4817 मीटर की ऊंचाई पर बर्फ की दरार में फंसी पर्वतारोही, कैसे निकली बाहर?

mountaineer-stuck-in-snow-peak-crack_1466657760नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) की टीम ने द्रौपदी का डांडा समिट कैंप पर रेस्क्यू कर एक पर्वतारोही की जान बचाने में सफलता पाई है। पर्वतारोही युवती समुद्रतल से 4817 मीटर की ऊंचाई पर माइनस 10 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच बर्फ की अनंत गहराई और महज डेढ़ फीट चौड़ी दरार (क्रेवास) में फंस गई थी।

इस बीच अपने टेंट से कुछ दूरी पर पुणे महाराष्ट्र निवासी जयश्री डुंबरे क्रेवास (दरार) में समा गई। उसके साथ मौजूद कस्तूरी कुमारी ने शोर मचाकर दल के अन्य साथियों और निम के प्रशिक्षकों को इसकी सूचना दी। बर्फ की अनंत गहराई और मात्र डेढ़ फीट चौड़ी इस दरार में जयश्री का कुछ पता नहीं चल पा रहा था। अचानक दरार के भीतर पचास फीट से भी ज्यादा गहराई पर जयश्री के सिर पर बंधी हेड लैंप की रोशनी टिमटिमाने से उसके अटके होने की पुष्टि हुई तो निम के प्रशिक्षक बिना समय गंवाए रेस्क्यू में जुट गए।

टीम के मुख्य प्रशिक्षक दिगंबर पंवार ने पहले प्रशिक्षक शिवराज पंवार को रस्सियों के सहारे क्रेवास (दरार) के भीतर भेजकर जयश्री की लोकेशन पता कर उसे एंकर करवाया। इसके बाद प्रशिक्षक उम्मेद राणा ने नीचे जाकर जयश्री को बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन बर्फ की संकरी गली में बुरी तरह फंसी जयश्री को ऊपर निकालने की स्थिति नहीं बन पायी।

mountaineer-stuck-in-snow-peak-crack_1466657739कड़ाके की ठंड में बर्फ के बीच फंसे समय बीतने के साथ जयश्री की हालत बिगड़ती जा रही थी, तीसरे प्रयास में शिवराज ने नीचे जाकर जयश्री को रस्सी के सहारे बाहर धकेला। डेढ़ घंटे तक चले रेस्क्यू अभियान में जयश्री के सुरक्षित बाहर निकलने पर सभी लोगों ने राहत की सांस ली। रेस्क्यू ऑपरेशन में निम के प्रशिक्षक सोबन भंडारी, दशरथ रावत, सूबेदार प्रकाश भट्ट, सोबन बिष्ट, ग्रीष रणाकोटी, नर्सिंग असिस्टेंट शैलेंद्र एवं संपूर्णानंद ने भी सहयोग किया।

निम में प्रशिक्षण के दौरान सुरक्षा मानकों का विशेष ध्यान रखा जाता है। निम सर्च एंड रेस्क्यू कोर्स चलाने वाला एशिया का इकलौता संस्थान है। पर्वतारोहण के दौरान हुए हादसे में निम के प्रशिक्षकों की टीम ने उत्कृष्ट कार्य किया है। उच्चाधिकारियों से इन्हें सम्मानित करने की संस्तुति की जाएगी।