अमेरिका में गूंजा ‘ट्रंप नहीं मेरे राष्ट्रपति’ का नारा,विरोधी में हुए मार्च

13_11_2016-trump4ट्रंप की जीत के बाद से अमेरिका के कई हिस्सों में असंतोष फैला हुआ है। लोग आप्रवासन, समलैंगिकों के अधिकार जैसे मुद्दों पर ट्रंप की नीतियों के खिलाफ नारे लगाए।

न्यूयॉर्क, जेएनएन। अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों का दौर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। ट्रंप की जीत के बाद से अमेरिका के कई हिस्सों में असंतोष फैला हुआ है। लोग आप्रवासन, समलैंगिकों के अधिकार जैसे मुद्दों पर ट्रंप की नीतियों के खिलाफ नारे लगाए। अब तक प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहे लेकिन पोर्टलैंड में ऐसे हालात नहीं थे। बता दें कि वहीं लोगों के बीच हिंसा भड़क गई थी। लोगों ने गाड़ियों के शीशे तोड़ दिए और कारों को क्षति पहुंचाई। इसके जवाब में पुलिस ने भी भीड़ पर आंसू गैस छोड़े और रबर बुलेट चलाई। दर्जनभर प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया जबकि कई पुलिस वाले घायल हो गए।

कई शहरों में ट्रंप के खिलाफ प्रदर्शन

पोर्टलैंड में एक प्रदर्शनकारी को गोली मारे जाने की घटना के बाद अमेरिका के कई शहरों में डॉनल्ड ट्रंप के खिलाफ विरोध प्रदर्शन देखने को मिले। इस दौरान प्रदर्शनकारी बैनर और प्ले कार्ड लिये हुये थे जिसमें ‘हमारा राष्ट्रपति नहीं है’ और ‘अमेरिका को सभी के लिए सुरक्षित बनाओ’ जैसे नारे लिखे हुये थे। ट्रंप के खिलाफ ये रैलियां न्यू यॉर्क, लॉस एंजिलिस और शिकागो में दिन भर चलीं।

‘अमेरिका में फ़ासीवाद नहीं’

प्रदर्शनकारियों का कहना था है कि ट्रंप राष्ट्रपति पद के लिए उचित व्यक्ति नहीं हैं। वहीं न्यू यॉर्क के 62 साल के एक रिटायर्ड बैंकर मेरी फ्लोरिन ने हाथ में ‘अमेरिका में फ़ासीवाद नहीं’ के मेसेज वाली एक तख्ती पकड़ी हुई थी।उन्होंने कहा, हम डरे हुए हैं, देश ने आश्चर्यजनक रूप से एक अयोग्य, नस्लवादी, जातिवादी और महिलाओं से नफरत करने वाले व्यक्ति को राष्ट्रपति चुन लिया है।

हजारों लोगों ने प्रदर्शन रैलियों में भाग लिया

शिकागो और लॉस एंजिलिस में भी कई सैकड़ों-हजारों लोगों ने प्रदर्शन रैलियों में भाग लिया और ‘डंप ट्रंप’ और ‘अल्पसंख्यक मायने रखते हैं’ जैसे संदेश दे रही तख्तियों को हवा में लहराया। फेसबुक पर 1 लाख लोगों ने इस रैली में जाने की योजना बनाने के लिए संकेत दिए थे। लोग इतने ज्यादा था कि आयोजकों को डर था कि कहीं कोई हिंसा की स्थिति पैदा न हो जाए।

 

 

Source: जागरण