जमानत मामले में शहाबुद्दीन को SC से फौरी राहत, HC के आदेश पर रोक लगाने से इनकार

shahbudin_091916081605जमानत पर रिहा हुए पूर्व आरजेडी सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन को सुप्रीम कोर्ट से फौरी राहत मिली है. सोमवार को कोर्ट ने शहाबुद्दीन को हाई कोर्ट से मिली जमानत पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया. अदालत ने कहा कि वह याचिका पर आरजेडी नेता का पक्ष भी जानना चाहती है. मामले की सुनवाई सोमवार 26 सितंबर को फिर होगी.

कोर्ट ने कहा कि वह शहाबुद्दीन का भी पक्ष सुनना चाहती है. कोर्ट ने शहाबुद्दीन को नोटिस जारी कर जल्द प्रतिक्रिया मांगी है. शहाबुद्दीन की जमानत रद्द करने के लिए बिहार सरकार और प्रशांत भूषण ने याचिका दायर की थीं. प्रशांत भूषण ने चंदा बाबू की ओर से याचिका दायर की थी.

जेल जाने को तैयार शहाबुद्दीन
शहाबुद्दीन ने इन याचिकाओं पर कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट उनकी जमानत रद्द करता है तो वो जेल जाने को तैयार हैं. ‘आज तक/इंडिया टुडे’ से बातचीत में शहाबुद्दीन ने खुद को कानून और न्यायपालिका का सम्मान करने वाला इंसान बताया. चंद्रकेश्वर प्रसाद के तीन बेटों की हत्या के पीछे कथित तौर पर शहाबुद्दीन का हाथ बताया जा रहा है. उधर, सीवान प्रशासन ने भी बिहार सरकार को भेजी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि शहाबुद्दीन के जेल से लौटने के बाद से सीवान में दहशत का माहौल है.

शहाबुद्दीन ने कहा, ‘ये कोर्ट का मामला है. कोर्ट ने ही मुझे जमानत दी है. अगर कोर्ट मुझे दोबारा जेल जाने के लिए कहता है तो मैं तैयार हूं. ये मेरे लिए मुद्दा नहीं है. आखिर क्यों नहीं मैं जेल जाऊंगा. मैं कानून का पालन करने वाला देश का नागरिक हूं.’

जेल से लड़ा चुनाव, अस्पताल में लगाया था दरबार
1999 में एक सीपीआई (एमएल) कार्यकर्ता के अपहरण और संदिग्ध हत्या के मामले में शहाबुद्दीन को लोकसभा 2004 के चुनाव से आठ माह पहले गिरफ्तार कर लिया गया था. लेकिन चुनाव आते ही शहाबुद्दीन ने मेडीकल के आधार पर अस्पताल में शिफ्ट होने का इंतजाम कर लिया. अस्पताल का एक पूरा फ्लोर उनके लिए रखा गया था. जहां वह लोगों से मिलते थे, बैठकें करते थे. चुनाव तैयारी की समीक्षा करते थे. वहीं से फोन पर वह अधिकारियों, नेताओं को कहकर लोगों के काम कराते थे. अस्पताल के उस फ्लोर पर उनकी सुरक्षा के भारी इंतजाम थे.

हालात ये थे कि पटना हाई कोर्ट ने ठीक चुनाव से कुछ दिन पहले सरकार को शहाबुद्दीन के मामले में सख्त निर्देश दिए. कोर्ट ने शहाबुद्दीन को वापस जेल में भेजने के लिए कहा था. सरकार ने मजबूरी में शहाबुद्दीन को जेल वापस भेज दिया लेकिन चुनाव में 500 से ज्यादा बूथ लूट लिए गए थे. आरोप था कि यह काम शहाबुद्दीन के इशारे पर किया गया था. लेकिन दोबारा चुनाव होने पर भी शहाबुद्दीन सीवान से लोकसभा सांसद बन गए थे. लेकिन उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाले जेडी (यू) के ओम प्रकाश यादव ने उन्हें कड़ी टक्कर दी थी. चुनाव के बाद कई जेडी (यू) कार्यकर्ताओं की हत्या हुई थी.

हत्या और अपहरण के मामले में हुई उम्रकैद
साल 2004 के चुनाव के बाद से शहाबुद्दीन का बुरा वक्त शुरू हो गया था. इस दौरान शहाबुद्दीन के खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए. राजनीतिक रंजिश भी बढ़ रही थी. नवंबर 2005 में बिहार पुलिस की एक विशेष टीम ने दिल्ली में शहाबुद्दीन को उस वक्त दोबारा गिरफ्तार कर लिया था जब वह संसद सत्र में भागेदारी करने के लिए यहां आए हुए थे. दरअसल उससे पहले ही सीवान के प्रतापपुर में एक पुलिस छापे के दौरान उनके पैतृक घर से कई अवैध आधुनिक हथियार, सेना के नाइट विजन डिवाइस और पाकिस्तानी शस्त्र फैक्ट्रियों में बने हथियार बरामद हुए थे. हत्या, अपहरण, बमबारी, अवैध हथियार रखने और जबरन वसूली करने के दर्जनों मामले शहाबुद्दीन पर हैं. अदालत ने शहाबुद्दीन को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.

 

 

source: Aaj Tak