ताशकंद में मिले मोदी-जिनपिंग; सिओल में उठा NSG में भारत की मेंबरशिप का मुद्दा

modi33_1466681634नई दिल्ली. शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) में हिस्सा लेने गए मोदी की शी जिनपिंग से मुलाकात होगी। एनएसजी मेंबरशिप को लेकर ये मुलाकात काफी अहम है। वहीं सिओल में चल रही न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप (एनएसजी) की प्लेनरी मीटिंग में भारत की मेंबरशिप का मुद्दा उठा। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो गुरुवार रात भी इस मुद्दे पर चर्चा हो सकती है। सिओल में भारत की पैरवी करने फॉरेन सेक्रेटरी एस. जयशंकर गए हुए हैं। बता दें कि चीन, एनएसजी में भारत की एंट्री का विरोध कर रहा है। लेकिन हाल ही में उसके रवैये में नरमाहट आई है।
अकेले भारत को मेंबरशिप मिली तो बिगड़ेगा पावर बैलेंस…
– SCO से अलग पाकिस्तान के प्रेसिडेंट ममनून हुसैन ने ताशकंद में चीनी प्रेसिडेंट शी जिनपिंग से मुलाकात की।
– दोनों लीडर्स ने एनएसजी में मेंबरशिप और चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर को लेकर बातचीत की।
– दोनों देशों ने इस बात पर सहमति जताई कि एनएसजी मेंबरशिप में भेदभाव नहीं होना चाहिए।
– दोनों का मानना है कि अगर अकेले भारत को मेंबरशिप मिलती है तो क्षेत्र में शक्ति संतुलन बिगड़ेगा।
– पाकिस्तान ने चीन को NSG मेंबरशिप के लिए सपोर्ट करने पर शुक्रिया भी किया।
– मोदी ने उज्बेकिस्तान के प्रेसिडेंट इस्लोम करीमोव के साथ भी मुलाकात की।
– शुक्रवार को मोदी की रशियन प्रेसिडेंट व्लादिमीर पुतिन से बातचीत होगी।
भारत बोला- पॉजिटिव रवैया रखें
– भारत ने एनएसजी मेंबर्स से अपील की है कि वे उसकी एंट्री को लेकर पॉजिटिव रवैया रखें।
– फ्रांस की फॉरेन मिनिस्ट्री ने बुधवार को जारी स्टेटमेंट में कहा, “हम भारत की चारों ग्रुप (एनएसजी, MTCR, ऑस्ट्रेलिया ग्रुप और वैसेनार अरेंजमेंट) में एंट्री के लिए सपोर्ट करेंगे। न्यूक्लियर प्रोलिफिरेशन (परमाणु अप्रसार) के लिए ये जरूरी होगा।”
मोदी की पहली मीटिंग जिनपिंग से
– ताशकंद में मोदी की पहली मीटिंग जिनपिंग से ही होगी।
– चीन इस बात को लेकर अड़ा है कि बिना न्यूक्लियर प्रोलिफिरेशन ट्रीटी (परमाणु अप्रसार संधि-NPT) साइन किए भारत कैसे एनएसजी की मेंबरशिप ले सकता है।
– हालांकि, बीते दो दिनों में चीन के रवैये में नरमी आई है। उसने कहा है कि इस मुद्दे पर नॉन-NPT मेंबर्स से चर्चा कर रास्ता निकाला जा सकता है।
– शुक्रवार को मोदी की पुतिन से मुलाकात होगी।
जयशंकर के साथ ये अफसर भी होंगे बातचीत में शामिल
– सिओल में फॉरेन सेक्रेटरी जयशंकर के साथ अमनदीप गिल (ज्वाइंट सेक्रेटरी, डिसआर्मामेंट एंड इंटरनेशनल सिक्युरिटी) और साउथ कोरिया में भारत के एम्बेसडर विक्रम दुरईस्वामी एनएसजी की मीटिंग में शामिल होंगे।
– गिल लगातार परमाणु मुद्दे पर बातचीत में शामिल रहे हैं, वहीं दुरईस्वामी को यूएस-चीन के साथ बातचीत का लंबा एक्सपीरियंस है।
भारत को अमेरिका से उम्मीद
– चीन नॉन-प्रोलिफिरेशन ट्रीटी (परमाणु अप्रसार संधि-NPT) को लेकर लगातार भारत की एनएसजी में एंट्री का विरोध कर रहा है।
– ऐसे में, मीटिंग में भारत को अमेरिका से सपोर्ट की खासी उम्मीद है।
– मोदी के यूएस दौरे में भी बराक ओबामा ने भारत को सपोर्ट करने की बात कही थी।
– चीन की फॉरेन मिनिस्ट्री की स्पोक्सपर्सन हुआ चुनयिंग के मुताबिक, “एनएसजी मेंबर्स के बीच नॉन-एनपीटी देशों की एंट्री को लेकर अलग-अलग राय है। इसे लेकर हमें चर्चा करनी होगी।”
– इससे पहले चीन, पाकिस्तान को भी एनएसजी मेंबरशिप मिलने की वकालत कर चुका है।
चीनी सरकारी मीडिया ने ऐसे किया था पाक का सपोर्ट
– चीन के सरकारी अखबार ने लिखा, “जहां भारत एनएसजी में शामिल होने की कोशिश कर रहा है, वहीं वह पाक को उसके खराब न्यूक्लियर रिकॉर्ड के बेस पर रोकता है।”
– “असल में पाकिस्तान की ओर से अब्दुल कादिर खान ने न्यूक्लियर प्रोग्राम चलाया था। ये सरकार की ऑफिशियल पॉलिसी नहीं थी।”
– ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, “खान को कई साल घर में नजरबंद रखे जाने के बाद सरकार ने उन्हें दंडित किया।”
– “अगर NPT और एनएसजी भारत को छूट दे सकते हैं, तो ये छूट पाकिस्तान पर भी लागू होनी चाहिए।”
– ये पहली बार है जब चीनी मीडिया ने एनएसजी मेंबरशिप को लेकर सीधे तौर पर पाकिस्तान का सपोर्ट किया है।
NSG में भारत की दावेदारी में कहां फंसा है पेंच?
– चीन, तुर्की और आयरलैंड भारत को NSG की मेंबरशिप देने का खुलकर विरोध कर रहे हैं।
– इन देशों की अगुआई चीन कर रहा है। वह पाकिस्तान की एंट्री चाहता है।
– विरोधी देशों का कहना है कि नॉन प्रोलिफिरेशन ट्रीटी पर साइन किए बगैर भारत को NSG में शामिल न करें।
– चीन की शर्त है कि भारत NSG में शामिल हो तो पाकिस्तान को भी इसमें शामिल किया जाए।
– तुर्की का कहना है कि भारत और पाक को एक साथ मेंबरशिप दी जाए।
– आयरलैंड ने खुलकर कोई बयान नहीं दिया है।
ये देश NSG में भारत के समर्थन में
– अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, बेलारूस, बेल्जियम, ब्राजील, बुल्गारिया, कनाडा, क्रोएशिया, सायप्रस, चेक रिपब्लिक, डेनमार्क, एस्तोनिया, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस और हंगरी।
– इटली, जापान, कजाखस्तान, आइसलैंड, रिपब्लिक ऑफ कोरिया, लात्विया, लिथुआनिया, लग्जमबर्ग, माल्टा, मेक्सिको, नीदरलैंड्स, नॉर्वे, पोलैंड, पुर्तगाल, रोमानिया, रशियन फेडरेशन, सर्बिया, स्लोवाकिया, स्पेन, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, यूक्रेन, यूके, फ्रांस और यूएस।
भारत का इसलिए हो रहा सपोर्ट
– अमेरिका समेत सभी समर्थक देशों का मानना है कि भारत को डेवलपमेंट के लिए एटॉमिक एनर्जी की जरूरत है।
– भारत लंबे समय से एक जिम्मेदार देश के रूप में पेश आया है। ऐसे में, उसे NSG में शामिल किया जाना चाहिए।
ये दो देश भी कर सकते हैं सपोर्ट
– न्यूजीलैंड और साउथ अफ्रीका का NSG में भारत की मेंबरशिप पर रुख नर्म हुआ है।
– अमेरिका ने न्यूजीलैंड के साथ ऑस्ट्रिया को भी भारत का सपोर्ट करने के लिए लेटर लिखा है।
– मोदी जुलाई में साउथ अफ्रीका के दौरे पर जाने वाले हैं। इस दौरान वे साउथ अफ्रीका से NSG पर बात करेंगे।
क्या है SCO?
– एससीओ की स्थापना 2001 में हुई थी। उस वक्त इसमें चीन, कजाखिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल थे।
– ये पहली बार है जब एससीओ में नए मेंबर्स को इनवाइट किया गया है। इसमें भारत और पाकिस्तान को मेंबर बनाया गया है, जबकि अफगानिस्तान, ईरान और मंगोलिया ऑब्जर्वर का दर्जा दिया गया है।
– भारत-पाकिस्तान को पिछले साल जुलाई में ही एससीओ में मेंबरशिप को मंजूरी दे दी गई थी।
– एससीओ की मेंबरशिप मिलने के बाद भारत को एनर्जी सेक्टर में काफी सपोर्ट मिलेगा।
Source :- Dainik Bhaskar