मिशन यूपी के लिए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कुछ यूं हाईटेक कर दिया कार्यकर्ताओं को

amit-shah_650x400_51463717652नई दिल्‍ली: पूरे उत्तर प्रदेश में बीजेपी के विभिन्न दफ्तरों में काफी गहमागहमी है और इसका पूरा श्रेय पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को जाता है। देश के सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य में लंबे समय से सत्ता से दूर रही बीजेपी के पार्टी दफ्तरों में अब एक नई कार्य संस्कृति देखी जा रही है। फरवरी में अमित शाह ने राज्य में पार्टी के नए मुख्यालय की आधारशिला रखी थी। शाह उस वक्त पान की पीक से रंगी दीवारों और हो-हल्ले वाले माहौल को देखकर काफी खफा हुए थे।

कार्यकर्ताओं को मिलेंगे रेडियो फ्रिक्‍वेंसी वाले अटेंडेंस कार्ड
लेकिन यह अब बीते दिनों की बात हो गई। बीजेपी अब लखनऊ में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को रेडियो फ्रि‍क्वेंसी वाले अटेंडेंस कार्ड देने की योजना बना रही है, जिसे उपस्थिति दर्ज कराने के लिए स्वाइप करना होगा। इसके जरिये पार्टी के वरिष्ठ नेता यह जान सकेंगे कि कोई नेता दफ्तर में कितनी जल्दी आता है और कितना समय व्यतीत करता है। उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के नतीजों को 2019 के आम चुनावों के पूर्व संकेत के रूप में निश्चित रूप से देखा जाएगा।

बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता जो कल्याण सिंह के मुख्यमंत्री बनने के दौरान पार्टी के उत्थान और साल 2001 में राजनाथ सिंह के शासनकाल के दौरान पार्टी के पतन के गवाह रहे हैं, उन्होंने एनडीटीवी से कहा, हम करीब 15 साल से सत्ता से दूर हैं। लगभग सभी नेता पार्टी दफ्तर तभी आते हैं, जब इसके लिए उन पर दबाव डाला जाता है। उनके लिए लंच के लिए वापस घर जाना और दोपहर में आराम करना भी जरूरी होता है। अब हमें बदलाव करने के लिए कहा जा रहा है।

नए इलेक्ट्रॉनिक कार्ड में यूनिक नंबर हैं, जिससे पार्टी कार्यकर्ताओं को विभिन्न दस्तावेजों, पार्टी की नीतियों, केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं की जानकारियों और ऑनलाइन लाइब्रेरी के इस्तेमाल में काफी सहूलियत मिलेगी।

जमा करनी होगी बैठकों की ऑनलाइन रिपोर्ट
वरिष्ठ नेताओं को विभिन्न बैठकों और चर्चाओं के बारे में ऑनलाइन रिपोर्ट भी जमा करनी होगी। इन रिपोर्टों की केंद्रीय नेताओं और जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं द्वारा समीक्षा की जाएगी। यह ऑनलाइन सुविधा जुलाई से चालू हो जाएगी और पहले फेज में मंडल स्तर के 1800 पदधारी इससे जुड़ेंगे। बाद में करीब 1.5 लाख कार्यकर्ताओं को राज्य मुख्यालय से ऑनलाइन जोड़ा जाएगा, जो मतदान के दौरान बूथ लेवल पर काम करेंगे।

बीजेपी अध्यक्ष की नई योजनाएं उनके खुद के शुरुआती और कड़वे अनुभवों के आधार पर तैयार किए गए हैं। 2013 में अमित शाह उस वक्त पीएम पद के घोषित उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के लिए यूपी में चुनावी आधार तैयार करने के वास्ते गए थे। बीजेपी के एक नेता ने एनडीटीवी को बताया, ‘उन्होंने (अमित शाह ने) पाया कि स्थानीय नेता तभी दफ्तर में झांकते थे, जब किसी केंद्रीय नेता का दौरा होता था। उन्हें नेताओं के पैर छूने की आदत भी नागवार गुजरी, जिनका यूपी के वोटरों से वास्तव में कोई संपर्क नहीं था। अब जो नई पहल की जा रही है, उससे लगता है कि उन्हें यहां के शुरुआती दिन याद हैं।’

2014 के लोकसभा चुनावें में बीजेपी का यूपी में रहा था शानदार प्रदर्शन
2014 के आम चुनावों में बीजेपी ने यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से 70 पर कब्जा जमाया था और पार्टी की इस शानदार कामयाबी से सिद्ध हुआ कि अमित शाह ने यहां वोटरों के नब्ज पकड़ने में कोई चूक नहीं की थी। जब उन्हें यूपी का जिम्मा सौंपा गया था, तब ऐसी स्थिति थी जैसे बूथ स्तर के पार्टी कार्यकर्ताओं को घुन लगा हो। इनमें अधिकतर वैसे कार्यकर्ता थे, जो नेताओं के सगे-संबंधी थे और जिन्होंने कभी भी जमीनी स्तर पर काम नहीं किया था। यही नहीं कार्यकर्ताओं की सूची में कुछ ऐसे भी नाम थे, जो मर चुके थे। ऐसी स्थिति में आनन-फानन में कार्यकर्ताओं की पूरी फौज खड़ी की गई। अब एक लाख से ज्यादा कार्यकर्ताओं को जोड़ा गया है और उनके रिकॉर्ड, प्रमाण पत्र तथा उनकी क्षमताओं का विश्लेषण कर यह जानने की कोशिश की जा रही है कि वोटरों से उनके कितने मजबूत संबंध हैं।

 

Source : NDTV