Movie Review: झेलने लायक नहीं है ‘रमन राघव 2.0’

nawaj-sm_650_062416110436फिल्म का नाम: रमन राघव 2.0
डायरेक्टर: अनुराग कश्यप
स्टार कास्ट: नवाजुद्दीन सिद्दीकी, विकी कौशल, विपिन शर्मा, सोभिता धुलिपाला, अमृता सुभाष
अवधि: 2 घंटा 20 मिनट
सर्टिफिकेट: A
                                                                                रेटिंग: 1.5 स्टार

60 के दशक में मुंबई में एक साइको किलर हुआ करता था जिसे ‘साइको रमन’ के नाम से लोग जानते थे. वो अलग अंदाज में लोगों का मर्डर किया करता था. साल 1991 में डायरेक्टर श्रीराम राघवन ने इस सायको किलर के ऊपर एक डॉक्युमेंट्री भी बनाई थी और अब डायरेक्टर अनुराग कश्यप ने उसी की कहानी के मद्देनजर फिल्म ‘रमन राघव 2.0’ बनाई है. आइए जानते हैं कैसी है ये फिल्म…

कहानी:
फिल्म की कहानी मुंबई में आधारित है जहां साइको किलर रमन (नवाजुद्दीन सिद्दीकी ) आये दिन कत्ल करता रहता है. कभी किसी मास्टर का, कभी अपने घर वालों का तो कभी सूद पर पैसे देने वाले का. इस घटना की तफ्शीश करने के लिए इंस्पेक्टर राघव (विकी कौशल) को तैनात किया जाता है.

राघव की जिंदगी में भी सिम्मी (सोभिता धुलिपाला) की मौजूदगी रहती है. साथ ही वो नशे में हर वक्त धुत रहता है. अब क्या रमन को राघव पकड़ पाता है या कहानी को क्या अंजाम मिलता है. इसका पता आपको फिल्म देखकर ही चलेगा.

स्क्रिप्ट:
फिल्म की कहानी एक साइको किलर के मानसिक स्थिति के हिसाब से लिखी गई है. आखिरकार हर किलिंग से पहले उसकी सोच क्या रहती थी. इसे डायरेक्टर ने स्क्रिप्ट में उतारने की कोशिश तो की है लेकिन वो नाकाम सी नजर आती है. फिल्म की पटकथा कमजोर और लम्बाई काफी ज्यादा है. एक वक्त के बाद ये सोच होने लगती है कि आखिर ये फिल्म कब खत्म होगी.

हालांकि कभी-कभी नवाजुद्दीन की मौजूदगी फिल्म में मनोरंजन ले आती है लेकिन वो भी स्क्रीनप्ले के हिसाब से फीकी ही पड़ जाती है. फिल्म की स्क्रिप्ट को 8 अलग-अलग चैप्टर्स में बांटकर दिखाया गया है. लेकिन यह विभाजन भी फिल्म में रोमांच ला पाने में असमर्थ रहता है. ‘बॉम्बे वेलवेट’ की असफलता के बाद भी अनुराग कश्यप की फिल्म की स्क्रिप्ट और लम्बाई में कोई बदलाव नहीं आया है.

अभिनय:
एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने साइको रमन का किरदार बहुत ही उम्दा निभाया है और उसे देखकर यकीन हो जाता है की रमन अपने समय में ऐसा ही रहा होगा. विकी कौशल ने पुलिस के रूप में ठीक काम किया है जो कि और भी बेहतर हो सकता था. नवाजुद्दीन की बहन के किरदार में एक्ट्रेस अमृता सुभाष ने लाजवाब काम किया है. वहीं, सोभिता धुलिपाला का काम भी अच्छा है.

कमजोर कड़ी:
फिल्म की कमजोर कड़ी इसकी स्पीड और कहानी है जिसे बहुत ज्यादा बेहतर किया जा सकता था. एडिटिंग पर और भी ज्यादा ध्यान देते तो फिल्म किसी और लेवल पर दिखाई पड़ती और ज्यादा प्रभावित करती.

संगीत:
फिल्म का संगीत राम सम्पत ने अच्छा दिया है. ‘बेहूदा’ और ‘कत्ल ए आम’ गाने अच्छे हैं.

Source:- Aaj Tak