शिवपाल ने CM अखिलेश के 7 समर्थक नेताओं को पार्टी से किया आउट, जाने अब तक का सियासी घटनाक्रम

l_1-1474274503लखनऊ।

उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ समाजवादी पार्टी (सपा) में मचा घमासान के थमने के बजाए उसके एक बार फिर तेज होने की आशंका बढ गई है। नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने सोमवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के 7 समर्थकों को पार्टी से निष्कासित कर दिया। निष्कासित सात युवा नेताओं में तीन राज्य विधान परिषद के सदस्य और चार युवा संगठनों के अध्यक्ष हैं।

शिवपाल सिंह यादव ने यहां बताया कि पार्टी से निष्कासित किए गए नेताओं में विधान परिषद सदस्य सुनील सिंह यादव, आनन्द भदौरिया और संजय लाठर शामिल हैं। निष्कासित नेताओं में मुलायम यूथ ब्रिगेड के अध्यक्ष गौरव दुबे, प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद एबाद, छात्र सभा के प्रदेश अध्यक्ष दिग्विजय सिंह देव और युवजन सभा के प्रदेश अध्यक्ष ब्रजेश यादव शामिल हैं।

इससे पहले प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी संभालते ही शिवपाल यादव ने महासचिव और राज्यसभा में पार्टी के नेता रामगोपाल यादव के भांजे अरविन्द यादव और अखिलेश कुमार उर्फ चांदगीराम को रविवार को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। अरविन्द यादव विधान परिषद सदस्य हैं जबकि चांदगीराम मुलायम सिंह यादव के पैतृक गांव इटावा में सैफई के ब्लाक प्रमुख रह चुके हैं।

 

पार्टी के इन युवा नेताओं को निष्कासित करने के बाद शिवपाल यादव ने कहा कि ‘नेताजी’ के आदेश की अवहेलना बर्दाश्त नहीं की जायेगी। जो भी गलत काम करेगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी, चाहे वह परिवार का ही सदस्य क्यों न हो। यादव ने कहा कि संगठन अनुशासन से चलता है। विवाद यदि कोई होता है तो उसे सुलह-समझौते से हल किया जाता है। अनुशासन तोडने की अनुमति किसी को नहीं है।

गौरतलब है कि गत शनिवार को युवा संगठनों के कई नेताओं ने पार्टी कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन देकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को फिर से प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग की थी। उन्होंने मुलायम सिंह यादव के घर के सामने भी नारेबाजी की थी। सांसद अमर सिंह को पार्टी से बाहर करने की मांग की थी। कुछ लोगों ने अमर सिंह का पुतला भी फूंका था। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और सांसद रामगोपाल यादव ने पार्टी के विवाद के लिए अमरसिंह को जिम्मेदार ठहराया था।

पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने अपने घर के बाहर हुए प्रदर्शन को काफी गंभीरता से लिया था और इस पर कडी नाराजगी जताई थी। उनके घर के बाहर सुरक्षाकर्मियों और प्रदर्शनकारियों के बीच धक्का मुक्की भी हुई थी। विधान परिषद सदस्य आनन्द भदौरिया ने मुलायम सिंह यादव से पार्टी नेतृत्व को युवाओं को सौंपने की मांग तक कर डाली थी। पार्टी में राजनीतिक संकट गत 12 सितम्बर से ही गहराना शुरु हो गया था। उस दिन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने मंत्रिमंडल से दो मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति और राजकिशोर ङ्क्षसह को बर्खास्त कर दिया था।

दूसरे ही दिन मुख्य सचिव दीपक सिंघल को हटा दिया। सूत्रों के अनुसार मुलायम सिंह यादव ने दीपक सिंघल को फिर से मुख्य सचिव बनाने के लिए कहा। दीपक सिंघल को फिर से मुख्य सचिव नहीं बनाये जाने पर मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव को हटाकर शिवपाल सिंह यादव को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया।

इससे झल्लाकर मुख्यमंत्री ने अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव से लोक निर्माण विभाग, सिंचाई, सहकारिता और राजस्व जैसे अहम मंत्रालय छीन लिए। उनके पास केवल परती भूमि विकास विभाग रखा हालांकि थोडी देर बाद उन्हें समाज कल्याण विभाग भी सौंप दिया। सपा में मचे घमासान को लेकर दिल्ली से लखनऊ तक बैठकों का दौर चला। चार दिन की चुप्पी के बाद मुलायम सिंह यादव ने मुंह खोला और कहा कि जल्द ही सब ठीक हो जायेगा।

इस बीच, अखिलेश यादव, शिवपाल यादव और राम गोपाल यादव ने एक स्वर से कहा, ‘नेताजी का निर्णय सर्वोपरि है। उनका आदेश परिवार में कोई काट ही नहीं सकता।’ इस सबके बीच, पार्टी में एक जुटता दिखाने के लिए मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव को दोपहर के भोजन के लिए शिवपाल सिहं यादव के घर भेजा, लेकिन बकौल मुख्यमंत्री वह केवल चाय पीकर वापस आ गये।

पार्टी में सबकुछ ठीक दिखने के लिए मुलायम सिंह यादव ने गत शनिवार को अखिलेश यादव के समर्थन में सडकों पर उतरे युवकों को खूब खरी खोटी सुनायी। उन्होंने कहा कि पार्टी को उन्होंने खून से सींचकर इस मुकाम तक पहुंचाया है। इसमें शिवपाल सिंह समेत कई लोगों ने अहम भूमिका अदा की है। अपने जीतेजी पार्टी और परिवार को टूटने नहीं देंगे। इसके लिए वह हरसम्भव कोशिश करेंगे। मुलायम सिंह के कडे रुख के बावजूद तलवारें म्यान में चली गयीं दिखती हैं लेकिन घटनाक्रम बताते हैं कि मौका मिलते ही तलवारें फिर खिंच जाने की आशंका है ।

 

 

Source: Patrika news