एनएसजी में सदस्यता के लिए भारत को मिला स्विट्जरलैंड का साथ

pm-modi-with-swiss-president-johann-schneider-ammann_1465203715अर्से से न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) में शामिल होने के लिए प्रयासरत भारत को स्विट्जरलैंड का समर्थन मिला है। स्विस राष्ट्रपति जोहन स्निडर अम्मान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में सहयोग देने की हामी भर दी है। स्विट्जरलैंड भी एनएसजी के 48 देशों में अहम सदस्य के तौर पर शामिल है इसलिए उसकी राय भी मायने रखती है। जोहन स्निडर का पीएम मोदी को समर्थन करना भारत के लिए शुभ संकेत कहा जा सकता है।

स्विस राष्ट्रपति ने मुलाकात के बाद घोषणा कर कहा कि स्विट्जरलैंड एनएसजी में भारत की सदस्यता को समर्थन करेगा।

पीएम मोदी और जोहन स्निडर के बीच दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश और व्यावसायिक प्रशिक्षण जैसे मसलों संबंध घनिष्ट करने को लेकर वार्ता हुई और इसी बीच स्विस बैंकों में भारतीयों का जमा ‘कालाधन’ भी वार्ता का विषय रहा, जिसकी समस्या सुलझाने के लिए दोनों नेता सहमत दिखे।

मीडिया से साझा साक्षात्कार में जोहन स्निडर अम्मान ने कहा कि उन्होंने भारत को एनएसजी में शामिल होने के लिए समर्थन देने का वादा किया है।

भारत लगभग एक दशक से एनएसजी का सदस्य बनने की कोशिश कर रहा है, जिसके चलते बीती 12 मई को भारत आवेदन भी कर चुका है। अब सभी को 9 जून को वियना में होने वाली प्लेनरी मीटिंग का इंतजार है जहां पर भारत के आवेदन पर विचार किया जाएगा, इसके बाद 24 जून को सिओल में मीटिंग होगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें समझने और एनएसजी के लिए समर्थन देने पर स्विस राष्ट्रपति के प्रति आभार वयक्त किया और धन्यवाद दिया।

वहीं कुछ एनएसजी देशों में इस बात को लेकर चिंता है कि सदस्यता मिलने पर भारत अपने परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ाएगा। खासकर पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान हमेशा से एनएसजी को लेकर भारत का विरोध करता रहा। पाक ने भी एनएसजी के लिए आवेदन किया है। भारत के सामने असली समस्या के रूप में चीन खड़ा है। चीन, पाकिस्तान का समर्थन करता है। वहीं भारत के साथ उसके संबंध तल्ख हैं।

फिलहाल एनएसजी में शामिल होने को लेकर पीएम मोदी अपनी पांच देशों की यात्रा में पूरी जोर आजमाइश के साथ लगे हैं।

Source: AMAR UJALA