया, लेकिन डॉक्टर ने दरवाजा नहीं खोला।

आरोप है कि इस दौरान बच्ची की तबीयत और अधिक खराब होने लगी। बार-बार कहने के बाद भी डॉक्टर ने बच्ची को देखने से इंकार कर दिया। उसके बाद परिजनों ने अस्पताल परिसर में हंगामा शुरू कर दिया। अस्पताल परिसर में रहने वाले सीएमस तक मामले की सूचना पहुंच गई। उसके बाद सीएमएस डॉ. हर्ष सिंह ऐरी मौके पर पहुंच गए। अस्पताल में डॉ. ऐरी ने जब बच्ची की जांच की तो वह दम तोड़ चुकी थी। बच्ची की मौत होने से परिजन और ज्यादा भड़क गये। उन्होंने अस्पताल में प्रदर्शन कर जमकर हंगामा काटा।

परिजनों का आरोप है कि महिला डॉक्टर ने नवजात का इलाज किया होता तो बच्ची की जान बच सकती थी। अस्पताल में प्रदर्शन करने वालों में तस्लीम मंसरी, जिलानी अंसारी, जाकिर अंसारी, कल्लू अहमद, सोनू, बाबू मंसारी, रियाज अहमद आदि रहे।

संविदा में तैनात डॉक्टर का रहा विवादों से नाता
परिजनों के अनुसार इससे पूर्व भी महिला डॉक्टर विवादों के कारण चर्चा में रही हैं। कई बार संविदा में तैनात महिला चिकित्सक को हटाने की मांग की जा चुकी है। जनदबाब में डॉक्टर का हटाया भी गया, लेकिन बाद में उन्हें दोबारा यहां तैनाती दे दी जाती है। उन्होंने ब्लाक चिकित्सा प्रभारी का घेराव कर डॉक्टर को हटाने की मांग की। साथ ही पीड़ित को मुआवजा देने की मांग की।

बच्ची को देखने के लिए मैं खुद घर से अस्पताल पहुंचा। जब मैंने बच्ची का चेकअप किया, तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। मामले में संविदा में तैनात महिला डॉक्टर से जानकारी ली जाएगी। जांच के बाद दोषी मिलने पर आरोपी पर कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. हर्ष सिंह ऐरी, सीएमएस, सितारगंज

source-live hindustan

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